"भगवान": अवतरणों में अंतर
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[[संज्ञा]] के रूप में '''भगवान्''' हिन्दी में लगभग हमेशा [[ईश्वर]] / [[परमेश्वर]] का मतलब रखता है। इस रूप में ये [[देवता]]ओं के लिये नहीं प्रयुक्त होता। |
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आदरणीय महापुरुषों जैसे [[गौतम बुद्ध]], विशेषता सप्त बौद्ध [[महावीर]], धर्मगुरुओं, [], इत्यादि के लिये उपाधि है। |
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== विशेषण == |
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[[विशेषण]] के रूप में '''भगवान्''' हिन्दी में [[ईश्वर]] / [[परमेश्वर]] का मतलब नहीं रखता। इस रूप में ये [[देवता]]ओं, [[विष्णु]] और उनके [[अवतार|अवतारों]] ([[राम]], [[कृष्ण]]), [[शिव]], आदरणीय महापुरुषों जैसे [[गौतम बुद्ध]], [[महावीर]], धर्मगुरुओं, [[गीता]], इत्यादि के लिये उपाधि है। इसका [[लिंग|स्त्रीलिंग]] '''भगवती''' है। |
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==इन्हें भी देखें== |
==इन्हें भी देखें== |
21:44, 25 जुलाई 2019 का अवतरण
इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। (नवम्बर 2018) स्रोत खोजें: "भगवान" – समाचार · अखबार पुरालेख · किताबें · विद्वान · जेस्टोर (JSTOR) |
भगवान गुण वाचक शब्द है जिसका अर्थ गुणवान होता है। यह "भग" धातु से बना है ,भग के ६ अर्थ है:- १-ऐश्वर्य २-सौम्यता ३-स्मृति ४-यश ५-विवेक ६-श्रद्धा जिसके पास ये ६ गुण है वह भगवान है। पाली भाषा में भगवान "भंज" धातु से बना है जिसका अर्थ हैं:- तोड़ना। पाली भाषा के साहित्य से प्राप्त जानकारी के अनुसार वह व्यक्ति जिसने तृष्णा को पूर्ण रूप से नष्ट कर दिया हो भगवान कहलाता है। यह बौद्धों की एक प्रकार की उपाधि का भी एक रूप कहा जाता है जिसे ब्राह्मण साहित्य में राग,द्वेष ,और मोह के बंधनों को तोड़ चुका हो अथवा भाव में पुनः आने की आशा को भंग कर चुका हो भावनाओ से परे जहाँ सारे विचार शून्य हो जाये और वहीँ से उनकी यात्रा शुरु हो उसे भगवान कहा जाता है।
संज्ञा
संज्ञा के रूप में भगवान् हिन्दी में लगभग हमेशा ईश्वर / परमेश्वर का मतलब रखता है। इस रूप में ये देवताओं के लिये नहीं प्रयुक्त होता।
आदरणीय महापुरुषों जैसे गौतम बुद्ध, विशेषता सप्त बौद्ध महावीर, धर्मगुरुओं, [], इत्यादि के लिये उपाधि है।
इन्हें भी देखें
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