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'''मनोज बाजपेयी''' भारतीय हिन्दी फ़िल्म उद्योग [[बॉलीवुड]] के एक जाने माने [[अभिनेता]] हैं। मनोज को प्रयोगकर्मी अभिनेता के रूप में जाना जाता है। उन्होने अपना फ़िल्मी कैरियर १९९४ मे [[शेखर कपूर]] निर्देशित अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त फ़िल्म [[बैंडिट क्वीन]] से शुरु किया। [[बॉलीवुड]] मे उनकी पहचान १९९८ मे [[राम गोपाल वर्मा]] निर्देशित फ़िल्म [[सत्या (1998 फ़िल्म)|सत्या]] से बनी। इस फ़िल्म ने मनोज को उस दौर के अभिनेताओं के समकक्ष ला खङा किया। इस फ़िल्म के लिये उन्हें सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेता का [[राष्ट्रीय |
'''मनोज बाजपेयी''' भारतीय हिन्दी फ़िल्म उद्योग [[हिन्दी सिनेमा|बॉलीवुड]] के एक जाने माने [[अभिनेता]] हैं। मनोज को प्रयोगकर्मी अभिनेता के रूप में जाना जाता है। उन्होने अपना फ़िल्मी कैरियर १९९४ मे [[शेखर कपूर]] निर्देशित अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त फ़िल्म [[बैंडिट क्वीन (1994 फ़िल्म)|बैंडिट क्वीन]] से शुरु किया। [[हिन्दी सिनेमा|बॉलीवुड]] मे उनकी पहचान १९९८ मे [[रामगोपाल वर्मा|राम गोपाल वर्मा]] निर्देशित फ़िल्म [[सत्या (1998 फ़िल्म)|सत्या]] से बनी। इस फ़िल्म ने मनोज को उस दौर के अभिनेताओं के समकक्ष ला खङा किया। इस फ़िल्म के लिये उन्हें सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेता का [[राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार|राष्ट्रीय पुरस्कार]] भी प्राप्त हुआ। |
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== प्रारंभिक जीवन == |
== प्रारंभिक जीवन == |
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मनोज बाजपेयी का जन्म २३ अप्रिल १९६९ को बिहार के पश्चिमी चंपारण के छोटे से गांव बेलवा में हुआ था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा के.आर. हाई स्कूल, बेतिया से हुई। इसके बाद मनोज दिल्ली चले गये और रामजस कॉलेज से अपनी आगे की पढाई की। उन्हे [[राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय]] मे तीन कोशिशों के बावजूद प्रवेश नही मिल सका। इसके बाद उन्होने बैरी जॉन के साथ रंगमंच किया। मनोज ने बैरी जॉन के मार्गदर्शन में स्ट्रीट चिल्ड्रेन के साथ काफी काम किया है। |
मनोज बाजपेयी का जन्म २३ अप्रिल १९६९ को बिहार के पश्चिमी चंपारण के छोटे से गांव बेलवा में हुआ था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा के.आर. हाई स्कूल, बेतिया से हुई। इसके बाद मनोज दिल्ली चले गये और रामजस कॉलेज से अपनी आगे की पढाई की। उन्हे [[राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय]] मे तीन कोशिशों के बावजूद प्रवेश नही मिल सका। इसके बाद उन्होने बैरी जॉन के साथ रंगमंच किया। मनोज ने बैरी जॉन के मार्गदर्शन में स्ट्रीट चिल्ड्रेन के साथ काफी काम किया है। |
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== कैरियर == |
== कैरियर == |
