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'''हेद्रिअन''' (७६ - १३८) ११७ ई से १३८ ई तक रोमन सम्राट था।
'''हेद्रिअन''' (७६ - १३८) ११७ ई से १३८ ई तक रोमन सम्राट था।


हेद्रिअन का जन्म २४ जनवरी, सन् ७६ को हुआ। वह मूलत: [[स्पेन|स्पेनी]] था और [[त्राजन]] से उसका दूर का संबंध था। सन् ८५ में पिता की मृत्य के पश्चात् वह रोम के भावी सम्राट् त्राजन के संरक्षण में रहने लगा। बाद के पाँच वर्षों तक वह [[रोम]] में रहा। १५ वर्ष की उम्र में अपने जन्मस्थान को वापस लौट आया और सैनिक के रूप में उसके जीवन का आरंभ हुआ। सन् ९३ में त्राजन ने उसे रोम बुला लिया। सन् ९५ में एक ट्रिब्यून के रूप में बुडापेस्ट में उसकी नियुक्ति हुई, जहाँ से चार साल बाद वह रोम वापस चला आया। सन् १०० में महारानी [[पोलटिना]] ने उसका [[विवाह]] त्राजन की भतीजी विबिया साबिना से करा दिया। सन् १०१ में वह अर्थसचिव, १०५ में लोकाधिकारी और १०६ में प्रीतर बनाया गया। अपनी सख्त बीमारी के कारण जब त्राजन पूर्व से लौट आया तब उसने हेद्रिअन को [[सीरिया]] का गवर्नर और वहाँ का सेनापति नियुक्त किया। सन् ११७ में त्राजन ने उसे गोद लेकर अपना उत्तराधिकार को मान्यता प्रदान कर दी। वह उस समय [[रोम साम्राज्य]] की गद्दी पर बैठा जब वह चारों ओर गंभीर संकटों से घिरा हुआ था।
हेद्रिअन का जन्म २४ जनवरी, सन् ७६ को हुआ। वह मूलत: [[स्पेन|स्पेनी]] था और [[त्राजन]] से उसका दूर का संबंध था। सन् ८५ में पिता की मृत्य के पश्चात् वह रोम के भावी सम्राट् त्राजन के संरक्षण में रहने लगा। बाद के पाँच वर्षों तक वह [[रोम]] में रहा। १५ वर्ष की उम्र में अपने जन्मस्थान को वापस लौट आया और सैनिक के रूप में उसके जीवन का आरंभ हुआ। सन् ९३ में त्राजन ने उसे रोम बुला लिया। सन् ९५ में एक ट्रिब्यून के रूप में बुडापेस्ट में उसकी नियुक्ति हुई, जहाँ से चार साल बाद वह रोम वापस चला आया। सन् १०० में महारानी [[पोलटिना]] ने उसका [[विवाह]] त्राजन की भतीजी विबिया साबिना से करा दिया। सन् १०१ में वह अर्थसचिव, १०५ में लोकाधिकारी और १०६ में प्रीतर बनाया गया। अपनी सख्त बीमारी के कारण जब त्राजन पूर्व से लौट आया तब उसने हेद्रिअन को [[सीरिया]] का गवर्नर और वहाँ का सेनापति नियुक्त किया। सन् ११७ में त्राजन ने उसे गोद लेकर अपना उत्तराधिकार को मान्यता प्रदान कर दी। वह उस समय [[रोमन साम्राज्य|रोम साम्राज्य]] की गद्दी पर बैठा जब वह चारों ओर गंभीर संकटों से घिरा हुआ था।


