"ओडिशा": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
→‎ओड़िशा के जिले: छोटा सा सुधार किया।, कड़ियाँ लगाई
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल एप सम्पादन Android app edit
छो Gune1234 (Talk) के संपादनों को हटाकर 183.82.21.48 के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया
टैग: वापस लिया
पंक्ति 301: पंक्ति 301:
* [[सुन्दरगड़ जिला]]
* [[सुन्दरगड़ जिला]]
* [[सोनपुर जिला]]
* [[सोनपुर जिला]]
* [[ https://www.gyaanigk.in/2020/01/complete-information-of-odisha-state.html?m=1]] '''ओडिशा राज्य के बारे में पूरी जानकारी'''
|}
|}



12:44, 15 जनवरी 2020 का अवतरण

ओडिशा
ଓଡ଼ିଶା
भारत का राज्य

[[चित्र:|200px|center|]]

भारत के मानचित्र पर ओडिशा ଓଡ଼ିଶା
भारत के मानचित्र पर ओडिशा
ଓଡ଼ିଶା

राजधानी भुवनेश्वर
सबसे बड़ा शहर भुवनेश्वर
जनसंख्या 4,19,74,218
 - घनत्व 270 /किमी²
क्षेत्रफल 155,707 किमी² 
 - ज़िले 30
राजभाषा ओड़िया[1]
गठन 26 जनवरी 1950
सरकार ओडिशा सरकार
 - राज्यपाल गणेशी लाल
 - मुख्यमंत्री नवीन पटनायक (बीजद)
 - विधानमण्डल एकसदनीय
विधान सभा (147 सीटें)
 - भारतीय संसद राज्य सभा (10 सीटें)
लोक सभा (20 सीटें)
 - उच्च न्यायालय उड़ीसा उच्च न्यायालय
डाक सूचक संख्या 75 और 77
वाहन अक्षर OD
आइएसओ 3166-2 IN-OR
www.odisha.gov.in


ओडिशा, (ओड़िआ: ଓଡ଼ିଶା) जिसे पहले अोरिशा के नाम से जाना जाता था, भारत के पूर्वी तट पर स्थित एक राज्य है। ओड़िशा उत्तर में झारखंड, उत्तर पूर्व में पश्चिम बंगाल दक्षिण में आंध्र प्रदेश और पश्चिम में छत्तीसगढ़ से घिरा है तथा पूर्व में बंगाल की खाड़ी है। यह उसी प्राचीन राष्ट्र कलिंग का आधुनिक नाम है जिसपर 261 ईसा पूर्व में मौर्य सम्राट अशोक ने आक्रमण किया था और युद्ध में हुये भयानक रक्तपात से व्यथित हो अंतत: बौद्ध धर्म अंगीकार किया था। आधुनिक ओड़िशा राज्य की स्थापना 1 अप्रैल 1936 को कटक के कनिका पैलेस में भारत के एक राज्य के रूप में हुई थी और इस नये राज्य के अधिकांश नागरिक ओड़िआ भाषी थे। राज्य में 1 अप्रैल को उत्कल दिवस (ओड़िशा दिवस) के रूप में मनाया जाता है।

क्षेत्रफल के अनुसार ओड़िशा भारत का नौवां और जनसंख्या के हिसाब से ग्यारहवां सबसे बड़ा राज्य है। ओड़िआ भाषा राज्य की अधिकारिक और सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। भाषाई सर्वेक्षण के अनुसार ओड़िशा की 93.33% जनसंख्या ओड़िआ भाषी है। पाराद्वीप को छोड़कर राज्य की अपेक्षाकृत सपाट तटरेखा (लगभग 480 किमी लंबी) के कारण अच्छे बंदरगाहों का अभाव है। संकीर्ण और अपेक्षाकृत समतल तटीय पट्टी जिसमें महानदी का डेल्टा क्षेत्र शामिल है, राज्य की अधिकांश जनसंख्या का घर है। भौगोलिक लिहाज से इसके उत्तर में छोटानागपुर का पठार है जो अपेक्षाकृत कम उपजाऊ है लेकिन दक्षिण में महानदी, ब्राह्मणी, सालंदी और बैतरणी नदियों का उपजाऊ मैदान है। यह पूरा क्षेत्र मुख्य रूप से चावल उत्पादक क्षेत्र है। राज्य के आंतरिक भाग और कम आबादी वाले पहाड़ी क्षेत्र हैं। 1672 मीटर ऊँचा देवमाली, राज्य का सबसे ऊँचा स्थान है।

ओड़िशा में तीव्र चक्रवात आते रहते हैं और सबसे तीव्र चक्रवात उष्णकटिबंधीय चक्रवात 05बी, 1 अक्टूबर 1999 को आया था, जिसके कारण जानमाल का गंभीर नुकसान हुआ और लगभग 10000 लोग मृत्यु का शिकार बन गये।

ओड़िशा के संबलपुर के पास स्थित हीराकुंड बांध विश्व का सबसे लंबा मिट्टी का बांध है। ओड़िशा में कई लोकप्रिय पर्यटक स्थल स्थित हैं जिनमें, पुरी, कोणार्क और भुवनेश्वर सबसे प्रमुख हैं और जिन्हें पूर्वी भारत का सुनहरा त्रिकोण पुकारा जाता है। पुरी के जगन्नाथ मंदिर जिसकी रथयात्रा विश्व प्रसिद्ध है और कोणार्क के सूर्य मंदिर को देखने प्रतिवर्ष लाखों पर्यटक आते हैं। ब्रह्मपुर के पास जौगदा में स्थित अशोक का प्रसिद्ध शिलालेख और कटक का बारबाटी किला भारत के पुरातात्विक इतिहास में महत्वपूर्ण हैं।

