"श्रेणी:कविताएँ": अवतरणों में अंतर

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हिन्दी की कविता-----

अपने
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दुख जाये जब मन

दो अश्क छलका लेना

न करना कभी शिकायत

न कभी गिला करना

तुम मेरे हो, हूँ तुम्हारी मैं

फिर अपनों से क्यों

अपने मन की कहना

कि आता है उन्हें पढ्ना

हर बात बिन कहे ही !

सीमा असीम

17,1,20

12:31, 17 जनवरी 2020 का अवतरण

हिन्दी की कविता-----

अपने



दुख जाये जब मन

दो अश्क छलका लेना

न करना कभी शिकायत

न कभी गिला करना

तुम मेरे हो, हूँ तुम्हारी मैं

फिर अपनों से क्यों

अपने मन की कहना

कि आता है उन्हें पढ्ना

हर बात बिन कहे ही !

सीमा असीम

17,1,20

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