"इख्तियारुद्दीन मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी": अवतरणों में अंतर

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'''इख्तियारुद्दीन मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी''' ([[बांग्ला]]:ইখতিয়ার উদ্দিন মুহম্মদ বখতিয়ার খলজী, [[फारसी]]: اختيار الدين محمد بن بختيار الخلجي), जिसे बख्तियार खिलजी भी कहते हैं, [[कुतुबुद्दीन एबक]] का एक सैन्य सिपहसालार था।
'''इख्तियारुद्दीन मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी''' ([[बाङ्ला भाषा|बांग्ला]]:ইখতিয়ার উদ্দিন মুহম্মদ বখতিয়ার খলজী, [[फ़ारसी भाषा|फारसी]]: اختيار الدين محمد بن بختيار الخلجي), जिसे बख्तियार खिलजी भी कहते हैं, [[कुतुब-उद-दीन ऐबक|कुतुबुद्दीन एबक]] का एक सैन्य सिपहसालार था।


== विजय अभियान ==
== विजय अभियान ==
खिलजी ने १२०३ ई में बिहार पर जीत हासिल कर दिल्ली में अपने राजनीतिक कद को ऊंचा उठाया। इस विजय अभियान के दौरान खिलजी की सेना ने प्राचीन [[नालंदा विश्वविद्यालय]] और [[विक्रमशिला विश्वविद्यालय]] को नेस्तनाबूत कर हजारों की संख्या में बौद्ध भिक्षुओं की हत्या कर दी।
खिलजी ने १२०३ ई में बिहार पर जीत हासिल कर दिल्ली में अपने राजनीतिक कद को ऊंचा उठाया। इस विजय अभियान के दौरान खिलजी की सेना ने प्राचीन [[नालन्दा विश्वविद्यालय|नालंदा विश्वविद्यालय]] और [[विक्रमशिला विश्वविद्यालय]] को नेस्तनाबूत कर हजारों की संख्या में बौद्ध भिक्षुओं की हत्या कर दी।


इसके अगले साल खिलजी ने बंगाल पर विजय हासिल कर भारतीय उपमहाद्वीप के इस भाग पर [[इस्लाम]] को स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई। एक मुस्लिम कवि के अनुसार, नादिया शहर पर चढ़ाई के समय वह इतनी तेजी से आगे बढ़ा कि केवल १८ घुड़सवार ही उसके साथ चल पाए। शहर में पहुंचने पर घोड़ा व्यापारी समझकर उसे [[राजा लक्ष्मण सेन]] को खाने के बीच में ही मुलाकात करने की इजाजत दे दी। परिस्थितियों को भांप राजा लक्ष्मण को खाली पैर ही किले के पिछले दरवाजे से भागना पड़ा। हालांकि इस नाटकीय चढ़ाई के बारे में इतिहासकारों में मत विभिन्नता है।
इसके अगले साल खिलजी ने बंगाल पर विजय हासिल कर भारतीय उपमहाद्वीप के इस भाग पर [[इस्लाम]] को स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई। एक मुस्लिम कवि के अनुसार, नादिया शहर पर चढ़ाई के समय वह इतनी तेजी से आगे बढ़ा कि केवल १८ घुड़सवार ही उसके साथ चल पाए। शहर में पहुंचने पर घोड़ा व्यापारी समझकर उसे [[लक्ष्मण सेन|राजा लक्ष्मण सेन]] को खाने के बीच में ही मुलाकात करने की इजाजत दे दी। परिस्थितियों को भांप राजा लक्ष्मण को खाली पैर ही किले के पिछले दरवाजे से भागना पड़ा। हालांकि इस नाटकीय चढ़ाई के बारे में इतिहासकारों में मत विभिन्नता है।


खिलजी राजधानी गौर और बंगाल के अन्य भागों में कब्जा जमाने में कामयाब रहा, लेकिन पूर्वी और दक्षिणी बंगाल स्वतंत्र ही रहे और लक्ष्मण सेन के उत्तराधिकारियों द्वारा बिक्रमपुर से शासित किए जाते रहे। १२०६ में खिलजी [[तिब्बत]] की ओर कूच किया, जहां से लौटते हुए उसकी मौत हो गई।
खिलजी राजधानी गौर और बंगाल के अन्य भागों में कब्जा जमाने में कामयाब रहा, लेकिन पूर्वी और दक्षिणी बंगाल स्वतंत्र ही रहे और लक्ष्मण सेन के उत्तराधिकारियों द्वारा बिक्रमपुर से शासित किए जाते रहे। १२०६ में खिलजी [[तिब्बत]] की ओर कूच किया, जहां से लौटते हुए उसकी मौत हो गई।

16:10, 4 मार्च 2020 का अवतरण

इख्तियारुद्दीन मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी (बांग्ला:ইখতিয়ার উদ্দিন মুহম্মদ বখতিয়ার খলজী, फारसी: اختيار الدين محمد بن بختيار الخلجي), जिसे बख्तियार खिलजी भी कहते हैं, कुतुबुद्दीन एबक का एक सैन्य सिपहसालार था।

विजय अभियान

खिलजी ने १२०३ ई में बिहार पर जीत हासिल कर दिल्ली में अपने राजनीतिक कद को ऊंचा उठाया। इस विजय अभियान के दौरान खिलजी की सेना ने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय और विक्रमशिला विश्वविद्यालय को नेस्तनाबूत कर हजारों की संख्या में बौद्ध भिक्षुओं की हत्या कर दी।

इसके अगले साल खिलजी ने बंगाल पर विजय हासिल कर भारतीय उपमहाद्वीप के इस भाग पर इस्लाम को स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई। एक मुस्लिम कवि के अनुसार, नादिया शहर पर चढ़ाई के समय वह इतनी तेजी से आगे बढ़ा कि केवल १८ घुड़सवार ही उसके साथ चल पाए। शहर में पहुंचने पर घोड़ा व्यापारी समझकर उसे राजा लक्ष्मण सेन को खाने के बीच में ही मुलाकात करने की इजाजत दे दी। परिस्थितियों को भांप राजा लक्ष्मण को खाली पैर ही किले के पिछले दरवाजे से भागना पड़ा। हालांकि इस नाटकीय चढ़ाई के बारे में इतिहासकारों में मत विभिन्नता है।

खिलजी राजधानी गौर और बंगाल के अन्य भागों में कब्जा जमाने में कामयाब रहा, लेकिन पूर्वी और दक्षिणी बंगाल स्वतंत्र ही रहे और लक्ष्मण सेन के उत्तराधिकारियों द्वारा बिक्रमपुर से शासित किए जाते रहे। १२०६ में खिलजी तिब्बत की ओर कूच किया, जहां से लौटते हुए उसकी मौत हो गई।