"खगड़िया": अवतरणों में अंतर

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'''खगड़िया''' [[बिहार]] का एक [[जिला]] है। यहाँ केले, मक्का और मिरची की खेती प्रचुर मात्रा में होती है। गंगा, कोसी तथा गंडक यहाँ की मुख्य नदियाँ हैं। यह बिहार के महत्वपूर्ण जिलों में से एक है। कात्यायनी, जननायक कर्पूरी ठाकुर इंटर उच्च विद्यालय और श्यामलाल नेशनल हाई स्कूल और अजगैबिनाथ महादेव यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थल है। इसका जिला मुख्यालय खगाड़िया शहर है। यह जिला सात नदियों गंगा, कमला बालन, कोशी, बूढ़ी गंडक,करहा, काली कोशी और बागमती से घिरा हुआ है। इसके अलावा, यह जिला सहरसा जिले के उत्तर, मुंगेर और बेगुसराय जिले के दक्षिण, भागलपुर और मधेपुरा जिले के पूर्व तथा बेगुसराय और समस्तीपुर जिले के पश्चिम से घिरा हुआ है। इस जगह को फरकिया के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि पांच शताब्दी पूर्व मुगल शासक के राजा अकबर ने ने मंत्री तोडरमल को यह निर्देश दिया कि वह सम्पूर्ण साम्राज्य का एक मानचित्र तैयार करें। लेकिन मंत्री इस क्षेत्र का मानचित्र तैयार करने में सफल नहीं हो सका क्योंकि यह जगह कठिन मैदानों, नदियों और सघन जंगलों से घिरी हुई थी। यहीं वजह है कि इस जगह को फरकिया नाम दिया गया था। वर्तमान समय में यहां फराकियांचल टाइम्स नामक साप्‍ताहिक अखबार भी निकलता है।
'''खगड़िया''' [[बिहार]] का एक [[जिला]] है। यहाँ केले, मक्का और मिरची की खेती प्रचुर मात्रा में होती है। गंगा, कोसी तथा गंडक यहाँ की मुख्य नदियाँ हैं। यह बिहार के महत्वपूर्ण जिलों में से एक है। कात्यायनी, श्यामलाल नेशनल हाई स्कूल और अजगैबिनाथ महादेव यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थल है। इसका जिला मुख्यालय खगाड़िया शहर है। यह जिला सात नदियों गंगा, कमला बालन, कोशी, बूढ़ी गंडक,करहा, काली कोशी और बागमती से घिरा हुआ है। इसके अलावा, यह जिला सहरसा जिले के उत्तर, मुंगेर और बेगुसराय जिले के दक्षिण, भागलपुर और मधेपुरा जिले के पूर्व तथा बेगुसराय और समस्तीपुर जिले के पश्चिम से घिरा हुआ है। इस जगह को फरकिया के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि पांच शताब्दी पूर्व मुगल शासक के राजा अकबर ने अपने मंत्री तोडरमल को यह निर्देश दिया कि वह सम्पूर्ण साम्राज्य का एक मानचित्र तैयार करें। लेकिन मंत्री इस क्षेत्र का मानचित्र तैयार करने में सफल नहीं हो सका क्योंकि यह जगह कठिन मैदानों, नदियों और सघन जंगलों से घिरी हुई थी। यहीं वजह है कि इस जगह को फरकिया नाम दिया गया था। वर्तमान समय में यहां फराकियांचल टाइम्स नामक साप्‍ताहिक अखबार भी निकलता है।


