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== सन्दर्भ ==
== सन्दर्भ ==
{{टिप्पणीसूची|2}}हांगकांग में हिंसक प्रदर्शनों और शांति का दौर खत्म होता नहीं दिख रहा है। विवादित प्रत्यर्पण बिल विरोध से शुरू हुए इन प्रदर्शनों को दो महीने से ज्यादा का वक्त हो का है। अब लोग लोकतंत्र की मांग कर रहे हैं। दो दिन से प्रदर्शनकारियों हांगकांग एयरपोर्ट को अपने कब्जे में ले रखा है। उधर चीन की सरकार प्रदर्शनकारियों की निंदा की है और यह भी कहा है कि वह चुप नहीं ठेगा। हालांकि, यह सब ऐसे ही नहीं हो रहा है। इसमें कई महत्वपूर्ण प्रसंग हैं, जो दशकों पुराने हैं।
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99 साल की लीज पर किया गया था चीन के हवाले
दरअसल, हांगकांग अन्य चीनी शहरों से काफी अलग है। 150 साल के ब्रिटेन के औपनिवेशिक शासन के बाद हांगकांग को 99 साल की लीज पर चीन को सौंप दिया गया। हांगकांग द्वीप पर 1842 से ब्रिटेन का नियंत्रण रहा। जबकि द्वितीय विश्व युद्ध में जापान का इस पर अपना नियंत्रण था। यह एक व्यस्त व्यापारिक बंदरगाह बन गया और 1950 में विनिर्माण का केंद्र बनने के बाद इसकी अर्थव्यवस्था में बड़ा उछाल आया। चीन में अस्थिरता, गरीबी या उत्पीड़न से भाग रहे लोग इस क्षेत्र की ओर रुख करने लगे।

1984 में हुआ था सौदा
पिछली सदी के आठवें दशक की शुरुआत में जैसे-जैसे 99 साल की लीज की समयसीमा पास आने लगी ब्रिटेन और चीन ने हांगकांग के भविष्य पर बातचीत शुरू कर दी। चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने तर्क दिया कि हांगकांग को चीनी शासन को वापस कर दिया जाना चाहिए। दोनों पक्षों ने 1984 में एक सौदा किया कि एक देश, दो प्रणाली के सिद्धांत के तहत हांगकांग को 1997 में चीन को सौंप दिया जाएगा। इसका मतलब यह था कि चीन का हिस्सा होने के बाद भी हांगकांग 50 वर्षों तक विदेशी और रक्षा मामलों को छोड़कर स्वायत्तता का आनंद लेगा।



विवाद की जड़
1997 में जब हांगकांग को चीन के हवाले किया गया था तब बीजिंग ने एक देश-दो व्यवस्था की अवधारणा के तहत कम से कम 2047 तक लोगों की स्वतंत्रता और अपनी कानूनी व्यवस्था को बनाए रखने की गारंटी दी थी। लेकिन 2014 में हांगकांग में 79 दिनों तक चले अंब्रेला मूवमेंट के बाद लोकतंत्र का समर्थन करने वालों पर चीनी सरकार कार्रवाई करने लगी। विरोध प्रदर्शनों में शामिल लोगों को जेल में डाल दिया गया। आजादी का समर्थन करने वाली एक पार्टी पर प्रतिबंध लगा दिया गया।

बीजिंग का कब्जा
हांगकांग का अपना कानून और सीमाएं हैं। साथ ही खुद की विधानसभा भी है। लेकिन हांगकांग में नेता, मुख्य कार्यकारी अधिकारी को 1,200 सदस्यीय चुनाव समिति चुनती है। समिति में ज्यादातर बीजिंग समर्थक सदस्य होते हैं। क्षेत्र के विधायी निकाय के सभी 70 सदस्य, विधान परिषद, सीधे हांगकांग के मतदाताओं द्वारा नहीं चुने जाते हैं। बिना चुनाव चुनी गईं सीटों पर बीजिंग समर्थक सांसदों का कब्जा रहता है।

चीनी पहचान से नफरत
हांगकांग में ज्यादातर लोग चीनी नस्ल के हैं। चीन का हिस्सा होने के बावजूद हांगकांग के अधिकांश लोग चीनी के रूप में पहचान नहीं रखना चाहते हैं। खासकर युवा वर्ग। केवल 11 फीसद खुद को चीनी कहते हैं। जबकि 71 फीसद लोग कहते हैं कि वे चीनी नागरिक होने पर गर्व महसूस नहीं करते हैं। यही कारण है कि हांगकांग में हर रोज आजादी के नारे बुलंद हो रहे हैं और प्रदर्शनकारियों ने चीन समर्थित प्रशासन की नाक में दम कर रखा है।


