"अखिल भारतीय मुस्लिम लीग": अवतरणों में अंतर

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अखिल भारतीय मुस्लिम लीग
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बंगाल बिभाजन के तत्कालीन बाद 1 ऑक्टोबर 1906 को आगा खा के नेतृत्व मे एक शिष्टमण्डल तत्कालीन वायसराय लार्ड मिंटो से मिलने शिमला पहुचा जिसमे केवल अभिजात्य वर्ग शामिल था जिसमे इन्होंने प्रथक निर्वाचन की माग की जिसे लार्ड मिंटो ने स्वीकार किया और कहा की आप केवल मुस्लिमो का प्रतिनिधित्व कर रहे हो तो आप अपनी पार्टी का नाम रख लो जिसके तहत ढाका के नवाव सलीमुल्ला ने 30 दिसम्बर 1906 को एक बैठक बुलायी जिसमे केवल मुस्लिम वर्ग शामिल था तो इसका नाम अखिल भारतीय मुस्लिम लीग रख दिया विजय
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'''अखिल भारतीय मुस्लिम लीग '''
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बंगाल बिभाजन के तत्कालीन बाद 1 ऑक्टोबर 1906 को आगा खा के नेतृत्व मे एक शिष्टमण्डल तत्कालीन वायसराय लार्ड मिंटो से मिलने शिमला पहुचा जिसमे केवल अभिजात्य वर्ग शामिल था जिसमे इन्होंने प्रथक निर्वाचन की माग की जिसे लार्ड मिंटो ने स्वीकार किया और कहा की आप केवल मुस्लिमो का प्रतिनिधित्व कर रहे हो तो आप अपनी पार्टी का नाम रख लो जिसके तहत ढाका के नवाव सलीमुल्ला ने 30 दिसम्बर 1906 को एक बैठक बुलायी जिसमे केवल मुस्लिम वर्ग शामिल था तो इसका नाम अखिल भारतीय मुस्लिम लीग रख दिया
बंगाल बिभाजन के तत्कालीन बाद 1 ऑक्टोबर 1906 को आगा खा के नेतृत्व मे एक शिष्टमण्डल तत्कालीन वायसराय लार्ड मिंटो से मिलने शिमला पहुचा जिसमे केवल अभिजात्य वर्ग शामिल था जिसमे इन्होंने प्रथक निर्वाचन की माग की जिसे लार्ड मिंटो ने स्वीकार किया और कहा की आप केवल मुस्लिमो का प्रतिनिधित्व कर रहे हो तो आप अपनी पार्टी का नाम रख लो जिसके तहत ढाका के नवाव सलीमुल्ला ने 30 दिसम्बर 1906 को एक बैठक बुलायी जिसमे केवल मुस्लिम वर्ग शामिल था तो इसका नाम अखिल भारतीय मुस्लिम लीग रख दिया

विजय


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07:44, 8 अक्टूबर 2018 का अवतरण

ऑल इंडिया मुस्लिम लीग का ध्वज

अखिल भारतीय मुस्लिम लीग बंगाल बिभाजन के तत्कालीन बाद 1 ऑक्टोबर 1906 को आगा खा के नेतृत्व मे एक शिष्टमण्डल तत्कालीन वायसराय लार्ड मिंटो से मिलने शिमला पहुचा जिसमे केवल अभिजात्य वर्ग शामिल था जिसमे इन्होंने प्रथक निर्वाचन की माग की जिसे लार्ड मिंटो ने स्वीकार किया और कहा की आप केवल मुस्लिमो का प्रतिनिधित्व कर रहे हो तो आप अपनी पार्टी का नाम रख लो जिसके तहत ढाका के नवाव सलीमुल्ला ने 30 दिसम्बर 1906 को एक बैठक बुलायी जिसमे केवल मुस्लिम वर्ग शामिल था तो इसका नाम अखिल भारतीय मुस्लिम लीग रख दिया

