"किशोर कुमार": अवतरणों में अंतर

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एक बार बी.आर.चोपड़ा अशोक कुमार के पास गए और बोले कि वो किशोर को अपनी फिल्म में लेने चाहते हैं लेकिन किशोर ने एक शर्त रख दी है। इस पर अशोक ने शर्त पूछने के तुरंत बाद किशोर को फोन लगाया और कहा, "तुझे चोपड़ा जी की फिल्म में काम नहीं करना है क्या।" इस पर किशोर का जवाब था, "मैंने मना नहीं किया, लेकिन बस वो मेरी शर्त मान लें।" दरअसल, अशोक कुमार और बीआर चोपड़ा शुरू से ही दोस्त थे। लेकिन जब पारिवारिक रिश्ते के चलते किशोर चोपड़ा के पास काम मांगने गए तो उन्होंने कुछ शर्तें रख दी। इसके बाद किशोर ने कहा कि आज मेरा बुरा वक्त है तो आप शर्त रख रहे हैं, जब मेरा वक्त आएगा तो मैं शर्त रखूंगा। इस बात को बाकी सब तो भूल गए थे, लेकिन किशोर दा नहीं। किशोर की शर्त थी कि आप धोती पहनने के साथ ही अपने पैरों में मोजे और जूते डालकर आएं! मुझे साइन करने के लिए पान खाकर आइए। वह भी ऐसे कि लार टपकी हुई हो, जिससे आपका मुंह लाल-लाल नज़र आए। गौरतलब है कि चोपड़ा न तो पान खाते थे और न ही धोती पहनते थे।
एक बार बी.आर.चोपड़ा अशोक कुमार के पास गए और बोले कि वो किशोर को अपनी फिल्म में लेने चाहते हैं लेकिन किशोर ने एक शर्त रख दी है। इस पर अशोक ने शर्त पूछने के तुरंत बाद किशोर को फोन लगाया और कहा, "तुझे चोपड़ा जी की फिल्म में काम नहीं करना है क्या।" इस पर किशोर का जवाब था, "मैंने मना नहीं किया, लेकिन बस वो मेरी शर्त मान लें।" दरअसल, अशोक कुमार और बीआर चोपड़ा शुरू से ही दोस्त थे। लेकिन जब पारिवारिक रिश्ते के चलते किशोर चोपड़ा के पास काम मांगने गए तो उन्होंने कुछ शर्तें रख दी। इसके बाद किशोर ने कहा कि आज मेरा बुरा वक्त है तो आप शर्त रख रहे हैं, जब मेरा वक्त आएगा तो मैं शर्त रखूंगा। इस बात को बाकी सब तो भूल गए थे, लेकिन किशोर दा नहीं। किशोर की शर्त थी कि आप धोती पहनने के साथ ही अपने पैरों में मोजे और जूते डालकर आएं! मुझे साइन करने के लिए पान खाकर आइए। वह भी ऐसे कि लार टपकी हुई हो, जिससे आपका मुंह लाल-लाल नज़र आए। गौरतलब है कि चोपड़ा न तो पान खाते थे और न ही धोती पहनते थे।


बात उन दिनों की है जब बिमल राय के निर्देशन में परिणिता (1953) बन रही थी, जिसके निर्माता अभिनेता अशोक कुमार थे. वह फिल्म के हीरो थे और हीरोइन थीं मीना कुमारी. फिल्म के एक गाने, ऐ बांदी तुम बेगम बनो गाने की रिकॉर्डिंग चल रही थी. किशोर कुमार और आशा भोंसले आ चुके थे. फिल्म के लिए मशहूर नर्तक गोपीकृष्ण को भी बुलाया गया था. गाने में रोशन कुमारी के साथ उनका डांस भी था, लिहाजा गोपीकृष्ण को घुंघरू बजाने के लिए बुलाया गया.
बात उन दिनों की है जब बिमल राय के निर्देशन में परिणिता (1953) बन रही थी, जिसके निर्माता अभिनेता अशोक कुमार थे. वह फिल्म के हीरो थे और हीरोइन थीं मीना कुमारी. फिल्म के एक गाने, ऐ बांदी तुम बेगम बनो गाने की रिकॉर्डिंग चल रही थी. किशोर कुमार और आशा भोंसले आ चुके थे. फिल्म के लिए मशहूर नर्तक गोपीकृष्ण को भी बुलाया गया था. गाने में रोशन कुमारी के साथ उनका डांस भी था, लिहाजा गोपीकृष्ण को घुंघरू बजाने के लिए बुलाया गया। रिकॉर्डिंग पूरी हो गई और आशा भोंसले चली गईं । फिर रिकॉर्डिंग में उपस्थित वादकों को पैसा दिया जाने लगा । अचानक किशोर कुमार उछल कर सामने आए और कहा कि हमारा पइसा कहां है? प्रोडक्शन के लोगों ने उन्हें समझाने की कोशिश की मगर किशोर कुमार अपना मेहनताना लेने के लिए अड़ गए । बात अशोक कुमार को पता चली, तो आते ही उन्होंने किशोर कुमार को डांटना शुरू कर दिया । कहा, चुप रह, क्या तू मेरी ही फिल्म के लिए मुझसे पैसा मांगेगा । मसखरी छोड़ दे और सीधे घर जा । लोगों को लगा कि किशोर कुमार चुपचाप वहां से चले जाएंगे । मगर किशोर कुमार लगातार कहते रहे कि मेरा पइसा किधर है । स्थिति इतनी बुरी हो गई कि सबके सामने किशोर कुमार की मसखरी के कारण अपने समय के सुपर स्टार अशोक कुमार झेंपने लगे । दबाव बढ़ाते हुए अब किशोर कुमार ने हाथ-पांव पटक कर लगातार अपने पैसे मांगने शुरू कर दिए । आखिर अशोक को उन्हें एक हजार रुपए देने ही पड़े । अपने करियर में मेहनताना पाने का किशोर कुमार ने यह तरीका खूब अपनाया । इसके ढेरों किस्से हैं । अशोक कुमार भी किशोर कुमार के इस तरीके को जानते थे और कई दफा इसका सामना भी उन्हें करना पड़ा ।