प्रमुख व्यक्ति स्वर्गीय रामसेवक सिंह स्वतंत्रता सेनानी जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के लड़ाई में कई बार जेल भी गए। ऐसे महान क्रांतिकारी बिहार के पुण्य भूमि में खगड़िया का रामनगर नामक ग्राम कोसी नदी के किनारे पर बसा है। यह जगह फरकिया का मशहूर है। यह गावँ हमेशा साहस,त्याग,बलिदान ,और शिक्षा का बखान रहा है,यहाँ स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में पूरे ग्रामवासी अंग्रेजो के विरुद्ध लड़ाई में कूद पड़े। वही इनके बड़े भाई स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय रघुवीर सिंह जिन्होंने (सिंह जी) के नाम से प्राख्यात थे,इनकी ईमानदारी एवम कर्मठता की डंका पूरे बिहार में बजता था । परिवार के एक चचरे भाई स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय सियाराम सिंह पूरे जोश खरोश के साथ दिया । उनका लालन -पोषण जिले के ही नीरपुर गावं ननिहाल में बड़े लाड़-प्यार से हुआ। उनके पिता का नाम स्वर्गीय धनीराम सिंह थे, जो बहुत धार्मिक प्रवृत्ति के थे और इनमें पूर्ण आस्था रखते थे ,पिता का प्रभाव इनपर भी था। उन्हें आध्यत्म और गौ सेवा के प्रति विशेष रुचि थी। आजादी के लड़ाई के दौरान जेल तोड़ के भागने में भी सफल रहे। उसके बाद उन्होंने आजादी के बाद जिले की गठन के बाद स्वतंत्रता सेनानी के जिला अध्यक्ष रहे। बेलदौर प्रखड के निर्विरोध प्रमुख 4 कार्यकाल चुने गए।उसके उपरांत समय और उम्र को देखकर उन्होंने राजनीति त्याग दिए। बुजुर्गो का कहना है कि महान सत्याग्रही एवम गाँधी वादी विचारधारा के थे। जिनसे मिलने बिहार केसरी बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री भी आये थे। स्वतन्त्रता संग्राम की लड़ाई के समय जेल में अनुग्रह बाबु के साथ थे। उनके महान व्यक्तित्व और कृतत्व की चर्चा आज भी होती है।
प्रमुख व्यक्ति स्वर्गीय रामसेवक सिंह स्वतंत्रता सेनानी जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के लड़ाई में कई बार जेल भी गए। ऐसे महान क्रांतिकारी बिहार के पुण्य भूमि में खगड़िया का रामनगर नामक ग्राम कोसी नदी के किनारे पर बसा है। यह जगह फरकिया का मशहूर है। यह गावँ हमेशा साहस,त्याग,बलिदान ,और शिक्षा का बखान रहा है,यहाँ स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में पूरे ग्रामवासी अंग्रेजो के विरुद्ध लड़ाई में कूद पड़े। वही इनके बड़े भाई स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय रघुवीर सिंह जिन्होंने (सिंह जी) के नाम से प्राख्यात थे,इनकी ईमानदारी एवम कर्मठता की डंका पूरे बिहार में बजता था । परिवार के एक चचरे भाई स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय सियाराम सिंह पूरे जोश खरोश के साथ दिया । उनका लालन -पोषण जिले के ही नीरपुर गावं ननिहाल में बड़े लाड़-प्यार से हुआ। उनके पिता का नाम स्वर्गीय धनीराम सिंह थे, जो बहुत धार्मिक प्रवृत्ति के थे और इनमें पूर्ण आस्था रखते थे ,पिता का प्रभाव इनपर भी था। उन्हें आध्यत्म और गौ सेवा के प्रति विशेष रुचि थी। आजादी के लड़ाई के दौरान जेल तोड़ के भागने में भी सफल रहे। उसके बाद उन्होंने आजादी के बाद जिले की गठन के बाद स्वतंत्रता सेनानी के जिला अध्यक्ष रहे। बेलदौर प्रखड के निर्विरोध प्रमुख 4 कार्यकाल चुने गए।उसके उपरांत समय और उम्र को देखकर उन्होंने राजनीति त्याग दिए। बुजुर्गो का कहना है कि महान सत्याग्रही एवम गाँधी वादी विचारधारा के थे। जिनसे मिलने बिहार केसरी बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री भी आये थे। स्वतन्त्रता संग्राम की लड़ाई के समय जेल में अनुग्रह बाबु के साथ थे। उनके महान व्यक्तित्व और कृतत्व की चर्चा आज भी होती है।

21:11, 14 सितंबर 2018 का अवतरण

खगड़िया
—  शहर  —
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०)
देश  भारत
राज्य बिहार
ज़िला खगड़िया
जनसंख्या 45,221[1] (2001 के अनुसार )
क्षेत्रफल
ऊँचाई (AMSL)

