"वायुयान": अवतरणों में अंतर

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→‎इतिहास: शिवकर बापूजी तलपदे चित्रकला एवं संस्कृत के विद्वान तथा आधुनिक समय में वैदिक रीति से भारतीय शास्त्रों के आधार पर विमान के प्रथम आविष्कर्ता थे। विकिपीडिया जन्म: 1864, मुम्बई मृत्यु: 1916, भारत
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== इतिहास ==
== इतिहास ==
[[चित्र:Smithsonian Air and Space Planes.jpg|right|thumb|300px|संग्रहालय में रखे पुराने विमान (नेशनल म्युजियम ऑफ एयर ऐण्ड स्पेस, वाशिंगटन डीसी)]]
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आधुनिक वायुयान को सबसे पहले शिवकर बापूजी तलपदे चित्रकला एवं संस्कृत के विद्वान तथा आधुनिक समय में वैदिक रीति से भारतीय शास्त्रों के आधार पर विमान के प्रथम आविष्कर्ता थे। विकिपीडिया
आधुनिक वायुयान को सबसे पहले शिवकर बापूजी तलपदे के द्वारा बनाया गया था । शिवकर बापूजी चित्रकला एवं संस्कृत के विद्वान तथा आधुनिक समय में वैदिक रीति से भारतीय शास्त्रों के आधार पर विमान के प्रथम आविष्कर्ता थे। विकिपीडिया
जन्म: 1864, मुम्बई
जन्म: 1864, मुम्बई
मृत्यु: 1916, भारत
मृत्यु: 1916, भारत


[राइट बंधु|राइट बंधुओं]] ने बाद में शिवकर बापूजी तलपदे से प्रेरित होकर बनाया था। विल्वर और ओरविल में केवल चार साल का अंतर था। जिस समय उन्हें हवाई जहाज बनाने का ख्याल आया, उस समय विल्वर सिर्फ 11 साल का था और ओरविल की उम्र थी
[राइट बंधु|राइट बंधुओं]] ने बाद में शिवकर बापूजी तलपदे से प्रेरित होकर वायुयान बनाया था। विल्वर और ओरविल में केवल चार साल का अंतर था। जिस समय उन्हें हवाई जहाज बनाने का ख्याल आया, उस समय विल्वर सिर्फ 11 साल का था और ओरविल की उम्र थी
7 साल। हुआ यूं कि एक दिन उनके पिता उन दोनों के लिए एक उड़ने वाला खिलौना लाए। यह खिलौना बांस, कार्क, कागज और रबर के छल्लों का बना था। इस खिलौने को उड़ता देख विल्वर और ओरविल के मन में भी आकाश में उड़ने का विचार आया। उन्होंने निश्चय किया कि वे भी एक ऐसा खिलौना बनाएंगे।
7 साल। हुआ यूं कि एक दिन उनके पिता उन दोनों के लिए एक उड़ने वाला खिलौना लाए। यह खिलौना बांस, कार्क, कागज और रबर के छल्लों का बना था। इस खिलौने को उड़ता देख विल्वर और ओरविल के मन में भी आकाश में उड़ने का विचार आया। उन्होंने निश्चय किया कि वे भी एक ऐसा खिलौना बनाएंगे।



09:03, 7 फ़रवरी 2019 का अवतरण

एक बोईंग ७८७ ड्रीमलाइनर विमान हवा में उड़ान भरता हुआ

वायुयान ऐसे यान को कहते है जो धरती के वातावरण या किसी अन्य वातावरण में उड सकता है। किन्तु राकेट, वायुयान नहीं है क्योंकि उडने के लिये इसके चारो तरफ हवा का होना आवश्यक नहीं है।

इतिहास

संग्रहालय में रखे पुराने विमान (नेशनल म्युजियम ऑफ एयर ऐण्ड स्पेस, वाशिंगटन डीसी)

आधुनिक वायुयान को सबसे पहले शिवकर बापूजी तलपदे के द्वारा बनाया गया था । शिवकर बापूजी चित्रकला एवं संस्कृत के विद्वान तथा आधुनिक समय में वैदिक रीति से भारतीय शास्त्रों के आधार पर विमान के प्रथम आविष्कर्ता थे। विकिपीडिया जन्म: 1864, मुम्बई मृत्यु: 1916, भारत

