"मुहम्मद अज़ीज़": अवतरणों में अंतर

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'''मुहम्मद अज़ीज़''' हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध गायक थे
'''मुहम्मद अज़ीज़''' (2 जुलाई 1954 27 नवम्बर 2018) भारतीय सिनेमा में पार्श्व गायक थे जिन्होंने मुख्यतः बंगाली और ओडिआ फ़िल्मों में गाने गाये।
==जीवन==
उन्होंने ''ज्योति'' नामक बंगाली फ़िल्म से फिल्मों में पार्श्व गायन आरम्भ किया।<ref>{{cite web|title=Veteran Singer Mohammed Aziz Dies At 64|trans-title=वयोवृद्ध गायक मुहम्मद अज़ीज़ का ६४ वर्ष की आयु में निधन |url=https://www.ndtv.com/entertainment/veteran-singer-mohammed-aziz-dies-at-64-1954262 |date=२७ नवम्बर २०१८ |publisher=एनडीटीवी |access-date=३० दिसम्बर २०१८|language=en}}</ref> 27 नवम्बर 2018 को उनका मुम्बई में निधन हो गया।<ref>{{cite web|title=Singer Mohammed Aziz passes away |trans-title=गायक मुहम्मद अज़ीज़ चल बसे |url=https://www.thehindu.com/entertainment/music/singer-mohammed-aziz-passes-away/article25607263.ece |date=२७ नवम्बर २०१८ |publisher=द हिन्दू |access-date=३० दिसम्बर २०१८|language=en}}</ref><ref>{{cite web|title=मोहम्मद अजीज का निधन, अमिताभ की फिल्म से हुए थे मशहूर |url=https://aajtak.intoday.in/story/mohammed-aziz-aka-munna-bhai-bollywood-singer-died-tmov-1-1043212.html |date=२७ नवम्बर २०१८ |publisher=आजतक |access-date=३० दिसम्बर २०१८}}</ref>


==सन्दर्भ==
पूर्ण/जन्म नाम:— सयद मोहम्मद अज़ीज-उन-नबी
{{reflist}}


==बाहरी कड़ियाँ==
उपनाम:— अज़ीज,मुन्ना
* {{IMDb name|id=0044297}}

जन्म:— 2 जुलाई 1954
अशोकनगर, कल्यान नगर,
पश्चिम बंगाल, भारत

संगीत शैलियां:— भारतीय शास्त्रीय संगीत,
पोप संंगीत, जैज़,
भारतीय संगीत, पर्श्व गायकी

व्यवसाय:— पार्श्वगायक

सक्रिय वर्ष:— 1982-2018


{{प्रारंभिक जीवन—अधार}}

उनका उपनाम मुन्ना था और उनका असली नाम सैयद मोहम्मद अज़ीज़-अन-नबी था। उनका जन्म गुमा, उत्तरी 24 परगना, पश्चिम बंगाल, भारत में हुआ था। संगीत और मोहम्मद रफी के उत्साही प्रेमी होने के नाते, उन्होंने बचपन से गायन शुरू किया। [उद्धरण वांछित]

अजीज ने बंगाली भाषा की फिल्म ज्योति में अपनी फिल्म की शुरुआत की। वह 1984 में एक निर्माता के रिश्तेदार के संदर्भ के साथ मुंबई आए। [उद्धरण वांछित] उनकी पहली हिंदी फिल्म अंबर (1984) थी।

{{जीवन-यात्रा}}

अजीज ने कोलकाता में गालिब रेस्तरां में गायक के रूप में अपना संगीत कैरियर शुरू किया। जहां उनकी पहली हिंदी फिल्म 'अम्बर' थी। उन्हीं दिनों मनमोहन देसाई अमिताभ बच्चन को लेकर फिल्म 'मर्द' बना रहे थे. इस फिल्म के म्यूजिक डायरेक्टर थे अनु मलिक। मोहम्मद अजीज और अनु मलिक संघर्ष के दिनों से एक-दूसरे को जानते थे. दोनों की सहानुभूति और संवेदना भी एक-दूसरे से जुड़ी थी. अनु मलिक मोहम्मद अजीज के फन से वाकिफ भी थे, और जानते थे कि इस फनकार को एक सही मौके की तलाश भर है. इसीलिए उन्होंने अजीज को 'मर्द' फिल्म के लिए टाइटल सॉन्ग 'मर्द टांगेवाला, मैं हूं मर्द टांगेवाला, मुझे दुश्मन क्या मारेगा, मेरा दोस्त ऊपरवाला...' गाने का मौका दिया. यह गाना जबरदस्त हिट हुआ. मोहम्मद अजीज चूंकि बॉलीवुड में तब नये थे, तो लोगों को लगा कि यह गाना यह शब्बीर कुमार ने गाया है। जो भी हो 'मर्द टांगेवाला...' मोहम्मद अजीज के करियर का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। इस गाने के बाद तो अजीज की चल निकली। अपने तीन दशक लंबे करियर में मोहम्मद अजीज ने जो उड़ान भरी, उसने इतिहास बना दिया। उन्होंने बॉलीवुड को एक से बढ़कर एक हिट गाने दिए। जिसमें 'लाल दुपट्टा मलमल का', 'मैं से मीना से न साकी से', 'माई नेम इज लखन', 'तू ना जा मेरे बादशाह', 'दुनिया में कितना गम है' 'कसम से कसम से' 'ये जीवन जितनी बार मिले' जैसे सुपर-डुपर हिट गाने शामिल हैं।

