"पत्थर के सनम": अवतरणों में अंतर

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'''पत्थर के सनम''' 1967 में बनी [[हिन्दी भाषा]] की फ़िल्म है। यह फ़िल्म नाडियाडवाला के बैनर के तले निर्मित है जिसे राजा नवाथे द्वारा निर्देशित किया गया है। इस फ़िल्म में [[मनोज कुमार]], [[वहीदा रहमान]], [[मुमताज़ (अभिनेत्री)|मुमताज़]], [[प्राण (अभिनेता)|प्राण]], [[महमूद]], [[ललिता पवार]] और [[अरुणा ईरानी]] ने मुख्य भूमिका निभाई है। इस फ़िल्म के गीतकार [[मजरुह सुल्तानपुरी]] थे और [[लक्ष्मीकांत प्यारेलाल]] की जोड़ी ने गीतों को स्वरबद्ध किया था।
'''पत्थर के सनम''' 1967 में बनी हिन्दी भाषा की फ़िल्म है। यह फ़िल्म नाडियाडवाला के बैनर के तले निर्मित है जिसे राजा नवाथे द्वारा निर्देशित किया गया है। इस फ़िल्म में [[मनोज कुमार]], [[वहीदा रहमान]], [[मुमताज़ (अभिनेत्री)|मुमताज़]], [[प्राण (अभिनेता)|प्राण]], [[महमूद]], [[ललिता पवार]] और [[अरुणा ईरानी]] ने मुख्य भूमिका निभाई है। इस फ़िल्म के गीतकार [[मजरुह सुल्तानपुरी]] थे और [[लक्ष्मीकांत प्यारेलाल]] की जोड़ी ने गीतों को स्वरबद्ध किया था।


== संक्षेप ==
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== संगीत ==
== संगीत ==
इस फ़िल्म के गीतकार थे [[मजरुह सुल्तानपुरी]] और गीतों को स्वरबद्ध किया था [[लक्ष्मीकांत प्यारेलाल]] की जोड़ी ने। इस फ़िल्म के गाने अपने ज़माने में काफ़ी मशहूर हुए थे।
इस फ़िल्म के गीतकार [[मजरुह सुल्तानपुरी]] थे और गीतों को [[लक्ष्मीकांत प्यारेलाल]] की जोड़ी ने स्वरबद्ध किया था। इस फ़िल्म के गाने अपने ज़माने में काफ़ी मशहूर हुए थे।
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==सन्दर्भ==
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== बाहरी कड़ियाँ ==
== बाहरी कड़ियाँ ==

17:29, 7 दिसम्बर 2018 का अवतरण

पत्थर के सनम

पत्थर के सनम का पोस्टर
निर्देशक राजा नवाथे
पटकथा अख़्तर-उल-ईमान
कहानी गुलशन नन्दा
निर्माता ए. ए. नाडियाडवाला
अभिनेता वहीदा रहमान,
मनोज कुमार,
मुमताज़,
महमूद,
प्राण
छायाकार सुधीन मजूमदार
संपादक बाबूभाई ठक्कर
संगीतकार लक्ष्मीकांत प्यारेलाल
निर्माण
कंपनी
फ़िल्मिस्तान
वितरक ए जी फ़िल्म्स
प्रदर्शन तिथि
1967
देश  भारत
भाषा हिन्दी

पत्थर के सनम 1967 में बनी हिन्दी भाषा की फ़िल्म है। यह फ़िल्म नाडियाडवाला के बैनर के तले निर्मित है जिसे राजा नवाथे द्वारा निर्देशित किया गया है। इस फ़िल्म में मनोज कुमार, वहीदा रहमान, मुमताज़, प्राण, महमूद, ललिता पवार और अरुणा ईरानी ने मुख्य भूमिका निभाई है। इस फ़िल्म के गीतकार मजरुह सुल्तानपुरी थे और लक्ष्मीकांत प्यारेलाल की जोड़ी ने गीतों को स्वरबद्ध किया था।