रिकॉर्डिंग पूरी हो गई और आशा भोंसले चली गईं । फिर रिकॉर्डिंग में उपस्थित वादकों को पैसा दिया जाने लगा । अचानक किशोर कुमार उछल कर सामने आए और कहा कि हमारा पइसा कहां है? प्रोडक्शन के लोगों ने उन्हें समझाने की कोशिश की मगर किशोर कुमार अपना मेहनताना लेने के लिए अड़ गए । बात अशोक कुमार को पता चली, तो आते ही उन्होंने किशोर कुमार को डांटना शुरू कर दिया । कहा, चुप रह, क्या तू मेरी ही फिल्म के लिए मुझसे पैसा मांगेगा । मसखरी छोड़ दे और सीधे घर जा । लोगों को लगा कि किशोर कुमार चुपचाप वहां से चले जाएंगे । मगर किशोर कुमार लगातार कहते रहे कि मेरा पइसा किधर है । स्थिति इतनी बुरी हो गई कि सबके सामने किशोर कुमार की मसखरी के कारण अपने समय के सुपर स्टार अशोक कुमार झेंपने लगे । दबाव बढ़ाते हुए अब किशोर कुमार ने हाथ-पांव पटक कर लगातार अपने पैसे मांगने शुरू कर दिए । आखिर अशोक को उन्हें एक हजार रुपए देने ही पड़े । अपने करियर में मेहनताना पाने का किशोर कुमार ने यह तरीका खूब अपनाया । इसके ढेरों किस्से हैं । अशोक कुमार भी किशोर कुमार के इस तरीके को जानते थे और कई दफा इसका सामना भी उन्हें करना पड़ा ।


किशोर कुमार के बारे में कहा जाता है कि वो अपने उसूलों के बेहद पक्के थे । जब तक उन्हें पैसे नहीं मिल जाते थे, तब तक वो काम नहीं करते थे । अगर उन्हें आधे पैसे मिलते थे तो वो काम भी आधा ही करते थे ।कहते हैं कि एक फिल्म के दौरान जब डायरेक्टर ने उन्हें आधे पैसे दिए, तब उसके बदले में किशोर कुमार आधा मेकअप करके सेट पर पहुंच गए ।किशोर कुमार को जब डायरेक्टर ने पूरा मेकअप करके आने के लिए कहा तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि आधे पैसे मिले हैं तो काम भी आधा ही करूंगा ।
किशोर कुमार के बारे में कहा जाता है कि वो अपने उसूलों के बेहद पक्के थे । जब तक उन्हें पैसे नहीं मिल जाते थे, तब तक वो काम नहीं करते थे । अगर उन्हें आधे पैसे मिलते थे तो वो काम भी आधा ही करते थे ।कहते हैं कि एक फिल्म के दौरान जब डायरेक्टर ने उन्हें आधे पैसे दिए, तब उसके बदले में किशोर कुमार आधा मेकअप करके सेट पर पहुंच गए ।किशोर कुमार को जब डायरेक्टर ने पूरा मेकअप करके आने के लिए कहा तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि आधे पैसे मिले हैं तो काम भी आधा ही करूंगा ।


किशोर कुमार के तमाम किस्से हैं। रिकॉर्डिंग पर वो तब तक नहीं जाते थे, जब तक उनका सेक्रेटरी अब्दुल पैसे मिलने की पुष्टि न कर दे। एक बार किशोर सिग्नल के इंतजार कर रहे थे। अब्दुल की तरफ से कोई इशारा नहीं आ रहा था। किशोर ने कई बार देखा। उसके बाद वो अब्दुल के पास चले गए कि माजरा क्या है। अब्दुल ने कहा कि हुजूर ये फिल्म आप ही बना रहे हैं। इसमें आपको गाने के कौन पैसे देगा ?
1956 की भाई भाई के समय भी कुछ ऐसा ही हुआ । फिल्म के निर्देशक एमवी रमन से शूटिंग के दौरान किशोर कुमार अपने पांच हजार रुपए की मांग करने लगे । पैसे नहीं मिले तो किशोर कुमार ने शूटिंग करने से इनकार कर दिया । आखिर फिल्म के हीरो अशोक कुमार को हस्तक्षेप कर कहना पड़ा कि पैसे मिल जाएंगे, तुम शूटिंग करो । बड़े भाई के कहने पर किशोर कुमार शूटिंग करने जा पहुंचे । कैमरा शुरू हुआ तो किशोर कुमार ने उछलकूद शुरू कर दी और गाने लगे पांच हजार रुपया फिर वे धीरे-धीरे खिड़की की ओर बढ़े और कूद कर बाहर निकल गए ।


