"हावरक्राफ्ट": अवतरणों में अंतर

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'''होवरक्राफ्ट''' (Hovercraft) हवाई गद्दों वाला एक ऐसा [[वाहन]] है, जो [[जल]] और जमीन के साथ-साथ बर्फीली सतह तथा कीचड़ पर भी आसानी से दौड़ सकता है। इस में एक बड़े पंखे से हवा की एक गद्दी तैयार की जाती है जिस पर यह हावरक्राफ्ट तैरता है। इस गद्दी के कारण क्राफ्ट की गति की विपरीत दिशा में लगने वाला श्यान-घर्षण बल बहुत कम हो जाता है। क्राफ्ट के हल्ल (hull) तथा उसके नीचे के तल (पानी, मिट्टी, कीचड़, बर्फ आदि) के बीच हवा को कम [[दाब]] तथा उच्च आयतन पर बनाए रखा जाता है। ये वाहन प्रायः नीचे के तल से २०० मिमी से लेकर ६०० मिमी की ऊँचाई पर 'तैरते' हुए आगे बढ़ते हैं। इनकी गति २० किमी/घण्टा से अधिक होती है।
'''होवरक्राफ्ट''' (Hovercraft) हवाई गद्दों वाला एक ऐसा [[वाहन]] है, जो [[जल]] और जमीन के साथ-साथ बर्फीली सतह तथा कीचड़ पर भी आसानी से दौड़ सकता है। इस में एक बड़े पंखे से हवा की एक गद्दी तैयार की जाती है जिस पर यह हावरक्राफ्ट तैरता है। इस गद्दी के कारण क्राफ्ट की गति की विपरीत दिशा में लगने वाला श्यान-घर्षण बल बहुत कम हो जाता है। क्राफ्ट के हल्ल (hull) तथा उसके नीचे के तल (पानी, मिट्टी, कीचड़, बर्फ आदि) के बीच हवा को कम [[दाब]] तथा उच्च आयतन पर बनाए रखा जाता है। ये वाहन प्रायः नीचे के तल से २०० मिमी से लेकर ६०० मिमी की ऊँचाई पर 'तैरते' हुए आगे बढ़ते हैं। इनकी गति २० किमी/घण्टा से अधिक होती है।


वर्ष १९५२ में [[ब्रिटिश]] इंजिनियर सर क्रिस्टोफर कोकरेल ने एक [[वैक्युम क्लीनर]] की [[विद्युत मोटर|मोटर]] व दो छोटे-छोटे बेलनाकार डिब्बों के साथ एक प्रयोग करते हुए पहली बार यह साबित किया कि हवाई कुशन से युक्त किसी वाहन से किसी इंजिन के जरिए हवा को तेजी से पीछें फेंका जाए तो इससे उपजा [[दबाव]] वाहन कों जल या थल में भी आगे दौड़ा सकता है। इसी [[सिद्धांत]] पर आगे चलकर ब्रिटिश [[वायुयान|विमान]] निर्माता सॉन्डर्स रोए ने पहला व्यवहारिक''' होवरक्राफ्ट''' बनाया जो इंसान कों ले जाने में सक्षम था। इसे एसआर-एन वन नाम दिया गया। पहले इसे सैन्य इस्तेमाल के लिहाज से ही बनाया गया था, लेकिन बाद में इसका आम नागरिकों के लिए भी इस्तेमाल किया जाने लगा। वर्ष १९५९ से १९६१ तक इस '''होवरक्राफ्ट'''को [[इंग्लिश चैनल]] पार करने समेत कई तरह के परीक्षणों से गुजारा गया। इसमें एक इंजिन लगा था और यह दो आदमियों कों ले जाने में सक्षम था। हालांकि पहला विशुद्ध पैसेंजर '''होवरक्राफ्ट''' विकर्स विए - ३ था, जिसमें दो टर्बोप्रोप इंजन लगे थे और प्रोपेलर्स के सहारे चलता था।
वर्ष १९५२ में [[यूनाइटेड किंगडम|ब्रिटिश]] इंजिनियर सर क्रिस्टोफर कोकरेल ने एक [[वैक्युम क्लीनर]] की [[विद्युत मोटर|मोटर]] व दो छोटे-छोटे बेलनाकार डिब्बों के साथ एक प्रयोग करते हुए पहली बार यह साबित किया कि हवाई कुशन से युक्त किसी वाहन से किसी इंजिन के जरिए हवा को तेजी से पीछें फेंका जाए तो इससे उपजा [[दाब|दबाव]] वाहन कों जल या थल में भी आगे दौड़ा सकता है। इसी [[सिद्धांत (थिअरी)|सिद्धांत]] पर आगे चलकर ब्रिटिश [[वायुयान|विमान]] निर्माता सॉन्डर्स रोए ने पहला व्यवहारिक''' होवरक्राफ्ट''' बनाया जो इंसान कों ले जाने में सक्षम था। इसे एसआर-एन वन नाम दिया गया। पहले इसे सैन्य इस्तेमाल के लिहाज से ही बनाया गया था, लेकिन बाद में इसका आम नागरिकों के लिए भी इस्तेमाल किया जाने लगा। वर्ष १९५९ से १९६१ तक इस '''होवरक्राफ्ट'''को [[इंग्लिश चैनल]] पार करने समेत कई तरह के परीक्षणों से गुजारा गया। इसमें एक इंजिन लगा था और यह दो आदमियों कों ले जाने में सक्षम था। हालांकि पहला विशुद्ध पैसेंजर '''होवरक्राफ्ट''' विकर्स विए - ३ था, जिसमें दो टर्बोप्रोप इंजन लगे थे और प्रोपेलर्स के सहारे चलता था।