==बाहरी कड़ियाँ==
==बाहरी कड़ियाँ==

00:24, 19 अगस्त 2019 का अवतरण

香港特別行政區
Hong Kong Special Administrative Region

हाँग काँग विशेष प्रशासनिक क्षेत्र
ध्वज कुल चिह्न
विक्टोरिया पीक से रात का नजारा
विक्टोरिया पीक से रात का नजारा
विक्टोरिया पीक से रात का नजारा
अवस्थिति: हाँग काँग
राजभाषा(एँ) कैण्टोनी, अंग्रेजी
निवासी हाँग काँग रहवासी,
हाँगकाँगर
सरकार असंप्रभु आंशिक अप्रत्यक्ष लोकतंत्र
 -  मुख्य कार्यकारी डोनाल्ड सांग
 -  मुख्य न्यायाधीश एन्ड्रू ली
 -  संवैधानिक परिषद के अध्यक्ष जेस्पर सांग
विधान मण्डल संवैधानिक परिषद
स्थापना
 -  नानकिंग की संधि 29 अगस्त 1842 
 -  जापानी आधिपत्य 25 दिसंबर 1941
15 अगस्त 1945 
 -  संप्रभुता का हस्तांतरण 1 जुलाई 1997 
क्षेत्रफल
 -  कुल 1,104 km2 (183 वां)
 -  जल (%) 4.6
जनसंख्या
 -  2007 जनगणना 6,963,100 (98 वां)
 -  2001 जनगणना 6,708,389
सकल घरेलू उत्पाद (पीपीपी) 2007 प्राक्कलन
 -  कुल US$292.8 बिलियन (38 वां)
 -  प्रति व्यक्ति US$41,994 (10th)
मानव विकास सूचकांक (2013)Steady 0.891[1]
बहुत उच्च · 15वाँ
मुद्रा हाँग काँग डॉलर (HKD)
समय मण्डल एचकेटी (यू॰टी॰सी॰+8)
दूरभाष कूट 852
इंटरनेट टीएलडी .hk

हाँग काँग, आधिकारिक तौर पर हाँग काँग विशेष प्रशासनिक क्षेत्र, जनवादी गणराज्य चीन का एक क्षेत्र है, इसके उत्तर में गुआंग्डोंग और पूर्व, पश्चिम और दक्षिण में दक्षिण चीन सागर मौजूद है। हाँग काँग एक वैश्विक महानगर और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केंद्र होने के साथ-साथ एक उच्च विकसित पूंजीवादी अर्थव्यवस्था है। "एक देश, दो नीति" के अंतर्गत और बुनियादी कानून के अनुसार, इसे सभी क्षेत्रों में "उच्च स्तर की स्वायत्तता" प्राप्त है, केवल विदेशी मामलों और रक्षा को छोड़कर, जो जनवादी गणराज्य चीन सरकार की जिम्मेदारी है। हाँग काँग की अपनी मुद्रा, कानून प्रणाली, राजनीतिक व्यवस्था, अप्रवास पर नियंत्रण, सड़क के नियम हैं और मुख्य भूमि चीन से अलग यहां की रोजमर्रा के जीवन से जुड़े विभिन्न पहलु हैं।

एक व्यापारिक बंदरगाह के रूप में आबाद होने के बाद हाँग काँग 1842 में यूनाइटेड किंगडम का विशेष उपनिवेश बन गया। 1983 में इसे एक ब्रिटिश निर्भर क्षेत्र के रूप में पुनर्वर्गीकृत किया गया। 1997 में जनवादी गणराज्य चीन को संप्रभुता हस्तांतरित कर दी गई। अपने विशाल क्षितिज और गहरे प्राकृतिक बंदरगाह के लिए प्रख्यात, इसकी पहचान एक ऐसे महानगरीय केन्द्र के रूप में बनी जहां के भोजन, सिनेमा, संगीत और परंपराओं में जहां पूर्व में पश्चिम का मिलन होता है। शहर की आबादी 95% हान जाति के और अन्य 5% है। 70 लाख लोगों की आबादी और 1,054 वर्ग किमी (407 वर्ग मील) जमीन के साथ हांग कांग दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में से एक है।

इतिहास

हाँग काँग को ब्रिटेन से चीन ने सन् १८४३ मे खरीदा गया था। चीन ने हाँग काँग को ब्लैक वार जीतने के बाद लिया था। उसके बाद न्यू कोव लंच और लैंडो ने उसे ९९ वर्ष कि लीस पर छोड़ा था। उसके बाद द्वितीय विश्वयुद्ध के समय जापान ने उसे ले लिया था। बाद मे जापानी सैनिक मारे गये थे। जापान हार गया था व हाँग काँग मे क्रांति आ गयी थी।

चीन में, युद्ध के बाद, कुओमिंटैंग और कम्युनिस्ट हांगकांग प्रवासन के खिलाफ लड़े थे। बाद में कई कम्युनिस्ट सरकार में हाँग काँग स्थानांतरित हो गया। 19 दिसंबर, 1984 को चीन और ब्रिटेन के बीच हांगकांग ट्रांसफर एक्सचेंज (चीन-ब्रिटिश संयुक्त घोषणा) पर हस्ताक्षर किए गए।

सन्दर्भ

  1. "2014 Human Development Report Summary" (PDF). संयुक्त राष्ट्र Development Programme. 2014. पपृ॰ 21–25. अभिगमन तिथि 27 जुलाई 2014.

