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[[चित्र:Hindu calendar 1871-72.jpg|200px|thumb|वर्ष 1871-72 के हिन्दू पंचांग का एक पृष्ठ]]
'''हिन्दू पंचांग''' [[हिन्दू]] समाज द्वारा माने जाने वाला [[कालदर्शक|कैलेंडर]] है। इसके भिन्न-भिन्न रूप
एक साल में १२ महीने होते हैं। प्रत्येक महीने में १५ दिन के दो पक्ष होते हैं- शुक्ल और कृष्ण। प्रत्येक साल में दो अयन होते हैं। इन दो अयनों की राशियों में २७ नक्षत्र भ्रमण करते रहते हैं। १२ मास का एक वर्ष और ७ दिन का एक सप्ताह रखने का प्रचलन [[विक्रम संवत]] से शुरू हुआ। महीने का हिसाब [[सूर्य]] व [[चंद्रमा]] की गति पर रखा जाता है। यह १२ [[राशियाँ]] बारह सौर मास हैं। जिस दिन सूर्य जिस राशि
== तिथि ==
12 राशियों को बारह सौरमास माना जाता है। जिस दिन सूर्य जिस राशि में प्रवेश करता है उसी दिन की संक्रांति होती है। इस राशि प्रवेश से ही सौरमास का नया महीना शुरू माना गया है। सौर-वर्ष के दो भाग हैं- उत्तरायण छह माह का और दक्षिणायन भी छह मास का। जब सूर्य उत्तरायण होता है तब हिंदू धर्म अनुसार यह तीर्थ यात्रा व उत्सवों का समय होता है। पुराणों अनुसार अश्विन, कार्तिक मास में तीर्थ का महत्व बताया गया है। उत्तरायण के समय पौष-माघ मास चल रहा होता है।
मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होता है जबकि सूर्य धनु से मकर राशि में प्रवेश करता है। सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करता है तब सूर्य दक्षिणायन होता है। दक्षिणायन व्रतों का और उपवास का समय होता है जबकि चंद्रमास अनुसार अषाढ़ या श्रावण मास चल रहा होता है। व्रत से रोग और शोक मिटते हैं। दक्षिणायन में विवाह और उपनयन आदि संस्कार वर्जित है, जब कि अग्रहायण मास में ये सब किया जा सकता है अगर सूर्य वृश्चिक राशि में हो। और उत्तरायण सौर मासों में मीन मास
सौरमास के नाम : मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ, मीन।
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