[[श्रेणी:वाहन]]
[[श्रेणी:वाहन]]

13:08, 7 मार्च 2020 के समय का अवतरण

लिथुआनिया का तटरक्षक हॉवरक्राफ्ट ; इसका इंजन चालू है तथा 'स्कर्ट' फुलाया हुआ है।
हॉवरक्राफ्ट का योजना-चित्र
1. प्रोपेलर
2. वायु
3. पंखे
4. नम्य 'स्कर्ट'

होवरक्राफ्ट (Hovercraft) हवाई गद्दों वाला एक ऐसा वाहन है, जो जल और जमीन के साथ-साथ बर्फीली सतह तथा कीचड़ पर भी आसानी से दौड़ सकता है। इस में एक बड़े पंखे से हवा की एक गद्दी तैयार की जाती है जिस पर यह हावरक्राफ्ट तैरता है। इस गद्दी के कारण क्राफ्ट की गति की विपरीत दिशा में लगने वाला श्यान-घर्षण बल बहुत कम हो जाता है। क्राफ्ट के हल्ल (hull) तथा उसके नीचे के तल (पानी, मिट्टी, कीचड़, बर्फ आदि) के बीच हवा को कम दाब तथा उच्च आयतन पर बनाए रखा जाता है। ये वाहन प्रायः नीचे के तल से २०० मिमी से लेकर ६०० मिमी की ऊँचाई पर 'तैरते' हुए आगे बढ़ते हैं। इनकी गति २० किमी/घण्टा से अधिक होती है।

वर्ष १९५२ में ब्रिटिश इंजिनियर सर क्रिस्टोफर कोकरेल ने एक वैक्युम क्लीनर की मोटर व दो छोटे-छोटे बेलनाकार डिब्बों के साथ एक प्रयोग करते हुए पहली बार यह साबित किया कि हवाई कुशन से युक्त किसी वाहन से किसी इंजिन के जरिए हवा को तेजी से पीछें फेंका जाए तो इससे उपजा दबाव वाहन कों जल या थल में भी आगे दौड़ा सकता है। इसी सिद्धांत पर आगे चलकर ब्रिटिश विमान निर्माता सॉन्डर्स रोए ने पहला व्यवहारिक होवरक्राफ्ट बनाया जो इंसान कों ले जाने में सक्षम था। इसे एसआर-एन वन नाम दिया गया। पहले इसे सैन्य इस्तेमाल के लिहाज से ही बनाया गया था, लेकिन बाद में इसका आम नागरिकों के लिए भी इस्तेमाल किया जाने लगा। वर्ष १९५९ से १९६१ तक इस होवरक्राफ्टको इंग्लिश चैनल पार करने समेत कई तरह के परीक्षणों से गुजारा गया। इसमें एक इंजिन लगा था और यह दो आदमियों कों ले जाने में सक्षम था। हालांकि पहला विशुद्ध पैसेंजर होवरक्राफ्ट विकर्स विए - ३ था, जिसमें दो टर्बोप्रोप इंजन लगे थे और प्रोपेलर्स के सहारे चलता था।