इतिहास

राज्य के नाम की उत्पत्ति

ओड़िशा नाम की उत्पत्ति संस्कृत के ओड्र विषय या ओड्र देश से हुई है। ओडवंश के राजा ओड्र ने इसे बसाया पाली और संस्कृत दोनों भाषाओं के साहित्य में ओड्र लोगों का उल्लेख क्रमशः ओद्दाक और ओड्र: के रूप में किया गया है। प्लिनी और टोलेमी जैसे यूनानी लेखकों ने ओड्र लोगों का वर्णन ओरेटस (Oretes) कह कर किया है। महाभारत में ओड्रओं का उल्लेख पौन्द्र, उत्कल, मेकल, कलिंग और आंध्र के साथ हुआ है जबकि मनु के अनुसार ओड्र लोग पौन्द्रक, यवन, शक, परद, पल्ल्व, चिन, कीरत और खरस से संबंधित हैं। प्लिनी के प्राकृतिक इतिहास में ओरेटस लोग उस भूमि पर वास करते हैं जहां मलेउस पर्वत (Maleus) खड़ा है। यहां यूनानी शब्द ओरेटस संभवत: संस्कृत के ओड्र का यूनानी संस्करण है जबकि, मलेउस पर्वत पाललहडा के समीप स्थित मलयगिरि है। प्लिनी ने मलेउस पर्वत के साथ मोन्देस और शरीस लोगों को भी जोड़ा है जो संभवत: ओड़िशा के पहाड़ी क्षेत्रों में वास करने वाले मुंडा और सवर लोग हैं।

ओड़िशा के अन्य नाम

  • कळिंग
  • उत्कळ
  • उत्कलरात
  • ओड्र
  • ओद्र
  • ओड्रदेश
  • ओड
  • ओडराष्ट्र
  • त्रिकलिंग
  • दक्शिण कोशल
  • कंगोद
  • तोषाळी
  • छेदि (महाभारत)
  • मत्स (महाभारत)

रामायण में राम की माता कौशल्या, कोशल के राजा की पुत्री हैं। महाभारत में पाण्डवों ने एक वर्ष का अज्ञातवास राजा विराट के यहाँ रहकर बिताया था जो 'मत्स्य' देश के राजा थे।

भूगोल

भारत के पूर्वी तट पर बसे ओड़िशा राज्य कि राजधानी भुवनेश्वर है। यह शहर अपने उत्कृष्ट मन्दिरों के लिये विख्यात है। यहाँ की जनसंख्या लगभग ४२ मिलियन है जिसका ४० प्रतिशत अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति का है। ओड़िशा का विकास दर अन्य राज्यों की तुलना में बिल्कुल खराब हालत में है। १९९० में ओड़िशा का विकास दर ४.३% था जबकि औसत विकास दर ६.७% है। मगर पिछले दो दसंधियों में ओडिशा ने विभिन्न प्राकृतिक विपदाओं के वाबजूद अनेकांश में प्रगति की हे । स्वास्थ्य,शिल्प और प्राकृतिक विपदाओं से जूझने मे अनेकांश में प्रगति की हे । पूर्वी भारत में ओडिशा का विकास, सच्ची में तारीफ के काबिल हे । ओड़िशा के कषि क्षेत्र का विकास में योगदान ३२ फीसदी है। ओडिशा का विकास बहुत तेजी से हो रहा है पूर्वी भारत में सबसे तेजी से विकास करता हुआ राज्‍य है यह छग झारखंड बिहार पं बंगाल से आगे है

ओड़िशा की राजधानी भुवनेश्वर है जो की ओड़िशा के पूर्व राजधानी कटक से सिर्फ २९ किमी दूर है। भुवनेश्‍वर भारत के अत्‍याधुनिक शहरों में से है जिसकी वर्तमान में जनसंख्‍या करीब 25 लाख है, भुवनेश्‍वर और कटक दोनों शहरों को मिलाकर ओड़िशा का युग्म शहर भी कहा जाता है। इन दोनों शहरों को मिलाकर कुल 40 लाख आबादी है जो एक महानगर जैसे शहर का निर्माण करती है इसलिए इन दोनों शहरो का विकास तेजी से हो रहा है इन दोनेां शहरो में सन 2020 तक मेट्रो रेल चलाये जाने की योजना है हिंदुओं के चार धामों में से एक पुरी ६० किमी के दूरता पर बंगाल की खाडी के किनारे अवस्थित है। यह शहर हिंदु देवता श्री जगन्नाथ, उनके मंदिर एवं वार्षिक रथयात्रा के लिए सुप्रसिद्ध है।

ओड़िशा का उत्तरी व पश्चिमी अंश छोटानागपुर पठार के अंतर्गत आता है। तटवर्ती इलाका जो की बंगाल की खाडी से सटा है महानदी, ब्राह्मणी, बैतरणी आदि प्रमुख नदीयों से सिंचता है। यह इलाका अत्यंत उपजाऊ है और यहां पर सघन रूप से चावल की खेती की जाती है।

