"श्रोडिंगर समीकरण": अवतरणों में अंतर

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|title='''समय - निर्भर श्रोडिंगर समीकरण''' ''(सामान्य)''
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|equation=<math>i \hbar \frac{\partial}{\partial t}\Psi = \hat H \Psi</math>
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|title=''''समय - निर्भर श्रोडिंगर समीकरण''' ''(गैर - रेलेटिविस्टिक श्रोडिंगर समीकरण एक कण (एलेक्ट्रिक फिलेड के लिए) के लिए)''
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|equation=<math>i\hbar\frac{\partial}{\partial t} \Psi(\mathbf{r},t) = \frac{-\hbar^2}{2m}\nabla^2 \Psi(\mathbf{r},t) + V(\mathbf{r},t) \Psi(\mathbf{r},t)</math>
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कल्पना कीजिए की एक कण जो स्वतंत्र रूप से अंतरिक्ष में घूम रहा है | इस कण के पास शायद गतिज ऊर्जा (kinetic energy) है और शायद किसी बाहरी बल के कारण संभावित ऊर्जा (potential energy) भी है | तो किसी भी न्यूटोनियन कण के लिए संपूर्ण यांत्रिक ऊर्जा का समिकरण <math>E = \frac{1}{2} m \vec v.\vec v + U </math> होता है जहाँ <math> \vec v </math> तीन आयाम कार्तीय निर्देशांक के अनुसार वेग वेक्टर है अौर <math> U </math> कण की संभावित ऊर्जा है | अाप <math> U </math> के जगह <math> V </math> का भी इस्तमाल कर सकते हैं | अगर <math> v_x, v_y, v_z </math> इस वेग वेक्टर के घटकों को माना जाए तो गतिज ऊर्जा का समिकरण को
कल्पना कीजिए की एक कण जो स्वतंत्र रूप से अंतरिक्ष में घूम रहा है | इस कण के पास शायद गतिज ऊर्जा (kinetic energy) है और शायद किसी बाहरी बल के कारण संभावित ऊर्जा (potential energy) भी है | तो किसी भी न्यूटोनियन कण के लिए संपूर्ण यांत्रिक ऊर्जा का समिकरण <math>E = \frac{1}{2} m \vec v.\vec v + U </math> होता है जहाँ <math> \vec v </math> तीन आयाम कार्तीय निर्देशांक के अनुसार वेग वेक्टर है अौर <math> U </math> कण की संभावित ऊर्जा है | अाप <math> U </math> के जगह <math> V </math> का भी इस्तमाल कर सकते हैं | अगर <math> v_x, v_y, v_z </math> इस वेग वेक्टर के घटकों को माना जाए तो गतिज ऊर्जा का समिकरण को


<math>E = \frac{1}{2} m \vec v.\vec v + U= \frac{1}{2} m (v_x^2 + v_y^2 + v_z^2) + U\qquad (1)</math>
<math>E = \frac{1}{2} m \vec v.\vec v + U= \frac{1}{2} m (v_x^2 + v_y^2 + v_z^2) + U\qquad (1)</math>


इन घटकों के हिसाब से भी लिखा जा सकता है | अगर समिकरण <math> (1) </math> के दाईं ओर पर मीटर और विभाजक दोनों को <math> m </math> से गुणा किया जाए तो
इन घटकों के हिसाब से भी लिखा जा सकता है | अगर समिकरण <math> (1) </math> के दाईं ओर पर मीटर और विभाजक दोनों को <math> m </math> से गुणा किया जाए तो
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जहाँ <math> p_x, p_y, p_z </math> गति वेक्टर के, तीन आयाम कार्तीय निर्देशांक के अनुसार, गति वेक्टर के घटक हैं | क्वांटम यांत्रिकी में <math> -i \hbar \vec \nabla </math> गति ऑपरेटर (momentum operator) है, जहाँ पर
जहाँ <math> p_x, p_y, p_z </math> गति वेक्टर के, तीन आयाम कार्तीय निर्देशांक के अनुसार, गति वेक्टर के घटक हैं | क्वांटम यांत्रिकी में <math> -i \hbar \vec \nabla </math> गति ऑपरेटर (momentum operator) है, जहाँ पर


