"अब्राहम लिंकन": अवतरणों में अंतर

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लिंकन कभी भी धर्म के बारे में चर्चा नहीं करते थे और किसी चर्च से सम्बद्ध नहीं थे। एक बार उनके किसी मित्र ने उनसे उनके धार्मिक विचार के बारे में पूछा. लिंकन ने कहा – “बहुत पहले मैं इंडियाना में एक बूढ़े आदमी से मिला जो यह कहता था ‘जब मैं कुछ अच्छा करता हूँ तो अच्छा अनुभव करता हूँ और जब बुरा करता हूँ तो बुरा अनुभव करता हूँ’. यही मेरा धर्म है’।
लिंकन कभी भी धर्म के बारे में चर्चा नहीं करते थे और किसी चर्च से सम्बद्ध नहीं थे। एक बार उनके किसी मित्र ने उनसे उनके धार्मिक विचार के बारे में पूछा. लिंकन ने कहा – “बहुत पहले मैं इंडियाना में एक बूढ़े आदमी से मिला जो यह कहता था ‘जब मैं कुछ अच्छा करता हूँ तो अच्छा अनुभव करता हूँ और जब बुरा करता हूँ तो बुरा अनुभव करता हूँ’. यही मेरा धर्म है’।


A letter to his teacher == बेटे के अध्यापक को अब्राहम लिंकन का पत्र ==
== बेटे के अध्यापक को अब्राहम लिंकन का पत्र ==


अब्राहम लिंकन ने यह पत्र अपने बेटे के स्कूल प्रिंसिपल को लिखा था। लिंकन ने इसमें वे तमाम बातें लिखी थीं जो वे अपने बेटे को सिखाना चाहते थे।
अब्राहम लिंकन ने यह पत्र अपने बेटे के स्कूल प्रिंसिपल को लिखा था। लिंकन ने इसमें वे तमाम बातें लिखी थीं जो वे अपने बेटे को सिखाना चाहते थे।

06:09, 15 फ़रवरी 2017 का अवतरण


अब्राहम लिंकन
अब्राहम लिंकन


कार्य काल
१८६१ – १८६५

जन्म
राजनैतिक पार्टी रिपब्लिकन
धर्म ईसाई

अब्राहम लिंकन (१२ फरवरी, १८०९ - १५ अप्रैल १८६५) अमेरिका के सोलहवें राष्ट्रपति थे। इनका कार्यकाल १८६१ से १८६५ तक था। ये रिपब्लिकन पार्टी से थे। उन्होने अमेरिका को उसके सबसे बड़े संकट - गृहयुद्ध (अमेरिकी गृहयुद्ध) से पार लगाया। अमेरिका में दास प्रथा के अंत का श्रेय लिंकन को ही जाता है।

अब्राहम लिंकन का जन्म एक गरीब अश्वेत परिवार में हुआ था। वे प्रथम रिपब्लिकन थे जो अमेरिका के राष्ट्रपति बने। उसके पहले वे एक वकील, इलिअन्स स्टेट के विधायक (लेजिस्लेटर), अमेरिका के हाउस ऑफ् रिप्रेस्न्टेटिव्स के सदस्य थे। वे दो बार सीनेट के चुनाव में असफल भी हुए।

legal practice == वकालत == वकालत से कमाई की दृष्टि से देखें तो अमेरिका के राष्ट्रपति बनने से पहले अब्राहम लिंकन ने बीस साल तक असफल वकालत की. लेकिन उनकी वकालत से उन्हें और उनके मुवक्किलों को जितना संतोष और मानसिक शांति मिली वह धन-दौलत बनाने के आगे कुछ भी नहीं है। उनके वकालत के दिनों के सैंकड़ों सच्चे किस्से उनकी ईमानदारी और सज्जनता की गवाही देते हैं।

लिंकन अपने उन मुवक्किलों से अधिक फीस नहीं लेते थे जो ‘उनकी ही तरह गरीब’ थे। एक बार उनके एक मुवक्किल ने उन्हें पच्चीस डॉलर भेजे तो लिंकन ने उसमें से दस डॉलर यह कहकर लौटा दिए कि पंद्रह डॉलर पर्याप्त थे। आमतौर पर वे अपने मुवक्किलों को अदालत के बाहर ही राजीनामा करके मामला निपटा लेने की सलाह देते थे ताकि दोनों पक्षों का धन मुकदमेबाजी में बर्बाद न हो जाये. इसके बदलें में उन्हें न के बराबर ही फीस मिलती था। एक शहीद सैनिक की विधवा को उसकी पेंशन के 400 डॉलर दिलाने के लिए एक पेंशन एजेंट 200 डॉलर फीस में मांग रहा था। लिंकन ने उस महिला के लिए न केवल मुफ्त में वकालत की बल्कि उसके होटल में रहने का खर्चा और घर वापसी की टिकट का इंतजाम भी किया।

लिंकन और उनके एक सहयोगी वकील ने एक बार किसी मानसिक रोगी महिला की जमीन पर कब्जा करने वाले एक धूर्त आदमी को अदालत से सजा दिलवाई. मामला अदालत में केवल पंद्रह मिनट ही चला. सहयोगी वकील ने जीतने के बाद फीस में बँटवारकन ने उसे डपट दिया. सहयोगी वकील ने कहा कि उस महिला के भाई ने पूरी फीस चुका दी थी और सभी अदालत के निर्णय से प्रसन्न थे परन्तु लिंकन ने कहा – “लेकिन मैं खुश नहीं हूँ! वह पैसा एक बेचारी रोगी महिला का है और मैं ऐसा पैसा लेने के बजाय भूखे मरना पसंद करूँगा. तुम मेरी फीस की रकम उसे वापस कर दो.”