ओड़िशा का तकरीबन ३२% भूभाग जंगलों से ढंका है पर जनसंख्या विस्फोर्ण के बाद जंगल तेजी से सिकुड रहे हैं। ओड़िशा में वन्यजीव संरक्षण के लिए क‍ई अभयारण्य हैं। इनमें से सिमिलिपाल जातीय उद्यान प्रमुख है। क‍ई एकड जमीन पर फैला हुआ यह उद्यान हालांकि व्याघ्र प्रकल्प के अंतर्गत आता है पर यहां पर हाथी व अन्यान्य वन्यजीवों का निवास भी है।

ओड़िशा के ह्रदों में चिलिका और अंशुपा प्रधान हैं। महानदी के दक्षिण में तटवर्ती इलाके में अवस्थित चिलिका पुरे एसिया महादेश का सबसे बडा ह्रद है। ओड़िशा का सबसे बडा मधुर जल ह्रद अंशुपा कटक के समीपवर्ती आठगढ में अवस्थित है।

ओड़िशा सर्वोच्च पर्वत शिखर देवमाली (देओमाली) है जिसकि ऊंचाई १६७२ मी. है। दक्षिण ओड़िशा के कोरापुट जिला में अवस्थित यह शिखर पूर्वघाट का भी उच्चतम शिखर है।

जगन्नाथ मन्दिर, पुरी

इतिहास और संस्कृति

ओड़िआ यहां की मुख्य भाषा है। यह राज्य सम्राट अशोक के साथ हुआ कळिंग युद्ध का साक्षी है

ओड़िशा पर तीसरी सदी ईसा पूर्व से राज करने वाले कुछ वंश इस प्रकार हैं:-

ओडवंश, महामेघवाहन वंश, माठर वंश, नल वंश, विग्रह एवं मुदगल वंश, शैलोदभव वंश, भौमकर वंश, नंदोदभव वंश, सोम वंश केशरि, गंग वंश गजपति, सूर्य वंश गजपति।

अर्थव्यवस्था

कृषि

ओडिशा की अर्थव्यवस्था में कृषि की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। ओडिशा की लगभग 80प्रतिशत जनसंख्या कृषि कार्य में लगी है, हालांकि यहाँ की अधिकांश भूमि अनुपजाऊ या एक से अधिक वार्षिक फ़सल के लिए अनुपयुक्त है। ओडिशा में लगभग 40 लाख खेत हैं, जिनका औसत आकार 1.5 हेक्टेयर है, लेकिन प्रति व्यक्ति कृषि क्षेत्र 0.2 हेक्टेयर से भी कम है। राज्य के कुल क्षेत्रफल के लगभग 45 प्रतिशत भाग में खेत है। इसके 80 प्रतिशत भाग में चावल उगाया जाता है। अन्य महत्त्वपूर्ण फ़सलें तिलहन, दलहन, जूट, गन्ना और नारियल है। सूर्य के प्रकाश की उपलब्धता में कमी, मध्यम गुणवत्ता वाली मिट्टी, उर्वरकों का न्यूनतम उHI

और मानसूनी वर्षा के समय व मात्रा में विविधता होने के कारण यहाँ उपज कम होती है

चूंकि बहुत से ग्रामीण लगातार साल भर रोज़गार नहीं प्राप्त कर पाते, इसलिए कृषि- कार्य में लगे बहुत से परिवार गैर कृषि कार्यों में भी संलग्न है। जनसंख्या वृद्धि के कारण प्रति व्यक्ति कृषि भूमि की उपलब्धता कम होती जा रही है। भू- अधिगृहण पर सीमा लगाने के प्रयास अधिकांशत: सफल नहीं रहे। हालांकि राज्य द्वारा अधिगृहीत कुछ भूमि स्वैच्छिक तौर पर भूतपूर्व काश्तकारों को दे दी गई है। चावल ओडिशा की मुख्य फ़सल है। 2004 - 2005 में 65.37 लाख मी. टन चावल का उत्पादन हुआ। गन्ने की खेती भी किसान करते हैं। उच्च फ़सल उत्पादन प्रौद्योगिकी, समन्वित पोषक प्रबंधन और कीट प्रबंधन को अपनाकर कृषि का विस्तार किया जा रहा है। अलग-अलग फलों की 12.5 लाख और काजू की 10 लाख तथा सब्जियों की 2.5 लाख कलमें किसानों में वितरित की गई हैं। राज्य में प्याज की फ़सल को बढावा देने के लिए अच्छी किस्म की प्याज के 300 क्विंटल बीज बांटे गए हैं जिनसे 7,500 एकड ज़मीन प्याज उगायी जाएगी। राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत गुलाब, गुलदाऊदी और गेंदे के फूलों की 2,625 प्रदर्शनियाँ की गईं। किसानों को धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाने के लिए ओडिशा राज्य नागरिक आपूर्ति निगम लि. (पी ए सी), मार्कफेड, नाफेड आदि एजेंसियों के द्वारा 20 लाख मी. टन चावल ख़रीदने का लक्ष्य बनाया है। सूखे की आशंका से ग्रस्त क्षेत्रों में लघु जलाशय लिए 13 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 2,413 लघु जलाशय विकसित करने का लक्ष्य है।