1956 की भाई भाई के समय भी कुछ ऐसा ही हुआ । फिल्म के निर्देशक एमवी रमन से शूटिंग के दौरान किशोर कुमार अपने पांच हजार रुपए की मांग करने लगे । पैसे नहीं मिले तो किशोर कुमार ने शूटिंग करने से इनकार कर दिया । आखिर फिल्म के हीरो अशोक कुमार को हस्तक्षेप कर कहना पड़ा कि पैसे मिल जाएंगे, तुम शूटिंग करो । बड़े भाई के कहने पर किशोर कुमार शूटिंग करने जा पहुंचे । सेट तैयार था। शूटिंग शुरू हुई। किशोर फर्श पर चलने लगे। फिर जोर से चिल्लाए पांच हजार रुपैया...इसके बाद उन्होंने कलाबाजी खाई। ऐसा करते-करते वो दूसरे छोर पर पहुंचे और स्टूडियो से बाहर निकल गए। फिर वे धीरे-धीरे खिड़की की ओर बढ़े और कूद कर बाहर निकल गए ।

ऐसे ही निर्माता आरसी तलवार ने उनके पैसे नहीं दिए, तो वो उनके घर पर पहुंच गए। घर के बाहर पहुंचकर उन्होंने चिल्लाना शुरू किया – हे तलवार, दे दे मेरे आठ हजार। ये हर सुबह होता रहा, जब तक उन्हें पैसे नहीं मिल गए।

कहा जाता है कि ऋषिकेश मुखर्जी ने पहले आनंद फिल्म के लिए किशोर कुमार को लेने की योजना बनाई थी। एक बार वो प्रोजेक्ट पर बातचीत के लिए घर गए। लेकिन वहां घर के बाहर गेटकीपर ने उन्हें भगा दिया। हुआ यह था कि किसी ‘बंगाली’ व्यक्ति ने स्टेज शो के पैसे नहीं दिए थे। किशोर कुमार ने गेटकीपर को बोला था कि कोई बंगाली आए, तो उसे भगा देना। गेटकीपर ने ऋषिकेश मुखर्जी को वही ‘बंगाली’ समझ कर भगा दिया। बाद में फिल्म में राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन को लिया गया।
हालांकि किशोर के व्यक्तित्व का दूसरा पहलू भी था। उन्होंने कई लोगों की मदद की। इनमें से एक अरुण कुमार मुखर्जी थे। मुखर्जी की मौत के बाद किशोर कुमार उनके परिवार को लगातार पैसे भेजते रहे। उन्होंने कुछ फिल्मकारों की भी मदद की।



किशोर जी कैंटीन से उधर में खाना खाया करते थे और अपने दोस्तों को भी खिलाया करते थे । एक बार कैंटीन वाले ने उनसे अपने बकाया 5 रुपये 12 आने मांग लिए तो वे 5 रुपये 12 आना गाना गाते और कैंटीन वाले कि बात नही सुनते । आगे जाकर यह गाना भी बहुत मशहूर हुआ था ।
किशोर जी कैंटीन से उधार में खाना खाया करते थे और अपने दोस्तों को भी खिलाया करते थे । एक बार कैंटीन वाले ने उनसे अपने बकाया 5 रुपये 12 आने मांग लिए तो वे 5 रुपये 12 आना गाना गाते और कैंटीन वाले कि बात नही सुनते । आगे जाकर यह गाना भी बहुत मशहूर हुआ था ।


किशोर कुमार जिंदगीभर कस्बाई चरित्र के भोले मानस बने रहे। मुंबई की भीड़-भाड़, पार्टियाँ और ग्लैमर के चेहरों में वे कभी शामिल नहीं हो पाए। इसलिए उनकी आखिरी इच्छा थी कि खंडवा में ही उनका अंतिम संस्कार किया जाए। इस इच्छा को पूरा किया गया, वे कहा करते थे-'फिल्मों से संन्यास लेने के बाद वे खंडवा में ही बस जाएँगे और रोजाना दूध-जलेबी खाएँगे।
किशोर कुमार जिंदगीभर कस्बाई चरित्र के भोले मानस बने रहे। मुंबई की भीड़-भाड़, पार्टियाँ और ग्लैमर के चेहरों में वे कभी शामिल नहीं हो पाए। इसलिए उनकी आखिरी इच्छा थी कि खंडवा में ही उनका अंतिम संस्कार किया जाए। इस इच्छा को पूरा किया गया, वे कहा करते थे-'फिल्मों से संन्यास लेने के बाद वे खंडवा में ही बस जाएँगे और रोजाना दूध-जलेबी खाएँगे।

01:16, 8 सितंबर 2018 का अवतरण

किशोर कुमार
चित्र:Kishore Kumar in New Delhi (1956).jpg
जन्म अभास कुमार गांगुली
4 अगस्त 1929
खण्डवा, मध्य भारत, ब्रिटिश भारत (अब मध्य प्रदेश, भारत)
मौत 13 अक्टूबर 1987(1987-10-13) (उम्र 58)
बॉम्बे, महाराष्ट्र, भारत (अब मुम्बई)
राष्ट्रीयता भारतीय
पेशा
कार्यकाल 1946–1987
जीवनसाथी
बच्चे अमित कुमार
सुमित कुमार
संबंधी See गांगुली परिवार
See मुखर्जी-समर्थ परिवार
उल्लेखनीय कार्य {{{notable_works}}}
हस्ताक्षर

