"बेटा (फ़िल्म)": अवतरणों में अंतर
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'''बेटा''' [[इन्द्र कुमार]] द्वारा निर्देशित 1992 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। मुख्य भूमिकाओं में [[अनिल कपूर]], [[माधुरी दीक्षित]] और [[अरुणा ईरानी]] है। यह एक तमिल फिल्म की रीमेक है जिसमें [[राधा (अभिनेत्री)|राधा]] अभिंनेत्री थी। जो [[बी. पुट्टस्वामय्या]] द्वारा रचित एक कन्नड़ उपन्यास पर आधारित थी। बेटा 1992 की सबसे बड़ी हिट फिल्म थी। इसने पाँच [[फिल्मफेयर पुरस्कार]] जीते थे। इसका संगीत भी काफी लोकप्रिय हुआ था। |
'''बेटा''' [[इन्द्र कुमार]] द्वारा निर्देशित 1992 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। मुख्य भूमिकाओं में [[अनिल कपूर]], [[माधुरी दीक्षित]] और [[अरुणा ईरानी]] है। यह एक तमिल फिल्म की रीमेक है जिसमें [[राधा (अभिनेत्री)|राधा]] अभिंनेत्री थी। जो [[बी. पुट्टस्वामय्या]] द्वारा रचित एक कन्नड़ उपन्यास पर आधारित थी। बेटा 1992 की सबसे बड़ी हिट फिल्म थी। इसने पाँच [[फिल्मफेयर पुरस्कार]] जीते थे। इसका संगीत भी काफी लोकप्रिय हुआ था। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही और उस वर्ष सर्वाधिक कमाई करने वाली फिल्म बनी। |
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== संक्षेप == |
== संक्षेप == |
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अपनी मां के निधन के बाद, राजू को उसके पिता ने पाला, जो उसकी देखभाल करने में असमर्थ थे और फिर से शादी करने का फैसला करते हैं। वह लक्ष्मी से शादी करते हैं इसे न जाने कि वो एक भयानक और चालाक महिला है। विवाह के तुरंत बाद, |
अपनी मां के निधन के बाद, राजू को उसके पिता प्रेम ([[आकाश खुराना]]) ने पाला, जो उसकी देखभाल करने में असमर्थ थे और फिर से शादी करने का फैसला करते हैं। वह लक्ष्मी ([[अरुणा ईरानी]]) से शादी करते हैं इसे न जाने कि वो एक भयानक और चालाक महिला है। विवाह के तुरंत बाद, उसका भाई, तोताराम ([[अनुपम खेर]]) और उसकी पत्नी मैनावती ([[भारती अचरेकर]]) घर आ जाते हैं। भाई और बहन दोनों उसके पति को मानसिक रूप से असंतुलित घोषित करते हैं और उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया जाता है। राजू को बिना किसी शिक्षा और कौशल के पाला जाता है और वह अन्य मजदूरों की तरह संपत्ति पर काम करता है। |
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जब राजू बढ़ा होता है, तो वह अपनी सौतेली माँ के प्रति बहुत समर्पित होता है, जो चाहती है कि वह एक अशिक्षित लड़की से विवाह करे ताकि वह उन पर शासन कर सके। लेकिन राजू लक्ष्मी से शादी कर लेता है, जो शिक्षित है और यह जानने के लिए पर्याप्त चतुर है कि राजू का लाभ उठाया जा रहा है। जब लक्ष्मी राजू की ओर से हस्तक्षेप करती है, तो उसे अपमानित किया जाता है और खुद राजू द्वारा घर को छोड़ने के लिए कहा जाता है। लेकिन लक्ष्मी उसके पिता के कारण रहने का फैसला करती है और राजू से सौम्य व्यवहार करके लक्ष्मी के सारी योजना विफल करती है जिसमें राजू के सौतेले भाई रमेश ([[आदि ईरानी]]) के पैसे ऐंठने की योजना शामिल है। |
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कुछ साल बाद, सरस्वती गर्भवती हो जती है। तो लक्ष्मी को राजू के अजन्मे बच्चे (जो धन का वारिस बनेगा) को दूध में जहर के साथ मारने का प्रयास करती है। सरस्वती, अपनी सास की क्रूरता से सावधान और सतर्क रहती है। उसे इस योजना का पता लगता है और वो अपने पति को सूचित करती हैं। उसने उसके आरोपों पर विश्वास करने से इंकार कर दिया। राजू अपनी सौतेली माँ को साबित करने के लिये दूध पीता है और फिर खांसी में खून उगलता है। इस बिंदु पर, मृत्यु के निकट, राजू को पता चलता है कि वास्तव में सरस्वती ने जो उसकी माँ के बुरे इरादों के बारे में कहा सच है। अपने सामान्य निर्दोष तरीके से, वह कारण पूछता है और कहता है कि धन के लिए उसकी माँ को बस "पूछना" था - वह उसे सब कुछ देने के लिए खुशी से सहमत होता। वह लक्ष्मी को बताता है कि शांति से मरने की उसकी इच्छा पूरी हो जाएगी, अगर वह कम से कम एक बार दुर्भावना के बिना, उसे उसका "बेटा" कहे। उसके शब्द लक्ष्मी को इतना गहराई से छूते हैं कि उसे पता चलता है कि उसकी क्रूरता बहुत दूर तक चली गई है। |
