"संगीत नाटक अकादमी": अवतरणों में अंतर
संजीव कुमार (वार्ता | योगदान) - |
दिवाली, एक धार्मिक, विविध रंगों के प्रयोग से रंगोली सजाने, प्रकाश औऱ खुशी का, अंधकार हटाने का, मिठाईयों का,पूजा आदि का त्यौहार है, जो पूरे भारत के साथ साथ देश के बाहर भी कई स्थानों पर मनाया जाता है। यह रोशनी की कतार या प्रकाश का त्यौहार कहा जाता है। यह सम्पूर्ण विश्व में मुख्यतः हिन्दूओं और जैनियों द्वारा मनाया जाता है।उस दिन बहुत से देशों जैसे तोबागो, सिंगापुर, सुरीनम, नेपाल, मारीशस, गुयाना, त्रिनद और श्री लंका, म्यांमार, मलेशिया और फिजी में राष्ट्रीय अवकाश होता है। यह पाँच दिन (धनतेरस, नरक... टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{infobox Organization |
{{infobox Organization |
||
|name = संगीत नाटक अकादमीदिवाली, एक धार्मिक, विविध रंगों के प्रयोग से रंगोली सजाने, प्रकाश औऱ खुशी का, अंधकार हटाने का, मिठाईयों का,पूजा आदि का त्यौहार है, जो पूरे भारत के साथ साथ देश के बाहर भी कई स्थानों पर मनाया जाता है। यह रोशनी की कतार या प्रकाश का त्यौहार कहा जाता है। यह सम्पूर्ण विश्व में मुख्यतः हिन्दूओं और जैनियों द्वारा मनाया जाता है।उस दिन बहुत से देशों जैसे तोबागो, सिंगापुर, सुरीनम, नेपाल, मारीशस, गुयाना, त्रिनद और श्री लंका, म्यांमार, मलेशिया और फिजी में राष्ट्रीय अवकाश होता है। |
|||
|name = संगीत नाटक अकादमी |
|||
यह पाँच दिन (धनतेरस, नरक चतुर्दशी, अमावश्या, कार्तिक सुधा पधमी, यम द्वितीया या भाई दूज) का हिन्दू त्यौहार है जो धनतेरस (अश्वनी माह के पहले दिन का त्यौहार है) से शुरु होता है और भाई दूज (कार्तिक माह के अन्तिम दिन का त्यौहार है) पर खत्म होता है। दिवाली के त्यौहार की तारीख हिन्दू चन्द्र सौर कलैण्डर के अनुसार र्निधारित होती है। यह बहुत खुशी से घरों को सजाकर बहुत सारी लाइटों, दिये, मोमबत्तियॉ, आरती पढकर, उपहार बॉटकर, मिठाईयॉ, ग्रीटिंग कार्ड, एस एम एस भेजकर, रंगोली बनाकर, खेल खेलकर, मिठाईयॉ खाकर, एक दूसरे के गले लगकर औऱ भी बहुत सारी गतिविधियों के साथ मनाते है। |
|||
दिवाली पूजा (लक्ष्मी पूजा और गणेश पूजा) | गणेश आरती और लक्ष्मी आरती |
|||
दिवाली 2018 |
|||
बुधवार, 7 नवंबर 2018 |
|||
धनतेरस: सोमवार, 5 नवंबर 2018 |
|||
नरक चतुर्दशी (छोटी दीवाली): मंगलवार, 6 नवंबर 2018 |
|||
लक्ष्मी पूजा (मुख्य दिवाली): बुधवार, 7 नवंबर 2018 |
|||
बाली प्रतिप्रदा या गोवर्धन पूजा: गुरुवार, 8 नवंबर 2018 |
|||
यम द्वितीय या भाईदूज: शुक्रवार, 9 नवंबर 2018 |
|||
भगवान की पूजा और त्यौहारोत्सव हमें अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाता है, हमें अच्छे कार्यों को करने के प्रयासों के लिये शक्ति देता है, देवत्व के और ज्यादा करीब लाता है। घर के चारों ओर दिये और मोमबत्ती जलाकर प्रत्येक कोने को प्रकाशमान किया जाता है। यह माना जाता है कि पूजा और अपने करीबी और प्रियजनों को उपहार दिये बिना यह त्यौहार कभी पूरा नहीं होता है। त्यौहार की शाम लोग दैवीय आशीर्वाद पाने के उद्देश्य से भगवान की पूजा करते है। दिवाली का त्यौहार वर्ष का सबसे सुंदर और शांतिपूर्ण समय लाता है जो मनुष्य के जीवन में असली खुशी के पल प्रदान प्रदान करता है। |
|||