शासनारूढ़ होने के बाद हेद्रिअन महान् प्रशासक सिद्ध हुआ। उसने सिनेट से मैत्रीपूर्ण व्यवहार रखनेवाली त्राजन की नीति को बरकरार रखा लेकिन उसी के साथ नौकरशाही को भी बढ़ावा दिया। साम्राज्य की सुख समृद्धि में उसकी रुचि का पता इसी से चलता है कि उसने दो बार पूरे साम्राज्य का विस्तृत भ्रमण किया था। [[स्काटलैंड]] की घुसपैठ से [[इंग्लैंड]] की रक्षा करने के लिए उसने १२१ - २२२ में इंग्लैंड के उत्तर में एक दीवाल का निर्माण करवाया जो [[हेद्रिअन दीवाल]] के रूप में प्रसिद्ध है और जिसके अवशेष अब भी वर्तमान हैं। उसने सीमांत प्रतिरक्षा को सुदृढ़ बनाया। अनेक शहर और कस्बे बसाए गए। सरकारी सहायता द्वारा सार्वजनिक निर्माण के कार्य संपन्न हुए। उसने किसानों के ऊपर से [[कर]] हटा दिया और 'रोमन ला' को व्यस्थित रूप दिया।
शासनारूढ़ होने के बाद हेद्रिअन महान् प्रशासक सिद्ध हुआ। उसने सिनेट से मैत्रीपूर्ण व्यवहार रखनेवाली त्राजन की नीति को बरकरार रखा लेकिन उसी के साथ नौकरशाही को भी बढ़ावा दिया। साम्राज्य की सुख समृद्धि में उसकी रुचि का पता इसी से चलता है कि उसने दो बार पूरे साम्राज्य का विस्तृत भ्रमण किया था। [[स्कॉट्लैण्ड|स्काटलैंड]] की घुसपैठ से [[इंग्लैण्ड|इंग्लैंड]] की रक्षा करने के लिए उसने १२१ - २२२ में इंग्लैंड के उत्तर में एक दीवाल का निर्माण करवाया जो [[हेद्रिअन दीवाल]] के रूप में प्रसिद्ध है और जिसके अवशेष अब भी वर्तमान हैं। उसने सीमांत प्रतिरक्षा को सुदृढ़ बनाया। अनेक शहर और कस्बे बसाए गए। सरकारी सहायता द्वारा सार्वजनिक निर्माण के कार्य संपन्न हुए। उसने किसानों के ऊपर से [[कर]] हटा दिया और 'रोमन ला' को व्यस्थित रूप दिया।


हेद्रिअन प्रतिभासंपन्न, प्रखरबुद्धि और आकर्षक व्यक्तित्व का आदमी था। वह ग्रीक सभ्यता का प्रशंसक था और उसमें अद्भुत कृतत्व शक्ति थी। ऐसा प्रसिद्ध है कि वह एक ही समय लिख, पढ़, बोल और डिक्टेट करा सकता था। उसने अपनी एक आत्मकथा भी लिखी थी, जो अब प्राप्त नहीं है। कहा जाता है, अपने शासन के अंतिम दिनों में वह बहुत निराश हो गया और उसने तीन बार आत्महत्या करने का प्रयत्न किया। १० जुलाई, १३८ को उसकी मृत्यु हो गई। रोम में [[टाइबर नदी]] के किनारे उसकी शानदार मजार अब भी विद्यमान है।
हेद्रिअन प्रतिभासंपन्न, प्रखरबुद्धि और आकर्षक व्यक्तित्व का आदमी था। वह ग्रीक सभ्यता का प्रशंसक था और उसमें अद्भुत कृतत्व शक्ति थी। ऐसा प्रसिद्ध है कि वह एक ही समय लिख, पढ़, बोल और डिक्टेट करा सकता था। उसने अपनी एक आत्मकथा भी लिखी थी, जो अब प्राप्त नहीं है। कहा जाता है, अपने शासन के अंतिम दिनों में वह बहुत निराश हो गया और उसने तीन बार आत्महत्या करने का प्रयत्न किया। १० जुलाई, १३८ को उसकी मृत्यु हो गई। रोम में [[टाइबर नदी]] के किनारे उसकी शानदार मजार अब भी विद्यमान है।