अपने तीन दशक लंबे करियर में मोहम्मद अजीज को कल्याणजी-आनंदजी, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल, राहुल देव बर्मन, नौशाद, ओपी नैय्यर, बप्पी लाहिड़ी, राजेश रोशन, राम-लक्ष्मण, रवींद्र जैन, उषा खन्ना, आनंद-मिलिंद, नदीम-श्रवण, जतिन-ललित, अनु मलिक, दामोदार राव, आनंद राज आनंद और आदेश श्रीवास्तव जैसे म्यूजिक डायरेक्टर्स के साथ गाना गाने का मौका मिला। एक समय में बॉलीवुड के सुपरहिट प्लेबैक सिंगर बन चुके मो अजीज के करियर में ऐसा दौर भी आया, जब वह काम के अभाव में घर पर बैठ गये और धीरे-धीरे गुमनामी के अंधेरों में खो गये।

अज़ीज़ ने ओडिया फिल्म उद्योग में काम किया और 1985 से कई ओडिया भजन, निजी एल्बम और ओडिया फिल्म गीत गाए। उनके कुछ ओडिया भजन (भगवान जगन्नाथ के भजन) प्रसिद्ध हैं। उन्होंने भारत और विदेशों में मंच शो प्रदर्शन किए हैं। और उन्हें सर्वश्रेष्ठ पुरुष प्लेबैक गायक पुरस्कार के लिए दो बार नामित किया गया है। मोहम्मद। अज़ीज़ लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के बहुत करीब थे; लक्ष्मी-प्यारे के बाद, उनका करियर नीचे चला गया और अन्य संगीत निर्देशक कुमार सानू, उदित नारायण जैसे अन्य गायकों को ले गए। [उद्धरण वांछित]

वह दुर्लभ गायकों में से एक थे जो 7 वें नोट (सातवें सुर) में गा सकते हैं - उनका एक उदाहरण "सारे शिकवे गिले भुला के कहो" है। लक्ष्मी-प्यारे ने उनकज गायन को बहुत जल्दी पहचान लिया और उन्हें अपनी कई फिल्मों में गाने का मौका दिए। [उद्धरण वांछित]

उन्होंने अमिताभ बच्चन, गोविंदा, ऋषि कपूर, मिथुन चक्रवर्ती, सनी देओल, अनिल कपूर और कई अन्य प्रसिद्ध कलाकारों के लिए प्लेबैक गायन किया। बॉलीवुड में, लता मंगेशकर, आशा भोंसले, अनुराधा पौडवाल और कविता कृष्णमूर्ति जैसे प्रमुख महिला गायकों के साथ उनके युगल बेहद लोकप्रिय थे। उनका दो संगीत प्रतिभा जोड़ी लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के साथ उनका सहयोग इस हद तक सफल रहा कि 1980 के दशक के उत्तरार्ध और 1990 के दशक के अंत में उन्हें अपने चरम पर मोहम्मद रफी का उत्तराधिकारी माना जाता था।

अज़ीज़ ने विभिन्न भारतीय भाषाओं में कुल 19000 से ज्यदा गीत गाए। [उद्धरण वांछित]

मुहम्मद अज़ीज़ को रफी साहब का वारिस कहा जाता था।
27 नवंबर 2018 में हार्ट अटैक से 64 साल की उम्र में उनकी मृत्यु हो गयी।
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10:59, 30 दिसम्बर 2018 का अवतरण

मुहम्मद अज़ीज़ (2 जुलाई 1954 – 27 नवम्बर 2018) भारतीय सिनेमा में पार्श्व गायक थे जिन्होंने मुख्यतः बंगाली और ओडिआ फ़िल्मों में गाने गाये।

जीवन

उन्होंने ज्योति नामक बंगाली फ़िल्म से फिल्मों में पार्श्व गायन आरम्भ किया।[1] 27 नवम्बर 2018 को उनका मुम्बई में निधन हो गया।[2][3]

सन्दर्भ

  1. "Veteran Singer Mohammed Aziz Dies At 64" [वयोवृद्ध गायक मुहम्मद अज़ीज़ का ६४ वर्ष की आयु में निधन] (अंग्रेज़ी में). एनडीटीवी. २७ नवम्बर २०१८. अभिगमन तिथि ३० दिसम्बर २०१८.
  2. "Singer Mohammed Aziz passes away" [गायक मुहम्मद अज़ीज़ चल बसे] (अंग्रेज़ी में). द हिन्दू. २७ नवम्बर २०१८. अभिगमन तिथि ३० दिसम्बर २०१८.
  3. "मोहम्मद अजीज का निधन, अमिताभ की फिल्म से हुए थे मशहूर". आजतक. २७ नवम्बर २०१८. अभिगमन तिथि ३० दिसम्बर २०१८.

बाहरी कड़ियाँ