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मनोज बाजपेयी ने अपना कैरियर दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले धारावाहिक [[स्वाभिमान]] के साथ शुरु किया। इसी धारावाहिक से [[आशुतोष राणा]] और [[रोहित रॉय]] को भी पहचान मिली। [[बैंडिट क्वीन]] की कास्टिंग के दौरान [[तिग्मांशु धूलिया]] ने मनोज को पहली बार [[शेखर कपूर]] से मिलवाया था। इस फ़िल्म मे मनोज ने डाकू मान सिंह का चरित्र निभाया था। १९९४ मे आयी फ़िल्म [[द्रोह काल (1994 फ़िल्म)|द्रोह काल]] और १९९६ मे आयी [[दस्तक (1996 फ़िल्म)|दस्तक]] फ़िल्म मे भी मनोज ने छोटे किरदार निभाये। १९९७ मे मनोज ने [[महेश भट्ट]] निर्देशित [[तमन्ना]] फ़िल्म की। इसी साल [[राम गोपाल वर्मा]] निर्देशित और [[संजय दत्त]] अभिनीत फ़िल्म [[दौड़ (1997 फ़िल्म)|दौड़]] मे भी मनोज दिखे। १९९८ मे [[राम गोपाल वर्मा]] की फ़िल्म [[सत्या (1998 फ़िल्म)|सत्या]] के बाद मनोज ने कभी वापस मुड़ कर नहीं देखा। इस फ़िल्म मे उनके द्वारा निभाये गये भीखू म्हात्रे के किरदार के लिये उन्हे कई पुरस्कार मिले जिसमे सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार और [[फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार|फ़िल्मफेयर]] का सर्वोत्तम अभिनेता पुरस्कार (समीक्षक) मुख्य हैं। १९९९ मे आयी फ़िल्म [[शूल (1999 फ़िल्म)|शूल]] मे उनके किरदार समर प्रताप सिंह के लिये उन्हे फ़िल्मफेयर का सर्वोत्तम अभिनेता पुरस्कार मिला। [[अमृता प्रीतम]] के मशहूर उपन्यास 'पिंजर' पर आधारित फ़िल्म [[पिंजर (फ़िल्म)|पिंजर]] के लिये उन्हे एक बार फिर राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। |
मनोज बाजपेयी ने अपना कैरियर दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले धारावाहिक [[स्वाभिमान]] के साथ शुरु किया। इसी धारावाहिक से [[आशुतोष राणा]] और [[रोहित रॉय]] को भी पहचान मिली। [[बैंडिट क्वीन (1994 फ़िल्म)|बैंडिट क्वीन]] की कास्टिंग के दौरान [[तिग्मांशु धूलिया]] ने मनोज को पहली बार [[शेखर कपूर]] से मिलवाया था। इस फ़िल्म मे मनोज ने डाकू मान सिंह का चरित्र निभाया था। १९९४ मे आयी फ़िल्म [[द्रोह काल (1994 फ़िल्म)|द्रोह काल]] और १९९६ मे आयी [[दस्तक (1996 फ़िल्म)|दस्तक]] फ़िल्म मे भी मनोज ने छोटे किरदार निभाये। १९९७ मे मनोज ने [[महेश भट्ट]] निर्देशित [[तमन्ना भाटिया|तमन्ना]] फ़िल्म की। इसी साल [[रामगोपाल वर्मा|राम गोपाल वर्मा]] निर्देशित और [[संजय दत्त]] अभिनीत फ़िल्म [[दौड़ (1997 फ़िल्म)|दौड़]] मे भी मनोज दिखे। १९९८ मे [[रामगोपाल वर्मा|राम गोपाल वर्मा]] की फ़िल्म [[सत्या (1998 फ़िल्म)|सत्या]] के बाद मनोज ने कभी वापस मुड़ कर नहीं देखा। इस फ़िल्म मे उनके द्वारा निभाये गये भीखू म्हात्रे के किरदार के लिये उन्हे कई पुरस्कार मिले जिसमे सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार और [[फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार|फ़िल्मफेयर]] का सर्वोत्तम अभिनेता पुरस्कार (समीक्षक) मुख्य हैं। १९९९ मे आयी फ़िल्म [[शूल (1999 फ़िल्म)|शूल]] मे उनके किरदार समर प्रताप सिंह के लिये उन्हे फ़िल्मफेयर का सर्वोत्तम अभिनेता पुरस्कार मिला। [[अमृता प्रीतम]] के मशहूर उपन्यास 'पिंजर' पर आधारित फ़िल्म [[पिंजर (फ़िल्म)|पिंजर]] के लिये उन्हे एक बार फिर राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। |
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२०१० मे आयी [[प्रकाश झा]] निर्देशित फ़िल्म [[राजनीति]] मे उनके द्वारा निभाये वीरेन्द्र प्रताप उर्फ वीरू भैया ने अभिनय की एक नयी परिभाषा गढ दी। यह किरदार महाभारत के पात्र दुर्योधन से काफी मिलता-जुलता है। इस फ़िल्म के प्रीमियर शो बाद [[कैटरीना कैफ]] अपनी सीट से उठीं और उन्होंने मनोज बाजपेयी के पैर छू लिये। कैटरीना ने कहा उन्होंने ऐसी एक्टिंग पहले कहीं नहीं देखी जैसी मनोज ने फ़िल्म में की हैं।<ref>[http://hindi.oneindia.in/movies/bollywood/gossip/2010/06/katrina-embarrasses-manoj-touching-his-feet.html कैटरीना ने मनोज बाजपेयी के पैर छूए]</ref> २०१२ मे आयी फ़िल्म [[गैंग्स ऑफ वासेपुर – भाग 1]] मे मनोज सरदार खान के किरदार में दिखे। इस फ़िल्म को और मनोज के किरदार को समीक्षकों की तरफ से खासी सराहना मिली। |