<math> \vec \nabla = \hat i \frac{\partial}{\partial x} + \hat j \frac{\partial}{\partial y} + \hat k \frac{\partial}{\partial z} </math> होता है |
<math> \vec \nabla = \hat i \frac{\partial}{\partial x} + \hat j \frac{\partial}{\partial y} + \hat k \frac{\partial}{\partial z} </math> होता है |


इसे 'डेल् ऑपरेटर' (Del Operator) कहते हैं | इस ऑपरेटर का मूल आंशिक अंतर कलन में है | अगर यह ऑपरेटर एक खास श्रेनी के फंक्शन (function), जिसे आईगेनफंक्शन (eigenfunction) कहते है, पर कार्य करता है तो इस कार्य का परिणाम वही फंक्शन एक निरंतर अंक से गुणित, जिसे आईगेनवेल्यू (eigenvalue) कहते है, होता है | आईगेनफंक्शन ऑपरेटर निर्भर होता है | यह आईगेनवेल्यू इस ऑपरेटर के मामले में कण की गती बताती है | क्वांटम यांत्रिकी में कई ऑपरेटर होते है, यह ऑपरेटर वही चर होते है जो एक कण के लिए प्रयोगों द्वारा मापें जा सकते हैं | इन चरों को 'अवलोकनयोगी' (observables) कहते हैं | गती, रफतार, स्थान, संभावित ऊर्जा अौर ऊर्जा अवलोकनयोगी चरें हैं |
इसे 'डेल् ऑपरेटर' (Del Operator) कहते हैं | इस ऑपरेटर का मूल आंशिक अंतर कलन में है | अगर यह ऑपरेटर एक खास श्रेनी के फंक्शन (function), जिसे आईगेनफंक्शन (eigenfunction) कहते है, पर कार्य करता है तो इस कार्य का परिणाम वही फंक्शन एक निरंतर अंक से गुणित, जिसे आईगेनवेल्यू (eigenvalue) कहते है, होता है | आईगेनफंक्शन ऑपरेटर निर्भर होता है | यह आईगेनवेल्यू इस ऑपरेटर के मामले में कण की गती बताती है | क्वांटम यांत्रिकी में कई ऑपरेटर होते है, यह ऑपरेटर वही चर होते है जो एक कण के लिए प्रयोगों द्वारा मापें जा सकते हैं | इन चरों को 'अवलोकनयोगी' (observables) कहते हैं | गती, रफतार, स्थान, संभावित ऊर्जा अौर ऊर्जा अवलोकनयोगी चरें हैं |
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* <math> \Psi </math> को दो बार डिफ़्रेंशिएबल (differentiable) होना चाहिए, क्योंकि श्रोडिंगर समीकरण दुसरी क्रम का अंतर समीकरण (differential equation) है |
* <math> \Psi </math> को दो बार डिफ़्रेंशिएबल (differentiable) होना चाहिए, क्योंकि श्रोडिंगर समीकरण दुसरी क्रम का अंतर समीकरण (differential equation) है |