[राइट बंधु|राइट बंधुओं]] ने बाद में शिवकर बापूजी तलपदे से प्रेरित होकर वायुयान बनाया था। विल्वर और ओरविल में केवल चार साल का अंतर था। जिस समय उन्हें हवाई जहाज बनाने का ख्याल आया, उस समय विल्वर सिर्फ 11 साल का था और ओरविल की उम्र थी 7 साल। हुआ यूं कि एक दिन उनके पिता उन दोनों के लिए एक उड़ने वाला खिलौना लाए। यह खिलौना बांस, कार्क, कागज और रबर के छल्लों का बना था। इस खिलौने को उड़ता देख विल्वर और ओरविल के मन में भी आकाश में उड़ने का विचार आया। उन्होंने निश्चय किया कि वे भी एक ऐसा खिलौना बनाएंगे।

इसके बाद वे दोनों एक के बाद एक कई मॉडल बनाने में जुट गए। अंतत: उन्होंने जो मॉडल बनाया, उसका आकार एक बड़ी पतंग सा था। इसमें ऊपर तख्ते लगे हुए थे और उन्हीं के सामने छोटे-छोटे दो पंखे भी लगे थे, जिन्हें तार से झुकाकर अपनी मर्जी से ऊपर या नीचे ले जाया जा सकता था। बाद में इसी यान में एक सीधी खड़ी पतवार भी लगायी गयी। इसके बाद राइट भाइयों ने अपने विमान के लिए 12 हॉर्सपावर का एक deasel इंजन बनाया और इसे वायुयान की निचली लाइन के दाहिने और निचले पंख पर फिट किया और बाईं ओर पायलट के बैठने की सीट बनाई।

राइट बंधुओं के प्रयोग काफी लंबे समय तक चले। तब तक वे काफी बड़े हो गये थे और अपने विमानों की तरह उनमें भी परिपक्वता आ गयी थी। आखिर में 1903 में 17 दिसम्बर को उन्होंने अपने वायुयान का परीक्षण किया। पहली उड़ान ओरविल ने की। उसने अपना वायुयान 36 मीटर की ऊंचाई तक उड़ाया। इसी यान से दूसरी उड़ान विल्वर ने की। उसने हवा में लगभग 200 फुट की दूरी तय की। तीसरी उड़ान फिर ओरविल ने और चौथी और अन्तिम उड़ान फिर विल्वर ने की। उसने 850 फुट की दूरी लगभग 1 मिनट में तय की। यह इंजन वाले जहाज की पहली उड़ान थी। उसके बाद नये-नये किस्म के वायुयान बनने लगे। पर सबके उड़ने का सिद्धांत एक ही है।

वायुयान के विभिन्न प्रकार

Airfoil having extended by a few degrees flaps

मुख्य रूप से वायुयानों को दो वर्गों में बांटा जा सकता है:

  • हवा से हल्के (एरोस्टैट्स)
  • हवा से भारी (एरोडाइन्स)

एरोस्टैट्स

एरोस्टैट्स, हवा में उडने के लिये उत्प्लावन बल (bouancy) का सहारा लेते हैं। (ठीक उसी तरह जैसे पानी में लोहे का बना जलयान (शिप) तैरता है)

एरोडाइन्स

हवा से भारी वायुयान, किसी ऐसी युक्ति का प्रयोग करते हैं जिससे हवा या गैस को नीचे की तरफ दबाकर वे अपने भार के बावजूद हवा में तैरते रह सकते हैं।

एरोडाइन्स के भी अनेक प्रकार होते हैं:

एरोप्लेन (विमान)

तकनीकी रूप से इन्हें fixed-wing aircraft कहा जाता है।

रोटोक्राफ्ट

रोटोक्राफ्ट या रोटोरक्राफ्ट में घूर्णन करने वाले पंखे (रोटर) लगे होते हैं। इन पंखों के ब्लेड एरोफ्वायल सेक्शन वाले होते हैं। हेलिकाप्टर, आटोगाइरो आदि इसके उदाहरण हैं। it flying with deasel engine

वायुयान का घूर्णन मुख्यतः तीन अक्षों के परितः हो सकता है, जिन्हें रोल, पिच तथा 'या' कहते हैं।

उपयोग के आधार पर वायुयानों का वर्गीकरण

  • सैन्य वायुयान
  • नागरिक वायुयान

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

इतिहास

सूचना और ज्ञान