"मणिबेन पटेल": अवतरणों में अंतर

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== जन्म और बाल्य ==
== जन्म और बाल्य ==

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17:35, 27 अक्टूबर 2018 का अवतरण

मणिबेन वल्लभभाई पटेल

मणिबेन का एक शान्त चित्र
जन्म ३/४/१९०३
बोरसद-गाँव, खेडा जिला (स्वतन्त्रता से पहले),
आणन्द जिला (अभी), गुजरात
मौत १३/१/१९६५
कमरमसद-गाँव, आणन्द जिला, गुजरात
प्रसिद्धि का कारण भारत के विभीषण
उल्लेखनीय कार्य {{{notable_works}}}

मणिबेन वल्लभभाई पटेल (०३ अप्रैल १९०३ - १९९० ; गुजराती: મણિબેન પટેલ) भारत की एक स्वतन्त्रता सेनानी तथा सांसद थीं। वे सरदार वल्लभभाई पटेल की पुत्री थीं। उनकी शिक्षा-दीक्षा मुम्बई में हुई थी। महात्मा गांधी की शिक्षाओं से प्रभावित होकर शिक्षा के बाद वे १९१८ के बाद से अहमदाबाद स्थित गांधीजी के आश्रम में ही रहकर राष्ट्र सेवा करतीं रहीं। उन्होने भारत की स्वतन्त्रा के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समार्पित कर दिया परन्तु स्वतन्त्र भारत में अपने वृद्धावस्था में उनके पास धन, मान, आवश्यक वस्तुओं का अभाव था। भारत की स्वन्त्रता के लिए जितने आन्दोलन लोहपुरुष ने किए हैं, उन सब में से अधिकतम आन्दोलनों में मणिबेन का बहुत योगदान रहा है। सत्याग्रहों में कठोर परिश्रम के पश्चात् कारागार में भी उन्होंने कारावास की कठोर पीडा सही हैं। राष्ट्रसेवा के लिए समर्पित वो महिला अविवाहिता रह कर आजीवन भारत के हित के लिए चिन्तन करती रही।

जन्म और बाल्य

१९०३ वर्ष के 'अप्रैल'-मास की तीसरी (३/४/१९०३) दिनांक पर गुजरातराज्य के खेडा जिले में मणिबेन का जन्म हुआ। उनके पिता सरदार वल्लभभाई पटेल भारत के महान् नेताओं में और महान् देशभक्तों मैं से एक थे। उनके मातृश्री का नाम झवेरबा था। मणिबेन जब सात वर्षीया थी, तब उनके मातृश्री निधन हो गया। मणिबेन का एक अनुज भी था। अतः उसके पोषण का दायित्व बाल्यकाल से ही मणिबेन के ऊपर आ पड़ा।

परिवार के सदस्य सरदार वल्लभभाई पटेल को बहुत समझाय कि, वे पुनर्विवाह कर लें। परन्तु दृढमन वाले सरदार वल्लभभाई पटेल बाले, “मैं विमाता का (Step mother's) दुःख अपने बच्चों के उपर डालना नहीं चाहता”। उसके बाद आजीवन मात का और पिता का दायित्व सरदार वल्लभभाई पटेल ने वहन किया। झवेरबा की मृत्यु के एकवर्ष बाद हि सरदार वल्लभभाई पटेल को पढने के लिए विदेश जाना पड़ गया। अतः उन्होंने अपने बच्चों को अपने अग्रज विठ्ठलभाई के पास भेज दिया। तब विठ्ठलभाई मुम्बई में निवास करते थे। मुम्बई में क्वीन् मेरी विद्यालय में मणिबेन का अभ्यास आरम्भ हुआ। परन्तु मुम्बई-महानगर के वातावरण में मणिबेन अस्वस्थ रहती थी। वैद्यों के औषध देने के बाद भी उनके स्वास्थ्य में कोई परिवर्तन न हुआ। पिता के वियोग से उनकी स्थिति ऐसी हो गई है, ये भी एक कारण था।