सिंचाई और बिजली

बडी, मंझोली और छोटी परियोजनाओं और जल दोहन परियोजनाओं से सिचांई क्षमता को बढाने का प्रयास किया गया है-

  • वर्ष 2004 - 2005 तक 2,696 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की व्यवस्था पूर्ण की जा चुकी है।
  • 2005-06 के सत्र में 12,685 हेक्टेयर सिंचाई की छह सिंचाई परियोजनाओं को चिह्नित किया गया है जिसमें से चार योजनाएं लक्ष्य प्राप्त कर चुकी हैं।
  • 2005 - 2006 में ओडिशा लिफ्ट सिंचाई निगम ने 'बीजू कृषक विकास योजना' के अंतर्गत 500 लिफ्ट सिंचाई पाइंट बनाये हैं और 1,200 हेक्टेयर की सिंचाई क्षमता प्राप्त की है।
  • 2004 - 2005 में राज्य में बिजली की कुल उत्पादन क्षमता 4,845.34 मेगावाट थी तथा कुल स्रोतों से प्राप्त बिजली क्षमता 1,995.82 मेगावाट थी।
  • मार्च 2005 तक राज्य के कुल 46,989 गांवों में से 37,744 गांवों में बिजली पहुँचा दी गई है।

उद्योग

उद्योग प्रोत्साहन एवं निवेश निगम लि., औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड और ओडिशा राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम ये तीन प्रमुख एजेंसियां राज्य के उद्योगों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है। इस्पात, एल्यूमीनियम, तेलशोधन, उर्वरक आदि विशाल उद्योग लग रहे हैं। राज्य सरकार लघु, ग्रामीण और कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए छूट देकर वित्तीय मदद दे रही है। 2004 - 2005 वर्ष में 83,075 लघु उद्योग इकाई स्थापित की गयी।

औद्योगिक विकास करने के लिए रोजगार के अवसर और आर्थिक विकास दर को बढाने के लिए ओडिशा उद्योग (सुविधा) अधिनियम, 2004 को लागू किया है जिससे निवेश प्रस्तावों के कम समय में निबटारा और निरीक्षण कार्य हो सके। निवेश को सही दिशा में प्रयोग करने के लिए ढांचागत सुविधा में सुधार को प्राथमिकता दी गई है। सूचना प्रौद्योगिकी में ढांचागत विकास करने के लिए भुवनेश्वर में एक निर्यात संवर्द्धन औद्योगिक पार्क स्थापित किया गया है। राज्य में लघु और मध्यम उद्योगों को बढाने के लिए 2005 - 2006 में 2,255 लघु उद्योग स्थापित किए गये, इन योजनाओं में 123.23 करोड़ रुपये का निवेश किया गया और लगभग 10,308 व्यक्तियों को काम मिला।

श्रमिकों और उनके परिवार के सदस्यों को सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाएं दी गई हैं। उद्योगों में लगे बाल मजदूरों को मुक्त किया गया और औपचारिक शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय बाल श्रमिक परियोजना के अंतर्गत प्रवेश दिया गया। राज्य भर में 18 ज़िलों में 18 बालश्रमिक परियोजनाएं क्रियान्वित हैं। लगभग 33,843 बाल श्रमिकों को राष्ट्रीय बाल श्रमिक परियोजना द्वारा संचालित स्कूलों में प्रवेश दिलाया गया है और 64,885 बाल श्रमिकों को स्कूली शिक्षा के माध्यम से मुख्यधारा में जोडने का प्रयास किया गया। श्रमिकों को दिया जाने वाला न्यूनतम वेतन बढाया गया।

ओडिशा के औद्योगिक संसाधन उल्लेखनीय हैं। क्रोमाइट, मैंगनीज़ अयस्क और डोलोमाइट के उत्पादन में ओडिशा भारत के सभी राज्यों से आगे है। यह उच्च गुणवत्ता के लौह- अयस्क के उत्पादन में भी अग्रणी है। ढेंकानाल के भीतरी ज़िले में स्थित महत्त्वपूर्ण तालचर की खानों से प्राप्त कोयला राज्य के प्रगलन व उर्वरक उत्पादन के लिए ऊर्जा उपलब्ध कराता है। स्टील, अलौह प्रगलन और उर्वरक उद्योग राज्य के भीतर भागों में केंद्रित हैं, जबकि अधिकांश ढलाईघर, रेल कार्यशालाएँ, काँच निर्माण और काग़ज़ की मिलें कटक के आसपास महानदी के डेल्टा के निकट स्थित है। जिसका उपयोग उपमहाद्वीप की सर्वाधिक महत्त्वाकांक्षी बहुउद्देशीय परियोजना, हीराकुड बाँध व माछकुड जलविद्युत परियोजना द्वारा किया जा रहा है। ये दोनों बहुत सी अन्य छोटी इकाइयों के साथ समूचे निचले बेसिन को बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई और बिजली उपलब्ध कराते है।

खनिज

बड़े उद्योग मुख्यत: खनिज आधारित हैं, जिनमें राउरकेला स्थित इस्पात व उर्वरक संयंत्र, जोडो व रायगड़ा में लौह मैंगनीज़ संयत्र, राज गांगपुर व बेलपहाड़ में अपवर्तक उत्पादन कर रहे कारख़ाने, चौद्वार (नया नाम टांगी चौद्वार) में रेफ्रिजरेटर निर्माण संयंत्र और राजगांगपुर में एक सीमेंट कारख़ाना शामिल हैं। रायगड़ा व चौद्वार में चीनी व काग़ज़ की तथा ब्रजराजनगर में काग़ज़ की बड़ी मिलें हैं; अन्य उद्योगों में वस्त्र, कांच ऐलुमिनियम धातुपिंड व केबल और भारी मशीन उपकरण शामिल हैं।

