"गुजरी महल": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
ss
NON NOTABLE FOLKLORE
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{| class="metadata plainlinks ambox ambox-speedy" style="font-size:95%;" role="presentation"
{{subst:prod|non notable, looks like some folklore}}
| class="mbox-empty-cell" |

| class="mbox-text" style="" |<span class="mbox-text-span">'''इस को [[विकिपीडिया:हटाना|विकिपीडिया पर पृष्ठों को हटाने की नीति]] के अंतर्गत [[विकिपीडिया:हटाना#.E0.A4.B6.E0.A5.80.E0.A4.98.E0.A5.8D.E0.A4.B0 .E0.A4.B9.E0.A4.9F.E0.A4.BE.E0.A4.A8.E0.A4.BE|शीघ्र हटाने]] के लिये नामांकित किया गया है।&nbsp;नामांकन के लिये निम्न कारण दिया गया है:<center><span style="color:red;">OR</span></center>'''स्वयं बनाए पृष्ठों से '''नामांकन न हटाएँ।'''</span><span class="mbox-text-span">यदि यह आपने बनाया है, और आप इसके नामांकन का विरोध करते हैं, तो इसके हटाए जाने पर आपत्ति करने के लिए नीचे दिये बटन पर क्लिक करें। इससे आपको इस नामांकन पर आपत्ति जताने के लिये एक पूर्व-स्वरूपित जगह मिलेगी जहाँ आप इस पृष्ठ को हटाने के विरोध का कारण बता सकते हैं। आप सीधे वार्ता पृष्ठ पर जाकर यह भी देख सकते हैं कि इस नामांकन पर क्या चर्चा चल रही है। <inputbox>
type=commenttitle
default=शीघ्र हटाने पर चर्चा
preload=साँचा:शीह विरोध
hidden=yes
page=वार्ता:गुजरी महल
buttonlabel=इस नामांकन पर आपत्ति जताने हेतु यहाँ क्लिक करें।
break=no
</inputbox> ध्यान रखें कि नामांकन के पश्चात् यदि यह पृष्ठ किसी वैध मापदंड के अंतर्गत नामांकित है, और वार्ता पृष्ठ पर हटाने के विरोध का कारण सही नहीं है,&nbsp; तो इसे कभी भी हटाया जा सकता है। <small><span class="sysop-show">[[विकिपीडिया:प्रबंधक|प्रबंधक]]: जाँचें [[विशेष:कड़ियाँ/गुजरी महल|कड़ियाँ]], [//hi.wikipedia.org/w/index.php?title=%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%9C%E0%A4%B0%E0%A5%80_%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%B2&action=history पृष्ठ इतिहास] ([//hi.wikipedia.org/w/index.php?title=%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%9C%E0%A4%B0%E0%A5%80_%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%B2&diff=0 पिछला संपादन]), और [//hi.wikipedia.org/w/index.php?title=%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%87%E0%A4%B7:Log&page=%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%9C%E0%A4%B0%E0%A5%80_%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%B2 लॉग], उसके बाद ही [//hi.wikipedia.org/w/index.php?title=%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%9C%E0%A4%B0%E0%A5%80_%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%B2&action=delete&wpReason=OR हटाएँ]। वैकल्पिक रूप से आप चाहें तो '''गुजरी महल''' के लिये गूगल परिणाम: <small>[[google:गुजरी+महल|खोज]]&nbsp;&#x2022;&#x20;</small><small>[//books.google.com/?q=%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%9C%E0%A4%B0%E0%A5%80+%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%B2 पुस्तक]&nbsp;&#x2022;&#x20;</small><small>[//news.google.com/?q=%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%9C%E0%A4%B0%E0%A5%80+%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%B2 समाचार]&nbsp;&#x2022;&#x20;</small><small>[[scholar:गुजरी+महल&hl=hi|विद्वान]]&nbsp;&#x2022;&#x20;</small> जाँच लें।<br>
</span>इस पृष्ठ का [//hi.wikipedia.org/w/index.php?title=%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%9C%E0%A4%B0%E0%A5%80_%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%B2&diff=cur अंतिम संपादन] 10:48 UTC को हुआ है। ([//hi.wikipedia.org/w/index.php?title=%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%9C%E0%A4%B0%E0%A5%80_%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%B2&action=purge 0 सेकेंड पहले])</small>
: <small>''कृपया पृष्ठ निर्माता के वार्ता पृष्ठ पर निम्न साँचा लगा दें :-''</small>
: ''<small><code><nowiki>{{subst:</nowiki>[[साँचा:शीह सूचना-कारण|शीह सूचना-कारण]]<nowiki>|गुजरी महल|OR}}~~~~</nowiki></code></small>''<span class="hide-when-compact"> </span><span class="hide-when-compact"> </span>
</span>
|}
[[हरियाणा]] के [[हिसार क़िले]] में स्थित '''गूजरी महल''' आज भी सुल्तान फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ और गूजरी की अमर प्रेमकथा की गवाही दे रहा है। गूजरी महल भले ही आगरा के ताजमहल जैसी भव्य इमारत न हो, लेकिन दोनों की पृष्ठभूमि प्रेम पर आधारित है। ताजमहल मुग़ल बादशाह शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज़ की याद में १६३१ में बनवाना शुरू किया था, जो २२ साल बाद बनकर तैयार हो सका। हिसार का गूजरी महल १३५४ में [[फ़िरोज़ शाह तुग़लक़]] ने अपनी प्रेमिका गूजरी के प्रेम में बनवाना शुरू किया, जो महज़ दो साल में बनकर तैयार हो गया। गूजरी महल में काला पत्थर इस्तेमाल किया गया है, जबकि ताजमहल बेशक़ीमती सफ़ेद संगमरमर से बनाया गया है। इन दोनों ऐतिहासिक इमारतों में एक और बड़ी असमानता यह है कि ताजमहल शाहजहां ने मुमताज़ की याद में बनवाया था। ताज एक मक़बरा है, जबकि गूजरी महल फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ ने गूजरी के रहने के लिए बनवाया था, जो महल ही है।
[[हरियाणा]] के [[हिसार क़िले]] में स्थित '''गूजरी महल''' आज भी सुल्तान फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ और गूजरी की अमर प्रेमकथा की गवाही दे रहा है। गूजरी महल भले ही आगरा के ताजमहल जैसी भव्य इमारत न हो, लेकिन दोनों की पृष्ठभूमि प्रेम पर आधारित है। ताजमहल मुग़ल बादशाह शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज़ की याद में १६३१ में बनवाना शुरू किया था, जो २२ साल बाद बनकर तैयार हो सका। हिसार का गूजरी महल १३५४ में [[फ़िरोज़ शाह तुग़लक़]] ने अपनी प्रेमिका गूजरी के प्रेम में बनवाना शुरू किया, जो महज़ दो साल में बनकर तैयार हो गया। गूजरी महल में काला पत्थर इस्तेमाल किया गया है, जबकि ताजमहल बेशक़ीमती सफ़ेद संगमरमर से बनाया गया है। इन दोनों ऐतिहासिक इमारतों में एक और बड़ी असमानता यह है कि ताजमहल शाहजहां ने मुमताज़ की याद में बनवाया था। ताज एक मक़बरा है, जबकि गूजरी महल फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ ने गूजरी के रहने के लिए बनवाया था, जो महल ही है।



