"विकिपीडिया:लेख का नाम कैसे रखें": अवतरणों में अंतर

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[[श्रेणी:सैनी भारत की एक योद्धा जाति है . सैनी , जिन्हें । पौराणिक साहित्य में शूरसैनी के रूप में भी जाना जाता है , उन्हें अपनेमूल नाम केसाथ केवल पंजाब और पड़ोसी राज्य हरियाणा , जम्मू और कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में पाया जाता है . वे अपना उद्धव यदुवंशी सूरसेन वंश के राजपूतों से देखते हैं , जिसकी उत्पत्ति यादव राजा शूरसेन से हुई थी जो कृष्ण और पौराणिकाण्व योद्धाओं , दोनों के दादा थे . सैनी , समय के साथ मथुरा से पंजाब और आस - पास की अन्य जगहों पर स्थानांतरित हो गए . प्राचीन ग्रीक यात्री और भारत में राजदूत , मेगास्थनीज़ का | परिचय भी सत्तारूढ़ जाती के रूप में जाती से इसके वैभवदिनोंमें हुआ था जब इनकी राजधानी मथुरा हुआ करती थी . एक अकादमिक राय यह भी है कि सिकंदर महान के | शानदार प्रतिद्वंद्वी प्राचीन राजा पोरस , कभी सबसे प्रभावी रहे इसी यादवकुके थे . मेगास्थनीज़ ने इस जाती को । सौरसेनोई के रूप में वर्णित किया है । राजपूत से उत्पन्न होने वाली पंजाब की अधिकांश जाती की तरह सैनी ने भी तुर्क - इस्लाम के राजनीतिक वर्चस्व के कारण मध्ययुगीन काल के दौरान खेती को अपना व्यवसाय बनाया , औरतबसे लेकर आज तक वे मुख्यतः कृषि और |सैन्य सेवा , दोनों में लगे हुए हैं .ब्रिटिश काल के दौरान सैनी को एक सांविधिक कृषि जनजाति के रूप में और साथ ही ।साथक सैन्य वर्ग के रूप में सूचीबद्ध किया गया था .सैनियों का पूर्व ब्रिटिश रियासतों , ब्रिटिश भारत और स्वतंत्र ।भारत की सेनाओं में सैनिक के रूप में एक प्रतिष्ठित रिकॉर्ड है .सैनियों ने दोनों विश्व युद्धों में लड़ाइयां लड़ी और ' विशिष्ट |बहादुरी के लिएकई सर्वोच्च वीरता पुरस्कार जीते .सूबेदार |जोगिंदर सिंह , जिन्हें 1962 भारत - चीन युद्ध में ।|भारतीय - सेना का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार , परमवीरचक्र प्राप्त हुआ था , वे भी सहनान उप जाती के एक सैनी थे .ब्रिटिश युग के दौरान , कई प्रभावशाली सैनी जमींदारों को पंजाब और आधुनिक हरियाणा के कई जिलों में जेलदार , या |राजस्व संग्राहक नियुक्त किया गया था .सैनियों ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन मेंभी हिस्सा लिया।]
[[श्रेणी:विकिपीडिया सहायता]]
[[सैनियों ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भी हिस्सा लिया और सैनी समुदाय के कई विद्रोहियों को ब्रिटिश राज के दौरान कारवास में डाल दिया गया , या फांसी चढ़ा दिया गया या ओपनिवेशिक पुलिस के साथ मुठभेड़ में मार दिया गया हालांकि , भारत कीआजादी के बाद से , सैनियों ने सैन्य और कृषि के अलावा अन्य विविध व्यवसायों में अपनी दखल बनाई .सैनियों को आज व्यवसायी , वकील , प्रोफेसर , सिविल सेवक , इंजीनियर , डॉक्टर और अनुसंधान वैज्ञानिक आदि के |रूप में देखा जा सकता है .प्रसिद्ध कंप्यूटर वैज्ञानिक , अवतार सैनी जिन्होंने इंटेल के सर्वोत्कृष्ट उत्पाद पेंटिअम |माइक्रोप्रोसेसर के डिजाइन और विकास का सह - नेतृत्व |किया वे इसी समुदाय के हैं .अजय बंगा , भी जो वैश्विक बैंकिंग दिग्गज मास्टर कार्ड के वर्तमान सीईओ हैं एक सैनी हैं .लोकप्रिय समाचार पत्र डेली अजीत , जो दुनिया का सबसे |बड़ा पंजाबी भाषा का दैनिक अखबार है उसका स्वामित्व भी ।|सैनी का है .।पंजाबी सैनियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा अब अमेरिका , |कनाडा और ब्रिटेन आदि जैसे पश्चिमी देशों में रहता है और |वैश्विक पंजाबी प्रवासियों का एक महत्वपूर्ण घटक है .|सैनी , हिंदू और सिख , दोनों धर्मों को मानते हैं .कई सैनी परिवार दोनों ही धर्मों में एक साथ आस्था रखते हैं और पंजाब की सदियों पुरानी भक्ति और सिख आध्यात्मिक |परंपरा के अनुरूप स्वतन्त्र रूप से शादी करते हैं .अभी हाल ही तक सैनी कट्टर अंतर्विवाही क्षत्रिय थे और केवल चुनिन्दा जाती में ही शादी करते थे .दिल्ली स्थित उनका एक राष्ट्रीय स्तर का संगठन भी है जिसे सैनी राजपूत महासभा कहा जाता है जिसकी स्थापना 1920 में हुई थी .{{सही}}]

06:52, 22 मई 2019 का अवतरण

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  • संक्षिप्त नाम (abbreviation) में संक्षिप्त चिह्न (॰) का प्रयोग एकाधिक शब्द खण्ड होने पर ही करें। एक शब्द खण्ड होने पर बिना संक्षिप्त चिह्न के लिखें। उदाहरण: एक शब्द खण्ड - USB के लिये यूऍसबी लिखें यू॰ ऍस॰ बी॰ नहीं। दो शब्द खण्ड - B.Ed. के लिये बी॰ ऍड॰ लिखें।
  • सामान्यतया संस्कृत शब्दों के अन्त में आने वाले हलन्त को छोड़ा जा सकता है अर्थात संसद् के स्थान पर संसद, महान् के स्थान पर महान चल सकता है। हालाँकि लेख का शीर्षक यदि शुद्ध रुप में हलन्त युक्त हो तो वही रखें जैसे रामेश्वरम् एवं बिना हलन्त वाले नाम को हलन्त वाले पर पुनर्निर्देशित कर दें।
  • लेख के शीर्षक (नाम) को शुद्ध उच्चारण तथा वर्तनी की दृष्टि से पञ्चमाक्षर में रखा जाय, चाहे वह किसी भी विषय से सम्बंधित हो। खोज तथा पुनर्निर्देशन हेतु आधुनिक वर्तनी वाले नाम को पारम्परिक (शुद्ध) पञ्चमाक्षर वाले शीर्षक पर पुनर्निर्देशित कर देना चाहिये ताकि शुद्ध उच्चारण एवं वर्तनी रहे। उदाहरण के लिये पंडित को पण्डित पर पुनर्निर्देशित किया जाना चाहिये। इसके अतिरिक्त लेख के आरम्भ में कोष्ठक में वैकल्पिक आधुनिक वर्तनी भी देनी चाहिये।
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