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'''स्कन्दगुप्त''' प्राचीन [[भारत]] में तीसरी से पाँचवीं सदी तक शासन करने वाले [[गुप्त राजवंश]] के आठवें राजा थे। इनकी राजधानी [[पाटलिपुत्र]] थी जो वर्तमान समय में [[पटना]] के रूप में [[बिहार]] की राजधानी है।
'''स्कन्दगुप्त''' प्राचीन [[भारत]] में तीसरी से पाँचवीं सदी तक शासन करने वाले [[गुप्त राजवंश]] के आठवें राजा थे। इनकी राजधानी [[पाटलिपुत्र]] थी जो वर्तमान समय में [[पटना]] के रूप में [[बिहार]] की राजधानी है।


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== धर्म ==
== धर्म ==
स्कन्दगुप्त वेस्नोधर्मावलम्बि था परन्तु अपने पुर्वजो कि भाती उसने भी धार्मिक झेत्र उदारतातथा सहिविस्नुता कि नीति का पालन किया वह जॅन तिर्थकरो कि पाच पासान प्रतिमाओ का निर्मान करवाया था और वह सुर्य मन्दिर में दीपक जलाने के लिये अत्यधिक
स्कन्दगुप्त स्वयं <nowiki>[[वैष्णव]]</nowiki> थे परन्तु अपने पूर्वजों ही की भांति उन्होंने भी अन्य सम्प्रदायों के प्रति उदारता तथा सहिष्णुता की नीति का पालन किया। उन्होंने जैन तीर्थंकरों की पाँच पाषाण प्रतिमाओं का निर्माण करवाया था तथा सूर्य मन्दिर में दीप प्रज्जवलन हेतु अत्यधिक धनराशि दान में दी थी।
धन दान में दिय था।


== साहित्य में स्कंदगुप्त ==
== साहित्य में स्कंदगुप्त ==

14:25, 16 जून 2019 का अवतरण

चित्र:Skanda1b.jpg
स्कन्दगुप्तकालीन मुद्रा जिस पर स्कन्दगुप्त का चित्र अंकित है।

स्कन्दगुप्त प्राचीन भारत में तीसरी से पाँचवीं सदी तक शासन करने वाले गुप्त राजवंश के आठवें राजा थे। इनकी राजधानी पाटलिपुत्र थी जो वर्तमान समय में पटना के रूप में बिहार की राजधानी है।

स्कन्दगुप्त ने जितने वर्षों तक शासन किया उतने वर्षों तक युद्ध किया। भारत की बर्बर हूणों से रक्षा करने का श्रेय स्कन्दगुप्त को जाता है। हूण मध्य एशिया में निवास करने वाले बर्बर कबीलाई लोग थे। उन्होंने हिन्दु कुश पार कर गन्धार पर अधिकार कर लिया और फिर महान गुप्त साम्राज्य पर धावा बोला। परंतु वीर स्कन्दगुप्त ने उनका सफल प्रतिरोध कर उन्हें खदेड़ दिया। हूणों के अतिरिक्त उसने पुष्यमित्रों को भी विभिन्न संघर्षों में पराजित किया। पुष्यमित्रों को परास्त कर अपने नेतृत्व की योग्यता और शौर्य को सिद्ध कर स्कन्दगुप्त ने विक्रमादित्य कि उपाधि धारण की. उसने विष्णु स्तम्भ का निर्माण करवाया.

शासन नीति

यद्यपि स्कन्दगुप्त का शासन काल महान संक्रान्ति का युग रहा था और उसे दीर्घकाल तक उन संकटों से जूझना पड़ा| हमे ज्ञात होता है कि अपने सिंहासनारोहण के शीघ्रबाद उसने योग्य प्रान्तपतियो को नियुक्त कि जुनागन अभिलेख से पता चलता है कि सौराष्ट्र प्रांत कौच्हित शसक च्हुमनने के लिए अनेक दिन रात उसने च्हिन्ता में विताइ अन्त में पर्न दत्त को वह क गोप्ता नियुक्त किया तब उसकए हृदय को शान्ति मिली एक लेखक लिखता है कि उशने शासन कअल में नतो कोइ विद्रोह हुआ न कोइ बेघर हुआ।

सुदर्शन झील का निर्माण - स्कन्दगुप्त के शासन काल की सबसे मह्त्वपूर्ण घटना सुदर्शन झील के बांध को बनवाना था इस झील का इतिहास बहुत पुराना है सर्वप्रथम च्हन्द्रगुप्त ने एअक पर्वर्ति नदी के जल को रोककर इस झील का निर्मान लोकहित केद्रिस्ति से बनवाया बाद में सम्राट अशोक ने सिच्हाइ के लिये उसमे से नहर निकालि एअक बार १५० इस्वि में बान्ध टूट गया तव रुद्रदामन ने ब्यक्तिगत कश से उसका जिर्नोधार करवाया था ४५६ इस्वि में उस झिल का बाध फिर टूट गया जिससे सोरास्त्र के लोगो को बना कस्त होना पना!तब स्कन्दगुप्त ने अपने कोश से अपार धन राशि उथा कर पुन्ह निर्मान करवाया इस निवर्वान क्े फलस्वरुप उसने उसी जगह विष्णुजी का एक मन्दिर बनवाया दुर्भाग्य से वह झील तथा मन्दिर अवस्थित नहीं है स्कन्दगुप्त सिच्हाइ के साधनों का पूरा ख्याल रखता थाा।

धर्म

स्कन्दगुप्त स्वयं [[वैष्णव]] थे परन्तु अपने पूर्वजों ही की भांति उन्होंने भी अन्य सम्प्रदायों के प्रति उदारता तथा सहिष्णुता की नीति का पालन किया। उन्होंने जैन तीर्थंकरों की पाँच पाषाण प्रतिमाओं का निर्माण करवाया था तथा सूर्य मन्दिर में दीप प्रज्जवलन हेतु अत्यधिक धनराशि दान में दी थी।

साहित्य में स्कंदगुप्त

यह हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध साहित्यकार जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित नाटक 'स्कंदगुप्त' का नायक है। यह एक स्वाभिमानी, नीतिज्ञ, देशप्रेमी, वीर और स्त्रियों के सम्मान की रक्षा करने वाला शासक है।

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

  • कुमार, प्रभात. "गुप्त राजवंश - स्कन्दगुप्त". ब्राण्डभारत.
राजसी उपाधियाँ
पूर्वाधिकारी
कुमारगुप्त प्रथम
गुप्त सम्राट
४५५-४६७ ई०
उत्तराधिकारी
पुरुगुप्त