"पृथ्वीराज कपूर": अवतरणों में अंतर

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'''पृथ्वीराज कपूर''' ([[3 नवंबर]] [[1901]] - [[29 मई]] [[1972]]) [[हिंदी सिनेमा]] जगत एवं भारतीय रंगमंच के प्रमुख स्तंभों में गिने जाते है। पृथ्वीराज ने बतौर अभिनेता मूक फिल्मो से अपना करियर शुरू किया। उन्हें भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) के संस्थापक सदस्यों में से एक होने का भी गौरव हासिल है। पृथ्वीराज ने सन् 1944 में मुंबई में पृथ्वी थिएटर की स्थापना की, जो देश भर में घूम-घूमकर नाटकों का प्रदर्शन करता था। इन्हीं से [[कपूर ख़ानदान]] की भी शुरुआत भारतीय सिनेमा जगत में होती है।
'''पृथ्वीराज कपूर''' ([[3 नवंबर]] [[1901]] - [[29 मई]] [[1972]]) [[हिंदी सिनेमा]] जगत एवं भारतीय रंगमंच के प्रमुख स्तंभों में गिने जाते है। पृथ्वीराज ने बतौर अभिनेता मूक फिल्मो से अपना करियर शुरू किया। उन्हें भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) के संस्थापक सदस्यों में से एक होने का भी गौरव हासिल है। पृथ्वीराज ने सन् 1944 में मुंबई में पृथ्वी थिएटर की स्थापना की, जो देश भर में घूम-घूमकर नाटकों का प्रदर्शन करता था। इन्हीं से [[कपूर ख़ानदान]] की भी शुरुआत भारतीय सिनेमा जगत में होती है।


[[1972]] में उनकी मृत्यु के पश्चात उन्हें [[दादा साहब फाल्के पुरस्कार]] से भी नवाज़ा गया। ''' पृथ्वीराज कपूर ''' को [[कला]] क्षेत्र में [[भारत सरकार]] द्वारा सन [[१९६९]] में [[पद्म भूषण]] से सम्मानित किया गया था।
[[1972]] में उनकी मृत्यु के पश्चात उन्हें [[दादा साहब फाल्के पुरस्कार]] से भी नवाज़ा गया। पृथ्वीराज कपूर को [[कला]] क्षेत्र में [[भारत सरकार]] द्वारा सन [[१९६९]] में [[पद्म भूषण]] से सम्मानित किया गया था।


पृथ्वीराज ने [[पेशावर]] [[पाकिस्तान]] के एडवर्ड कालेज से स्नातक की शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने एक साल तक [[कानून]] की शिक्षा भी प्राप्त की जिसके बाद उनका थियेटर की दुनिया में प्रवेश हुआ। 1928 में उनका [[मुंबई]] आगमन हुआ। कुछ एक मूक फिल्मों में काम करने के बाद उन्होंने भारत की पहली बोलनेवाली फिल्म आलम आरा में मुख्य भूमिका निभाई।
पृथ्वीराज ने [[पेशावर]] [[पाकिस्तान]] के एडवर्ड कालेज से स्नातक की शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने एक साल तक [[कानून]] की शिक्षा भी प्राप्त की जिसके बाद उनका थियेटर की दुनिया में प्रवेश हुआ। 1928 में उनका [[मुंबई]] आगमन हुआ। कुछ एक मूक फिल्मों में काम करने के बाद उन्होंने भारत की पहली बोलनेवाली फिल्म ''आलम आरा'' में मुख्य भूमिका निभाई।


==जीवन परिचय==
==जीवन परिचय==

08:58, 6 अगस्त 2017 का अवतरण

पृथ्वीराज कपूर
जन्म 3 नवम्बर 1906
समुंद्री, फैसलाबाद, पंजाब (ब्रिटिश भारत), अब पाकिस्तान का पंजाब[1][2]
मौत 29 मई 1972(1972-05-29) (उम्र 65)
मुंबई, महाराष्ट्र, भारत
पेशा अभिनेता, निर्देशक, निर्माता, लेखक
कार्यकाल 1927–1971
जीवनसाथी रामसरनी मेहरा (1923–1972)
बच्चे 3 (राजकपूर, शम्मी कपूर और शशि कपूर)
संबंधी देखें कपूर परिवार
पुरस्कार पद्म भूषण (1969)
उल्लेखनीय कार्य {{{notable_works}}}

पृथ्वीराज कपूर (3 नवंबर 1901 - 29 मई 1972) हिंदी सिनेमा जगत एवं भारतीय रंगमंच के प्रमुख स्तंभों में गिने जाते है। पृथ्वीराज ने बतौर अभिनेता मूक फिल्मो से अपना करियर शुरू किया। उन्हें भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) के संस्थापक सदस्यों में से एक होने का भी गौरव हासिल है। पृथ्वीराज ने सन् 1944 में मुंबई में पृथ्वी थिएटर की स्थापना की, जो देश भर में घूम-घूमकर नाटकों का प्रदर्शन करता था। इन्हीं से कपूर ख़ानदान की भी शुरुआत भारतीय सिनेमा जगत में होती है।

1972 में उनकी मृत्यु के पश्चात उन्हें दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी नवाज़ा गया। पृथ्वीराज कपूर को कला क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन १९६९ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।

पृथ्वीराज ने पेशावर पाकिस्तान के एडवर्ड कालेज से स्नातक की शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने एक साल तक कानून की शिक्षा भी प्राप्त की जिसके बाद उनका थियेटर की दुनिया में प्रवेश हुआ। 1928 में उनका मुंबई आगमन हुआ। कुछ एक मूक फिल्मों में काम करने के बाद उन्होंने भारत की पहली बोलनेवाली फिल्म आलम आरा में मुख्य भूमिका निभाई।

जीवन परिचय

फिल्म व्यवसाय

सम्मान और पुरस्कार

विरासत

कुछ फ़िल्में

संदर्भ

  1. "Prithviraj Kapoor to Kareena Kapoor and Ranbir Kapoor".
  2. "Prithviraj Kapoor (Indian actor) - Encyclopædia Britannica". Britannica.com. 2013-02-04. अभिगमन तिथि 2017-08-06.