आधार

उपमहाद्वीप में मुसलमानों सरकार का अंत हो चुका था और भाग्य के सितम ऋरीफ़े के कारण १८५७ के स्वतंत्रता भी मुसलमान हार चुके थे अंग्रेजों ने चूंकि सरकार मुसलमानों से छीनी थी और गदर में भी मुसलमान ही पेश पीस थे इसलिए अंग्रेजों ने मुसलमानों पर ज़ुल्म व सितम की नज़र मज़कोर कर ली लाखों मुसलमानों को भी हमदर्दी से फांसी देकर मौत की घाट उतार ओया गया उनकी जायीदाएं सब् कर ली गई सरकारी नीतियां कुछ इस तरह तय कीं कि मुसलमानों का कारोबार नष्ट होने लगा वह मुसलमान जो बड़े ईलेशान महलों में शानदार इशरत जीवन व्यतीत करते थे आ ख वही मुसलमान टूटे फूट छोटे छोटे मकानून में रेखा जीवन जीने पर मजबूर हो गए अंग्रेज़ देश में अंग्रेजी शिक्षा चालू कर मुसलमान अपने बच्चों को अंग्रेजी शिक्षा नहीं दूधपीता चाहते थे क्योंकि वह गैर मुस्लिम आस्ताज़ह अपने बच्चों का प्रशिक्षण नहीं करवाना चाहते थे दूसरे यह कि अंग्रेज ने मकाराना सोच को बरोये कार लाते हुए स्कूलों से अरबी और फ़ारसी को समाप्त कर अंग्रेजी को चालू किया और साथ ही शुक्रवार की नमाज़ के लिए चिट्ठी देने से इनकार कर दिया इसलिए मुसलमानों ने अंग्रेजी शिक्षा का बहिष्कार किया जिससे उन्हें कोई सरकारी नौकरी नहीं मिलती थी किस्सा संक्षेप में, भारतीय मुसलमान शिक्षा, सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक रूप से पतन विकासशील थे दूसरी ओर अंग्रेज सभी मुहर बानियां पर थीं और उसके साथ कठी पतली विपक्ष और हिंदू हितों परस्त पार्टी के गठन के लिए अंग्रेज कानों दान ह्यूम ने अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस बनाई जो देखने से तो हिंदू मुस्लिम दोनों की पार्टी होने का दावा करती थी लेकिन वास्तव में केवल हिंदू मत के प्रतिनिधि दल था जो खुद को अंग्रेज का पसर मानती थी और अंग्रेज के बाद भारतीय मैन हिंदू राज विन्यास कर के मुसलमानाने हिंद अपना गुलाम बनाना चाहते हती थी तब मुसलमानों ने अपने अधिकारों की रक्षा के लिए १९०६ में ढाका स्थान पर ऑल इंडिया मुस्लिम लीग की स्थापना की। ऑल इंडिया मुस्लिम लीग का गठन १९०६ में ढाका स्थान पर अमल में आया। महमडिं शैक्षणिक सम्मेलन के वार्षिक अधिवेशन के समाप्त होने पर उपमहाद्वीप के विभिन्न राज्यों से आए मुस्लिम ईतिदीन ने ढाका नवाब सलीम अल्लाह खान की निमंत्रण पर एक विशेष सम्मेलन की। बैठक में फैसला किया गया कि मुसलमानों की राजनीतिक मार्गदर्शन के लिए एक राजनीतिक पार्टी का गठन किया जाए. याद रहे कि सर सैय्यद ने मुसलमानों को राजनीति से दूर रहने का सुझाव दिया था। लेकिन बीसवीं सदी के आरंभ से कुछ ऐसी घटनाओं उत्पन्न होने शुरू हुए कि मुसलमान एक राजनीतिक मंच बनाने की जरूरत महसूस करने लगे। ढाका बैठक की अध्यक्षता नवाब प्रतिष्ठा आलमलك ने की। नवाब मोहसिन आलमल कि; मोलानामहमद अली जौहर, मौलाना जफर अली खान, हकीम अजमल खां और नवाब सलीम अल्लाह खान समेत कई महत्त्वपूर्ण मुस्लिम आबरीन बैठक में मौजूद थे। मुस्लिम लीग का पहला राष्ट्रपति सर आग़ा खान को चुना गया। केंद्रीय कार्यालय अलीगढ़ में स्थापित हुआ। सभी राज्यों में शाखाएं बनाई गईं। ब्रिटेन में लंदन शाखा का अध्यक्ष सैयद अमीर अली को बनाया गया।[1]

पाकिस्तान के लिए संघर्ष

मुस्लिम लीग पाकिस्तान में

  1. पीएमएल एन
  2. पीएमएल क्यू
  3. मुस्लिम लीग मैं

सन्दर्भ