दिवाली के त्यौहार पर राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया जाता है ताकि सभी अपने मित्रों और परिवार के साथ त्यौहार का आनन्द ले सकें। लोग इस त्यौहार का बहुत लम्बे समय से इंतजार करते है और इसके नजदीक आते ही लोग अपने घरों, कर्यालयों, कमरों, गैराजों को रंगवाते और साफ कराते है और अपने कार्यालयों में नयी चैक बुक, डायरी और कलैण्डर वितरित करते है। वे मानते है कि साफ सफाई और त्यौहार मनाने से वे जीवन में शान्ति और समृद्धि प्राप्त करेंगें। सफाई का वास्तविक अर्थ दिल के हर कोने से सभी बुरे विचार, स्वार्थ और दूसरों के बारे में कुदृष्टि की सफाई से है। |
|||
व्यापारी अपने वर्ष के खर्च और लाभ जानने के लिये अपने बहीखातों की जॉच करते है। शिक्षक किसी भी विषय में अपने छात्रों की प्रर्दशन और प्रगति का निरीक्षण करते है। लोग उपहार देने के माध्यम से दुश्मनी हटाकर सभी से दोस्ती करते है। कॉलेज के छात्र अपने परिवार के सदस्यों, दोस्तों और रिश्तेदारों को दिवाली कार्ड और एस एम एस भेजते है। आज कल इंटरनेट के माध्यम से दीवाली ई-कार्ड या दीवाली एसएमएस भेजने के सबसे लोकप्रिय चलन बन गया है। भारत में कुछ स्थानों पर दीवाली के मेले आयोजित किये जाते है जहां लोग आनंद के साथ नए कपड़े, हस्तशिल्प, कलाकृतियॉं, दीवार के पर्दे, गणेश और लक्ष्मी, रंगोली, गहने और उनके घर के अन्य जरूरी चीजों के पोस्टर खरीदने के लिये जाते है। |
|||
घर के बच्चे एनीमेशन फिल्म देख कर, अपने दोस्तों के साथ चिङिया घऱ देख कर, दिवाली पर कविता गा कर, माता पिता के साथ आरती करके, रात को आतिशबाजी करके, दिये और मोमबत्ती जला कर, हाथ से बने दिवाली कार्ड देकर, खेल खेल कर यह त्यौहार मनाते है। घर पर माँ कमरे के बिल्कुल बीच में रंगोली बनाती है, नयी और आकर्षक मिठाईयॉ, नये व्यंजन जैसे गुँजिया, लड्डू, गुलाब जामुन, जलेबी, पेडे और अन्य तरह के व्यजंन बनाती है। |
|||
दीवाली कब मनाई जाती है |
|||
हिंदू कैलेंडर के अनुसार दीवाली अश्विन के महीने में कृष्ण पक्ष की 13 वें चंद्र दिन (जो भी अंधेरे पखवाड़े के रूप में जाना जाता है) पर मनाया जाता है। यह परम्परागत रुप से हर साल मध्य अक्टूबर या मध्य नवम्बर में दशहरा के 18 दिन बाद मनाया जाता है। यह हिन्दूओं का बहुत महत्वपूर्ण त्यौहार है। |
|||
दिवाली का त्यौहार हर साल बहुत सारी खुशियों के साथ आता है और पॉच दिनों से अधिक समय धनतेरस से भाई दूज पर पूरा होता है।कुछ स्थानों पर जैसे कि महाराष्ट्र में यह छह दिनों में पूरा होता है (वासु ब |
|||
|image = |
|image = |
||
|image_border = |
|image_border = |
18:35, 8 जुलाई 2019 का अवतरण
स्थापना | 31 मई 1952 |
---|---|
मुख्यालय | रवींद्र भवन, फिरोजशाह रोड, नई दिल्ली, भारत |
सभापति |
शेखर सेन[1] |
जालस्थल |
www |
संगीत नाटक अकादमी भारत सरकार द्वारा स्थापित भारत की संगीत एवं नाटक की राष्ट्रीय स्तर की सबसे बड़ी अकादमी है। इसका मुख्यालय दिल्ली में है।[2]
स्थापना
भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने एक संसदीय प्रस्ताव द्वारा एक स्वायत्त संस्था के रूप में संगीत नाटक अकादमी की स्थापना करने का निर्णय किया। तदनुसार 1953 में अकादमी की स्थापना हुई। 1961 में अकादमी भंग कर दी गई और इसका नए रूप में संगठन किया गया। 1860 के सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन के अधीन यह संस्था पंजिकृत हो गई। इसकी नई परिषद् और कार्यकारिणी समिति का गठन किया गया। अकादमी अब इसी रूप में कार्य कर रही है।
उद्देश्य