हांगकांग में हिंसक प्रदर्शनों और शांति का दौर खत्म होता नहीं दिख रहा है। विवादित प्रत्यर्पण बिल विरोध से शुरू हुए इन प्रदर्शनों को दो महीने से ज्यादा का वक्त हो का है। अब लोग लोकतंत्र की मांग कर रहे हैं। दो दिन से प्रदर्शनकारियों हांगकांग एयरपोर्ट को अपने कब्जे में ले रखा है। उधर चीन की सरकार प्रदर्शनकारियों की निंदा की है और यह भी कहा है कि वह चुप नहीं ठेगा। हालांकि, यह सब ऐसे ही नहीं हो रहा है। इसमें कई महत्वपूर्ण प्रसंग हैं, जो दशकों पुराने हैं।


99 साल की लीज पर किया गया था चीन के हवाले दरअसल, हांगकांग अन्य चीनी शहरों से काफी अलग है। 150 साल के ब्रिटेन के औपनिवेशिक शासन के बाद हांगकांग को 99 साल की लीज पर चीन को सौंप दिया गया। हांगकांग द्वीप पर 1842 से ब्रिटेन का नियंत्रण रहा। जबकि द्वितीय विश्व युद्ध में जापान का इस पर अपना नियंत्रण था। यह एक व्यस्त व्यापारिक बंदरगाह बन गया और 1950 में विनिर्माण का केंद्र बनने के बाद इसकी अर्थव्यवस्था में बड़ा उछाल आया। चीन में अस्थिरता, गरीबी या उत्पीड़न से भाग रहे लोग इस क्षेत्र की ओर रुख करने लगे।

1984 में हुआ था सौदा पिछली सदी के आठवें दशक की शुरुआत में जैसे-जैसे 99 साल की लीज की समयसीमा पास आने लगी ब्रिटेन और चीन ने हांगकांग के भविष्य पर बातचीत शुरू कर दी। चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने तर्क दिया कि हांगकांग को चीनी शासन को वापस कर दिया जाना चाहिए। दोनों पक्षों ने 1984 में एक सौदा किया कि एक देश, दो प्रणाली के सिद्धांत के तहत हांगकांग को 1997 में चीन को सौंप दिया जाएगा। इसका मतलब यह था कि चीन का हिस्सा होने के बाद भी हांगकांग 50 वर्षों तक विदेशी और रक्षा मामलों को छोड़कर स्वायत्तता का आनंद लेगा।


विवाद की जड़ 1997 में जब हांगकांग को चीन के हवाले किया गया था तब बीजिंग ने एक देश-दो व्यवस्था की अवधारणा के तहत कम से कम 2047 तक लोगों की स्वतंत्रता और अपनी कानूनी व्यवस्था को बनाए रखने की गारंटी दी थी। लेकिन 2014 में हांगकांग में 79 दिनों तक चले अंब्रेला मूवमेंट के बाद लोकतंत्र का समर्थन करने वालों पर चीनी सरकार कार्रवाई करने लगी। विरोध प्रदर्शनों में शामिल लोगों को जेल में डाल दिया गया। आजादी का समर्थन करने वाली एक पार्टी पर प्रतिबंध लगा दिया गया।

बीजिंग का कब्जा हांगकांग का अपना कानून और सीमाएं हैं। साथ ही खुद की विधानसभा भी है। लेकिन हांगकांग में नेता, मुख्य कार्यकारी अधिकारी को 1,200 सदस्यीय चुनाव समिति चुनती है। समिति में ज्यादातर बीजिंग समर्थक सदस्य होते हैं। क्षेत्र के विधायी निकाय के सभी 70 सदस्य, विधान परिषद, सीधे हांगकांग के मतदाताओं द्वारा नहीं चुने जाते हैं। बिना चुनाव चुनी गईं सीटों पर बीजिंग समर्थक सांसदों का कब्जा रहता है।

चीनी पहचान से नफरत हांगकांग में ज्यादातर लोग चीनी नस्ल के हैं। चीन का हिस्सा होने के बावजूद हांगकांग के अधिकांश लोग चीनी के रूप में पहचान नहीं रखना चाहते हैं। खासकर युवा वर्ग। केवल 11 फीसद खुद को चीनी कहते हैं। जबकि 71 फीसद लोग कहते हैं कि वे चीनी नागरिक होने पर गर्व महसूस नहीं करते हैं। यही कारण है कि हांगकांग में हर रोज आजादी के नारे बुलंद हो रहे हैं और प्रदर्शनकारियों ने चीन समर्थित प्रशासन की नाक में दम कर रखा है।

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