"राणा मोकल": अवतरणों में अंतर
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10:00, 25 अक्टूबर 2018 का अवतरण
मेवाड, राजस्थान के शिशोदिया राजवंश के शासक थे
राणा मोकल मेवाड़ के राणा लाखा तथा ( मारवाड़ की राजकुमारी ) रानी हंंसाबाई केे पुत्र थेे |
मेवाड़ राज्य की विषय परिस्थितियों का दौर राणा लाखा की मृत्यु के बाद प्रारंभ हो गया | राणा मोकल को परिस्थितियाँ विरासत के रूप में प्राप्त हुई, क्योंकि इनके पिता लाखा का विवाह मारवाड़ की राजकुमारी हंसाबाई से वृद्धावस्था में हुआ और बहुत जल्द ही राणा लाखा की मृत्यु हो गयी | मृत्यु के पश्चात् मेवाड़ का शासन हंसाबाई व उसके भाई राव रणमल केे हाथों में आ गया, कुुंवर चूड़ा अपने अपमान के कारण मांंडू ( मध्य प्रदेश) चला गया, राणा मोकल का शासनकाल 1421 ई.-1433 ई. के बीच माना जाता है |
राणा मोकल नेे अपनी पुत्री लाला मेेेवाड़ी का विवाह गागरोण के शासक अचलदास खींची सेे कर दी | उन्होंने 1428 ई. के रामपुरा युद्ध में नागौर शासक फिरोज खाँ को पराजित किया | मेवाड़ राज्य में राणा मोकल ने हिंदू परम्परा को स्थापित करने के लिए तुुुलादान पद्दति को लागू किया इस परम्परा के तहत् मंंदिरों के लिए सोना-चाँदी दान के रूप में दिया जाता था | महाराणाा मोकल ने एकलिंंगजी के मंदिर के परकोटे का निर्माण कराया | इसी प्रकार चित्तौड़ में स्थित त्रिभुवन नारायण मंदिर का पुनः निर्माण इन्ही के काल में हुुुआ ,जिसेे समधीश्ववर मंंदिर केे नाम से जाना जाता है | इसी प्रकार कुुुम्भा सेे पूूूर्व राणा मोकल ने मेवाड़ की धार्मिक आस्था को बनाए रखा |
राणा को स्थापत्य कला से भी प्रेम था इनके दरबार में फना , मना , विशल नामक वास्तुकार शोभा बढ़ाते थे| एकलिंंग मंदिर के परकोटे का निर्माण किया |
राणा मोकल की हत्या राणा क्षेेेत्र सिंह के दासीपुुत्र चाचा व मेरा द्वारा किए जाने के उपरांत 1433 ई. में महाराणा कुम्भा गद्दी पर बैठे |
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