"यूनियन कार्बाइड": अवतरणों में अंतर

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'''यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन''' (यूनियन कार्बाइड) [[संयुक्त राज्य अमेरिका]] की [[रसायन]] और [[बहुलक]] बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनियों मे से एक है और वर्तमान में कम्पनी में 3,800 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं।<ref>[http://www.unioncarbide.com/about/index.htm Union Carbide Corporation, About Us.] Accessed July 9, 2008.</ref> [[1984]] में कम्पनी के [[भारत]] के राज्य [[मध्य प्रदेश]] के शहर [[भोपाल]] स्थित संयंत्र से [[मिथाइल आइसोसाइनेट]] नामक गैस के रिसाव को अब तक की सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटना माना जाता है<ref>[http://www.telegraph.co.uk/news/worldnews/asia/india/5978266/Bhopal-gas-disasters-legacy-lives-on-25-years-later.html]</ref>, जिसने कम्पनी को इसकी अब तक की सबसे बड़ी बदनामी दी है। यूनियन कार्बाइड को इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार पाया गया, लेकिन कम्पनी ने इस त्रासदी के लिए खुद को जिम्मेदार मानने से साफ इंकार कर दिया जिसके परिणामस्वरूप लगभग 15000 लोगों की मृत्यु हो गयी और लगभग 500000 व्यक्ति इससे प्रभावित हुए। 6 फ़रवरी 2001 को यूनियन कार्बाइड, [[डाउ केमिकल कंपनी]] की एक पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी बन गयी।<ref>[http://www.unioncarbide.com/history/index.htm Union Carbide Corporation, History], Accessed July 9, 2008.</ref> इसी वर्ष कम्पनी के गैस पीड़ितों के साथ हुए एक समझौते और भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के शुरुआत के साथ भारत में इसका अध्याय समाप्त हो गया।<ref>http://www.bhopal.com/chrono.htm Website on chronology of Bhopal events set up and maintained by Union Carbide</ref> यूनियन कार्बाइड अपने उत्पादों का अधिकांश डाउ केमिकल को बेचती है। यह डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज का एक पूर्व घटक भी है।<ref>[https://www.globalfinancialdata.com/articles/dow_jones.html History of DJIA, globalfinancialdata.com]</ref>
'''यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन''' (यूनियन कार्बाइड) [[संयुक्त राज्य अमेरिका]] की [[रसायन]] और [[बहुलक]] बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है और वर्तमान में कम्पनी में 3,800 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं।<ref>[http://www.unioncarbide.com/about/index.htm Union Carbide Corporation, About Us.] Accessed July 9, 2008.</ref> [[1984]] में कम्पनी के [[भारत]] के राज्य [[मध्य प्रदेश]] के शहर [[भोपाल]] स्थित संयंत्र से [[मिथाइल आइसोसाइनेट]] नामक गैस के रिसाव को अब तक की सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटना माना जाता है<ref>[http://www.telegraph.co.uk/news/worldnews/asia/india/5978266/Bhopal-gas-disasters-legacy-lives-on-25-years-later.html]</ref>, जिसने कम्पनी को इसकी अब तक की सबसे बड़ी बदनामी दी है। यूनियन कार्बाइड को इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार पाया गया, लेकिन कम्पनी ने इस त्रासदी के लिए खुद को जिम्मेदार मानने से साफ इंकार कर दिया जिसके परिणामस्वरूप लगभग 15000 लोगों की मृत्यु हो गयी और लगभग 500000 व्यक्ति इससे प्रभावित हुए। 6 फ़रवरी 2001 को यूनियन कार्बाइड, [[डाउ केमिकल कंपनी]] की एक पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी बन गयी।<ref>[http://www.unioncarbide.com/history/index.htm Union Carbide Corporation, History], Accessed July 9, 2008.</ref> इसी वर्ष कम्पनी के गैस पीड़ितों के साथ हुए एक समझौते और भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के शुरुआत के साथ भारत में इसका अध्याय समाप्त हो गया।<ref>http://www.bhopal.com/chrono.htm Website on chronology of Bhopal events set up and maintained by Union Carbide</ref> यूनियन कार्बाइड अपने उत्पादों का अधिकांश डाउ केमिकल को बेचती है। यह डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज का एक पूर्व घटक भी है।<ref>[https://www.globalfinancialdata.com/articles/dow_jones.html History of DJIA, globalfinancialdata.com]</ref>


