"राव जोधा": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
No edit summary
पंक्ति 29: पंक्ति 29:
वीर साहसी व पराक्रमी राव जोधा ने मारवाड़ राज्य को पुनः विजय करने हेतु निरंतर संघर्ष जरी रखा और अंत में अपने भाईयों के सक्रिए सहयोग से [[मंडोर]], कोसना व चौकड़ी पर विजय ध्वज लहराकर मारवाड़ में पुनः राठौर राज्य वि॰सं॰ 1510 स्थापित कर अपने पैत्रिक राज्य को मेवाड़ से मुक्त कर लिया |इस विजय के बाद राव जोधा व उनके भाईयों ने सोजत, पाली, खैरवा, नाडोल, नारलोई आदि पर हमला कर जीत लिया |
वीर साहसी व पराक्रमी राव जोधा ने मारवाड़ राज्य को पुनः विजय करने हेतु निरंतर संघर्ष जरी रखा और अंत में अपने भाईयों के सक्रिए सहयोग से [[मंडोर]], कोसना व चौकड़ी पर विजय ध्वज लहराकर मारवाड़ में पुनः राठौर राज्य वि॰सं॰ 1510 स्थापित कर अपने पैत्रिक राज्य को मेवाड़ से मुक्त कर लिया |इस विजय के बाद राव जोधा व उनके भाईयों ने सोजत, पाली, खैरवा, नाडोल, नारलोई आदि पर हमला कर जीत लिया |
राव जोधा ने अपने भाईयों व पुत्रों के सहयोग से अपने राज्य को [[मंडोर]],[[मेड़ता]], फलोदी,[[पोकरण]], भाद्रजुन,[[सोजत]],[[पाली]], सिवाना,[[साम्भर]],[[अजमेर]],[[नागौर]],[[डीडवाना]] तक बड़ा कर एक विशाल राठौर राज्य स्थापित कर दिया |
राव जोधा ने अपने भाईयों व पुत्रों के सहयोग से अपने राज्य को [[मंडोर]],[[मेड़ता]], फलोदी,[[पोकरण]], भाद्रजुन,[[सोजत]],[[पाली]], सिवाना,[[साम्भर]],[[अजमेर]],[[नागौर]],[[डीडवाना]] तक बड़ा कर एक विशाल राठौर राज्य स्थापित कर दिया |
इनके वीर पुत्रों में दुदोजी ने मेड़ता, बिकाजी ने [[जांगलदेश|जाग्लुदेश]] (बीकानेर) व बिदाजी ने छापर विजय कर अलग अलग स्व्तांतर राठोड़ राज्यों की स्थापना की |मंडोर को असुरक्षित समझ कर जेस्ठ शुक्ला 11 शनिवार वि॰सं॰ 1515 में राव जोधा ने [[जोधपुर]] के किले [[मेहरानगढ़]]की नीवं दल कर [[जोधपुर]] नगर बसाया | राव जोधा जी ने अपने राज्य का शासन सुव्यवस्थित चलाने हेतु राज्य के अलग अलग भाग अपने भाईयों व पुत्रों को बाँट दिया.वि॰सं॰ 1545 में राव जोधा जी का निधन हुआ |
इनके वीर पुत्रों में दुदोजी ने मेड़ता, बिकाजी ने [[जांगलदेश|जाग्लुदेश]] (बीकानेर) व बिदाजी ने छापर विजय कर अलग अलग स्व्तांतर राठोड़ राज्यों की स्थापना की |मंडोर को असुरक्षित समझ कर जेस्ठ शुक्ला 11 शनिवार वि॰सं॰ 1515 में राव जोधा ने [[जोधपुर]] के किले [[मेहरानगढ़]]की नीवं दल कर [[जोधपुर]] नगर बसाया | राव जोधा जी ने अपने राज्य का शासन सुव्यवस्थित चलाने हेतु राज्य के अलग अलग भाग अपने भाईयों व पुत्रों को बाँट दिया.वि॰सं॰ 1545 में राव जोधा जी का निधन हुआ |<ref>{{cite book |editor1-last=Majumdar |editor1-first=Ramesh Chandra |editor1-link=R. C. Majumdar |editor2-last=Pusalker |editor2-first=A. D. |editor3-last=Majumdar |editor3-first=A. K. |date=1960 |title=[[The History and Culture of the Indian People]] |volume=VI: The Delhi Sultanate |edition= |location=Bombay |publisher=Bharatiya Vidya Bhavan |pages=355–357 |quote="The death of Jodha in 1488 was followed by a struggle among his sons for succession ... [the nobles] consecrated Satal ... Shortly afterwards, however, Satal died ... another brother, Suja, secured the throne ... History repeated itself when Suja died in 1515 ... [Satal] fell mortally wounded in the battlefield (1491)."}}</ref>