सूचना प्रौद्योगिकी

सूचना प्रौद्योगिक में राज्य में संतोष जनक प्रगति हो रही है। भुवनेश्वर की इन्फोसिटी में विकास केंद्र खोलने का प्रयास चल रहा है। ओडिशा सरकार और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ गवर्नेंस तथा नेशनल इन्फार्मेटिक्स सेंटर ने संयुक्त रूप एक पारदर्शी और कुशल प्रणाली शुरू की है। राज्य मुख्यालय को ज़िला मुख्यालयों, सब डिवीजन मुख्यालयों, ब्लाक मुख्यालयों से जोडने के लिए ई-गवर्नेंस पर आधारित क्षेत्र नेटवर्क से जोडा जा रहा है। उड़िया भाषा को कंप्यूटर में लाने के लिए ‘भारतीय भाषाओं के लिए प्रौद्योगिकी विकास’ कार्यक्रम के अंतर्गत उडिया भाषा का पैकेज तैयार किया जा रहा है।

मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास

राज्य की कृषि नीति में आधुनिक वैज्ञानिक तकनीकी का प्रयोग करते हुए, दूध, मछली और मांस उत्पादन के विकास को विशेष रूप से विकसित करने का प्रयास करके कुल दुग्ध उत्पादन 36 लाख लीटर प्रतिदिन अर्थात 3 लाख लीटर से अधिक तक पहुँचा दिया गया है। डेयरी उत्पादन के विकास के लिए ओडिशा दुग्ध फेडरेशनमें राज्य के सभी 30 ज़िलों को सम्मिलित गया है। फेडरेशन ने दुग्ध संरक्षण को बढ़ाकर 2.70 लाख लीटर प्रतिदिन तक कर दिया है। ‘स्टैप’ कार्यक्रम के तहत फेडरेशन द्वारा 17 ज़िलों में ‘महिला डेयरी परियोजना’ चल रही है। राज्य में 837 महिला डेयरी सहकारी समितियां हैं, जिनमें 60,287 महिलाएं कार्यरत हैं।

सांस्कृतिक जीवन

ओडिशा की समृद्ध कलात्मक विरासत है और इसने भारतीय कला एवं वास्तुशिल्प के सर्वश्रेष्ठ उदाहरणों का सृजन किया है। भित्तिचित्रों पत्थर व लकड़ी पर नक़्क़ाशी देव चित्र (पट्ट चित्रकला के नाम से विख्यात) और ताड़पत्रों पर चित्रकारी के माध्यम से कलात्मक परंपराएं आज भी कायम हैं। हस्तशिल्प कलाकार चांदी में बेहद महीन जाली की कटाई की अलंकृत शिल्प कला के लिए विख्यात हैं।

नृत्य

जनजातीय इलाकों में कई प्रकार के लोकनृत्य है। मादल व बांसुरी का संगीत गांवो में आम है। ओडिशा का शास्त्रीय नृत्य ओड़िशी 700 वर्षों से भी अधिक समय से अस्तित्व में है। मूलत: यह ईश्वर के लिए किया जाने वाला मंदिर नृत्य था। नृत्य के प्रकार, गति, मुद्राएं और भाव-भंगिमाएं बड़े मंदिरों की दीवारों पर, विशेषकर कोणार्क में शिल्प व उभरी हुई नक़्क़ासी के रूप में अंकित हैं, इस नृत्य के आधुनिक प्रवर्तकों ने इसे राज्य के बाहर भी लोकप्रिय बनाया है। मयूरभंज और सरायकेला प्रदेशों का छऊ नृत्य (मुखौटे पहने कलाकारों द्वारा किया जाने वाला नृत्य) ओडिशा की संस्कृति की एक अन्य धरोहर है। 1952 में कटक में कला विकास केंद्र की स्थापना की गई, जिसमें नृत्य व संगीत के प्रोत्साहन के लिए एक छह वर्षीय अवधि का शिक्षण पाठयक्रम है। नेशनल म्यूजिक एसोसिएशन (राष्ट्रीय संगीत समिति) भी इस उद्देश्य के लिए है। कटक में अन्य प्रसिद्ध नृत्य व संगीत केन्द्र है: उत्कल संगीत समाज, उत्कल स्मृति कला मंडप और मुक्ति कला मंदिर।

कोणार्क मंदिर

त्योहार

ओडिशा के अनेक अपने पारंपरिक त्योहार हैं। इसका एक अनोखा त्योहार अक्टूबर या नवंबर (तिथि हिंदू पंचांग के अनुसार तय की जाती है) में मनाया जाने वाला बोइता बंदना (नौकाओं की पूजा) अनुष्ठा है। पूर्णिमा से पहले लगातार पांच दिनों तक लोग नदी किनारों या समुद्र तटों पर एकत्र होते हैं और छोटे-छोटे नौका रूप तैराते हैं। जो इसका प्रतीक है कि वे भी अपने पूर्वजों की तरह सुदूर स्थानों (मलेशिया, इंडोनेशिया) की यात्रा पर निकलेंगे। पुरी में जगन्नाथ (ब्रह्मांड का स्वामी) मंदिर है, जो भारत के सर्वाधिक प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यहाँ होने वाली वार्षिक रथयात्रा लाखों लोगों को आकृष्ट करती है। यहाँ से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर भगवान सूर्य के रथ के आकार में बना कोणार्क मंदिर है। यह मंदिर मध्यकालीन उड़िया संस्कृति के उत्कृष्ट उदाहरणों में से एक है।