सन 1920 में, इसके शोधकर्ताओं ने प्राकृतिक गैस द्रवों जैसे कि [[इथेन]] और [[प्रोपेन]] से [[इथिलीन]] बनाने की एक किफायती विधि विकसित की जिसने आधुनिक पेट्रोरसायन उद्योग को जन्म दिया। आज, यूनियन कार्बाइड के पास इस उद्योग से जुड़ी सबसे उन्नत प्रक्रियायें और उत्प्रेरक प्रौद्योगिकियां हैं और यह विश्व की कुछ सबसे किफायती और बड़े पैमाने की उत्पादन सुविधाओं का प्रचालन करती है। विनिवेश से पहले विभिन्न उत्पाद जैसे कि [[एवरेडी]] और [[एनर्जाइज़र]] [[बैटरी]]ज़, ग्लैड बैग्स एंड रैप्स, [[सिमोनिज़]] कार वैक्स और प्रेस्टोन एंटीफ्रीज़ आदि कम्पनी के स्वामित्व के आधीन थे। डाउ केमिकल कंपनी द्वारा कम्पनी के अधिगहण से पहले इसके इलेक्ट्रॉनिक रसायन, पॉलीयूरेथेन इंटरमीडिएट औद्योगिक गैसों और कार्बन उत्पादों जैसे व्यवसायों का विनिवेश किया गया।
सन 1920 में, इसके शोधकर्ताओं ने प्राकृतिक गैस द्रवों जैसे कि [[इथेन]] और [[प्रोपेन]] से [[इथिलीन]] बनाने की एक किफायती विधि विकसित की जिसने आधुनिक पेट्रोरसायन उद्योग को जन्म दिया। आज, यूनियन कार्बाइड के पास इस उद्योग से जुड़ी सबसे उन्नत प्रक्रियायें और उत्प्रेरक प्रौद्योगिकियां हैं और यह विश्व की कुछ सबसे किफायती और बड़े पैमाने की उत्पादन सुविधाओं का प्रचालन करती है। विनिवेश से पहले विभिन्न उत्पाद जैसे कि [[एवरेडी]] और [[एनर्जाइज़र]] [[बैटरी]]ज़, ग्लैड बैग्स एंड रैप्स, [[सिमोनिज़]] कार वैक्स और प्रेस्टोन एंटीफ्रीज़ आदि कम्पनी के स्वामित्व के आधीन थे। डाउ केमिकल कंपनी द्वारा कम्पनी के अधिगहण से पहले इसके इलेक्ट्रॉनिक रसायन, पॉलीयूरेथेन इंटरमीडिएट औद्योगिक गैसों और कार्बन उत्पादों जैसे व्यवसायों का विनिवेश किया गया।

09:21, 5 जून 2017 का अवतरण

यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन
प्रकार उपक्रम
उद्योग विनिर्माण
स्थापना 1917
मुख्यालय ह्युस्टन, टेक्सास
प्रमुख व्यक्ति पैट्रिक इ. गॉटशाक, मुख्य कार्यकारी अधिकारी और अध्यक्ष
उत्पाद थोक रसायन, इथिलीन, इथिलीन यौगिक
राजस्व $7.33 अरब (2008, 10-K द्वारा जारी, 20 फ़रवरी 2009)
स्वामित्व डाउ केमिकल कंपनी
वेबसाइट www.unioncarbide.com

यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन (यूनियन कार्बाइड) संयुक्त राज्य अमेरिका की रसायन और बहुलक बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है और वर्तमान में कम्पनी में 3,800 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं।[1] 1984 में कम्पनी के भारत के राज्य मध्य प्रदेश के शहर भोपाल स्थित संयंत्र से मिथाइल आइसोसाइनेट नामक गैस के रिसाव को अब तक की सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटना माना जाता है[2], जिसने कम्पनी को इसकी अब तक की सबसे बड़ी बदनामी दी है। यूनियन कार्बाइड को इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार पाया गया, लेकिन कम्पनी ने इस त्रासदी के लिए खुद को जिम्मेदार मानने से साफ इंकार कर दिया जिसके परिणामस्वरूप लगभग 15000 लोगों की मृत्यु हो गयी और लगभग 500000 व्यक्ति इससे प्रभावित हुए। 6 फ़रवरी 2001 को यूनियन कार्बाइड, डाउ केमिकल कंपनी की एक पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी बन गयी।[3] इसी वर्ष कम्पनी के गैस पीड़ितों के साथ हुए एक समझौते और भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के शुरुआत के साथ भारत में इसका अध्याय समाप्त हो गया।[4] यूनियन कार्बाइड अपने उत्पादों का अधिकांश डाउ केमिकल को बेचती है। यह डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज का एक पूर्व घटक भी है।[5]