• 36 मीटर (118 फी॰)

निर्देशांक: 25°30′N 86°29′E / 25.5°N 86.48°E / 25.5; 86.48 खगड़िया बिहार का एक जिला है। यहाँ केले, मक्का और मिरची की खेती प्रचुर मात्रा में होती है। गंगा, कोसी तथा गंडक यहाँ की मुख्य नदियाँ हैं। यह बिहार के महत्वपूर्ण जिलों में से एक है। कात्यायनी, श्यामलाल नेशनल हाई स्कूल और अजगैबिनाथ महादेव यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थल है। इसका जिला मुख्यालय खगाड़िया शहर है। यह जिला सात नदियों गंगा, कमला बालन, कोशी, बूढ़ी गंडक,करहा, काली कोशी और बागमती से घिरा हुआ है। इसके अलावा, यह जिला सहरसा जिले के उत्तर, मुंगेर और बेगुसराय जिले के दक्षिण, भागलपुर और मधेपुरा जिले के पूर्व तथा बेगुसराय और समस्तीपुर जिले के पश्चिम से घिरा हुआ है। इस जगह को फरकिया के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि पांच शताब्दी पूर्व मुगल शासक के राजा अकबर ने अपने मंत्री तोडरमल को यह निर्देश दिया कि वह सम्पूर्ण साम्राज्य का एक मानचित्र तैयार करें। लेकिन मंत्री इस क्षेत्र का मानचित्र तैयार करने में सफल नहीं हो सका क्योंकि यह जगह कठिन मैदानों, नदियों और सघन जंगलों से घिरी हुई थी। यहीं वजह है कि इस जगह को फरकिया नाम दिया गया था। वर्तमान समय में यहां फराकियांचल टाइम्स नामक साप्‍ताहिक अखबार भी निकलता है।

प्रमुख व्यक्ति स्वर्गीय रामसेवक सिंह स्वतंत्रता सेनानी जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के लड़ाई में कई बार जेल भी गए। ऐसे महान क्रांतिकारी बिहार के पुण्य भूमि में खगड़िया का रामनगर नामक ग्राम कोसी नदी के किनारे पर बसा है। यह जगह फरकिया का मशहूर है। यह गावँ हमेशा साहस,त्याग,बलिदान ,और शिक्षा का बखान रहा है,यहाँ स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में पूरे ग्रामवासी अंग्रेजो के विरुद्ध लड़ाई में कूद पड़े। वही इनके बड़े भाई स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय रघुवीर सिंह जिन्होंने (सिंह जी) के नाम से प्राख्यात थे,इनकी ईमानदारी एवम कर्मठता की डंका पूरे बिहार में बजता था । परिवार के एक चचरे भाई स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय सियाराम सिंह पूरे जोश खरोश के साथ दिया । उनका लालन -पोषण जिले के ही नीरपुर गावं ननिहाल में बड़े लाड़-प्यार से हुआ। उनके पिता का नाम स्वर्गीय धनीराम सिंह थे, जो बहुत धार्मिक प्रवृत्ति के थे और इनमें पूर्ण आस्था रखते थे ,पिता का प्रभाव इनपर भी था। उन्हें आध्यत्म और गौ सेवा के प्रति विशेष रुचि थी। आजादी के लड़ाई के दौरान जेल तोड़ के भागने में भी सफल रहे। उसके बाद उन्होंने आजादी के बाद जिले की गठन के बाद स्वतंत्रता सेनानी के जिला अध्यक्ष रहे। बेलदौर प्रखड के निर्विरोध प्रमुख 4 कार्यकाल चुने गए।उसके उपरांत समय और उम्र को देखकर उन्होंने राजनीति त्याग दिए। बुजुर्गो का कहना है कि महान सत्याग्रही एवम गाँधी वादी विचारधारा के थे। जिनसे मिलने बिहार केसरी बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री भी आये थे। स्वतन्त्रता संग्राम की लड़ाई के समय जेल में अनुग्रह बाबु के साथ थे। उनके महान व्यक्तित्व और कृतत्व की चर्चा आज भी होती है।

