"कटारमल सूर्य मन्दिर": अवतरणों में अंतर

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== इन्हें भी देखें ==
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* [[दूनागिरी]]
* [[पौराणिक बृद्धकेदार]]
* [[सोमनाथेश्वर महादेव]]
* [[जागेश्वर धाम, अल्मोड़ा]]
* [[पाताल भुवनेश्वर]]
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== सन्दर्भ ==
== सन्दर्भ ==

09:48, 16 नवम्बर 2017 का अवतरण

कटारमल सूर्य मन्दिर
चित्र:Katarmal001.jpg
कटारमल सूर्य मन्दिर (2013)
धर्म संबंधी जानकारी
सम्बद्धताहिन्दू धर्म
शासी निकायअधेली सुनार व कटारमल
अवस्थिति जानकारी
अवस्थितिकटारमल अल्मोड़ा, उत्तराखण्ड
कटारमल सूर्य मन्दिर is located in पृथ्वी
कटारमल सूर्य मन्दिर
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वास्तु विवरण
प्रकारकत्यूरी शासक कटारमल
निर्माताकत्यूरी शासक कटारमल

कटारमल सूर्य मन्दिर भारतवर्ष का प्राचीनतम सूर्य मन्दिर है। यह पूर्वाभिमुखी है तथा उत्तराखण्ड राज्य में अल्मोड़ा जिले के अधेली सुनार नामक गॉंव में स्थित है। इसका निर्माण कत्यूरी राजवंश के तत्कालीन शासक कटारमल के द्वारा छठीं से नवीं शताब्दी में हुआ था। यह कुमांऊॅं के विशालतम ऊँचे मन्दिरों में से एक व उत्तर भारत में विलक्षण स्थापत्य एवम् शिल्प कला का बेजोड़ उदाहरण है तथा समुद्र सतह से लगभग 2116 मीटर की ऊँचाई पर पर्वत पर स्थित है।

इतिहास

कटारमल सूर्य मन्दिर का निर्माण मध्ययुगीन कत्यूरी राजवंश के शासक कटारमल के द्वारा छठीं से नवीं शताब्दी में हुआ था।

संरचना एवम् विशेषता

चित्र:Katarmal002.jpg
सूर्य-मन्दिर का ध्वस्त शिखर (2013)

कटारमल सूर्य मन्दिर का निर्माण कत्यूरी राजवंश के शासक कटारमल के द्वारा हुआ था। इसका निर्माण एक ऊँचे वर्गाकार चबूतरे पर है, जो भारतवर्ष मेंं सूर्यदेव को समर्पित प्राचीन और प्रमुख मन्दिरों में से एक है। आज भी मन्दिर के ऊँचे खंडित शिखर को देखकर इसकी विशालता व वैभव का अनुमान स्पष्ट होता है। मुख्य मन्दिर के आस-पास 45 छोटे-बड़े मन्दिरों का समूह भी बेजोड़ है। मुख्य मन्दिर की संरचना त्रिरथ है और वर्गाकार गर्भगृह के साथ वक्ररेखी शिखर सहित निर्मित है। गर्भगृह का प्रवेश द्वार बेजोड़ काष्ठ कला द्वारा उत्कीर्ण था, जो कुछ अन्य अवशेषों के साथ वर्तमान में नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय में प्रदर्शित है।

पौराणिक माहात्म्य

पौराणिक उल्लेखों के अनुसार सतयुग में उत्तराखण्ड की कन्दराओं में जब ऋषि-मुनियों पर धर्मद्वेषी असुर ने अत्याचार किये थे। तत्समय द्रोणगिरी (दूनागिरी), कषायपर्वत तथा कञ्जार पर्वत के ऋषि मुनियों ने कौशिकी (कोसी नदी) के तट पर आकर सूर्य-देव की स्तुति की। ऋषि मुनियों की स्तुति से प्रसन्न होकर सूर्य-देव ने अपने दिव्य तेज को वटशिला में स्थापित कर दिया। इसी वटशिला पर कत्यूरी राजवंश के शासक कटारमल ने बड़ादित्य नामक तीर्थ स्थान के रूप में प्रस्तुत सूर्य-मन्दिर का निर्माण करवाया होगा। जो अब कटारमल सूर्य-मन्दिर के नाम से प्रसिद्ध है।

किंवदन्तियॉं व कथाऐं

आवागमन

कटारमल सूर्य मन्दिर अल्मोड़ा से रानीखेत मोटरमार्ग के समीप है। अल्मोड़ा से १४ किलोमीटर के बाद ३ किलोमीटर पैदल मार्ग है।

वायु मार्ग

निकटतम हवाई अड्डा रामनगर व हल्द्वानी के मध्य में स्थित पंतनगर विमानक्षेत्र है। यह सड़क द्वारा लगभग 135 किलोमीटर की दूरी पर पंतनगर में ही है। जहॉं से सुविधानुसार टैक्सी अथवा कार से पहुॅंचा जा सकता है।

रेल मार्ग

रेलवे जंक्‍शन काठगोदाम जो कि लगभग एक सौ किलोमीटर की दूरी पर तथा दूसरा रेलवे जंक्शन 130 किलोमीटर पर रामनगर में है। दोनों स्थानों से सुविधानुसार उत्तराखण्ड परिवहन की बस अथवा टैक्सी कार द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।

सड़क मार्ग

दिल्‍ली के आनन्द विहार आईएसबीटी से लगभग 350 किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ से अल्मोड़ा व रानीखेत के लिये उत्तराखंड परिवहन की बसें नियमित रूप से उपलब्ध होती हैं। जिनके द्वारा 10-15 घंटों में यहाँ पहुंचा जाता है। प्रदेश के अन्‍य स्थानों से भी बसों की सुविधाऐं उपलब्ध हैं।

दिल्‍ली से रूट: राष्‍ट्रीय राजमार्ग 24 से हापुड़, गजरौला, मुरादाबाद, काशीपुर, हलद्वानी, भवाली तथा अल्मोड़ा व रानीखेत होते हुए पहुंचा जा सकता है।

चित्र वीथिका

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