== इन्हें भी देखें ==
== इन्हें भी देखें ==
पंक्ति 53: पंक्ति 53:


== टिप्पणी ==
== टिप्पणी ==
{{reflist}}


== सन्दर्भ ==
* [[दशरथ शर्मा]] (1970). ''राजपूत इतिहास और संस्कृति पर एक व्याख्यान'', दिल्ली:मोतीलाल बनारसीदास.
* [[दशरथ शर्मा]] (1970). ''राजपूत इतिहास और संस्कृति पर एक व्याख्यान'', दिल्ली:मोतीलाल बनारसीदास.
* [http://web.archive.org/web/20020808171139/http://www.uq.net.au/~zzhsoszy/ips/j/jodhpur.html सोर्स फ़ॉर प्रोजेनी']
* [http://web.archive.org/web/20020808171139/http://www.uq.net.au/~zzhsoszy/ips/j/jodhpur.html सोर्स फ़ॉर प्रोजेनी']
पंक्ति 62: पंक्ति 60:
* [http://www.4dw.net/royalark/India/jodhpur3.htm History of the Dynasty]
* [http://www.4dw.net/royalark/India/jodhpur3.htm History of the Dynasty]



== सन्दर्भ ==
{{reflist}}
[[श्रेणी:मेवाड़ के शासक]]
[[श्रेणी:मेवाड़ के शासक]]
[[श्रेणी:1416 जन्म]]
[[श्रेणी:1416 जन्म]]

12:41, 30 अप्रैल 2018 का अवतरण

राव जोधा
जोधपुर के संस्थापक
शासनावधि1540– 1597
पूर्ववर्तीराव रणमल
घरानाराठौड़
पिताराव रणमल

राव जोधा जी का जन्म २८ मार्च, १४१६, तदनुसार भादवा बदी 8 सं. 1472 में हुआ था। इनके पिता राव रणमल मारवाड़ के शासक थे। इन्हें जोधपुर शहर की स्थापना के लिए जाना जाता है। इन्होंने ही जोधपुर का मेहरानगढ़ दुर्ग बनवाया था राव ब्रह्मभट्ट राव जोधा के वंशज है|

इतिहास

मेवाड़ का शासन कार्य भी इनकी सहमति से चलता था अतः मेवाड़ के कुछ सरदार इनसे अप्रसन थे और इन्होने मेवाड़ नरेश महाराणा कुम्भा व उनकी माता सोभाग्य देवी को राव रिदमल जी के विरुध बहका दिया |वि॰सं॰ 1495 में एक साजिश के तहत गहरी निंद में सोये राव रिदमल को मर डाला गया व रावत चुडा लाखावत सिसोदिये के नेत्रत्व में मेवाड़ की सेना मंडोर पर आक्रमण कर मारवाड़ राज्य पर अधिकार जमा लिया |अपने पिता के निधन के साथ ही राव जोधा का पेतर्क राज्य भी हाथ से निकल गया, लेकिन राव जोधा ने यह कभी नहीं भुला की धरती वीरों की वधु होती है और युद्ध क्षत्रिय का व्यवसाय |