२०१० मे आयी [[प्रकाश झा]] निर्देशित फ़िल्म [[राजनीति]] मे उनके द्वारा निभाये वीरेन्द्र प्रताप उर्फ वीरू भैया ने अभिनय की एक नयी परिभाषा गढ दी। यह किरदार महाभारत के पात्र दुर्योधन से काफी मिलता-जुलता है। इस फ़िल्म के प्रीमियर शो बाद [[कैटरीना कैफ़|कैटरीना कैफ]] अपनी सीट से उठीं और उन्होंने मनोज बाजपेयी के पैर छू लिये। कैटरीना ने कहा उन्होंने ऐसी एक्टिंग पहले कहीं नहीं देखी जैसी मनोज ने फ़िल्म में की हैं।<ref>[http://hindi.oneindia.in/movies/bollywood/gossip/2010/06/katrina-embarrasses-manoj-touching-his-feet.html कैटरीना ने मनोज बाजपेयी के पैर छूए]</ref> २०१२ मे आयी फ़िल्म [[गैंग्स ऑफ वासेपुर – भाग 1]] मे मनोज सरदार खान के किरदार में दिखे। इस फ़िल्म को और मनोज के किरदार को समीक्षकों की तरफ से खासी सराहना मिली। |
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== प्रमुख फिल्में == |
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== इन्हें भी देखें == |
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* [[कुणाल खेमू]] |
* [[कुणाल खेमू]] |
17:25, 5 मार्च 2020 का अवतरण
मनोज बाजपेयी | |
---|---|
जन्म |
23 अप्रैल 1969 बेलवा, पश्चिमी चंपारण, बिहार, भारत |
पेशा | अभिनेता |
जीवनसाथी | नेहा (2006–वर्तमान) |
बच्चे | 1 |
उल्लेखनीय कार्य | {{{notable_works}}} |
मनोज बाजपेयी भारतीय हिन्दी फ़िल्म उद्योग बॉलीवुड के एक जाने माने अभिनेता हैं। मनोज को प्रयोगकर्मी अभिनेता के रूप में जाना जाता है। उन्होने अपना फ़िल्मी कैरियर १९९४ मे शेखर कपूर निर्देशित अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त फ़िल्म बैंडिट क्वीन से शुरु किया। बॉलीवुड मे उनकी पहचान १९९८ मे राम गोपाल वर्मा निर्देशित फ़िल्म सत्या से बनी। इस फ़िल्म ने मनोज को उस दौर के अभिनेताओं के समकक्ष ला खङा किया। इस फ़िल्म के लिये उन्हें सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्राप्त हुआ।
प्रारंभिक जीवन
मनोज बाजपेयी का जन्म २३ अप्रिल १९६९ को बिहार के पश्चिमी चंपारण के छोटे से गांव बेलवा में हुआ था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा के.आर. हाई स्कूल, बेतिया से हुई। इसके बाद मनोज दिल्ली चले गये और रामजस कॉलेज से अपनी आगे की पढाई की। उन्हे राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय मे तीन कोशिशों के बावजूद प्रवेश नही मिल सका। इसके बाद उन्होने बैरी जॉन के साथ रंगमंच किया। मनोज ने बैरी जॉन के मार्गदर्शन में स्ट्रीट चिल्ड्रेन के साथ काफी काम किया है।
कैरियर
मनोज बाजपेयी ने अपना कैरियर दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले धारावाहिक स्वाभिमान के साथ शुरु किया। इसी धारावाहिक से आशुतोष राणा और रोहित रॉय को भी पहचान मिली। बैंडिट क्वीन की कास्टिंग के दौरान तिग्मांशु धूलिया ने मनोज को पहली बार शेखर कपूर से मिलवाया था। इस फ़िल्म मे मनोज ने डाकू मान सिंह का चरित्र निभाया था। १९९४ मे आयी फ़िल्म द्रोह काल और १९९६ मे आयी दस्तक फ़िल्म मे भी मनोज ने छोटे किरदार निभाये। १९९७ मे मनोज ने महेश भट्ट निर्देशित तमन्ना फ़िल्म की। इसी साल राम गोपाल वर्मा निर्देशित और संजय दत्त अभिनीत फ़िल्म दौड़ मे भी मनोज दिखे। १९९८ मे राम गोपाल वर्मा की फ़िल्म सत्या के बाद मनोज ने कभी