शिक्षा

1947 के बाद शैक्षणिक संस्थानों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। यहाँ पाँच विश्वविद्यालय (और कई संबद्ध महाविद्यालय) हैं, जिनमें उत्कल विश्वविद्यालय और उड़ीसा कृषि एवं प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय सबसे बड़े व विख्यात हैं।

  • विश्वविद्यालय
    • उत्कल विश्वविद्यालय, वाणी विहार, भुवनेश्वर
    • फ़कीर मोहन विश्वविद्यालय, व्यास विहार, बालेश्वर
    • ब्रह्मपुर विश्वविद्यालय, भंज विहार, ब्रह्मपुर
    • ओड़िशा युनिवर्सिटी आफ़ एग्रीकल्चर ऐंड टेक्नालजी, भुवनेश्वर
    • संबलपुर विश्वविद्यालय, ज्योति विहार, संबलपुर
    • श्री जगन्नाथ संस्कृत विश्वविद्यालय, पुरी
    • बिजू पटनायक युनिवर्सिटी आफ़ टेक्नालजी, राउरकेला -->
  • प्रबंधन संस्थान
    • ज़ेवियर इंस्टीट्यूट आफ़ मैनेजमेंट, भुवनेश्वर - http://www.ximb.ac.in
  • अभियांत्रिकी महाविद्यालय
    • नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालजी (http://www.nitrkl.ac.in/) राउरकेला
    • कालेज ऑफ इंजिनयरिंग ऐंड टेक्नालजी (http://www.cetindia.org) भुवनेश्वर
    • युनिवर्सिटी कालेज आफ़ इंजिनयरिंग (http://www.uceburla.org/) बुर्ला
    • नेशनल इंस्टीट्यूट आफ़ साइंस ऐंड टेक्नालजी (http://www.nist.edu) ब्रह्मपुर
    • आई.जी.आई.टी., सारंग (उत्कल विश्वविद्यालय के अधीन)
    • [http://www.cvraman.org सी.वी. रामण इंजिनयरिंग कालेज, भुवनेश्वर, (उत्कल विश्वविद्यालय के अधीन)
    • पुरुषोत्तम इंस्टीट्यूट ऑफ इंजिनयरिंग ऐंड टेक्नालजी, राउरकेला (http://www.piet.ac.in)
    • पद्मनावा कालेज ऑफ इंजिनयरिंग (http://www.pcerkl.ac.in)
  • चिकित्सा महाविद्यालय
    • श्री रामचन्द्र भंज मेडिकाल कॉलेज, कटक
    • महाराजा कृष्णचन्द्र गजपति देव मेडिकाल कॉलेज, ब्रह्मपुर
    • वीर सुरेन्द्र साए मेडिकाल कॉलेज, बुर्ला, सम्बलपुर
  • आयुर्वेदिक महाविद्यालय
    • अनन्त त्रिपाठी आयुर्वेदिक कॉलेज, बलांगिर
    • ब्रह्मपुर सरकारी आयुर्वेदिक महाबिद्यालय, ब्रह्मपुर
    • सरकारी आयुर्वेदिक महाबिद्यालय, पुरी
    • गोपालबन्धु आयुर्वेदिक महाबिद्यालय, पुरी
    • सरकारी आयुर्वेद महाबिद्यालय, बलांगिर
    • के.ए.टि.ए. आयुर्वेदिक महाबिद्यालय, गंजाम
    • नृसिंहनाथ सरकारी आयुर्वेदिक महाबिद्यालय, पाइकमाल, सम्बलपुर
    • एस्.एस्.एन्. आयुर्वेद महाबिद्यालय एवं गवेषणा प्रतिष्ठान, नृसिंहनाथ

इन संस्थानों की उपस्थिति के बावजूद उड़ीसा की जनसंख्या का एक छोटा सा भाग ही विश्वविद्यालय स्तर तक शिक्षित है और राज्य की साक्षरता दर (63.61 प्रतिशत) राष्ट्रीय औसत (65.38 प्रतिशत) से कम है।

परिवहन

1947 से पहले ओडिशा में संचार सुविधाएं अविकसित थीं, लेकिन इसमें से रजवाड़ों के विलय और खनिज संसाधनों की खोज से अच्छी सड़कों के संजाल की आवश्यकता महसूस की गई। अधिकांश प्रमुख नदियों पर पुल निर्माण जैसे बड़े विनिर्माण कार्यक्रम ओडिशा सरकार द्वारा शुरू किए गए। महानदी के मुहाने पर पारादीप में सभी मौसमों के लिए उपयुक्त, गहरे बंदरगाह का निर्माण किया गया है। यह बंदरगाह राज्य के निर्यात, विशेषकर कोयले के निर्यात का केंद्र बन गया है। राज्य में विकास दर बढाने के लिए परिवहन की अनेक योजनाओं को क्रियान्वित किया जा रहा है-