10:50, 5 दिसम्बर 2017 का अवतरण

हरियाणा के हिसार क़िले में स्थित गूजरी महल आज भी सुल्तान फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ और गूजरी की अमर प्रेमकथा की गवाही दे रहा है। गूजरी महल भले ही आगरा के ताजमहल जैसी भव्य इमारत न हो, लेकिन दोनों की पृष्ठभूमि प्रेम पर आधारित है। ताजमहल मुग़ल बादशाह शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज़ की याद में १६३१ में बनवाना शुरू किया था, जो २२ साल बाद बनकर तैयार हो सका। हिसार का गूजरी महल १३५४ में फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ ने अपनी प्रेमिका गूजरी के प्रेम में बनवाना शुरू किया, जो महज़ दो साल में बनकर तैयार हो गया। गूजरी महल में काला पत्थर इस्तेमाल किया गया है, जबकि ताजमहल बेशक़ीमती सफ़ेद संगमरमर से बनाया गया है। इन दोनों ऐतिहासिक इमारतों में एक और बड़ी असमानता यह है कि ताजमहल शाहजहां ने मुमताज़ की याद में बनवाया था। ताज एक मक़बरा है, जबकि गूजरी महल फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ ने गूजरी के रहने के लिए बनवाया था, जो महल ही है।

गूजरी महल की स्थापना के लिए बादशाह फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ ने क़िला बनवाया। यमुना नदी से हिसार तक नहर लाया और एक नगर बसाया। क़िले में आज भी दीवान-ए-आम, बारादरी और गूजरी महल मौजूद हैं। दीवान-ए-आम के पूर्वी हिस्से में स्थित कोठी फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ का महल बताई जाती है। इस इमारत का निचला हिस्सा अब भी महल-सा दिखता है। फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ के महल की बंगल में लाट की मस्जिद है। अस्सी फ़ीट लंबे और 29 फ़ीट चौड़े इस दीवान-ए-आम में सुल्तान कचहरी लगाता था। गूजरी महल के खंडहर इस बात की निशानदेही करते हैं कि कभी यह विशाल और भव्य इमारत रही होगी।