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राजू के धीरे-धीरे ठीक होने पर फिल्म आगे बढ़ती है। अपनी सांसारिक संपत्ति को "माँ" को देकर वो अपनी पत्नी, पिता और अजन्मे बच्चे के साथ घर छोड़ने के लिए सहमत है। आखिरी पल में, लक्ष्मी ने उन्हें न छोड़ने और अपनी पछतावा साबित करने के लिए विनती की। वह कानूनी दस्तावेजों को फाँड़ देती है और उसे बताती है कि वह जो चाहती है वह उसका "बेटा" है। |
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== मुख्य कलाकार == |
== मुख्य कलाकार == |
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== संगीत == |
== संगीत == |
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"बेटा" का संगीत बहुत सफल हुआ था। [[आनंद-मिलिंद]] को फिल्मफेयर में सर्वश्रेष्ठ संगीतकार की श्रेणी में नामांकित किया गया था। लेकिन वह ''[[दीवाना (1992 फ़िल्म)|दीवाना]]'' के लिये [[नदीम श्रवण]] से हार गए। [[अनुराधा पौडवाल]] ने सर्वश्रेष्ठ गायिका के लिये लगातार तीसरे साल पुरस्कार प्राप्त किया। |
"बेटा" का संगीत बहुत सफल हुआ था। [[आनंद-मिलिंद]] को फिल्मफेयर में सर्वश्रेष्ठ संगीतकार की श्रेणी में नामांकित किया गया था। लेकिन वह ''[[दीवाना (1992 फ़िल्म)|दीवाना]]'' के लिये [[नदीम श्रवण]] से हार गए। [[अनुराधा पौडवाल]] ने सर्वश्रेष्ठ गायिका के लिये लगातार तीसरे साल पुरस्कार प्राप्त किया। आनंद-मिलिंद के अलावा दूसरे संगीतकारों द्वारा संगीतबद्ध गीत एल्बम में तो हैं लेकिन ना तो वो फ़िल्म में प्रस्तुत किये गए हैं और ना ही उन्हें श्रेय दिया गया। |
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| "धक धक करने लगा" |
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| "कोयल सी तेरी बोली" |
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| "सैयाँ जी से छुपके" |
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| उदित नारायण, अनुराधा पौडवाल |
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| "सजना मैं तेरी" |
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| अनुराधा पौडवाल, विपिन सचदेव |
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| 5 |
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| "भूल तो माँ से" |
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| उदित नारायण |
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| 02:17 |
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| "खुशियों का दिन आया" |
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| अनुराधा पौडवाल |
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| title2 = धक धक करने लगा |
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== परिणाम == |
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| extra2 = अनुराधा पौडवाल, उदित नारायण |
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=== बौक्स ऑफिस === |
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फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही और उस वर्ष सर्वाधिक कमाई करने वाली फिल्म बनी। |
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| music2 = आनंद-मिलिंद |
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| title3 = धड़कने साँसे जवानी जिंदगानी |
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== नामांकन और पुरस्कार == |
== नामांकन और पुरस्कार == |
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बेटा फिल्म के लिए माधुरी दीक्षित को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्म फेयर पुरस्कार प्रदान किया गया। |
बेटा फिल्म के लिए माधुरी दीक्षित को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्म फेयर पुरस्कार प्रदान किया गया। |