वसुन्धरा वीरा रि वधु, वीर तीको ही बिन्द |

रण खेती राजपूत रि, वीर न भूले बाल ||

वीर साहसी व पराक्रमी राव जोधा ने मारवाड़ राज्य को पुनः विजय करने हेतु निरंतर संघर्ष जरी रखा और अंत में अपने भाईयों के सक्रिए सहयोग से मंडोर, कोसना व चौकड़ी पर विजय ध्वज लहराकर मारवाड़ में पुनः राठौर राज्य वि॰सं॰ 1510 स्थापित कर अपने पैत्रिक राज्य को मेवाड़ से मुक्त कर लिया |इस विजय के बाद राव जोधा व उनके भाईयों ने सोजत, पाली, खैरवा, नाडोल, नारलोई आदि पर हमला कर जीत लिया | राव जोधा ने अपने भाईयों व पुत्रों के सहयोग से अपने राज्य को मंडोर,मेड़ता, फलोदी,पोकरण, भाद्रजुन,सोजत,पाली, सिवाना,साम्भर,अजमेर,नागौर,डीडवाना तक बड़ा कर एक विशाल राठौर राज्य स्थापित कर दिया | इनके वीर पुत्रों में दुदोजी ने मेड़ता, बिकाजी ने जाग्लुदेश (बीकानेर) व बिदाजी ने छापर विजय कर अलग अलग स्व्तांतर राठोड़ राज्यों की स्थापना की |मंडोर को असुरक्षित समझ कर जेस्ठ शुक्ला 11 शनिवार वि॰सं॰ 1515 में राव जोधा ने जोधपुर के किले मेहरानगढ़की नीवं दल कर जोधपुर नगर बसाया | राव जोधा जी ने अपने राज्य का शासन सुव्यवस्थित चलाने हेतु राज्य के अलग अलग भाग अपने भाईयों व पुत्रों को बाँट दिया.वि॰सं॰ 1545 में राव जोधा जी का निधन हुआ |[1]

इन्हें भी देखें

कांधल जी, रूपा जी, मांडल जी, नथु जी और नन्दा जी ये पाँच सरदार जो जोधा के भाई थे राव मंडल ने जांगलप्रदेश पर सर्व प्रथम अधिकार किया था 1- मारणोत - राठौड़ - शाखाएं 2- मारणोत राठौड़ - श्री राव मांडल जी के वंशज मारणोत राठौड़ हैं | 3- श्री राव मांडल जी - श्री रिडमल जी के पुत्र राव जोधा के भाई राव बीका के काकोसा है | 4- श्री राव मांडल जी - स्मारक : छत्री शिलालेख : वि. सं. (1539) पलाना - शाखा उदगम स्थल | 5- मारणोत - राठौड़ : नख : कुल पांच : ( सदावत, राणावत, जगतावत, मनहोरदासोत, शिवसियोत )

1- मनहोरदासोत मारणोत राठौड़ 2- राव मूल सिंह उर्फ मनहोर सिंह के वंशज मनहोरदासोत उर्फ मुलावत मारणोत कहलाते हैं 3- मनहोरदासोत मारणोत राठौड़ौ का ठिकाणा पलाणा गांव कहां जाता हैं 4- मारणोत राठौड़ौ का ताजीमी ठिकाणा अलाय व प्रमुख ठिकाणा पलाणा कहा जाता है 5- राव मांडल जी जोधपुर घराने से थे ठा. हजारी सिंह ठा.लक्ष्मण सिंह (कालू सिंह) कु. सवाई सिंह मारणोत राठौड़ ठिकाणा पलाणा

टिप्पणी

बाहरी कड़ियाँ


सन्दर्भ

  1. Majumdar, Ramesh Chandra; Pusalker, A. D.; Majumdar, A. K., संपा॰ (1960). The History and Culture of the Indian People. VI: The Delhi Sultanate. Bombay: Bharatiya Vidya Bhavan. पपृ॰ 355–357. The death of Jodha in 1488 was followed by a struggle among his sons for succession ... [the nobles] consecrated Satal ... Shortly afterwards, however, Satal died ... another brother, Suja, secured the throne ... History repeated itself when Suja died in 1515 ... [Satal] fell mortally wounded in the battlefield (1491).