"श्रीलंका": अवतरणों में अंतर
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भारतीय पौराणिक काव्यों में इस स्थान का वर्णन लंका के रूप में किया गया है। इस जगह पर सर्वप्रथम बाबा भोले (शिवजी) ने अपने परिवार के लिए स्वर्णमहल बनाया था, इस राज्य की गृह प्रवेश करने के लिए उस समय के महान पंडित अति ज्ञनी भोले नाथ के परम भक़्त महान ब्राह्मण [[ |
भारतीय पौराणिक काव्यों में इस स्थान का वर्णन लंका के रूप में किया गया है। इस जगह पर सर्वप्रथम बाबा भोले (शिवजी) ने अपने परिवार के लिए स्वर्णमहल बनाया था, इस राज्य की गृह प्रवेश करने के लिए उस समय के महान पंडित अति ज्ञनी भोले नाथ के परम भक़्त महान ब्राह्मण [[विश्रवा]] को आमंत्रित किया गया, जिन्होंने दछिना में पूरे लंका को ही मांग लिया। बाद में जब रावण मिथिला कुमारी, प्रभु श्री राम जी की अर्धांग्नी जानकी माता सीता को हर लाये थे, तादौप्रान्त श्री हनुमान जी माता के पास सन्देश लेके आये, जब रावण को ये बात पता चली तो उन्होंने हनुमान जी की पूछ को बड़ा करबा कर उसमें आग लगा दिये, तो हनुमान जी ने गुस्से से पूरी सोने की लंका को जला दिए थे, जिसका प्रमाण अभी भी वहाँ के समुंद्री इलाकों में पाया जाता है। इतिहासकारों में इस बात की आम धारणा थी कि श्रीलंका के आदिम निवासी और [[दक्षिण भारत]] के आदि मानव एक ही थे। पर अभी ताजा खुदाई से पता चला है कि श्रीलंका के शुरुआती मानव का संबंध उत्तर भारत के लोगों से था। भाषिक विश्लेषणों से पता चलता है कि सिंहली भाषा, [[गुजराती भाषा]] और [[सिंधी भाषा]] से जुड़ी है। |
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प्राचीन काल से ही श्रीलंका पर शाही सिंहल वंश का शासन रहा है। समय-समय पर दक्षिण भारतीय राजवंशों का भी आक्रमण भी इस पर होता रहा है। तीसरी सदी ईसा पूर्व में [[मौर्य]] [[सम्राट अशोक]] के पुत्र [[महेन्द्र]] के यहां आने पर [[बौद्ध धर्म]] का आगमन हुआ। |
प्राचीन काल से ही श्रीलंका पर शाही सिंहल वंश का शासन रहा है। समय-समय पर दक्षिण भारतीय राजवंशों का भी आक्रमण भी इस पर होता रहा है। तीसरी सदी ईसा पूर्व में [[मौर्य]] [[सम्राट अशोक]] के पुत्र [[महेन्द्र]] के यहां आने पर [[बौद्ध धर्म]] का आगमन हुआ। |
13:06, 28 अक्टूबर 2017 का अवतरण
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ශ්රී ලංකා ප්රජාතාන්ත්රික සමාජවාදී ජනරජය இலங்கை ஜனநாயக சமத்துவ குடியரசு श्रीलंका समाजवादी जनतान्त्रिक गणराज्य |
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राष्ट्रगान: "श्रीलंका माता" [[:Media:|संगीत]] सहायता·[[:Image:|सूचना]], [[:Media:|गायन]] सहायता·[[:Image:|सूचना]] |
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राजधानी | श्री जयवर्धनापुरा-कोट्टी 6°54′N 79°54′E / 6.900°N 79.900°E | |||||
सबसे बड़ा नगर | कोलम्बो | |||||
राजभाषा(एँ) | सिंहला, तमिल | |||||
अन्तरजातीय संवाद के लिए प्रयुक्त भाषा | अंग्रेजी | |||||
निवासी | श्रीलंकन | |||||
सरकार | लोकतान्त्रिक समाजवादी गणराज्य | |||||
- | राष्ट्रपति | मैत्रीपाला सिरीसेना | ||||
- | प्रधानमन्त्री | रानिल विक्रम सिंघे | ||||
[ | ||||||
- | स्वतन्त्रता संयुक्त राजशाही से | ४ फ़रवरी १९४८ | ||||