आज के हिसाब से सोचें तो लिंकन बेवकूफ थे। उनके पास कभी भी कुछ बहुतायत में नहीं रहा और इसमें उन्हीं का दोष था। लेकिन वह हम सबमें सबसे अच्छे मनुष्य थे, क्या कोई इस बात से इनकार कर सकता है?

लिंकन कभी भी धर्म के बारे में चर्चा नहीं करते थे और किसी चर्च से सम्बद्ध नहीं थे। एक बार उनके किसी मित्र ने उनसे उनके धार्मिक विचार के बारे में पूछा. लिंकन ने कहा – “बहुत पहले मैं इंडियाना में एक बूढ़े आदमी से मिला जो यह कहता था ‘जब मैं कुछ अच्छा करता हूँ तो अच्छा अनुभव करता हूँ और जब बुरा करता हूँ तो बुरा अनुभव करता हूँ’. यही मेरा धर्म है’।

बेटे के अध्यापक को अब्राहम लिंकन का पत्र

अब्राहम लिंकन ने यह पत्र अपने बेटे के स्कूल प्रिंसिपल को लिखा था। लिंकन ने इसमें वे तमाम बातें लिखी थीं जो वे अपने बेटे को सिखाना चाहते थे।

सम्माननीय महोदय,
मैं जानता हूँ कि इस दुनिया में सारे लोग अच्छे और सच्चे नहीं हैं। यह बात मेरे बेटे को भी सीखना होगी। पर मैं चाहता हूँ कि आप उसे यह बताएँ कि हर बुरे आदमी के पास भी अच्छा हृदय होता है। हर स्वार्थी नेता के अंदर अच्छा लीडर बनने की क्षमता होती है। मैं चाहता हूँ कि आप उसे सिखाएँ कि हर दुश्मन के अंदर एक दोस्त बनने की संभावना भी होती है। ये बातें सीखने में उसे समय लगेगा, मैं जानता हूँ। पर आप उसे सिखाइए कि मेहनत से कमाया गया एक रुपया, सड़क पर मिलने वाले पाँच रुपए के नोट से ज्यादा कीमती होता है।

आप उसे बताइएगा कि दूसरों से जलन की भावना अपने मन में ना लाएँ। साथ ही यह भी कि खुलकर हँसते हुए भी शालीनता बरतना कितना जरूरी है। मुझे उम्मीद है कि आप उसे बता पाएँगे कि दूसरों को धमकाना और डराना कोई अच्‍छी बात नहीं है। यह काम करने से उसे दूर रहना चाहिए।

आप उसे किताबें पढ़ने के लिए तो कहिएगा ही, पर साथ ही उसे आकाश में उड़ते पक्षियों को धूप, धूप में हरे-भरे मैदानों में खिले-फूलों पर मँडराती तितलियों को निहारने की याद भी दिलाते रहिएगा। मैं समझता हूँ कि ये बातें उसके लिए ज्यादा काम की हैं।

मैं मानता हूँ कि स्कूल के दिनों में ही उसे यह बात भी सीखना होगी कि नकल करके पास होने से फेल होना अच्‍छा है। किसी बात पर चाहे दूसरे उसे गलत कहें, पर अपनी सच्ची बात पर कायम रहने का हुनर उसमें होना चाहिए। दयालु लोगों के साथ नम्रता से पेश आना और बुरे लोगों के साथ सख्ती से पेश आना चाहिए। दूसरों की सारी बातें सुनने के बाद उसमें से काम की चीजों का चुनाव उसे इन्हीं दिनों में सीखना होगा।

आप उसे बताना मत भूलिएगा कि उदासी को किस तरह प्रसन्नता में बदला जा सकता है। और उसे यह भी बताइएगा कि जब कभी रोने का मन करे तो रोने में शर्म बिल्कुल ना करे। मेरा सोचना है कि उसे खुद पर विश्वास होना चाहिए और दूसरों पर भी। तभी तो वह एक अच्छा इंसान बन पाएगा।

ये बातें बड़ी हैं और लंबी भी। पर आप इनमें से जितना भी उसे बता पाएँ उतना उसके लिए अच्छा होगा। फिर अभी मेरा बेटा बहुत छोटा है और बहुत प्यारा भी।

आपका
अब्राहम लिंकन

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