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* 1993 - [[फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार]] - [[अनिल कपूर]] |
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* 1993 - [[फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार]] - [[माधुरी दीक्षित]] |
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* 1993 - [[फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री पुरस्कार]] - [[अरुणा ईरानी]] |
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| [[फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार]] |
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| अरुणा ईरानी |
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| [[फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री पुरस्कार]] |
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| अनुराधा पौडवाल ("धक धक करने लगा") |
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| [[फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका पुरस्कार]] |
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साथ ही [[सरोज खान]] को "धक धक करने लगा" में [[नृत्यरचना]] के लिये फिल्मफेयर पुरस्कार प्राप्त हुआ था। |
साथ ही [[सरोज खान]] को "धक धक करने लगा" में [[नृत्यरचना]] के लिये फिल्मफेयर पुरस्कार प्राप्त हुआ था। |
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18:05, 21 अक्टूबर 2018 का अवतरण
बेटा | |
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बेटा का पोस्टर | |
निर्देशक | इन्द्र कुमार |
लेखक |
राजीव कौल प्रफुल्ल पारेख कमलेश पांडे (संवाद) |
पटकथा | ज्ञानदेव अग्निहोत्री |
निर्माता |
इन्द्र कुमार अशोक ठकेरिया |
अभिनेता |
अनिल कपूर, माधुरी दीक्षित, अरुणा ईरानी, अनुपम खेर, लक्ष्मीकांत बेर्डे |
छायाकार | बाबा आज़मी |
संगीतकार | आनंद-मिलिंद |
वितरक | मारुति इंटरनेशनल |
प्रदर्शन तिथियाँ |
3 अप्रैल, 1992 |
लम्बाई |
172 मिनट |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
बेटा इन्द्र कुमार द्वारा निर्देशित 1992 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। मुख्य भूमिकाओं में अनिल कपूर, माधुरी दीक्षित और अरुणा ईरानी है। यह एक तमिल फिल्म की रीमेक है जिसमें राधा अभिंनेत्री थी। जो बी. पुट्टस्वामय्या द्वारा रचित एक कन्नड़ उपन्यास पर आधारित थी। बेटा 1992 की सबसे बड़ी हिट फिल्म थी। इसने पाँच फिल्मफेयर पुरस्कार जीते थे। इसका संगीत भी काफी लोकप्रिय हुआ था। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही और उस वर्ष सर्वाधिक कमाई करने वाली फिल्म बनी।
संक्षेप
अपनी मां के निधन के बाद, राजू को उसके पिता प्रेम (आकाश खुराना) ने पाला, जो उसकी देखभाल करने में असमर्थ थे और फिर से शादी करने का फैसला करते हैं। वह लक्ष्मी (अरुणा ईरानी) से शादी करते हैं इसे न जाने कि वो एक भयानक और चालाक महिला है। विवाह के तुरंत बाद, उसका भाई, तोताराम (अनुपम खेर) और उसकी पत्नी मैनावती (भारती अचरेकर) घर आ जाते हैं। भाई और बहन दोनों उसके पति को मानसिक रूप से असंतुलित घोषित करते हैं और उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया जाता है। राजू को बिना किसी शिक्षा और कौशल के पाला जाता है और वह अन्य मजदूरों की तरह संपत्ति पर काम करता है।
जब राजू बढ़ा होता है, तो वह अपनी सौतेली माँ के प्रति बहुत समर्पित होता है, जो चाहती है कि वह एक अशिक्षित लड़की से विवाह करे ताकि वह उन पर शासन कर सके। लेकिन राजू लक्ष्मी से शादी कर लेता है, जो शिक्षित है और यह जानने के लिए पर्याप्त चतुर है कि राजू का लाभ उठाया जा रहा है। जब लक्ष्मी राजू की ओर से हस्तक्षेप करती है, तो उसे अपमानित किया जाता है और खुद राजू द्वारा घर को छोड़ने के लिए कहा जाता है। लेकिन लक्ष्मी उसके पिता के कारण रहने का फैसला करती है और राजू से सौम्य व्यवहार करके लक्ष्मी के सारी योजना विफल करती है जिसमें राजू के सौतेले भाई रमेश (आदि ईरानी) के पैसे ऐंठने की योजना शामिल है।