किशोर कुमार (जन्म: 4 अगस्त, 1929 खंडवा मध्यप्रदेश निधन: 13 अक्टूबर, 1987) भारतीय सिनेमा के मशहूर पार्श्वगायक समुदाय में से एक रहे हैं। वे एक अच्छे अभिनेता के रूप में भी जाने जाते हैं। हिन्दी फ़िल्म उद्योग में उन्होंने बंगाली, हिंदी, मराठी, असमी, गुजराती, कन्नड़, भोजपुरी, मलयालम, उड़िया और उर्दू सहित कई भारतीय भाषाओं में गाया था। उन्होंने सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक के लिए 8 फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीते और उस श्रेणी में सबसे ज्यादा फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीतने का रिकॉर्ड बनाया है। उसी साल उन्हें मध्यप्रदेश सरकार द्वारा लता मंगेशकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उस वर्ष के बाद से मध्यप्रदेश सरकार ने "किशोर कुमार पुरस्कार"(एक नया पुरस्कार) हिंदी सिनेमा में योगदान के लिए चालु कर दिया था।[1]

प्रारंभिक जीवन

किशोर कुमार का जन्म 4 अगस्त 1929 को मध्य प्रदेश के खंडवा शहर में वहाँ के जाने माने वकील कुंजीलाल के यहाँ हुआ था।[2] किशोर कुमार का असली नाम आभास कुमार गांगुली था। किशोर कुमार अपने भाई बहनों में दूसरे नम्बर पर थे। उन्होंने अपने जीवन के हर क्षण में खंडवा को याद किया, वे जब भी किसी सार्वजनिक मंच पर या किसी समारोह में अपना कर्यक्रम प्रस्तुत करते थे, शान से कहते थे किशोर कुमार खंडवे वाले, अपनी जन्म भूमि और मातृभूमि के प्रति ऐसा ज़ज़्बा बहुत कम लोगों में दिखाई देता है।

शिक्षा

किशोर कुमार इन्दौर के क्रिश्चियन कॉलेज में पढ़े थे और उनकी आदत थी कॉलेज की कैंटीन से उधार लेकर खुद भी खाना और दोस्तों को भी खिलाना। वह ऐसा समय था जब 10-20 पैसे की उधारी भी बहुत मायने रखती थी। किशोर कुमार पर जब कैंटीन वाले के पाँच रुपया बारह आना उधार हो गए और कैंटीन का मालिक जब उनको अपने पाँच रुपया बारह आना चुकाने को कहता तो वे कैंटीन में बैठकर ही टेबल पर गिलास और चम्मच बजा बजाकर पाँच रुपया बारह आना गा-गाकर कई धुन निकालते थे और कैंटीन वाले की बात अनसुनी कर देते थे। बाद में उन्होंने अपने एक गीत में इस पाँच रुपया बारह आना का बहुत ही खूबसूरती से इस्तेमाल किया। शायद बहुत कम लोगों को पाँच रुपया बारह आना वाले गीत की यह असली कहानी मालूम होगी।

व्यक्तिगत जीवन

किशोर कुमार ने चार बार शादी की।[3] उनकी पहली पत्नी बंगाली गायक और अभिनेत्री रुमा गुहा ठाकुरता उर्फ ​​रुमा घोष थीं। उनकी शादी 1950 से 1958 तक चली गई .:53 उनकी दूसरी पत्नी अभिनेत्री मधुबाला थीं, जिन्होंने उनके घरेलू फिल्म चल्ती का नाम गादी (1958) और झूमूओ (1 9 61) सहित कई फिल्मों में उनके साथ काम किया था। जब कुमार ने उनसे प्रस्ताव दिया, मधुबाला बीमार थे और इलाज के लिए लंदन जाने की योजना बना रहे थे। उसके पास एक वेंट्रिकुलर सेप्टल दोष (दिल में छेद) था, और वह अभी भी रुमा से विवाह कर रहा था। तलाक के बाद, इस जोड़े के पास 1960 में सिविल विवाह हुआ और किशोर कुमार इस्लाम में परिवर्तित हो गए और कथित तौर पर अपना नाम बदल कर करीम अब्दुल कर दिया। उनके माता-पिता ने समारोह में भाग लेने से इंकार कर दिया। जोड़े के माता-पिता को खुश करने के लिए जोड़े के पास एक हिंदू समारोह भी था, लेकिन मधुबाला को कभी भी अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार नहीं किया गया था। उनकी शादी के एक महीने के भीतर, वह कुमार घर में तनाव की वजह से बांद्रा में अपने बंगले में वापस चली गईं। वे विवाह बने रहे, लेकिन मधुबाला के बाकी हिस्सों के लिए बड़ी तनाव के तहत। उनकी शादी 23 फरवरी 1969 को मधुबाला की मौत के साथ समाप्त हुई।

किशोर की तीसरी शादी योगिता बाली थी, और 1976 से 4 अगस्त 1978 तक चली गई। किशोर की शादी 1980 से उनकी मृत्यु तक लीना चन्दावरकर से हुई थी। उनके दो बेटे थे, अमित कुमार रुमा के साथ, और सुमित कुमार लीना चन्दावरकर के साथ थे।

