"राणा रायमल": अवतरणों में अंतर

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'''राणा रायमल''' (१४७३ - १५०९) [[मेवाड]] के [[राजपूत]] राजा थे। वे [[राणा कुम्भा]] के पुत्र थे। [[उदयसिंह प्रथम|ऊदा]] नेे जब अपने पिता महाराणा कुुम्भा की हत्या कर दी तब ऊदा मेवाड़ का शासक बना, लेकिन मेवाड़ के वफादार सामंतो को पितृृहंता व्यक्ति को एक शासक के रूप में नहीं देख सकते थेे, ऐसी परिस्थितियों में ऊदा मेवाड़ को छोड़कर माण्डू चला जाता है, लेेेकिन माण्डूू चला जाता है, लेकिन माण्डू में आकाशीय बिजली गिर जाने केे कारण ऊदा की मृत्यु हो जााती है | इस प्रकार ऊदा केे भाई राणा रायमल ने मेेेवाड़ का चलाया |
'''राणा रायमल''' (१४७३ - १५०९) [[मेवाड]] के [[राजपूत]] राजा थे। वे [[राणा कुम्भा]] के पुत्र थे। उन्होने [[उदय सिंह]] को परास्त करके राजगद्दी प्राप्त की क्योंकि उदय सिंह अपने पिता का हन्ता था।


उनके शासन के आरम्भिक दिनों मे ही [[मालवा]] के शासक घियास शाह ने चित्तौड़ पर आक्रमण किया किन्तु उसे सफलता नहीं मिली। इसके शीघ्र बाद गियास शाह के सेनापति जफर खान ने मेवाड़ पर आक्रमण किया किन्तु वह भी मण्डलगढ़ और खैराबाद में पराजित हुआ। [[राव जोधा]] की बेटी [[रानी श्रृंगार देवी]] से विवाह करके राठौरों से शत्रुता समाप्त कर दी। रायमल ने [[रायसिंह टोडा]] और [[अजमेर]] पर पुनः अधिकार कर लिया। उन्होने मेवाड़ को भी शक्तिशाली बनाया तथा [[चित्तौड़]] के [[एकनाथ जी|एकनाथ जी मंदिर]] का पुनर्निर्माण कराया।
उनके शासन के आरम्भिक दिनों मे ही [[मालवा]] के शासक घियास शाह ने चित्तौड़ पर आक्रमण किया किन्तु उसे सफलता नहीं मिली। इसके शीघ्र बाद गियास शाह के सेनापति जफर खान ने मेवाड़ पर आक्रमण किया किन्तु वह भी मण्डलगढ़ और खैराबाद में पराजित हुआ। [[राव जोधा]] की बेटी [[रानी श्रृंगार देवी]] से विवाह करके राठौरों से शत्रुता समाप्त कर दी। रायमल ने [[रायसिंह टोडा]] और [[अजमेर]] पर पुनः अधिकार कर लिया। उन्होने मेवाड़ को भी शक्तिशाली बनाया तथा [[चित्तौड़]] के [[एकनाथ जी|एकनाथ जी मंदिर]] का पुनर्निर्माण कराया।

08:47, 18 अक्टूबर 2018 का अवतरण

राणा रायमल (१४७३ - १५०९) मेवाड के राजपूत राजा थे। वे राणा कुम्भा के पुत्र थे। ऊदा नेे जब अपने पिता महाराणा कुुम्भा की हत्या कर दी तब ऊदा मेवाड़ का शासक बना, लेकिन मेवाड़ के वफादार सामंतो को पितृृहंता व्यक्ति को एक शासक के रूप में नहीं देख सकते थेे, ऐसी परिस्थितियों में ऊदा मेवाड़ को छोड़कर माण्डू चला जाता है, लेेेकिन माण्डूू चला जाता है, लेकिन माण्डू में आकाशीय बिजली गिर जाने केे कारण ऊदा की मृत्यु हो जााती है | इस प्रकार ऊदा केे भाई राणा रायमल ने मेेेवाड़ का चलाया |

उनके शासन के आरम्भिक दिनों मे ही मालवा के शासक घियास शाह ने चित्तौड़ पर आक्रमण किया किन्तु उसे सफलता नहीं मिली। इसके शीघ्र बाद गियास शाह के सेनापति जफर खान ने मेवाड़ पर आक्रमण किया किन्तु वह भी मण्डलगढ़ और खैराबाद में पराजित हुआ। राव जोधा की बेटी रानी श्रृंगार देवी से विवाह करके राठौरों से शत्रुता समाप्त कर दी। रायमल ने रायसिंह टोडा और अजमेर पर पुनः अधिकार कर लिया। उन्होने मेवाड़ को भी शक्तिशाली बनाया तथा चित्तौड़ के एकनाथ जी मंदिर का पुनर्निर्माण कराया।

राणा रायमल की कोई विशेष उपलब्धियाँ न होते हुए भी चित्तौड़ दुर्ग में अद्भुत जी के शिव मंदिर का निर्माण कराया | राणा के तीनों पुत्रों के बीच ( कुंवर पृथ्वीराज, जगमाल तथा राणा सांगा ) मेें मेेेवाड़ के उत्तराधिकारी के लिए संघर्ष प्रारंभ हो जाता हैै, कुुंवर पृथ्वीराज सेे पूूर्व भाई जगमाल की हत्या ईडर राज्य में कर दी गई तथा कुंवर पृथ्वीराज को बहनोई ने मौत के घाट उतार दिया | इस प्रकार राणा सांगा ने मेवाड़ राज्य मेंं पुुुनः अपनी खोई हुई शक्ति को स्थापित करने में महत्वपूर्ण निभाई |