- | गणराज्य | २२ मई १९७२ | ||||
क्षेत्रफल | ||||||
- | कुल | ६५,६१० km2 (१२२ वां) | ||||
- | जल (%) | ४.४ | ||||
जनसंख्या | ||||||
- | २००९ जनगणना | २०,२४२,००० (५३वां) | ||||
- | जुलाई २००८ जनगणना | २१,३२४,७९१ | ||||
सकल घरेलू उत्पाद (पीपीपी) | २००८ प्राक्कलन | |||||
- | कुल | $९२.०१८ बिलियन (-) | ||||
- | प्रति व्यक्ति | $४,५८१ (-) | ||||
मुद्रा | श्रीलंकाई रुपया (LKR) | |||||
समय मण्डल | श्रीलंकाई मानक समय मण्डल (यू॰टी॰सी॰+५:३०) | |||||
यातायात चालन दिशा | left | |||||
दूरभाष कूट | ९४ | |||||
इंटरनेट टीएलडी | .lk |
श्रीलंका (आधिकारिक नाम श्रीलंका समाजवादी जनतांत्रिक गणराज्य) दक्षिण एशिया में हिन्द महासागर के उत्तरी भाग में स्थित एक द्वीपीय देश है। भारत के दक्षिण में स्थित इस देश की दूरी भारत से मात्र ३१ किलोमीटर है। १९७२ तक इसका नाम सीलोन (अंग्रेजी:Ceylon) था, जिसे १९७२ में बदलकर लंका तथा १९७८ में इसके आगे सम्मानसूचक शब्द "श्री" जोड़कर श्रीलंका कर दिया गया। श्रीलंका का सबसे बड़ा नगर कोलम्बो समुद्री परिवहन की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण बन्दरगाह है।
इतिहास
भारतीय पौराणिक काव्यों में इस स्थान का वर्णन लंका के रूप में किया गया है। इस जगह पर सर्वप्रथम बाबा भोले (शिवजी) ने अपने परिवार के लिए स्वर्णमहल बनाया था, इस राज्य की गृह प्रवेश करने के लिए उस समय के महान पंडित अति ज्ञनी भोले नाथ के परम भक़्त महान ब्राह्मण विश्रवा को आमंत्रित किया गया, जिन्होंने दछिना में पूरे लंका को ही मांग लिया। बाद में जब रावण मिथिला कुमारी, प्रभु श्री राम जी की अर्धांग्नी जानकी माता सीता को हर लाये थे, तादौप्रान्त श्री हनुमान जी माता के पास सन्देश लेके आये, जब रावण को ये बात पता चली तो उन्होंने हनुमान जी की पूछ को बड़ा करबा कर उसमें आग लगा दिये, तो हनुमान जी ने गुस्से से पूरी सोने की लंका को जला दिए थे, जिसका प्रमाण अभी भी वहाँ के समुंद्री इलाकों में पाया जाता है। इतिहासकारों में इस बात की आम धारणा थी कि श्रीलंका के आदिम निवासी और दक्षिण भारत के आदि मानव एक ही थे। पर अभी ताजा खुदाई से पता चला है कि श्रीलंका के शुरुआती मानव का संबंध उत्तर भारत के लोगों से था। भाषिक विश्लेषणों से पता चलता है कि सिंहली भाषा, गुजराती भाषा और सिंधी भाषा से जुड़ी है।
प्राचीन काल से ही श्रीलंका पर शाही सिंहल वंश का शासन रहा है। समय-समय पर दक्षिण भारतीय राजवंशों का भी आक्रमण भी इस पर होता रहा है। तीसरी सदी ईसा पूर्व में मौर्य सम्राट अशोक के पुत्र महेन्द्र के यहां आने पर बौद्ध धर्म का आगमन हुआ।
सोलहवीं सदी में यूरोपीय शक्तियों ने श्रीलंका में अपना व्यापार स्थापित किया। देश चाय, रबड़, चीनी, कॉफ़ी, दालचीनी सहित अन्य मसालों का निर्यातक बन गया। पहले पुर्तगाल ने कोलम्बो के पास अपना दुर्ग बनाया। धीरे-धीरे पुर्तगालियों ने अपना प्रभुत्व आसपास के इलाकों में बना लिया। श्रीलंका के निवासियों में उनके प्रति घृणा घर कर गई। उन्होंने डच लोगों से मदद की अपील की। १६३० ईस्वी में डचों ने पुर्तगालियों पर हमला बोला और उन्हें मार गिराया, लेकिन इसका असर श्रीलंकाई पर भी हुआ और उन पर डचों ने और ज्यादा कर थोप दिया। १६६० तक