अभिनय का आरंभ

किशोर कुमार अपने परिवार के साथ

किशोर कुमार की शुरुआत एक अभिनेता के रूप में फ़िल्म शिकारी (1946) से हुई। इस फ़िल्म में उनके बड़े भाई अशोक कुमार ने प्रमुख भूमिका निभाई थी। उन्हें पहली बार गाने का मौका मिला 1948 में बनी फ़िल्म जिद्दी में, जिसमें उन्होंने देव आनंद के लिए गाना गाया। किशोर कुमार के एल सहगल के ज़बर्दस्त प्रशंसक थे, इसलिए उन्होंने यह गीत उन की शैली में ही गाया। जिद्दी की सफलता के बावजूद उन्हें न तो पहचान मिली और न कोई खास काम मिला। उन्होंने 1951 में फणी मजूमदार द्वारा निर्मित फ़िल्म 'आंदोलन' में हीरो के रूप में काम किया मगर फ़िल्म फ़्लॉप हो गई। 1954 में उन्होंने बिमल राय की 'नौकरी' में एक बेरोज़गार युवक की संवेदनशील भूमिका निभाकर अपनी ज़बर्दस्त अभिनय प्रतिभा से भी परिचित किया। इसके बाद 1955 में बनी "बाप रे बाप", 1956 में "नई दिल्ली", 1957 में "मि. मेरी" और "आशा" और 1958 में बनी "चलती का नाम गाड़ी" जिसमें किशोर कुमार ने अपने दोनों भाईयों अशोक कुमार और अनूप कुमार के साथ काम किया और उनकी अभिनेत्री थी मधुबाला। यह भी मजेदार बात है कि किशोर कुमार की शुरुआत की कई फ़िल्मों में मोहम्मद रफ़ी ने किशोर कुमार के लिए अपनी आवाज दी थी। मोहम्मद रफ़ी ने फ़िल्म ‘रागिनी’ तथा ‘शरारत’ में किशोर कुमार को अपनी आवाज उधार दी तो मेहनताना लिया सिर्फ एक रुपया। काम के लिए किशोर कुमार सबसे पहले एस डी बर्मन के पास गए थे, जिन्होंने पहले भी उन्हें 1950 में बनी फ़िल्म "प्यार" में गाने का मौका दिया था। एस डी बर्मन ने उन्हें फिर "बहार" फ़िल्म में एक गाना गाने का मौका दिया। कुसुर आप का और यह गाना बहुत हिट हुआ।

गीत संगीत के संग

शुरू में किशोर कुमार को एस डी बर्मन और अन्य संगीतकारों ने अधिक गंभीरता से नहीं लिया और उनसे हल्के स्तर के गीत गवाए गए, लेकिन किशोर कुमार ने 1957 में बनी फ़िल्म "फंटूस" में दुखी मन मेरे गीत अपनी ऐसी धाक जमाई कि जाने माने संगीतकारों को किशोर कुमार की प्रतिभा का लोहा मानना पड़ा। इसके बाद एस डी बर्मन ने किशोर कुमार को अपने संगीत निर्देशन में कई गीत गाने का मौका दिया। आर डी बर्मन के संगीत निर्देशन में किशोर कुमार ने 'मुनीम जी', 'टैक्सी ड्राइवर', 'फंटूश', 'नौ दो ग्यारह', 'पेइंग गेस्ट', 'गाईड', 'ज्वेल थीफ़', 'प्रेमपुजारी', 'तेरे मेरे सपने' जैसी फ़िल्मों में अपनी जादुई आवाज से फ़िल्मी संगीत के दीवानों को अपना दीवाना बना लिया। एक अनुमान के किशोर कुमार ने वर्ष 1940 से वर्ष 1980 के बीच के अपने करियर के दौरान करीब 574 से अधिक गाने गाए।[उद्धरण चाहिए] किशोर कुमार ने हिन्दी के साथ ही तमिल, मराठी, असमी, गुजराती, कन्नड़, भोजपुरी, मलयालम और उड़िया फ़िल्मों के लिए भी गीत गाए। किशोर कुमार को आठ फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार मिले, उनको पहला फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार 1969 में अराधना फ़िल्म के गीत रूप तेरा मस्ताना प्यार मेरा दीवाना के लिए दिया गया था। किशोर कुमार की खासियत यह थी कि उन्होंने देव आनंद से लेकर राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन के लिए अपनी आवाज दी और इन सभी अभिनेताओं पर उनकी आवाज ऐसी रची बसी मानो किशोर खुद उनके अंदर मौजूद हों। किशोर कुमार ने 81 फ़िल्मों में अभिनय किया और 18 फ़िल्मों का निर्देशन भी किया। फ़िल्म 'पड़ोसन' में उन्होंने जिस मस्त मौला आदमी के किरदार को निभाया वही किरदार वे जिंदगी भर अपनी असली जिंदगी में निभाते रहे।

आपातकाल में

1975 में देश में आपातकाल के समय एक सरकारी समारोह में भाग लेने से साफ मना कर देने पर तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री विद्याचरण शुक्ला ने किशोर कुमार के गीतों के आकाशवाणी से प्रसारित किए जाने पर पर रोक लगा दी थी और किशोर कुमार के घर पर आयकर के छापे भी डाले गए। मगर किशोर कुमार ने आपात काल का समर्थन नहीं किया। यह दुर्भाग्य और शर्म की बात है कि किशोर कुमार द्वारा बनाई गई कई फ़िल्में आयकर विभाग ने जप्त कर रखी है और लावारिस स्थिति में वहाँ अपनी दुर्दशा पर आँसू बहा रही है।[उद्धरण चाहिए]