सन 1920 में, इसके शोधकर्ताओं ने प्राकृतिक गैस द्रवों जैसे कि इथेन और प्रोपेन से इथिलीन बनाने की एक किफायती विधि विकसित की जिसने आधुनिक पेट्रोरसायन उद्योग को जन्म दिया। आज, यूनियन कार्बाइड के पास इस उद्योग से जुड़ी सबसे उन्नत प्रक्रियायें और उत्प्रेरक प्रौद्योगिकियां हैं और यह विश्व की कुछ सबसे किफायती और बड़े पैमाने की उत्पादन सुविधाओं का प्रचालन करती है। विनिवेश से पहले विभिन्न उत्पाद जैसे कि एवरेडी और एनर्जाइज़र बैटरीज़, ग्लैड बैग्स एंड रैप्स, सिमोनिज़ कार वैक्स और प्रेस्टोन एंटीफ्रीज़ आदि कम्पनी के स्वामित्व के आधीन थे। डाउ केमिकल कंपनी द्वारा कम्पनी के अधिगहण से पहले इसके इलेक्ट्रॉनिक रसायन, पॉलीयूरेथेन इंटरमीडिएट औद्योगिक गैसों और कार्बन उत्पादों जैसे व्यवसायों का विनिवेश किया गया।

भोपाल गैस त्रासदी

यूनियन कार्बाइड के खिलाफ प्रदर्शन करते लोग

भोपाल गैस त्रासदी एक औद्योगिक दुर्घटना थी जो भारत के राज्य मध्य प्रदेश के भोपाल शहर में यूनियन कार्बाइड, के एक कीटनाशक संयंत्र में घटी थी। 3 दिसम्बर 1984, की आधी रात को कम्पनी के संयंत्र से अकस्मात हुए विषाक्त मिथाइल आइसोसाइनेट गैस और अन्य रसायनो के रिसाव की चपेट में संयंत्र के आसपास के इलाकों में रहने वाले लगभग 500000 लोग आये थे। पहली आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार तत्काल मरने वालों की संख्या 2259 थी। मध्य प्रदेश सरकार के अनुसार कुल 3787 व्यक्तियों की मृत्यु गैस के रिसाव के परिणामस्वरूप हुई थी।[6] गैर सरकारी अनुमानो के अनुसार 8,000-10,000 व्यक्तियों की मौत गैस रिसाव के 72 घंटे के भीतर हो गई थी और लगभग 25,000 व्यक्ति अब तक गैस से संबंधित बीमारियों से मर चुके हैं। 40,000 से अधिक स्थायी रूप से विकलांग, अंधे और अन्य गैस व्याधियों से ग्रसित हुए थे, सब मिला कर 521.000 लोग गैस से प्रभावित हुए।[7][8][9]

हॉक्स नेस्ट सुरंग आपदा

हॉक्स नेस्ट सुरंग आपदा सन 1927 और 1932 के बीच पश्चिम वर्जीनिया सुरंग परियोजना में घटी थी, जिसे यूनियन कार्बाइड के नेतृत्व में बनाया जा रहा था। सुरंग के निर्माण के दौरान श्रमिकों को सिलिका खनिज मिला और उन्हें उसका खनन करने का आदेश मिला। इस सिलिका का प्रयोग इस्पात के वैद्युतप्रसंस्करण में होना था। खनिकों को खनन के दौरान सुरक्षा उपकरण जैसे कि नकाब (मास्क) या श्वसन यंत्र नहीं प्रदान किए गये। सिलिका की धूल के संपर्क में आने से कई खनिकों को एक कमजोर फेफड़ों की बीमारी सिलिकोसिस हो गयी। निर्माण स्थल के एक ऐतिहासिक स्मारकपट्ट के अनुसार, सिलिकोसिस 109 मौतों के लिए जिम्मेदार थी। एक काँग्रेशनल सुनवाई के अनुसार मरने वालों की संख्या 476 थी।

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