             ऐसे महान व्यक्तित्व हमारे  जिले को यह गौरवान्वित करती है।
             शेष समीक्षा जारी है।

प्रमुख आकर्षण

कात्यायनी

जिला मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर कात्यायनी स्थान है। इस जगह पर मां कात्यायनी का मंदिर है। इसके साथ ही भगवान राम, लक्ष्मण और मां जानकी का मंदिर भी है। प्रत्येक सोमवार और शुक्रवार काफी संख्या में भक्त मंदिर में पूजा के लिए आते हैं। माना जाता है कि इस क्षेत्र में मां कात्यायनी की पूजा दो रूपों में होती है। पौराणिक कथा के अनुसार ऋषि कात्यायन ने कौशिक नदी, जिसे वर्तमान में कोशी के नाम से जाना जाता है, तट पर तपस्या की थी। तपस्‍या से प्रसन्‍न होकर मां दुर्गा ने ऋषि की कन्या के रूप में जन्म लेना स्वीकार लिया। इसके बाद से उन्हें कत्यायनी के नाम से भी जाना जाता है। इसके अतिरिक्त, ऐसा कहा जाता है कि लगभग 300 वर्ष पूर्व यह जगह सघन जंगलों से घिरी हुई थी। एक बार भक्त श्रीपत महाराज ने मां कत्यायनी को स्वप्न में देखा और उनके दिशानिर्देश से इस जगह पर मंदिर का निर्माण करवाया था।

[2]=== सन्हौली दुर्गास्थान=== खगड़िया शहर से सटे सन्हौली दुर्गास्थान में दशकों से मां दुर्गा विराजमान हैं । बड़ी संख्या में श्रद्धालु शक्तिपीठ मानकर यहां पूजा-अर्चना करते हैं। राज्य के विभिन्न हिस्सों के अलावा आसाम, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों के श्रद्धालु भी मनोकामना पूरा होने पर यहां माता के दरबार में माथा टेकने व चढ़ावा चढ़ाने आते हैं। https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Khagaria_durga_sthan.png

श्यामलाल नेशनल हाई स्कूल

इस हाई स्कूल की स्थापना 1910 ई॰ में हुई थी। स्कूल की स्थापना के लिए श्री श्यामलाल ने पर्याप्त भूमि दान की थी। इस स्कूल के विद्यार्थियों और शिक्षकों ने स्वतंत्रता आंदोलन में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। स्वतंत्रता आंदोलन के समय यह स्थान क्रांतिकारियों के मिलने का प्रमुख स्थल रहा था।

अजगैबिनाथ महादेव

यह जगह भागलपुर जिले के सुल्तानगंज में स्थित है। यह स्थान खगड़िया जिले अगुनिघाट के बहुत ही समीप है। यहां स्थित भगवान शिव का मंदिर ऊंचे पर्वत पर है। काफी संख्या में भक्त मंदिर में दर्शनों के लिए आते हैं। इस मंदिर की विशेषता है कि यह मंदिर गंगा नदी के तट पर है। जिस कारण भक्त गंगा नदी में स्नान करने के पश्चात् ही मंदिर में भगवान शिव के दर्शनों के लिए जाते हैं।

आवागमन

वायु मार्ग

यहां का सबसे निकटतम हवाई अड्डा पटना स्थित जयप्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है।

रेल मार्ग

खगड़िया रेलमार्ग द्वारा भारत के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।

सड़क मार्ग

सड़क मार्ग द्वारा भारत के कई प्रमुख शहरों से खगड़िया आसानी से पहुंचा जा सकता है। राष्ट्रीय राजमार्ग 31 से खगड़िया पहुंच सकते हैं।


  1. "Sub-District Details". Office of the Registrar General & Census Commissioner, भारत. अभिगमन तिथि 26 मार्च 2012.
  2. roshan, abhishek. "सन्हौली दुर्गास्थान में दशकों से मां दुर्गा विराजमान हैं". http://atulyabihar.com/goddess-durga-temple-in-khagaria/. अभिगमन तिथि 7 जून 2018. |website= में बाहरी कड़ी (मदद)