19:49, 4 मार्च 2020 के समय का अवतरण

हेद्रिअन की प्रतिमा

हेद्रिअन (७६ - १३८) ११७ ई से १३८ ई तक रोमन सम्राट था।

हेद्रिअन का जन्म २४ जनवरी, सन् ७६ को हुआ। वह मूलत: स्पेनी था और त्राजन से उसका दूर का संबंध था। सन् ८५ में पिता की मृत्य के पश्चात् वह रोम के भावी सम्राट् त्राजन के संरक्षण में रहने लगा। बाद के पाँच वर्षों तक वह रोम में रहा। १५ वर्ष की उम्र में अपने जन्मस्थान को वापस लौट आया और सैनिक के रूप में उसके जीवन का आरंभ हुआ। सन् ९३ में त्राजन ने उसे रोम बुला लिया। सन् ९५ में एक ट्रिब्यून के रूप में बुडापेस्ट में उसकी नियुक्ति हुई, जहाँ से चार साल बाद वह रोम वापस चला आया। सन् १०० में महारानी पोलटिना ने उसका विवाह त्राजन की भतीजी विबिया साबिना से करा दिया। सन् १०१ में वह अर्थसचिव, १०५ में लोकाधिकारी और १०६ में प्रीतर बनाया गया। अपनी सख्त बीमारी के कारण जब त्राजन पूर्व से लौट आया तब उसने हेद्रिअन को सीरिया का गवर्नर और वहाँ का सेनापति नियुक्त किया। सन् ११७ में त्राजन ने उसे गोद लेकर अपना उत्तराधिकार को मान्यता प्रदान कर दी। वह उस समय रोम साम्राज्य की गद्दी पर बैठा जब वह चारों ओर गंभीर संकटों से घिरा हुआ था।

शासनारूढ़ होने के बाद हेद्रिअन महान् प्रशासक सिद्ध हुआ। उसने सिनेट से मैत्रीपूर्ण व्यवहार रखनेवाली त्राजन की नीति को बरकरार रखा लेकिन उसी के साथ नौकरशाही को भी बढ़ावा दिया। साम्राज्य की सुख समृद्धि में उसकी रुचि का पता इसी से चलता है कि उसने दो बार पूरे साम्राज्य का विस्तृत भ्रमण किया था। स्काटलैंड की घुसपैठ से इंग्लैंड की रक्षा करने के लिए उसने १२१ - २२२ में इंग्लैंड के उत्तर में एक दीवाल का निर्माण करवाया जो हेद्रिअन दीवाल के रूप में प्रसिद्ध है और जिसके अवशेष अब भी वर्तमान हैं। उसने सीमांत प्रतिरक्षा को सुदृढ़ बनाया। अनेक शहर और कस्बे बसाए गए। सरकारी सहायता द्वारा सार्वजनिक निर्माण के कार्य संपन्न हुए। उसने किसानों के ऊपर से कर हटा दिया और 'रोमन ला' को व्यस्थित रूप दिया।

हेद्रिअन प्रतिभासंपन्न, प्रखरबुद्धि और आकर्षक व्यक्तित्व का आदमी था। वह ग्रीक सभ्यता का प्रशंसक था और उसमें अद्भुत कृतत्व शक्ति थी। ऐसा प्रसिद्ध है कि वह एक ही समय लिख, पढ़, बोल और डिक्टेट करा सकता था। उसने अपनी एक आत्मकथा भी लिखी थी, जो अब प्राप्त नहीं है। कहा जाता है, अपने शासन के अंतिम दिनों में वह बहुत निराश हो गया और उसने तीन बार आत्महत्या करने का प्रयत्न किया। १० जुलाई, १३८ को उसकी मृत्यु हो गई। रोम में टाइबर नदी के किनारे उसकी शानदार मजार अब भी विद्यमान है।