"राष्ट्रीय किसान मंच": अवतरणों में अंतर

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05:32, 12 जून 2019 का अवतरण

राष्ट्रीय किसान मंच, किसानों के हक की आवाज को बुलंद करने वाला संगठन है। यह देश के किसानों की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है।राष्ट्रीय किसान मंच स्वर्गीय प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह जी को अपना आदर्श मानता है और इसके अध्यक्ष शेखर दीक्षित है देश मे महाराष्ट्र ,मध्य प्रदेश , उत्तर प्रदेश ,बिहार ,पश्चिम बंगाल , राजस्थान , छत्तीसगढ़ और दिल्ली मे इसकी इकाइयाँ कार्यरत है ।

== शुरुवात राष्ट्रीय किसान मंच का गठन ६ फ़रवरी सन २०१८ मे किसानो के लिए काम कर रहे समाजसेवी श्री शेखर दीक्षित ने किया । २००३ से पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय विश्वनाथ प्रताप सिंह जी के साथ शेखर जी ने किसानो के हक़ के लिए यात्रा प्रारम्भ की उनके साथ निरन्तर जन मोर्चा और किसान मंच के माध्यम से समाज से छूटे हुए एवं पिछड़ें लोगों के लिए और ग़रीब किसानो के हक़ की लड़ाई निरन्तर लड़ी परन्तु २००८ मे विश्वनाथ जी के निधन के साथ ही लड़ाई कमज़ोर पड़ गयी पुनः २०१० मे किसानो के बीच जाकर किसान मंच के माध्यम से किसानो के लिए कार्य करना शुरू किया लेकिन आंदोलनो को लड़ने के लिए जब यह अहसास हुआ की संवेधानिक लड़ाई के लिए इसको नयी दिशा दी जाय तो ६ फ़रवरी २०१८ को सभी सक्रिय सदस्यों की अनुमति से इसका सवेधानिक गठन हुआ ।।

राष्ट्रीय किसान मंच की यात्रा

वर्तमान राष्ट्रीय किसान मंच अध्यक्ष शेखर दीक्षित की मुलाक़ात, 7 अप्रैल 2003 को नागपुर में, राजा मांडा स्वर्गीय वी. पी. सिंह से हुई। इस मुलाकात के बाद स्व। वीपी सिंह और शेखर दीक्षित के नेतृत्व में किसानों के हक़ के लिए कई आंदोलन किये गए। राष्ट्रीय किसान मंच की ओर से किए गये महत्वपूर्ण आन्दोलनों में रिलायंस इंडस्ट्रीज के खिलाफ वह आन्दोलन प्रमुख रूप से शामिल है, जिसमें रिलायंस की ओर से दादरी में किसानों की जमीनों का अवैध तरीके से भूमि अधिग्रहण किया गया। जिसमें राष्ट्रीय किसान मंच ने हजारों किसानों के साथ आन्दोलन छेड़ा और किसानों की जमीनों को मुक्त कराया. इसके अलावा राष्ट्रीय किसान मंच ने दिल्ली में झुग्गी-झोपड़ी के बच्चों के अस्तित्व की लड़ाई लड़ी और उन्हें उनका अधिकार दिलाया. 2006 में किसान विरोधी ताकतों के खिलाफ 17 पार्टियों को मिलाकर जनमोर्चा का गठन किया गया. 2008 में वी. पी. सिंह के निधन के बाद उनके बेटे धंनजय सिंह ने जनमोर्चा का विलय कांग्रेस में कर दिया. 2009 में किसानों की लड़ाई के लिए राष्ट्रीय किसान मंच की ओर से तमाम किसान नेताओं को एक मंच पर लाया गया. 2009 में राष्ट्रीय किसान मंच के ढाई लाख सक्रिय सदस्य हो गये. 2012 में किसान मंच को पूर्व जनरल वी.के. सिंह का और 2013 में अन्ना हजारे का समर्थन मिला। 2014 में भ्रष्टाचार के खिलाफ राष्ट्रीय किसान मंच के आंदोलन में सबका साथ मिला। 2016 में राष्ट्रीय किसान मंच की ओर से भूमि अधिग्रहण बिल संसोधन का विरोध किया गया। किसान ऋणमाफी योजना लागू करवाने के लिए 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड कांग्रेस को समर्थन दिया। 2018 में किसानों के हितों के लिए चीनी मिलों, भूमि अधिग्रहण, पानी की समस्या को लेकर संघर्ष किया। 6 फरवरी 2018 को लीगल बॉडी का निर्माण कर राष्ट्रीय किसान मंच नाम से किसानों के लिए संवैधानिक लड़ाई की शुरुआत की गयी।