वापस मुड़ कर नहीं देखा। इस फ़िल्म मे उनके द्वारा निभाये गये भीखू म्हात्रे के किरदार के लिये उन्हे कई पुरस्कार मिले जिसमे सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार और फ़िल्मफेयर का सर्वोत्तम अभिनेता पुरस्कार (समीक्षक) मुख्य हैं। १९९९ मे आयी फ़िल्म शूल मे उनके किरदार समर प्रताप सिंह के लिये उन्हे फ़िल्मफेयर का सर्वोत्तम अभिनेता पुरस्कार मिला। अमृता प्रीतम के मशहूर उपन्यास 'पिंजर' पर आधारित फ़िल्म पिंजर के लिये उन्हे एक बार फिर राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।
२०१० मे आयी प्रकाश झा निर्देशित फ़िल्म राजनीति मे उनके द्वारा निभाये वीरेन्द्र प्रताप उर्फ वीरू भैया ने अभिनय की एक नयी परिभाषा गढ दी। यह किरदार महाभारत के पात्र दुर्योधन से काफी मिलता-जुलता है। इस फ़िल्म के प्रीमियर शो बाद कैटरीना कैफ अपनी सीट से उठीं और उन्होंने मनोज बाजपेयी के पैर छू लिये। कैटरीना ने कहा उन्होंने ऐसी एक्टिंग पहले कहीं नहीं देखी जैसी मनोज ने फ़िल्म में की हैं।[1] २०१२ मे आयी फ़िल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर – भाग 1 मे मनोज सरदार खान के किरदार में दिखे। इस फ़िल्म को और मनोज के किरदार को समीक्षकों की तरफ से खासी सराहना मिली।
प्रमुख फिल्में
वर्ष | फ़िल्म | चरित्र | टिप्पणी |
---|---|---|---|
2018 | सत्यमेव जयते | डी°सी°पी° शिवांश | |
2018 | अय्यारी | कर्नल अभय सिंह | |
2016 | ट्रैफ़िक | कांस्टेबल रामदास गोडबोले | |
2016 | बुधिया सिंह - चलाने के लिए जन्मे | बिराची दास | |
2016 | ट्रैफ़िक | कांस्टेबल रामदास गोडबोले | |
2016 | अलीगढ़ | रामचंद्र सिरस | |
2016 | तांडव | फ़िल्मफेयर लघु फ़िल्म पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता | |
2015 | जय हिन्द | Short film | |
2015 | जय हिन्द | Short film | |
2015 | तेवर | Gajendar Singh | |
2014 | अंजान | इमरान भाई | |
2014 | महाभारत | युधिष्ठिर (आवाज) | |
2013 | महाभारत | युधिष्ठिर (आवाज) | |
2013 | सत्याग्रह | बलराम सिंह | |
2013 | शूटआउट एट वडाला | ज़ुबैर इम्तिआज़ हँसकर | |
2013 | स्पेशल 26 | सीबीआई अधिकारी वसीम खान | |
2013 | समर | राजेश अरुणाचलम | |
2012 | गैंग्स ऑफ वासेपुर – भाग 1 | सरदार खान | |
2012 | चक्रव्यूह | राजन | |
2011 | लंका | जसवंत सिसोदिया | |
2011 | आरक्षण | मिथिलेश सिंह | |
2010 | दस तोला | शंकर सुनार | |
2010 | राजनीति | वीरेन्द्र प्रताप सिंह "वीरू भैया" | |
2009 | जुगाङ | संदीप | |
2009 | जेल | नवाब | |
2008 | एसिड फैक्टरी | सुल्तान | |
2008 | मनी है तो हनी है | लालाभाई भरोङिया | |
2007 | दस कहानियाँ | साहिल | |
2005 | बेवफा | ||
2004 | हनन | ||
2004 | वीर-ज़ारा | ||
2003 | पिंजर | रशीद | |
2003 | एल ओ सी कारगिल | ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव | |
2002 | रोड | बाबू | |
2001 | ज़ुबेदा | महाराजा विजयेन्द्र सिंह | |
2001 | अक्स | ||
2000 | घात | कृष्णा पाटिल | |
2000 | फ़िज़ा | ||
1999 | शूल | समर प्रताप सिंह | |
1998 | सत्या | भीखू म्हात्रे | |
1997 | तमन्ना | सलीम | |
1997 | दौड़ | ||
1996 | संशोधन | भँवर | |
1996 | दस्तक | ||
1995 | स्वाभिमान | दूरदर्शन धारावाहिक फ़िल्म | |
1994 | बैन्डिट क्वीन |
नामांकन और पुरस्कार
फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार
- 2000 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - आलोचक - शूल
- 1999 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - आलोचक - सत्या