"साल (वृक्ष)": अवतरणों में अंतर

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साल का वृक्ष एवं पुष्प सरना धर्म के लिए पवित्र और पूज्यनीय है।
साल का वृक्ष एवं पुष्प सरना धर्म के लिए पवित्र और पूज्यनीय है।
==चित्रदीर्घा==
==चित्रदीर्घा==
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Image:Sal (Shorea robusta)- trunk- strangulated by some ficus tree at Jayanti, Duars W Picture 119.jpg|Sala trunk strangulated by ficus tree at Jayanti.
Image:Sal (Shorea robusta)- old leaf at Jayanti, Duars W Picture 122.jpg|Old leaf at Jayanti.
Image:Sal (Shorea robusta)- flowering canopy W Picture 117.jpg|Flowering canopy at Jayanti.
File:India, tre dee, salabhanjika, periodo hoysala 1150-1200 da Karnataka.JPG|Salabhanjika or "sal tree maiden", [[Hoysala]] sculpture, [[Belur]], [[Karnataka]]
File:Trunk of Shorea robust, Shala tree, শাল গাছ.jpg|বাংলাদেশের [[লাউয়াছড়া জাতীয় উদ্যান|লাউয়াছড়া জাতীয় উদ্যানে]] শাল গাছের কান্ডের একটি দৃশ্য। ২০১৬।
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==इन्हें भी देखें==
==इन्हें भी देखें==

05:08, 3 दिसम्बर 2018 का अवतरण

साल
Shorea robusta

वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत: पादप
(unranked) युडिकॉट​ (Eudicots)
(unranked) ऐस्टरिड​ (Asterids)
गण: मैलवेलीस (Malvales)
कुल: डाइप्टेरोकारपेसिए (Dipterocarpaceae)
वंश: सोरिया
जाति: एस. रोवसटा
द्विपद-नामकरण
सोरिया रोवसटा

शाल या साखू (Shorea robusta) एक द्विबीजपत्री बहुवर्षीय वृक्ष है। इसकी लकड़ी इमारती कामों में प्रयोग की जाती है। इसकी लकड़ी बहुत ही कठोर, भारी, मजबूत तथा भूरे रंग की होती है।

इसे संस्कृत में अग्निवल्लभा, अश्वकर्ण या अश्वकर्णिका कहते हैं।

साल या साखू (Sal) एक वृंदवृत्ति एवं अर्धपर्णपाती वृक्ष है जो हिमालय की तलहटी से लेकर ३,०००-४,००० फुट की ऊँचाई तक और उत्तर प्रदेश, बंगाल, बिहार तथा असम के जंगलों में उगता है। इस वृक्ष का मुख्य लक्षण है अपने आपको विभिन्न प्राकृतिक वासकारकों के अनुकूल बना लेना, जैसे ९ सेंमी से लेकर ५०८ सेंमी वार्षिक वर्षा वाले स्थानों से लेकर अत्यंत उष्ण तथा ठंढे स्थानों तक में यह आसानी से उगता है। भारत, बर्मा तथा श्रीलंका देश में इसकी कुल मिलाकर ९ जातियाँ हैं जिनमें शोरिया रोबस्टा (Shorea robusta Gaertn f.) मुख्य हैं।

इस वृक्ष से निकाला हुआ रेज़िन कुछ अम्लीय होता है और धूप तथा औषधि के रूप में प्रयोग होता है। तरुण वृक्षों की छाल में प्रास लाल और काले रंग का पदार्थ रंजक के काम आता है। बीज, जो वर्षा के आरंभ काल के पकते हैं, विशेषकर अकाल के समय अनेक जगहों पर भोजन में काम आते हैं।

इस वृक्ष की उपयोगिता मुख्यत: इसकी लकड़ी में है जो अपनी मजबूती तथा प्रत्यास्थता के लिए प्रख्यात है। सभी जातियों की लकड़ी लगभग एक ही भाँति की होती है। इसका प्रयोग धरन, दरवाजे, खिड़की के पल्ले, गाड़ी और छोटी-छोटी नाव बनाने में होता है। केवल रेलवे लाइन के स्लीपर बनाने में ही कई लाख घन फुट लकड़ी काम में आती है। लकड़ी भारी होने के कारण नदियों द्वारा बहाई नहीं जा सकती। मलाया में इस लकड़ी से जहाज बनाए जाते हैं।

संस्कृतिक महत्व

हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार साल वृक्ष विष्णु को बहुत प्रिय है। बौद्ध धर्म में भी यह पवित्र है क्योंकि रानी माया ने साल वृक्ष के नीचे ही महात्मा बुद्ध को जन्म दिया था।

छत्तीसगढ़ में एक साल का वृक्ष

साल का वृक्ष एवं पुष्प सरना धर्म के लिए पवित्र और पूज्यनीय है।

चित्रदीर्घा

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