"चौसठ योगिनी मंदिर, मुरैना": अवतरणों में अंतर
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[[File:Chausath Yogini Temple, the platform.JPG|right|thumb|300px|गुर्जर प्रतिहार कालिन मुरैना का चौसठ योगिनी मांदिर]] |
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'''मुरैना का चौसठ योगिनी मंदिर''' [[मध्य प्रदेश]] के [[मुरैना जिला|मुरैना जिले]] में |
'''मुरैना का चौसठ योगिनी मंदिर''' [[मध्य प्रदेश]] के [[मुरैना जिला|मुरैना जिले]] में मितावली नामक गांव की एक पहाडी पर स्थित एक प्राचीन [[मंदिर]] है। यह [[भारत]] के उन चौसठ योगिनी मंदिरों में से एक है जो अभी भी अच्छी दशा में बचे हैं। |
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यह मंदिर 9वीं सदी मे [[गुर्जर प्रतिहार राजवंश|गुर्जर प्रतिहार वंश]] के 10वें शासक '''सम्राट देवपाल गुर्जर''' ने बनवाया था। इस मंदिर मे 101 खंबे और 64 कमरों मे एक एक शिवलिंग है परिसर के बीचों-बीच एक बड़ा गोलाकार शिव मंदिर भी है। मुख्य मंदिर में 101 खंभे कतारबद्ध खड़े हैं, जो संसद भवन के गलियारे की याद दिलाते हैं। मंदिर के निर्माण में लाल-भूरे बलुआ पत्थरों का उपयोग किया गया है। माना जाता है की कमरे मे शिवलिंग के साथ देवी योगिनी की मूर्ति भी रही होगी पर यह योगिनियाँ अब दिल्ली संग्रहालय व ग्वालियर किले के संग्रहालय में सुरक्षित है। <ref>हिन्दू वास्तुकला का विश्वकोश, प्रसन्ना कुमार</ref> इसी आधार पर इसका नाम चौसठ योगिनी पडा है। सबसे बड़ी बात यह है ब्रिटिश वास्तुविद सर एडविन लुटियंस का बनाया गया भारत का संसद भवन भी इसी चौसठ योगिनी मंदिर के आकृति का है। लुटियंस ने संसद भवन का डिजाइन इस गुर्जर प्रतिहार के मंदिर से चुराया था। |
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[[भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण]] ने इस मंदिर को प्राचीन ऐतिहसिक स्मारक घोषित किया है। |
[[भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण]] ने इस मंदिर को प्राचीन ऐतिहसिक स्मारक घोषित किया है। |
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== यह भी देखें == |
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[[बटेश्वर हिन्दू मंदिर, मध्य प्रदेश|बटेश्वर हिन्दू मंदिर]] |
15:13, 13 जून 2019 का अवतरण
मुरैना का चौसठ योगिनी मंदिर मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में मितावली नामक गांव की एक पहाडी पर स्थित एक प्राचीन मंदिर है। यह भारत के उन चौसठ योगिनी मंदिरों में से एक है जो अभी भी अच्छी दशा में बचे हैं। यह मंदिर 9वीं सदी मे गुर्जर प्रतिहार वंश के 10वें शासक सम्राट देवपाल गुर्जर ने बनवाया था। इस मंदिर मे 101 खंबे और 64 कमरों मे एक एक शिवलिंग है परिसर के बीचों-बीच एक बड़ा गोलाकार शिव मंदिर भी है। मुख्य मंदिर में 101 खंभे कतारबद्ध खड़े हैं, जो संसद भवन के गलियारे की याद दिलाते हैं। मंदिर के निर्माण में लाल-भूरे बलुआ पत्थरों का उपयोग किया गया है। माना जाता है की कमरे मे शिवलिंग के साथ देवी योगिनी की मूर्ति भी रही होगी पर यह योगिनियाँ अब दिल्ली संग्रहालय व ग्वालियर किले के संग्रहालय में सुरक्षित है। [1] इसी आधार पर इसका नाम चौसठ योगिनी पडा है। सबसे बड़ी बात यह है ब्रिटिश वास्तुविद सर एडविन लुटियंस का बनाया गया भारत का संसद भवन भी इसी चौसठ योगिनी मंदिर के आकृति का है। लुटियंस ने संसद भवन का डिजाइन इस गुर्जर प्रतिहार के मंदिर से चुराया था।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इस मंदिर को प्राचीन ऐतिहसिक स्मारक घोषित किया है।
यह भी देखें
- ↑ हिन्दू वास्तुकला का विश्वकोश, प्रसन्ना कुमार