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[[चित्र:Manavta Mandir-1.jpg|thumb|right|300px|मानवता मंदिर, होशियारपुर, भारत.]]
'''मानवता मंदिर''' या '''मनुष्य बनो मंदिर''' की स्थापना [[बाबा फकीर चंद]] (१८८६- १९८१) ने [[होशियारपुर]], [[पंजाब (भारत)|पंजाब]], [[भारत]] में वर्ष १९६२ में की थी।<ref>[http://books.google.co.in/books?id=slX3eRycszMC&pg=PA154&lpg=PA154&dq=david+lane+m+r+bhagat&source=bl&ots=YCGfCjI4xC&sig=BIFNBv2u0XwE3op6hEnuKvXDtuk&hl=en&ei=oDfUSur3FtCV8AaP24yLDQ&sa=X&oi=book_result&ct=result&resnum=2&ved=0CA8Q6AEwAQ#v=onepage&q=david%20lane%20m%20r%20bhagat&f=false.|गूगल बुक्स] पृ..154</ref> अपने मानवता धर्म के मिशन को फैलाने के लिए फकीर ने सेठ दुर्गा दास की वित्तीय सहायता से मंदिर की स्थापना की जो वर्ष १९८१ में उनके निधन तक उनका कार्यक्षेत्र बना रहा।<ref>{{cite web
|url=http://bhagatshaadi.com/megh/Sant%20Satguru%20Vaqt%20Ka%20Vasiyatnama.pdf. |title=संत सत्गुरु वक्त का वसीयतनामा |publisher=भगतशादी.कॉम |accessdate=8 नवंबर 2009
|publisher=कश्यप पब्लीकेशन
|year=2007
|title=संत सत्गुरु वक्त का वसीयतनामा
|publisher=भगतशादी.कॉम
|accessdate=8 नवंबर 2009
|title=संत सत्गुरु वक्त का वसीयतनामा
|author=भगत मुंशीराम
|language=
|ISBN=9788190550116}}</ref> फकीर लाइब्रेरी चैरीटेबल ट्रस्ट इस मंदिर का कामकाज देखता है। मंदिर में ही शिव देव राव एस.एस.के. हाई स्कूल चलाया जा रहा है जहाँ विद्यार्थियों से कोई फीस नहीं ली जाती। तथापि उनके माता-पिता को एक वचन-पत्र देना पड़ता है कि वे तीन से अधिक बच्चे पैदा नहीं करेंगे।<ref>{{cite web
|url=http://bhagatshaadi.com/megh/Sant%20Satguru%20Vaqt%20Ka%20Vasiyatnama.pdf.|title=संत सत्गुरु वक्त का वसीयतनामा|publisher=भगतशादी.कॉम |accessdate=8 नवंबर 2009
== इन्हें भी देखें ==
* [[बाबा फकीर चंद]]
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