संगीत नाटक अकादमी की स्थापना संगीत, नाटक और नृत्य कलाओं को प्रोत्साहन देने तथा उनके विकास और उन्नति के लिए विविध प्रकार के कार्यक्रमों का संचालन करने के उद्देश्य से की गयी थी। संगीत नाटक अकादमी अपने मूल उद्देश्य की पूर्ति के लिए देश भर में संगीत, नृत्य और नाटक की संस्थाओं को उनकी विभिन्न कार्ययोजनाओं के लिए अनुदान देती है, सर्वेक्षण और अनुसंधान कार्य को प्रोत्साहन देती है। संगीत, नृत्य और नाटक के प्रशिक्षण के लिए संस्थाओं को वार्षिक सहायता देती है। विचारगोष्ठियों और समारोहों का संगठन करती है तथा इन विषयों से संबंधित पुस्तकों के प्रकाशन के लिए आर्थिक सहायता देती है।
संगठन व्यवस्था
संगीत नाटक अकादमी की एक महापरिषद् होती है जिसमें 48 सदस्य होते हैं। इनमें से 5 सदस्य भारत सरकार द्वारा मनोनीत होते हैं - एक शिक्षा मंत्रालय का प्रतिनिधि, एक सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का प्रतिनिधि, भारत सरकार द्वारा नियुक्त वित्त सलाहकार (पदेन), प्रत्येक राज्य सरकार के 1-1 मनोनीत सदस्य और ललित कला अकादमी व साहित्य अकादमी के 2-2 प्रतिनिधि के होते हैं। इस प्रकार मनोनीत ये 28 सदस्य एक बैठक में 20 और सदस्यों का चुनाव करते हैं। ये व्यक्ति संगीत, नृत्य और नाटक के क्षेत्र में विख्यात कलाकार और विद्वान् होते हैं। इनका चयन इस प्रकार से किया जाता है कि संगीत और नृत्य की विभिन्न पद्धतियों और शैलियों तथा विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व हो सके। इस प्रकार गठित महापरिषद् कार्यकारिणी का चुनाव करती है जिसमें 15 सदस्य होते हैं। सभापति का मनोनयन शिक्षा मंत्रालय की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है। उपसभापति का चुनाव महापरिषद् करती है। सचिव का पद वैतनिक होता है और सचिव की नियुक्ति कार्यकारिणी करती है।
कार्यकारिणी कार्य के संचालन के लिए अन्य समितियों का गठन करती है, जैसे वित्त समिति, अनुदान समिति, प्रकाशन समिति आदि। अकादमी के संविधान के अधीन सभी अधिकार सभापति को प्राप्त होते हैं। महापरिषद्, कार्यकारिणी तथा सभापति का कार्यकाल पाँच वर्ष होता है।
अकादमी के सबसे पहले सभापति श्री पी.वी. राजमन्नार थे। दूसरे सभापति मैसूर के महाराजा श्री जयचामराज वडयार थे।
कार्यक्रम
अकादमी का इन कलाओं के अभिलेखन का एक व्यापक कार्यक्रम है जिसके अधीन पारंपरिक संगीत और नृत्य तथा नाटक के विविध रूपों और शैलियों की फिल्में बनाई जाती हैं, फोटोग्राफ लिए जाते हैं और उनका संगीत टेपरिकार्ड किया जाता है। अकादमी संगीत, नृत्य और नाटक के कार्यक्रम भी प्रस्तुत करती है। अकादमी संगीत, नृत्य और नाटक के कार्यक्रम भी है जिसके अधीन इन विषयों की विशिष्ट पुस्तकें प्रकाशित की जाती है। अकादमी अंग्रेजी में एक त्रैमासिक पत्रिका "संगीत नाटक" का प्रकाशन करती है।
पुरस्कार
अकादमी प्रतिवर्ष संगीत और नृत्य तथा नाटक के क्षेत्र में विशिष्ट कलाकारों को पुरस्कृत करती है। पुरस्कारों का निर्णय अकादमी महापरिषद् करती है। पुरस्कारों का निर्णय अकादमी महापरिषद् करती है। पुरस्कार समारोह में पुरस्कारवितरण राष्ट्रपति द्वारा होता है। संगीत नृत्य और नाटक के क्षेत्र में अकादमी प्रतिवर्ष कुछ रत्नसदस्यों (फेलो) का चुनाव करती है।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
- संगीत नाटक अकादमी का आधिकारिक जालस्थल
- An agenda for the arts, Frontline magazine (द हिन्दू), February 15 - 28, 2003 - article on 50th anniversary
- Data Bank on Traditional/Folk performances
- Current events page on the website (slightly outdated)
- The Academy's Official List of Award winners.
- D. G. Godse The Academy's Awardee 1988
- carnatic india a portal on Indian classical fine arts.
- Akdemi Music.