"सीमान्त उपयोगिता": अवतरणों में अंतर
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[[अर्थशास्त्र]] में, किसी वस्तु या [[सेवा]] के उपभोग में इकाई वृद्धि करने पर प्राप्त होने वाले लाभ को उस वस्तु या सेवा की '''सीमान्त उपयोगिता''' (marginal utility) कहते हैं। अर्थशास्त्री कभी-कभी '''ह्रासमान सीमान्त उपयोगिता के नियम''' (law of diminishing marginal utility) की बात करते हैं जिसका अर्थ यह है कि किसी उत्पाद या सेवा के प्रथम अंश से जितना उपयोगिता प्राप्त होती है उतनी उपयोगिता उतने ही बाग से बाद में नहीं |
[[अर्थशास्त्र]] में, किसी वस्तु या [[सेवा]] के उपभोग में इकाई वृद्धि करने पर प्राप्त होने वाले लाभ को उस वस्तु या सेवा की '''सीमान्त उपयोगिता''' (marginal utility) कहते हैं। अर्थशास्त्री कभी-कभी '''ह्रासमान सीमान्त उपयोगिता के नियम''' (law of diminishing marginal utility) की बात करते हैं जिसका अर्थ यह है कि किसी उत्पाद या सेवा के प्रथम अंश से जितना उपयोगिता प्राप्त होती है उतनी उपयोगिता उतने ही बाग से बाद में नहीं मिलती।ise hi law of diminishing returns khte h |
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==इन्हें भी देखें== |
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07:50, 11 फ़रवरी 2019 का अवतरण
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अर्थशास्त्र में, किसी वस्तु या सेवा के उपभोग में इकाई वृद्धि करने पर प्राप्त होने वाले लाभ को उस वस्तु या सेवा की सीमान्त उपयोगिता (marginal utility) कहते हैं। अर्थशास्त्री कभी-कभी ह्रासमान सीमान्त उपयोगिता के नियम (law of diminishing marginal utility) की बात करते हैं जिसका अर्थ यह है कि किसी उत्पाद या सेवा के प्रथम अंश से जितना उपयोगिता प्राप्त होती है उतनी उपयोगिता उतने ही बाग से बाद में नहीं मिलती।ise hi law of diminishing returns khte h
इन्हें भी देखें
- ह्रासमान प्रतिफल (डिमिनिशिंग रिटर्न्स)