संक्षेप

मीना (मुमताज़) शहर में पढ़ने वाली एक अमीर ठाकुर (रामायण तिवारी) की बेटी है जिसकी गांव में अपनी ज़मीनदारी है। मीना शहर से गांव छुट्टियों में ट्रेन से आ रही थी और उस ट्रेन में उसकी मुलाकात एक मनचले लड़के (मनोज कुमार) से होती है जो उसे थोड़ा परेशान करता है। गांव पहुँचकर मीना सीधे अपनी दोस्त तरुणा (वहीदा रहमान) से मिलने जाती है। जब दोनों दोस्त मीना के घर में होती हैं तब वह मनचला लड़का मीना के घर पहुँचता है और तब दोनों को पता चलता है कि उसका नाम राजेश है और उसे मीना के पिता ने अपनी जायदाद का मैनेजर रख लिया है। मीना तरुणा के साथ मिलकर राजेश को सबक सिखाने की योजना बनाती है और दोनों मिलकर राजेश से प्यार का नाटक करती हैं। एक दिन राजेश चोरी से उनकी बातें सुन लेता है और उनके साथ उन्हीं का खेल खेलने लगता है। दोनों को राजेश से प्यार हो जाता है और मीना और तरुणा में अनबन हो जाती है। मीना तरुणा को याद दिलाती है कि तरुणा की शादी बचपन में ही एक ठेकेदार भगतराम (प्राण) के साथ तय हो गयी थी। भगतराम बुरा आदमी है और ठाकुर साहब के सेव की फ़सल का ठेका लेकर उनको ठगता है। इधर राजेश भगतराम के ठगी के इरादों को नाकामयाब बनाने की कोशिश करता है तो भगतराम उसे अपने आदमियों से पिटवाता है। चोट खाये राजेश की देखभाल के लिये उसकी माँ शान्ती देवी (ललिता पवार) भी गाँव आ जाती है। राजेश और तरुणा को हक़ीकत में आपस में प्यार हो जाता है। ठाकुर साहब और शान्ती देवी दोनों ही चाहते हैं कि राजेश और मीना का विवाह हो। शान्ती देवी तरुणा के पास जाकर उसे बताती है कि ठाकुर ने जायदाद की ख़ातिर शान्ती देवी के पति की हत्या कर दी थी और उसने ठाकुर से बदला लेने के लिये अपना बच्चा उसके बच्चे के साथ बदल दिया था। दरअसल राजेश ठाकुर का लड़का है और मीना शान्ती देवी की लड़की है। शान्ती देवी तरुणा से कहती है कि उसने सारी ज़िन्दगी मुश्किल में बितायी है और अब जब ख़ुशी का मौका आया है तो तरुणा आड़े आ गयी है। मीना यह सारी बातें सुन लेती है।

उधर भगतराम राजेश को मरवाने के लिये अपने आदमी भेजता है लेकिन मीना बीच में आ जाती है और राजेश पर चलायी गोली उसे लग जाती है। मरने से पहले मीना राजेश को सारी सच्चाई बता देती है। भगतराम तरुणा को क़ैद कर उससे शादी रचाने का मन बना लेता है। राजेश तरुणा को छुड़ाने के लिये वहाँ पहुँचता है। दोनों में हाथापायी होती है लेकिन ठाकुर सही समय पर पहुँच कर भगतराम को गोली से मारकर, राजेश से अपने गुनाहों की माफ़ी मांगता है और अपने आप को पुलिस के हवाले कर देता है। राजेश और तरुणा शान्ती देवी से उनके साथ ही रहने का अनुरोध करते हैं।

मुख्य कलाकार

संगीत

इस फ़िल्म के गीतकार मजरुह सुल्तानपुरी थे और गीतों को लक्ष्मीकांत प्यारेलाल की जोड़ी ने स्वरबद्ध किया था। इस फ़िल्म के गाने अपने ज़माने में काफ़ी मशहूर हुए थे।

क्र॰शीर्षकगायकअवधि
1."महबूब मेरे महबूब मेरे"मुकेश, लता मंगेश्कर5:07
2."पत्थर के सनम"मोहम्मद रफ़ी4:59
3."तौबा ये मतवाली चाल"मुकेश7:23
4."कोई नहीं है"लता मंगेश्कर4:52
5."ऐ दुश्मन-ए-जान"आशा भोंसले5:00
6."बताऊँ क्या लाना"लता मंगेश्कर4:34

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