संघर्ष

किशोर कुमार ने भारतीय सिनेमा के उस स्वर्ण काल में संघर्ष शुरु किया था जब उनके भाई अशोक कुमार एक सफल सितारे के रूप में स्थापित हो चुके थे। दिलीप कुमार, राज कपूर, देव आनंद, बलराज साहनी, गुरुदत्त और रहमान जैसे कलाकारों के साथ ही पार्श्वगायन में मोहम्मद रफी, मुकेश, तलत महमूद और मन्ना डे जैसे दिग्गज गायकों का बोलबाला था। किशोर कुमार की पहली शादी रुमा देवी के से हुई थी, लेकिन जल्दी ही शादी टूट गई और इस के बाद उन्होंने मधुबाला के साथ विवाह किया। उस दौर में दिलीप कुमार जैसे सफल और शोहरत की बुलंदियों पर पहुँचे अभिनेता जहाँ मधुबाला जैसी रूप सुंदरी का दिल नहीं जीत पाए वही मधुबाला किशोर कुमार की दूसरी पत्नी बनी। 1961 में बनी फ़िल्म "झुमरु" में दोनों एक साथ आए। यह फ़िल्म किशोर कुमार ने ही बनाई थी और उन्होंने खुद ही इसका निर्देशन किया था। इस के बाद दोनों ने 1962 में बनी फ़िल्म "हाफ टिकट" में एक साथ काम किया जिस में किशोर कुमार ने यादगार कॉमेडी कर अपनी एक अलग छबि पेश की। 1976 में उन्होंने योगिता बाली से शादी की मगर इन दोनों का यह साथ मात्र कुछ महीनों का ही रहा। इसके बाद योगिता बाली ने मिथुन चक्रवर्ती से शादी कर ली। 1980 में किशोर कुमार ने चौथी शादी लीना चंद्रावरकर से की जो उम्र में उनके बेटे अमित से दो साल बड़ी थीं।

मनोज कुमार की जुबानी

मनोज कुमार किशोर कुमार को लेकर एक यादगार किस्सा सुनाते हैं।[उद्धरण चाहिए] एक बार उनकी फ़िल्म ' उपकार ' के लिए किशोर कुमार को गाना गाने के लिए आमंत्रित किया तो वह यह कहकर भाग खड़े हुए कि वे तो फ़िल्म के हीरो के लिए ही गाने गाते हैं, किसी खलनायक पर फ़िल्माया जाने वाला गाना नहीं गा सकते। लेकिन ' उपकार ' का यह गीत ' कसमे वादे प्यार वफ़ा ...' जब हिट हुआ तो किशोर कुमार मनोज कुमार के पास गए और कहने लगे इतने अच्छे गाने का मौका उन्होने छोड़ दिया। इसके साथ ही उन्होंने यह स्वीकार करने में भी देर नहीं की कि मन्ना डे ने जिस खूबसूरती से इस गाने को गाया है ऐसा तो मैं कई जन्मों तक नहीं गा सकूंगा। अच्छा ही हुआ कि मैने इस गाने को नहीं गाया नहीं तो लोग इतने अच्छे गीत में मन्ना डे की इस खूबसूरत आवाज से वंचित रह जाते।

दिलचस्प किस्से

अटपटी बातों को अपने चटपटे अंदाज में कहना किशोर कुमार का फितूर था। खासकर गीतों की पंक्ति को दाएँ से बाएँ गाने में उन्होंने महारत हासिल कर ली थी। नाम पूछने पर कहते थे- रशोकि रमाकु।

किशोर कुमार ने हिन्दी सिनेमा के तीन नायकों को महानायक का दर्जा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। उनकी आवाज के जादू से देवआनंद सदाबहार हीरो कहलाए। राजेश खन्ना को सुपर सितारा कहा जाने लगा और अमिताभ बच्चन महानायक हो गए।

एक बार बी.आर.चोपड़ा अशोक कुमार के पास गए और बोले कि वो किशोर को अपनी फिल्म में लेने चाहते हैं लेकिन किशोर ने एक शर्त रख दी है। इस पर अशोक ने शर्त पूछने के तुरंत बाद किशोर को फोन लगाया और कहा, "तुझे चोपड़ा जी की फिल्म में काम नहीं करना है क्या।" इस पर किशोर का जवाब था, "मैंने मना नहीं किया, लेकिन बस वो मेरी शर्त मान लें।" दरअसल, अशोक कुमार और बीआर चोपड़ा शुरू से ही दोस्त थे। लेकिन जब पारिवारिक रिश्ते के चलते किशोर चोपड़ा के पास काम मांगने गए तो उन्होंने कुछ शर्तें रख दी। इसके बाद किशोर ने कहा कि आज मेरा बुरा वक्त है तो आप शर्त रख रहे हैं, जब मेरा वक्त आएगा तो मैं शर्त रखूंगा। इस बात को बाकी सब तो भूल गए थे, लेकिन किशोर दा नहीं। किशोर की शर्त थी कि आप धोती पहनने के साथ ही अपने पैरों में मोजे और जूते डालकर आएं! मुझे साइन करने के लिए पान खाकर आइए। वह भी ऐसे कि लार टपकी हुई हो, जिससे आपका मुंह लाल-लाल नज़र आए। गौरतलब है कि चोपड़ा न तो पान खाते थे और न ही धोती पहनते थे।