अंग्रेजों का ध्यान भी इस पर गया। नीदरलैंड पर फ्रांस के अधिकार होने के बाद अंग्रेजों को डर हुआ कि श्रीलंका के डच इलाकों पर फ्रांसिसी अधिकार हो जाएगा। तदुपरांत उन्होंने डच इलाकों पर अधिकार करना आरंभ कर दिया। १८०० ईस्वी के आते-आते तटीय इलाकों पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया। १८१८ तक अंतिम राज्य कैंडी के राजा ने भी आत्मसमर्पण कर दिया और इस तरह सम्पूर्ण श्रीलंका पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद ४ फरवरी १९४८ को देश को संयुक्त राजशाही से पूर्ण स्वतंत्रता मिली।
भूगोल
हिन्द महासागर के उत्तरी भाग मे स्थित इस द्वीप राष्ट्र की भूमि केन्द्रीय पहाड़ों तथा तटीय मैदानों से मिलकर बनी है। वार्षिक वर्षा २५०० से ५००० मि.मी. तक होती है। वार्षिक तापमान का औसत मैदानी इलाकों में २७ डिग्री सेल्सियस तथा नुवर एलिय (ऊंचाई - १८०० मीटर) के इलाके में १५ डिग्री सेल्सियस रहता है। इस देश का विस्तार ६-१० गिग्री उत्तरी अक्षांश के मध्य होने, तथा चारो ओर समुद्र से घिरे होने की वजह से यह एक उष्ण कटिबंधीय जलवायु क्षेत्र है। यहां की औसत सापेक्षिक आर्द्रता दिन में ७०% से लेकर रात के समय में ९०% तक हो जाती है।
विभाग
प्रशासकीय रूप से श्रीलंका ९ प्रान्तों में बंटा हुआ है। इन ९ प्रान्तों में कुल २५ जिले हैं। इन जिलों के तहत मंडलीय सचिवालय आते हैं और इनके घटक इकाईयों को ग्राम सेवक खंड कहते हैं।
राज्य | राजधानी | जिले | |
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1 | केन्द्रीय | कैंडी (महनुवर') | कैंडी, मातले, नुवर एलिय |
2 | उत्तरी मध्य | अनुराधपुर' | अनुराधपुर, पोलोन्नारुव' |
3 | उत्तरी | जाफ़ना | जाफ़ना, किलिनोच्चि, मन्नार, वावुनिया, मुलैतिवु |
4 | पूर्वी | त्रिंकोन्माली | अम्पार', बट्टिकलोआ, त्रिंकोन्माली |
5 | उत्तर पश्चिमी | कुरुनेगल | कुरुनेगल', पुत्तलम |
6 | दक्षिणी | गाल्ल | गाल्ल, हम्बन्तोट', मातर' |
7 | उवा | बदुल्ल | बदुल्ल, मोनरागल' |
8 | सबरगमुव | रतनपुर | केगल्ल, रतनपुर' |
9 | पश्चिमी | कोलम्बो | कोलम्बो, गम्पहा, कलुतर |
जनवृत्त
यह देश एक बहुजातीय तथा बहुधार्मिक है। यहां के निवासियों में ७४% सिंहली, १८% तमिल, ७% ईसाई तथा १% अन्य जातिमूल के हैं।
जातीय संघर्ष
श्रीलंकाई गृहयुद्ध श्रीलंका में बहुसंख्यक सिंहला और अल्पसंख्यक तमिलो के बीच 23 जुलाई, 1983 से आरंभ हुआ गृहयुद्ध है। मुख्यतः यह श्रीलंकाई सरकार और अलगाववादी गुट लिट्टे के बीच लड़ा जाने वाला युद्ध है। 30 महीनों के सैन्य अभियान के बाद मई 2009 में श्रीलंकाई सरकार ने लिट्टे को परास्त कर दिया।[1]
लगभग 25 वर्षों तक चले इस गृहयुद्ध में दोनों ओर से बड़ी संख्या में लोग मारे गए और यह युद्ध द्वीपीय राष्ट्र की अर्थव्यस्था और पर्यावरण के लिए घातक सिद्ध हुआ। लिट्टे द्वारा अपनाई गई युद्ध-नीतियों के चलते 32 देशों ने इसे आतंकवादी गुटो की श्रेणी में रखा जिनमें भारत[2], ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, यूरोपीय संघ[3] के बहुत से सदस्य राष्ट्र और अन्य कई देश हैं। एक-चौथाई सदी तक चले इस जातीय संघर्ष में सरकारी आँकड़ों के अनुसार ही लगभग 80,000 लोग मारे गए हैं। .
यह भी देखिए
- श्रीलंका (विक्षनरी)