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अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
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घूर्णक्षस्थापी की क्रियाएँ सभी परिभ्रमणशील या घूर्णशील पिंडों में दृष्टिगोचर होती है, किंतु अधिक कोणीय संवेग (momentum) वाले पिंडों में ये क्रियाएँ अधिक स्पष्ट होती हैं। [[कोणीय संवेग]] के कारण ही घूर्णाक्षस्थापी में दृढ़ता तथा जड़त्व के गुणों का समावेश होता है।
किसी पिंड पर जब कोई बलयुग्म कार्य करता है, तब उस पिंड में बलयुग्म (couple) के अक्ष के चारों ओर एक कोणीय संवेग उत्पन्न हो जाता है, जिसके कारण पिण्ड में उस अक्ष के चारों और भ्रमि करने की प्रवृत्ति उत्पन्न हो जाती है। जितने समय तक वह बलयुग्म कार्य करता रहेगा उतने समय तक उस पिंड का कोणीय वेग बढ़ता ही
निम्नलिखित समीकरण घूर्णाक्षदर्शी के गुण को अभिव्यक्त करता है-
== घूर्णदर्शी के व्यावहारिक उपयोग ==
[[चित्र:Gyroscope hg.jpg|300px|thumb|right|वायुयान, मिसाइल, आदि में प्रयुक्त आधुनिक घूर्णाक्षदर्शी जिसका निर्माण Sperry Co. Corporation ने किया है।]]
घूर्णदर्शी के कुछ महत्वपूर्ण व्यावहारिक उपयोग निम्नलिखित हैं :
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