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लेखन संबंधी नीतियाँ

स्याऊ रियासत का सजरा

इतिहास अतीत के माध्यम से वर्तमान को समझने की सतत् प्रक्रिया है जो भविष्य के लिए मार्ग प्रशस्त करता है|एक प्रकार से यह परम्परा का पुनसुर्जन है|अतीत के प्रति आस्था भविष्य के प्रति सशक्त प्रेरणा है|क्षत्रियोंका इतिहास संपूर्ण भारत के लिए गौरव की वस्तु है|वह भारत के सर्वश्रेष्ठ सांस्कृतिक मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है|वस्तुतः उनका संपूर्ण इतिहास शौर्य और उत्सर्ग की अभीष्ट कहानी है|यही कारण है की क्षत्रिय-धर्म आचार्य रामचन्द्र शुक्ल जैसे मर्मज्ञ साहित्यकारों को भी सम्मोहित करता रहा है|खेद की बात है कि इतना समृद्ध इतिहास स्वयं हमसे विस्मृत होता जा रहा है|

क्षत्रियों का इतिहास वैदिक काल से प्रारम्भ होता है|ऋग्वेद के दशम मण्डल के अनुसार ब्रह्मा के बाहु से क्षत्रिय का जन्म हुआ|किन्तु कालान्तर से जिस प्रकार एक ही वृक्ष से अनेक शाखाएं प्रस्फुटित होती है उसी प्रकार क्षत्रियों कि भी शाखाएं प्रतिशाखाएं होती गयी|अतः यह अनिवार्य प्रतीत होता है कि क्षत्रियों कि शाखा विशेष के इतिहास का शोध किया जाये जिससे उनकी उत्पत्ति और विकास के सही क्रम का बोध हो सके|इसी संदर्भ में अथक प्रयास करने पर स्याऊ रियासत से उर्दू में लिखा एक पत्र प्राप्त हुआ,जिसका हिंदी अनुवाद निम्न है: शजरा रियासत सियाजाद कैछ्वाई नरोके सुरजवंशी मानव वशिष्ठ काषिटक अयोध्यापुरी स्थान कश्मीर सुधानवासा काश्मीर से नरवरगढ़ से अमीरगढ सुधानवासा झांके मोजमाबाद सुधानवासा वहां से नंगला व स्याऊ सुधानवासा ब्रह्माजी के पुत्र श्री मार्कंडेय जी,मार्कंडेय जी के पुत्र कश्यप जी,कश्यप जी के पुत्र श्री सूर्यनारायण जी,सूर्यनारायण से १०६ पुश्त बाद राजा रामचन्द्र जी अवतार हुए जो राजा जी के बेटे थे और उस समय अयोध्या पूरी में रहते थे|राजा रामचन्द्र जी के दो बेटे जिनका नाम लव कुमार जिन्होंने लाहौर आबाद किया था|दुसरे बेटे कुश कुमार जिन्होंने कश्मीर आबाद किया था|कुश कुमार के दो पुत्र हुए जिनका नाम श्री कुमार और अश्वनी कुमार था|अश्वनी कुमार कि अड़तालिस पुशत बाद राजा नल हुए जिसने नरवरगढ़ आबाद किया|राजा नल के बेटे ढोल कुमार हुए,ढोल कुमार ने अमीरगढ़ बसाया|सम्वत ९७६ राजा हनुजी ,हनुजी के बेटे काकुलजी के बेटे राजा भूलरदेव,भेलरदेव के बेटे राजा पुजावन,राजा पुजावन के बेटे मलसी जी,मलसी जी के बेटे राजा वीजड़ जी,वीजड़ जी के बेटे राजा राजन देव जी,राजा राजन देव जी के बेटे राजा कल्याण सिंह जी,राजा कल्याण सिंह जी के बेटे राजा कोमल जी,कोमल जी के बेटे राजा जुनी जी, राजा जुनी जी के बेटे राजा मानव कर्ण,उनके दो बेटे राजा मीर सिंह और राजा नरु जी,राजा नरसिंह गढ़ कि गद्दी पर रहे,राजा नरु जी को चार लाख कि जागीर दी गयी|

सम्वत १४४२ मती फाल्गुन वदी तीज राजा नरोजी से न्रुके कहलाये,नरोजी के बेटे राजा जिलहर जी जिनके सात बेटे हुये उन्होंने नरवरगढ़ बसाया,राजा जिलहर जी के बेटे राजा महासिंह व कर्ण सिंह,राजा महासिंह के बेटे राजा बीजाकरण,राजा बीजाकरण के बेटे वहरमजी,राजा वहरमजी के बेटे राजा धर्मजी,राजा धर्मजी के दो बेटे हुए,राजा भागसेन और राजा अजीचन्द,अजीचन्द के दो बेटे सावंत और राजा मालदेव सिंह और मालदेव सिंह गंगा स्नान के लिए गढ़मुक्तेश्वर गये और सम्वत १४४२ में बाअहद बादशाह बाबरशाह मुगल रोहिल्ला के वक्त में आये,राजा सावंत सिंह ने हमराह १२ क्षत्री लेकर और वृन्दोवीन झानू ने दी और मद्दी को फतेह किया|वहां से नंगला आबाद किया और फिर स्याऊ आबाद किया|

--Rany Singh १४:४२, २७ अगस्त २०१० (UTC)हेवेन्द्र कुमार सिह् कुशवाहा(स्याऊ)

साँचा:हटाए अजनाभ (वार्ता) 13:52, 10 नवम्बर 2019 (UTC)[उत्तर दें]

साँचा:हटाऍ अजनाभ (वार्ता) 13:59, 10 नवम्बर 2019 (UTC)[उत्तर दें]