कुछ साल बाद, सरस्वती गर्भवती हो जती है। तो लक्ष्मी को राजू के अजन्मे बच्चे (जो धन का वारिस बनेगा) को दूध में जहर के साथ मारने का प्रयास करती है। सरस्वती, अपनी सास की क्रूरता से सावधान और सतर्क रहती है। उसे इस योजना का पता लगता है और वो अपने पति को सूचित करती हैं। उसने उसके आरोपों पर विश्वास करने से इंकार कर दिया। राजू अपनी सौतेली माँ को साबित करने के लिये दूध पीता है और फिर खांसी में खून उगलता है। इस बिंदु पर, मृत्यु के निकट, राजू को पता चलता है कि वास्तव में सरस्वती ने जो उसकी माँ के बुरे इरादों के बारे में कहा सच है। अपने सामान्य निर्दोष तरीके से, वह कारण पूछता है और कहता है कि धन के लिए उसकी माँ को बस "पूछना" था - वह उसे सब कुछ देने के लिए खुशी से सहमत होता। वह लक्ष्मी को बताता है कि शांति से मरने की उसकी इच्छा पूरी हो जाएगी, अगर वह कम से कम एक बार दुर्भावना के बिना, उसे उसका "बेटा" कहे। उसके शब्द लक्ष्मी को इतना गहराई से छूते हैं कि उसे पता चलता है कि उसकी क्रूरता बहुत दूर तक चली गई है।
राजू के धीरे-धीरे ठीक होने पर फिल्म आगे बढ़ती है। अपनी सांसारिक संपत्ति को "माँ" को देकर वो अपनी पत्नी, पिता और अजन्मे बच्चे के साथ घर छोड़ने के लिए सहमत है। आखिरी पल में, लक्ष्मी ने उन्हें न छोड़ने और अपनी पछतावा साबित करने के लिए विनती की। वह कानूनी दस्तावेजों को फाँड़ देती है और उसे बताती है कि वह जो चाहती है वह उसका "बेटा" है।
मुख्य कलाकार
- अनिल कपूर - राजू
- माधुरी दीक्षित - सरस्वती
- अरुणा ईरानी - लक्ष्मी देवी
- अनुपम खेर - तोताराम
- भारती अचरेकर - मैनावती
- लक्ष्मीकांत बेर्डे - पाँडु धोंदू भीकाजी
- आकाश खुराना - प्रेम, राजू के पिता
- आदि ईरानी - रमेश
- सत्येन कप्पू - श्यामलाल, सरस्वती के पिता
- कुनिका - रमेश की पत्नी
- रीटा भादुड़ी - नीता
संगीत
"बेटा" का संगीत बहुत सफल हुआ था। आनंद-मिलिंद को फिल्मफेयर में सर्वश्रेष्ठ संगीतकार की श्रेणी में नामांकित किया गया था। लेकिन वह दीवाना के लिये नदीम श्रवण से हार गए। अनुराधा पौडवाल ने सर्वश्रेष्ठ गायिका के लिये लगातार तीसरे साल पुरस्कार प्राप्त किया। आनंद-मिलिंद के अलावा दूसरे संगीतकारों द्वारा संगीतबद्ध गीत एल्बम में तो हैं लेकिन ना तो वो फ़िल्म में प्रस्तुत किये गए हैं और ना ही उन्हें श्रेय दिया गया।
क्र॰ | शीर्षक | गीतकार | संगीतकार | गायक | अवधि |
---|---|---|---|---|---|
1. | "कोयल सी तेरी बोली" | समीर | आनंद-मिलिंद | उदित नारायण, अनुराधा पौडवाल | 5:38 |
2. | "धक धक करने लगा" | समीर | आनंद-मिलिंद | अनुराधा पौडवाल, उदित नारायण | 7:18 |
3. | "धड़कने साँसे जवानी जिंदगानी" | दिलीप ताहिर | दिलीप सेन-समीर सेन | पंकज उधास, अनुराधा पौडवाल | 5:20 |
4. | "सैयाँ जी से छुपके" | समीर | आनंद-मिलिंद | अनुराधा पौडवाल, उदित नारायण | 7:30 |
5. | "सजना मैं मेरी तू मेरा" | समीर | आनंद-मिलिंद | अनुराधा पौडवाल, विपिन सचदेव | 7:14 |
6. | "कितना प्यारा ये चेहरा" | देव कोहली | नरेश शर्मा | अनुराधा पौडवाल, इन्द्रजीत | 4:40 |
7. | "भूल तो माँ से हो नहीं सकती" | समीर | आनंद-मिलिंद | उदित नारायण | 2:17 |
8. | "खुशियों का दिन आया" | समीर | आनंद-मिलिंद | अनुराधा पौडवाल | 5:57 |
9. | "नच मुंडिया नच मुंडिया" | देव कोहली | नरेश शर्मा | अनुराधा पौडवाल, विपिन सचदेव | 6:47 |
10. | "ये दो दिल है चंचल" | नक़्श लायलपुरी | अमर उत्पल | अनुराधा पौडवाल, बबला मेहता | 6:51 |
नामांकन और पुरस्कार
बेटा फिल्म के लिए माधुरी दीक्षित को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्म फेयर पुरस्कार प्रदान किया गया।
वर्ष | नामित कार्य | पुरस्कार | परिणाम |
---|---|---|---|
1993 | अनिल कपूर | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार | जीत |
माधुरी दीक्षित | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार | जीत | |
अरुणा ईरानी | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री पुरस्कार | जीत | |
अनुराधा पौडवाल ("धक धक करने लगा") | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका पुरस्कार | जीत |
साथ ही सरोज खान को "धक धक करने लगा" में नृत्यरचना के लिये फिल्मफेयर पुरस्कार प्राप्त हुआ था।