बात उन दिनों की है जब बिमल राय के निर्देशन में परिणिता (1953) बन रही थी, जिसके निर्माता अभिनेता अशोक कुमार थे. वह फिल्म के हीरो थे और हीरोइन थीं मीना कुमारी. फिल्म के एक गाने, ऐ बांदी तुम बेगम बनो गाने की रिकॉर्डिंग चल रही थी. किशोर कुमार और आशा भोंसले आ चुके थे. फिल्म के लिए मशहूर नर्तक गोपीकृष्ण को भी बुलाया गया था. गाने में रोशन कुमारी के साथ उनका डांस भी था, लिहाजा गोपीकृष्ण को घुंघरू बजाने के लिए बुलाया गया। रिकॉर्डिंग पूरी हो गई और आशा भोंसले चली गईं । फिर रिकॉर्डिंग में उपस्थित वादकों को पैसा दिया जाने लगा । अचानक किशोर कुमार उछल कर सामने आए और कहा कि हमारा पइसा कहां है? प्रोडक्शन के लोगों ने उन्हें समझाने की कोशिश की मगर किशोर कुमार अपना मेहनताना लेने के लिए अड़ गए । बात अशोक कुमार को पता चली, तो आते ही उन्होंने किशोर कुमार को डांटना शुरू कर दिया । कहा, चुप रह, क्या तू मेरी ही फिल्म के लिए मुझसे पैसा मांगेगा । मसखरी छोड़ दे और सीधे घर जा । लोगों को लगा कि किशोर कुमार चुपचाप वहां से चले जाएंगे । मगर किशोर कुमार लगातार कहते रहे कि मेरा पइसा किधर है । स्थिति इतनी बुरी हो गई कि सबके सामने किशोर कुमार की मसखरी के कारण अपने समय के सुपर स्टार अशोक कुमार झेंपने लगे । दबाव बढ़ाते हुए अब किशोर कुमार ने हाथ-पांव पटक कर लगातार अपने पैसे मांगने शुरू कर दिए । आखिर अशोक को उन्हें एक हजार रुपए देने ही पड़े । अपने करियर में मेहनताना पाने का किशोर कुमार ने यह तरीका खूब अपनाया । इसके ढेरों किस्से हैं । अशोक कुमार भी किशोर कुमार के इस तरीके को जानते थे और कई दफा इसका सामना भी उन्हें करना पड़ा ।

किशोर कुमार के बारे में कहा जाता है कि वो अपने उसूलों के बेहद पक्के थे । जब तक उन्हें पैसे नहीं मिल जाते थे, तब तक वो काम नहीं करते थे । अगर उन्हें आधे पैसे मिलते थे तो वो काम भी आधा ही करते थे ।कहते हैं कि एक फिल्म के दौरान जब डायरेक्टर ने उन्हें आधे पैसे दिए, तब उसके बदले में किशोर कुमार आधा मेकअप करके सेट पर पहुंच गए ।किशोर कुमार को जब डायरेक्टर ने पूरा मेकअप करके आने के लिए कहा तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि आधे पैसे मिले हैं तो काम भी आधा ही करूंगा ।

किशोर कुमार के तमाम किस्से हैं। रिकॉर्डिंग पर वो तब तक नहीं जाते थे, जब तक उनका सेक्रेटरी अब्दुल पैसे मिलने की पुष्टि न कर दे। एक बार किशोर सिग्नल के इंतजार कर रहे थे। अब्दुल की तरफ से कोई इशारा नहीं आ रहा था। किशोर ने कई बार देखा। उसके बाद वो अब्दुल के पास चले गए कि माजरा क्या है। अब्दुल ने कहा कि हुजूर ये फिल्म आप ही बना रहे हैं। इसमें आपको गाने के कौन पैसे देगा ?


1956 की भाई भाई के समय भी कुछ ऐसा ही हुआ । फिल्म के निर्देशक एमवी रमन से शूटिंग के दौरान किशोर कुमार अपने पांच हजार रुपए की मांग करने लगे । पैसे नहीं मिले तो किशोर कुमार ने शूटिंग करने से इनकार कर दिया । आखिर फिल्म के हीरो अशोक कुमार को हस्तक्षेप कर कहना पड़ा कि पैसे मिल जाएंगे, तुम शूटिंग करो । बड़े भाई के कहने पर किशोर कुमार शूटिंग करने जा पहुंचे । सेट तैयार था। शूटिंग शुरू हुई। किशोर फर्श पर चलने लगे। फिर जोर से चिल्लाए पांच हजार रुपैया...इसके बाद उन्होंने कलाबाजी खाई। ऐसा करते-करते वो दूसरे छोर पर पहुंचे और स्टूडियो से बाहर निकल गए। फिर वे धीरे-धीरे खिड़की की ओर बढ़े और कूद कर बाहर निकल गए ।

ऐसे ही निर्माता आरसी तलवार ने उनके पैसे नहीं दिए, तो वो उनके घर पर पहुंच गए। घर के बाहर पहुंचकर उन्होंने चिल्लाना शुरू किया – हे तलवार, दे दे मेरे आठ हजार। ये हर सुबह होता रहा, जब तक उन्हें पैसे नहीं मिल गए।

कहा जाता है कि ऋषिकेश मुखर्जी ने पहले आनंद फिल्म के लिए किशोर कुमार को लेने की योजना बनाई थी। एक बार वो प्रोजेक्ट पर बातचीत के लिए घर गए। लेकिन वहां घर के बाहर गेटकीपर ने उन्हें भगा दिया। हुआ यह था कि किसी ‘बंगाली’ व्यक्ति ने स्टेज शो के पैसे नहीं दिए थे। किशोर कुमार ने गेटकीपर को बोला था कि कोई बंगाली आए, तो उसे भगा देना। गेटकीपर ने ऋषिकेश मुखर्जी को वही ‘बंगाली’ समझ कर भगा दिया। बाद में फिल्म में राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन को लिया गया। हालांकि किशोर के व्यक्तित्व का दूसरा पहलू भी था। उन्होंने कई लोगों की मदद की। इनमें से एक अरुण कुमार मुखर्जी थे। मुखर्जी की मौत के बाद किशोर कुमार उनके परिवार को लगातार पैसे भेजते रहे। उन्होंने कुछ फिल्मकारों की भी मदद की।