सडकें

2004 - 05 तक राज्य में सडकों की कुल लंबाई 2,37,332 कि॰मी॰ थी। इसमें राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लंबाई 3,595 कि॰मी॰, एक्सप्रेस राजमार्गों की कुल लंबाई 29 किलोमीटर, राजकीय राजमार्गों की कुल लंबाई 5,102 कि॰मी॰ ज़िला मुख्य सड़कों की कुल लंबाई 3,189 कि॰मी॰, अन्य ज़िला सड़कों की कुल लंबाई 6,334 कि॰मी॰ और ग्रामीण सड़कों की कुल लंबाई 27,882 कि॰मी॰ है। पंचायत समिति सड़कों की कुल लंबाई 1,39,942 कि॰मी॰ और 88 कि॰मी॰ ग्रिडको सड़कें हैं।

रेलवे

31 मार्च 2004 तक राज्य में 2,287 किलोमीटर लंबी बडी रेल लाइनें और 91 किलोमीटर छोटी लाइनें थी।

उड्डयन

भुवनेश्वर में हवाई अड्डे का आधुनिकीकरण का कार्य हो चुका है अभी यह अंतर्राष्‍टत्र्ीय हवाई अडडा है यहाँ से दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, नागपुर हैदराबाद सहित विदेशों के लिए सीधी उड़ानें हैं। इस समय राज्य भर में 13 हवाई पट्टियां और 16 हेलीपैड की व्यवस्था है।

बंदरगाह

पारादीप राज्य का एक मात्र मुख्य बंदरगाह है। गोपालपुर को पूरे साल काम करने वाले बंदरगाह के रूप में विकसित करने का कार्य प्रगति पर है।

पर्यटन

राज्य के आर्थिक विकास में पर्यटन के महत्त्व को समझते हुए मीडिया प्रबंधन एजेंसियों और पर्व प्रबंधकों को प्रचार एवं प्रसार का कार्य दिया गया है। ओडिशा को विभिन्न महत्त्वपूर्ण पर्यटन परिजनाओं - धौली में शांति पार्क, ललितगिरि, उदयगिरि तथा लांगुडी के बौद्ध स्थलों को ढांचागत विकास और पिपिली में पर्यटन विकास का काम किया जाएगा। (पुरी) भुवनेश्वर का एकाग्र उत्सव, कोणार्क का कोणार्क पर्व के मेलों और त्योहारों के विकास के लिए प्रयास किया जा रहा है। ओडिशा पर्यटन विभाग ने बैंकाक, मास्को, लंदन, कुआलालंपुर, कोच्चि, कोलकाता, रायपुर आदि के भ्रमण व्यापार के आयोजनों में भाग लिया। पर्यटन क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहन देने के लिए 373 मार्गदर्शकों (गाइडों) को प्रशिक्षण दिया गया।

पर्यटन स्थल

  • सूर्य मंदिर, कोणार्क
  • राज्य की राजधानी भुवनेश्वर लिंगराज मन्दिर के लिए प्रसिद्ध है।
  • पुरी का जगन्नाथ मन्दिर
  • सुंदर पुरी तट
  • राज्य के अन्य प्रसिद्ध पर्यटन केंद्र हैं कोणार्क, नंदनकानन, चिल्का झील, धौली बौद्ध मंदिर, उदयगिरि-खंडगिरि की प्राचीन गुफाएं, रत्नगिरि, ललितगिरि और उदयगिरि के बौद्ध भित्तिचित्र और गुफाएं, सप्तसज्या का मनोरम पहाडी दृश्य, सिमिलिपाल राष्ट्रीय उद्यान तथा बाघ परियोजना, हीराकुंड बांध, दुदुमा जलप्रपात, उषाकोठी वन्य जीव अभयारण्य, गोपानपुर समुद्री तट, हरिशंकर, नृसिंहनाथ, तारातारिणी, तप्तापानी, भितरकणिका, भीमकुंड कपिलाश आदि स्थान प्रसिद्ध हैं।


Puri shree jagannath mandir मालवा का राजा इन्द्रद्युम्न ने पुरातनकाल में जगन्नाथ मंदिर बनवाने के निमित्त विंध्या से बड़ा-बड़ा पत्थर मंगवाया। शंखनाभि मण्डल के ऊपर मंदिर बनाया गया। यहाँ मालवा का राजा इन्द्रद्युम्न ने रामकृष्णपुर नाम का एक गाँव बसाए थे। मंदिर बन जाने के बाद राजा इन्द्रद्युम्न मंदिर में प्राण प्रति ष्ठा कराने के लिए ब्रह्मा जी के पास गये थे। ब्रह्माजी को लाने में उनके अनेक वर्ष बीत गये| इस बीच मंदिर बालु रेत से धक चुका था। बाद में राजा गालमाधव मंदिर को बालु रेत प्राप्त किया और वर्णित साक्ष के आधार पर कि इस मंदिर को राजा इन्द्रद्युम्न ने निर्माण करवाया है यकीन किया।

