"कल्पनाथ राय": अवतरणों में अंतर

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मऊ की धरती आज भी इंतजार करती है कि कब कोई कल्पनाथ जैसा शिल्पिकार आयेगा और उसे विकाश की बुलंदी पर पहुंचाएगा।
मऊ की धरती आज भी इंतजार करती है कि कब कोई कल्पनाथ जैसा शिल्पिकार आयेगा और उसे विकाश की बुलंदी पर पहुंचाएगा।


✍️ गौरव पांडेय के कलम से ✍️
अजीत बेरोजगार की कलम से ✍️
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18:55, 9 फ़रवरी 2020 का अवतरण

कल्पनाथ राय (जन्म 4 जनवरी 1941-मृत्यु 6 अगस्त 1999) उत्तर प्रदेश के घोसी लोकसभा से चार बार सांसद चुने जाने वाले और तीन बार राज्य सभा में काँग्रेस पार्टी के राज्य सभा सदस्य चुने जाने वाले राजनीतिज्ञ थे। इसके आलावा वे काँग्रेस सरकार में कई बार केन्द्रीय मंत्री भी रहे। इनके पत्नी का नाम सुधा राय हैं।

कल्पनाथ राय का जन्म उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के सेमरीजमालपुर नामक गाँव में 4 जनवरी 1941 को हुआ था।[1] और उनकी शिक्षा-दीक्षा गोरखपुर विश्वविद्यालय में हुई। विश्विद्यालय जीवन में ही उन्होंने छात्र नेता के रूप में अपने राजनैतिक जीवन का आरंभ किया और समाजवादी युवजन सभा के सदस्य और रहे और 1963 में इसके जेनरल सेक्रेटरी चुने गये।[1]

राय, इंदिरा गाँधी और नरसिंहराव सरकारों में मंत्री रहे। राव सरकार में 1993-1994 में वे खाद्य मंत्रालय में राज्यमंत्री थे जब चीनी घोटाले में उनका नाम आया और उन्हें तिहाड़ जेल जाना पड़ा।[1] 1996 के चुनावों में वे तिहाड़ जेल में रहते हुए[2] ही घोसी से लोक सभा के लिये निर्दल प्रत्याशी के रूप में विजयी हुए। अपना आखिरी चुनाव उन्होंने समता पार्टी से लड़ा और इसमें भी वे विजयी रहे। 6 अगस्त 1999 को राय की मृत्य हृदयाघात से हुई।लेक मऊ को जिला बनाने में इनका अद्वितीय योगदान रहा है कहा जाता है कि ये मऊ को छोटा लखनऊ बनाना चाहते थे कुछ लोगों का मानना है कि ये मऊ को सिंगापूर के तर्ज पर बनाना चाहते थे कल्पनाथ राय चाहते थे की मऊ इतना विकशित जिला हो जाये की भविष्य में अगर पूर्वांचल का गठन हो तो मऊ पूर्वांचल की राजधानी हो। लेकिन नीयति को कुछ और मंजूर था कहा जाता है होनी अटल है वह हो कर रहेगी अतः 6अगस्त 1999 को कल्पनाथ राय की मृत्य हृदयाघात से हो गई। उनके जाने के बाद मऊ का विकाश ठहर ही गया मानो मऊ के विकाश पर किसी की काली नजर लग गई हो उन्ही की देन है कि मऊ आज भी छोटे शहरों में एक विकसित जिला है मऊ की धरती आज भी इंतजार करती है कि कब कोई कल्पनाथ जैसा शिल्पिकार आयेगा और उसे विकाश की बुलंदी पर पहुंचाएगा।

       अजीत बेरोजगार की कलम से ✍️

सन्दर्भ

  1. Kalpnath Rai passes away, फाइनेंशियल एक्सप्रेस, ६ अगस्त १९९ (अंग्रेजी में)
  2. Appealing for sympathy, इण्डिया टुडे, (अंग्रेजी में)