सुल्तान फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ और गूजरी की प्रेमगाथा बड़ी रोचक है। हिसार जनपद के ग्रामीण इस प्रेमकथा को इकतारे पर सुनते नहीं थकते। यह प्रेम कहानी लोकगीतों में मुखरित हुई है। फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ दिल्ली का सम्राट बनने से पहले शहज़ादा फ़िरोज़ मलिक के नाम से जाने जाते थे। शहज़ादा अकसर हिसार इलाक़े के जंगल में शिकार खेलने आते थे। उस वक्त यहां गूजर जाति के लोग रहते थे। दुधारू पशु पालन ही उनका मुख्य व्यवसाय था। उस काल में हिसार क्षेत्र की भूमि रेतीली और ऊबड़-खाबड़ थी। चारों तरफ़ घना जंगल था। गूजरों की कच्ची बस्ती के समीप पीर का डेरा था। आने-जाने वाले यात्री और भूले-भटके मुसाफ़िरों की यह शरणस्थली थी। इस डेरे पर एक गूजरी दूध देने आती थी। डेरे के कुएं से ही आबादी के लोग पानी लेते थे। डेरा इस आबादी का सांस्कृतिक केंद्र था।

एक दिन शहज़ादा फ़िरोज़ शिकार खेलते-खेलते अपने घोड़े के साथ यहां आ पहुंचा। उसने गूजर कन्या को डेरे से बाहर निकलते देखा तो उस पर मोहित हो गया। गूजर कन्या भी शहज़ादा फ़िरोज़ से प्रभावित हुए बिना न रह सकी। अब तो फ़िरोज़ का शिकार के बहाने डेरे पर आना एक सिलसिला बन गया। फ़िरोज़ ने गूजरी के समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखा तो उस गूजर कन्या ने विवाह की मंजरी तो दे दी, लेकिन दिल्ली जाने से यह कहकर इंकार कर दिया कि वह अपने बूढ़े माता-पिता को छोड़कर नहीं जा सकती। फ़िरोज़ ने गूजरी को यह कहकर मना लिया कि वह उसे दिल्ली नहीं ले जाएगा। 1309 में दयालपुल में जन्मा फ़िरोज़ 23 मार्च 1351 को दिल्ली का सम्राट बना। फ़िरोज़ की मां हिन्दू थी और पिता तुर्क मुसलमान था। सुल्तान फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ ने इस देश पर साढ़े 37 साल शासन किया। उसने लगभग पूरे उत्तर भारत में कलात्मक भवनों, किलों, शहरों और नहरों का जाल बिछाने में ख्याति हासिल की। उसने लोगों के लिए अनेक कल्याणकारी काम किए। उसके दरबार में साहित्यकार, कलाकार और विद्वान सम्मान पाते थे।

दिल्ली का सम्राट बनते ही फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ ने महल हिसार इलांके में महल बनवाने की योजना बनाई। महल क़िले में होना चाहिए, जहां सुविधा के सब सामान मौजूद हों। यह सोचकर उसने क़िला बनवाने का फ़ैसला किया। बादशाह ने ख़ुद ही करनाल में यमुना नदी से हिसार के क़िले तक नहरी मार्ग की घोड़े पर चढ़कर निशानदेही की थी। दूसरी नहर सतलुज नदी से हिमालय की उपत्यका से क़िले में लाई गई थी। तब जाकर कहीं अमीर उमराओं ने हिसार में बसना शुरू किया था।

किवदंती है कि गूजरी दिल्ली आई थी, लेकिन कुछ दिनों बाद अपने घर लौट आई। दिल्ली के कोटला फ़िरोज़ शाह में गाईड एक भूल-भूलैया के पास गूजरी रानी के ठिकाने का भी ज़िक्र करते हैं। तभी हिसार के गूजरी महल में अद्भुत भूल-भूलैया आज भी देखी जा सकती है।

क़ाबिले-गौर है कि हिसार को फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ के वक्त से हिसार कहा जाने लगा, क्योंकि उसने यहां हिसार-ए-फ़िरोज़ा नामक क़िला बनवाया था। 'हिसार' फ़ारसी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है 'क़िला'। इससे पहले इस जगह को 'इसुयार' कहा जाता था। अब गूजरी महल खंडहर हो चुका है। इसके बारे में अब शायद यही कहा जा सकता है-

सुनने की फ़ुर्सत हो तो आवाज़ है पत्थरों में,

उजड़ी हुई बस्तियों में आबादियां बोलती हैं।..''