किशोर जी कैंटीन से उधार में खाना खाया करते थे और अपने दोस्तों को भी खिलाया करते थे । एक बार कैंटीन वाले ने उनसे अपने बकाया 5 रुपये 12 आने मांग लिए तो वे 5 रुपये 12 आना गाना गाते और कैंटीन वाले कि बात नही सुनते । आगे जाकर यह गाना भी बहुत मशहूर हुआ था ।

किशोर कुमार जिंदगीभर कस्बाई चरित्र के भोले मानस बने रहे। मुंबई की भीड़-भाड़, पार्टियाँ और ग्लैमर के चेहरों में वे कभी शामिल नहीं हो पाए। इसलिए उनकी आखिरी इच्छा थी कि खंडवा में ही उनका अंतिम संस्कार किया जाए। इस इच्छा को पूरा किया गया, वे कहा करते थे-'फिल्मों से संन्यास लेने के बाद वे खंडवा में ही बस जाएँगे और रोजाना दूध-जलेबी खाएँगे।

फिल्म 'प्यार किए जा' में कॉमेडियन मेहमूद ने किशोर कुमार, शशि कपूर और ओमप्रकाश से ज्यादा पैसे वसूले थे। किशोर को यह बात अखर गई। इसका बदला उन्होंने मेहमूद से फिल्म 'पड़ोसन' में लिया- डबल पैसा लेकर।

किशोर कुमार ने जब-जब स्टेज-शो किए, हमेशा हाथ जोड़कर सबसे पहले संबोधन करते थे-'मेरे दादा-दादियों।' मेरे नाना-नानियों। मेरे भाई-बहनों, तुम सबको खंडवे वाले किशोर कुमार का राम-राम। नमस्कार।

किशोर कुमार की जगह लेने के लिए किसी के लिए असंभव: आशा भोसले

अनुभवी गायक आशा भोसले ने कहा कि, "किशोर कुमार एक तरह का था। उसने हर किसी को अपनी मज़ेदार आवाज के साथ घुमाया और यहां तक ​​कि उसके चारों ओर हर किसी को हमेशा खुश कर दिया।"

अनुभवी गायक आशा भोसले का कहना है कि देर से गायक किशोर कुमार एक तरह का था और किसी के लिए अपना स्थान लेना असंभव है। संगीत रियलिटी शो दिल है हिंदुस्तान 2 के एक एपिसोड के लिए शूटिंग करते समय आशा ने अपने पसंदीदा सह-गायक किशोर कुमार के बारे में एक बयान पढ़ा।

उन्होंने 1957 की फिल्म आशा से गीत "एना मीना देका" को रिकॉर्ड करने के बारे में भी उपाख्यानों को साझा किया।

आशा ने कहा, "किशोर कुमार एक तरह का था। उसने हर किसी को अपनी मज़ेदार आवाज के साथ घुमाया और यहां तक ​​कि उसके चारों ओर हर किसी को हमेशा खुश कर दिया।"

"वह संगीत उद्योग के लिए एक असली मणि रहा है। मैंने हमेशा उसके साथ काम करने का आनंद लिया है। आज किसी के लिए अपना स्थान लेना वास्तव में असंभव है।"

दोनों ने आप यान आये किस्ली, छोड डो अंकल ज़ाना कया काहेगा और ओ साथी चाल जैसे हिट गाने दिए थे।

प्रमुख फ़िल्में

वर्ष फ़िल्म चरित्र टिप्पणी
1988 कौन जीता कौन हारा
1982 चलती का नाम ज़िन्दगी
1974 बढ़ती का नाम दाढ़ी
1971 दूर का राही
1971 हंगामा
1968 साधू और शैतान
1968 पड़ोसन गुरु
1968 हाय मेरा दिल
1966 प्यार किये जा
1966 लड़का लड़की
1964 दूर गगन की छाँव में शंकर
1964 मिस्टर एक्स इन बॉम्बे
1962 हाफ टिकट
1962 मनमौजी
1962 नॉटी बॉय प्रीतम
1961 झुमरू झुमरू
1960 गर्ल फ्रैंड
1960 महलों के ख़्वाब राजन
1960 काला बाज़ार
1959 चाचा ज़िन्दाबाद
1958 चलती का नाम गाड़ी
1958 रागिनी राजन
1957 आशा
1957 मिस मैरी
1957 बंदी माधव
1956 भाई भाई
1956 पैसा ही पैसा
1956 ढाके की मलमल
1956 मेम साहिब
1955 भगवत महिमा
1955 पहली झलक
1955 बाप रे बाप
1954 नौकरी
1954 धोबी डॉक्टर
1953 लड़्की
1952 तमाशा
1946 शिकारी

बतौर निर्देशक

वर्ष फ़िल्म टिप्पणी
1982 चलती का नाम ज़िन्दगी
1974 बढ़ती का नाम दाढ़ी
1971 दूर का राही
1964 दूर गगन की छाँव में

सन्दर्भ

  1. "बॉलीवुड महानायकों की आवाज थे किशोर कुमार". पत्रिका समाचार समूह. अभिगमन तिथि ४ अगस्त २०१४. पाठ "४ अगस्त २०१४" की उपेक्षा की गयी (मदद)
  2. "Quiz: Kishore Kumar fans, it's time to test your love".
  3. "ये हैं संजय दत्त समेत बॉलीवुड के ऐसे स्टार्स जिन्होंने एक, दो नहीं तीन-चार शादियां तक की".

बाहरी कड़ियाँ