श्री लिंगराज मन्दिर

श्री लिंगराज मंदिर प्राचीन कला स्थापत्य से परिपूर्ण यह मंदिर भुवनेश्वर में अवस्थित है। यहां पर्यटकों की वर्ष भर भीड़ लगी रहती है। यहाँ इस पीठ के प्रलयंकारी श्री शिव अधिष्ठाता हैं। इस मंदिर के तीन दरवाजा उत्तर ,दक्षिण ,और पूर्व में है। पूर्व की तरफ ३४ फिट की ऊंचाई के दरवाजे के दोनों तरफ सिंह के मूर्ती स्थापित हैं इस द्वार को प्रवेश द्वार खा जाता है। मंदिर चार भागों में विभक्त है प्रथम-देउल(मुख्य मंदिर )द्वितीय -जगमोहन (भक्तोंका बैठकखाना ) तृतीय-नाट मंदिर (नृत्य मंडप )चतुर्थ-भोगमण्डप ( यहां भोग चढ़ाया जाता है ) मंदिर की ऊचाई १५९ फिट चौड़ाई४६५ फिट लम्बाई ५२० फिट में और क्षेत्रफल में ४.५ एकड़ जमीन पर यह मंदिर अवस्थित है। इस मंदिर में शिव वाहन बृषभ औरविष्णु वाहन गरुण को स्थापित किया गया है जो शैवाजीव और बैष्णवजीव का निर्देशन स्वरूप है। यहां महा प्रसाद पाया जाता है।

कोणार्क का सूर्य मंदिर

भारत के तीर्थ स्थलों में एक क्षेत्र अर्क क्षेत्र हैं कोणार्क। यह प्रमुख दर्शनीय स्थल में से एक स्थल है। इस क्षेत्र को पद्मक्षेत्र, मैत्रेयवन के नाम से जाना जाता हैं। मैत्रेय ऋषि के तपोवल से यह स्थान पवित्र हो गया अतएव इसका नाम मैत्रेयवन नाम से प्रसिद्ध हुआ। सूर्यदेव यहां का अधिष्ठाता देवता हैं। सूर्यदेव यहां अर्कासुर नामक राक्षस का वध किया था जिस कारण इस क्षेत्र का नाम अर्क क्षेत्र हो गया। मैत्रेय वन में सूर्य पूजा करने से अनेक बीमारियां दूर हो जाती हैं और पापक्षय हो जाता हैं। ऐसा कपिल संहिता में मिलता हैं। पद्म क्षेत्र चन्द्रभागा के किनारे शाम्ब को जो पिता के शाप से शापित होकर कुष्टरोग से ग्रसित हो गया था उसे नारद जी की आज्ञा पालन करने के कारण रोग से छुटकारा मिला। पुराण में वर्णित हैं। यहां शुकमुनि तपोवल से योगचारी पुरुष हुए। सूर्य विग्रह कतिपय कारणों से हटाकर पुरी श्री मंदिर में स्थापित किया गया हैं जहां प्रतिष्ठा उपरान्त अब पूजा अर्चना होती हैं।

धार्मिक विवरण

ओडिशा की धार्मिक स्थिति[2]
धर्म प्रतिशत
हिन्दू
  
94.35%
ईसाई
  
2.44%
इस्लाम
  
2.07%
अन्य
  
1.14%

२००१ की जनगणना के अनुसार ओडिशा में हिन्दू ९४.३५%, ईसाई २.४४%, इस्लाम २.०७% और अन्य धर्म (मुख्यतः बौद्ध) १.१४% है।

मंदिर

भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा का यह मंदिर पुरी में स्थित है और यह हिन्दू धर्म के चार धाम में एक माना जाता है। हर वर्ष होने वाली रथ यात्रा में दूर दूर से श्रृद्धालू भाग लेते हैं।

जगन्नाथ धाम

भारत के प्रमुख तीर्थ धाम में जगन्नाथ धाम पूर्व दिशा में विराजमान है। इस धाम को पुरुषोत्तम धाम भी कहा जाता है। यहां अवतारी विष्णु हमेशा अवस्थान करते हैं ,जो स्कन्द पुराण में उल्लेख है। पुराण शास्त्र के अनुसार यह स्थान भगवान विष्णु का भोगभूमि अथवा श्वेतद्वीप है। इस क्षेत्र को शंख क्षेत्र नाम से जाना जाता है, यह शंख जैसा आकार का क्षेत्र है। यह मात्र भारत ही नहीं विश्व में प्रसिद्ध सर्वोत्तम क्षेत्र है। जो भारत में उड़ीसा प्रांत में अवस्थित है।

ओड़िशा के जिले

राजनीति

ओड़िशा का शासन भार संप्रति बीजु जनता दल के हाथ में है। दल के सभापति तथा राज्य के मुख्यमत्री का स्थान स्वर्गत बीजु पटनायक के सुपुत्र श्री नवीन पटनायक हैं।

मंत्त्रिमंडल

राज्य मंत्री

अर्थ जगत

तकनीकी क्षेत्र

इन्फोसिस डेवेलपमेंट सेंटर - http://www.infosys.com/ महिंद्रा सत्यम एवं टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टी सी एस)

भारी उद्योग

नाल्को - http://www.nalco.com सेल - http://www.sail.co.in/plants_rourkela.asp

सन्दर्भ

  1. "Report of the Commissioner for linguistic minorities: 50th report (July 2012 to June 2013)" (PDF). Commissioner for Linguistic Minorities, Ministry of Minority Affairs, Government of India. अभिगमन तिथि 12 जुलाई 2017.
  2. "Census of India – Socio-cultural aspects". Government of India, गृह मंत्रालय. अभिगमन तिथि 2011-03-02.

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