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[[File:Prismes.jpg|thumb|upright|right|तीन प्रिज़्म]]
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[[चित्र:Prism rainbow schema.png|thumb|upright|right|इस प्रिज़्म के पदार्थ का अपवर्तनांक प्रकाश की आवृत्ति के अनुसर अलग-अलग है। इस कारण से इस पर आपतित प्रकाश बाहर निकलने पर अलग-अलग रंगों में बंटा हुआ दिखता है। ]]
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[[प्रकाशिकी]] में, '''प्रिज़्म''' (Prism / '''संक्षेत्र''' या '''क्रकच आयत''') एक सपाट चिकनी सतहों वाला एक पारदर्शी प्रकाशीय अवयव है जो, [[प्रकाश]] का [[अपवर्तन]] करता है। कम से कम दो सपाट सतहों के मध्य एक कोण का होना अनिवार्य है। सतहों के मध्य के कोण की सटीकता उसके अनुप्रयोग पर निर्भर करती हैं। पारंपरिक रूप से संक्षेत्र उस ज्यामितीय आकार को परिभाषित करता है जिसका एक त्रिकोणीय आधार और आयताकार पक्ष होते हैं। कुछ प्रकाशीय संक्षेत्र वास्तव में एक ज्यामितीय संक्षेत्र के आकार के नहीं होते हैं। संक्षेत्रों को हर उस सामग्री से बनाया जा सकता है जो कि, उस तरंगदैर्य के लिए पारदर्शी हो जिसके लिए उन्हें तैयार किया जा रहा है। संक्षेत्रों का निर्माण मुख्यत: कांच, प्लास्टिक और फ्लुराइट से किया जाता है।
[[प्रकाशिकी]] में, '''प्रिज़्म''' (Prism / '''संक्षेत्र''' या '''क्रकच आयत''') एक सपाट चिकनी सतहों वाला एक पारदर्शी प्रकाशीय अवयव है जो, [[प्रकाश]] का [[अपवर्तन]] करता है। कम से कम दो सपाट सतहों के मध्य एक कोण का होना अनिवार्य है। सतहों के मध्य के कोण की सटीकता उसके अनुप्रयोग पर निर्भर करती हैं। पारंपरिक रूप से संक्षेत्र उस ज्यामितीय आकार को परिभाषित करता है जिसका एक त्रिकोणीय आधार और आयताकार पक्ष होते हैं। कुछ प्रकाशीय संक्षेत्र वास्तव में एक ज्यामितीय संक्षेत्र के आकार के नहीं होते हैं। संक्षेत्रों को हर उस सामग्री से बनाया जा सकता है जो कि, उस तरंगदैर्य के लिए पारदर्शी हो जिसके लिए उन्हें तैयार किया जा रहा है। संक्षेत्रों का निर्माण मुख्यत: कांच, प्लास्टिक और फ्लुराइट से किया जाता है। Minnat

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Class 10a


प्रिज़्म का प्रयोग प्रकाश को उसके संघटक वर्णक्रमीय रंगों ([[इंद्रधनुष|इंद्रधनुष के रंग]]) में तोड़ने के लिए किया जा सकता है। संक्षेत्रों को प्रकाश के [[परावर्तन]], अथवा प्रकाश के विभिन्न ध्रुवीकरण वाले संघटकों में विभाजित करने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
प्रिज़्म का प्रयोग प्रकाश को उसके संघटक वर्णक्रमीय रंगों ([[इंद्रधनुष|इंद्रधनुष के रंग]]) में तोड़ने के लिए किया जा सकता है। संक्षेत्रों को प्रकाश के [[परावर्तन]], अथवा प्रकाश के विभिन्न ध्रुवीकरण वाले संघटकों में विभाजित करने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।


==प्रिज़्म की कार्यप्रणाली ==
==्रिज़्म की कार्यप्रणाली ==
प्रकाश जब एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करता है तब उसकी गति परिवर्तित होती है (उदाहरण के लिए, वायु से संक्षेत्र के कांच से)। गति का यह परिवर्तन प्रकाश के अपवर्तन का कारण बनता है क्योंकि प्रकाश एक नए माध्यम में एक भिन्न कोण से प्रवेश करता है ([[हाइगेन्स का सिद्धांत]])।
प्रकाश जब एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करता है तब उसकी गति परिवर्तित होती है (उदाहरण के लिए, वायु से संक्षेत्र के कांच से)। गति का यह परिवर्तन प्रकाश के अपवर्तन का कारण बनता है क्योंकि प्रकाश एक नए माध्यम में एक भिन्न कोण से प्रवेश करता है ([[हाइगेन्स का सिद्धांत]])।



00:41, 30 दिसम्बर 2018 का अवतरण

तीन प्रिज़्म
इस प्रिज़्म के पदार्थ का अपवर्तनांक प्रकाश की आवृत्ति के अनुसर अलग-अलग है। इस कारण से इस पर आपतित प्रकाश बाहर निकलने पर अलग-अलग रंगों में बंटा हुआ दिखता है।

प्रकाशिकी में, प्रिज़्म (Prism / संक्षेत्र या क्रकच आयत) एक सपाट चिकनी सतहों वाला एक पारदर्शी प्रकाशीय अवयव है जो, प्रकाश का अपवर्तन करता है। कम से कम दो सपाट सतहों के मध्य एक कोण का होना अनिवार्य है। सतहों के मध्य के कोण की सटीकता उसके अनुप्रयोग पर निर्भर करती हैं। पारंपरिक रूप से संक्षेत्र उस ज्यामितीय आकार को परिभाषित करता है जिसका एक त्रिकोणीय आधार और आयताकार पक्ष होते हैं। कुछ प्रकाशीय संक्षेत्र वास्तव में एक ज्यामितीय संक्षेत्र के आकार के नहीं होते हैं। संक्षेत्रों को हर उस सामग्री से बनाया जा सकता है जो कि, उस तरंगदैर्य के लिए पारदर्शी हो जिसके लिए उन्हें तैयार किया जा रहा है। संक्षेत्रों का निर्माण मुख्यत: कांच, प्लास्टिक और फ्लुराइट से किया जाता है। Minnat

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Class 10a

प्रिज़्म का प्रयोग प्रकाश को उसके संघटक वर्णक्रमीय रंगों (इंद्रधनुष के रंग) में तोड़ने के लिए किया जा सकता है। संक्षेत्रों को प्रकाश के परावर्तन, अथवा प्रकाश के विभिन्न ध्रुवीकरण वाले संघटकों में विभाजित करने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

्रिज़्म की कार्यप्रणाली

प्रकाश जब एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करता है तब उसकी गति परिवर्तित होती है (उदाहरण के लिए, वायु से संक्षेत्र के कांच से)। गति का यह परिवर्तन प्रकाश के अपवर्तन का कारण बनता है क्योंकि प्रकाश एक नए माध्यम में एक भिन्न कोण से प्रवेश करता है (हाइगेन्स का सिद्धांत)।

सन्दर्भ

इन्हें भी देखें