*<math> \int^\infty_{-\infty} \Psi \Psi^* d \tau = 1 </math> इसे 'नार्मलाज़ेशन शर्त' (normalization condition) कहते हैं | मैक्स बार्ण, जो एक विश्वविख्यात भूगोल शास्तरी थे, उन्होंनें व्याख्या कर कहा की <math> \Psi \Psi^* = |\Psi|^2 </math> को प्रायिकता घनत्व फंक्शन (probability density function) के तरह माना जा सकता है, जिसे अंतरिक्ष के कुछ हिस्से पर एकीकरण (integration) करने पर हमें अंतरिक्ष के उस हिस्से में उस कण को सफल रूप से खोज निकालने की प्रायिकता पता चलती है | इस व्याख्या को 'बार्ण व्याख्या' (Born interpretation) कहते है | क्योंकि समपूर्ण अंतरिक्ष में वह कण कहीं पर भी हो सकता है, इसलिए समपूर्ण अंतरिक्ष में उस कण को सफल रूप से खोज निकालने की प्रायिकता १ होती है, इसी को नार्मलाज़ेशन शर्त कहते है |
*<math> \int^\infty_{-\infty} \Psi \Psi^* d \tau = 1 </math> इसे 'नार्मलाज़ेशन शर्त' (normalization condition) कहते हैं | मैक्स बार्ण, जो एक विश्वविख्यात भूगोल शास्तरी थे, उन्होंनें व्याख्या कर कहा की <math> \Psi \Psi^* = |\Psi|^2 </math> को प्रायिकता घनत्व फंक्शन (probability density function) के तरह माना जा सकता है, जिसे अंतरिक्ष के कुछ हिस्से पर एकीकरण (integration) करने पर हमें अंतरिक्ष के उस हिस्से में उस कण को सफल रूप से खोज निकालने की प्रायिकता पता चलती है | इस व्याख्या को 'बार्ण व्याख्या' (Born interpretation) कहते है | क्योंकि समपूर्ण अंतरिक्ष में वह कण कहीं पर भी हो सकता है, इसलिए समपूर्ण अंतरिक्ष में उस कण को सफल रूप से खोज निकालने की प्रायिकता १ होती है, इसी को नार्मलाज़ेशन शर्त कहते है |


== सन्दर्भ ==
== सन्दर्भ ==

12:32, 5 फ़रवरी 2017 का अवतरण

क्वांटम यांत्रिकी में, श्रोडिंगर समीकरण हमे यह बताती है की किसी फ़िज़िकल सिस्टम की क्वांटम अवस्था समय के अनुसार कैसे बदलती है| यह १९२५ मे तैयार तथा १९२६ मे ऑस्ट्रिया के भौतिक विज्ञानी इरविन श्रोडिंगर द्वारा प्रकाशित की गयी| क्लासिकल यांत्रिकी में समय की समीकरण (ईक्वेशन ऑफ मोशन)[1] न्यूटन के दूसरे नियम में या ऑयलर लग्रांजी समीकरण के रूप में हमे समय प्रारंभिक स्थिति और सिस्टम के विन्यास के बारे मे बताता है| परंतु क्वांटम यांत्रिकी की मानक व्याख्या में वेवफंक्षन हमे फ़िज़िकल स्टेट की पूर्ण जानकारी देता है |श्रोडिंगर समीकरण ना केवल परमाणु, आणविक और उपपरमाण्विक अवस्था की जानकारी देता है बल्कि मैक्रो सिस्टम (सुछ्म), सम्भवतः पूरे ब्रह्मांड की जानकारी भी देता है|

समीकरण

समय - निर्भर समीकरण

सबसे सामान्य रूप में समय पर निर्भर समीकरण है, जो एक समय के साथ विकसित प्रणाली का विवरण देती है |[2] :

समय - निर्भर श्रोडिंगर समीकरण (सामान्य)

जहां Ψ क्वांटम प्रणाली का वेव फंक्षन है|i काल्पनिक इकाई है, ħ कम प्लैंक स्थिरांक है|हैमिलटोनियन ऑपरेटर है|

ईक वेव फनगश्न

सबसे प्रसिद्ध उदाहरण एक गैर - रिलेटिविस्टिक श्रोडिंगर समीकरण एक कण (एलेक्ट्रिक फिलेड के लिए) के लिए (लेकिन एक चुंबकीय क्षेत्र के लिए नही)

'समय - निर्भर श्रोडिंगर समीकरण (गैर - रेलेटिविस्टिक श्रोडिंगर समीकरण एक कण (एलेक्ट्रिक फिलेड के लिए) के लिए)

श्रोडिंगर समीकरण के पीछे प्रेरणा और मतलब

जब लुई डी ब्राॅय ने अपने डी ब्राॅय समिकरण से कण - लहर द्वंद्व के सिद्ध कर दिया, तो वैज्ञानिकों को इस प्रभाव को समझाने के लिए एक नई यांत्रिकी की ज़रुरत थी | यही पर श्रोडिंगर ने लहर यांत्रिकी से प्रेरणा लेकर एक समिकरण का निर्माण किया जो कण - लहर द्वंद्व के कारण दिखाए देने वाले क्वांटम प्रभावों को समझा और समझाया जा सके | श्रोडिंगर ने फिर इसे एक न्यूटोनियन कण पर इस्तमाल कर अपने समिकरण को इस दुनिया से जोड़ा |

कल्पना कीजिए की एक कण जो स्वतंत्र रूप से अंतरिक्ष में घूम रहा है | इस कण के पास शायद गतिज ऊर्जा (kinetic energy) है और शायद किसी बाहरी बल के कारण संभावित ऊर्जा (potential energy) भी है | तो किसी भी न्यूटोनियन कण के लिए संपूर्ण यांत्रिक ऊर्जा का समिकरण होता है जहाँ तीन आयाम कार्तीय निर्देशांक के अनुसार वेग वेक्टर है अौर कण की संभावित ऊर्जा है | अाप के जगह का भी इस्तमाल कर सकते हैं | अगर इस वेग वेक्टर के घटकों को माना जाए तो गतिज ऊर्जा का समिकरण को

इन घटकों के हिसाब से भी लिखा जा सकता है | अगर समिकरण के दाईं ओर पर मीटर और विभाजक दोनों को से गुणा किया जाए तो

जहाँ गति वेक्टर के, तीन आयाम कार्तीय निर्देशांक के अनुसार, गति वेक्टर के घटक हैं | क्वांटम यांत्रिकी में गति ऑपरेटर (momentum operator) है, जहाँ पर

होता है |

इसे 'डेल् ऑपरेटर' (Del Operator) कहते हैं | इस ऑपरेटर का मूल आंशिक अंतर कलन में है | अगर यह ऑपरेटर एक खास श्रेनी के फंक्शन (function), जिसे आईगेनफंक्शन (eigenfunction) कहते है, पर कार्य करता है तो इस कार्य का परिणाम वही फंक्शन एक निरंतर अंक से गुणित, जिसे आईगेनवेल्यू (eigenvalue) कहते है, होता है | आईगेनफंक्शन ऑपरेटर निर्भर होता है | यह आईगेनवेल्यू इस ऑपरेटर के मामले में कण की गती बताती है | क्वांटम यांत्रिकी में कई ऑपरेटर होते है, यह ऑपरेटर वही चर होते है जो एक कण के लिए प्रयोगों द्वारा मापें जा सकते हैं | इन चरों को 'अवलोकनयोगी' (observables) कहते हैं | गती, रफतार, स्थान, संभावित ऊर्जा अौर ऊर्जा अवलोकनयोगी चरें हैं |

अवलोकनयोगी चर प्रतीक ऑपरेटर
स्थान
गती
ऊर्जा
संभावित ऊर्जा

एक आयाम, कार्तीय निर्देशांक के दिशामें, गती ऑपरेटर का समिकरण होता है | तो कोई फंक्शन पर गती ऑपरेटर के कार्य करने से अगर

मिलता है, तो को ऑपरेटर का आईगेनफंक्शन कहते हैं और

को का आईगेनवेल्यू कहते हैं | इस मामले में इस आईगेनवेल्यू को 'गती आईगेनवेल्यू' (momentum eigenvalue) कहते हैं |

तो अब समिकरण को

लिखा जा सकता है |

श्रोडिंगर ने अपने समिकरण के निर्माण हेतू गती ऑपरेटर और कई ऑपरेटरों का आविश्कार कर समिकरण में के जगह इस्तमाल कर

एक नए ऑपरेटर का निर्माण किया जिसे गतिज ऊर्जा का ऑपरेटर भी कह सकते है | समिकरण में उपर्युक्त ऑपरेटरों का इस्तमाल कर

समय-निर्भर समिकरण मिलता है |

समय-स्वतंत्र समिकरण कहते है |

को हैमिलटोनियन कहते हैं और इसे द्वारा प्रतिक किया जाता है |

अगर इस हैमिलटोनियन का आईगेनफंक्शन है, तो लिखा जाता है |

की खुबियाँ

को श्रोडिंगर समीकरण का सार्थक हल देने के लिए कुछ शर्तों को मानना पड़ता है | वे हैं :

  • को दो बार डिफ़्रेंशिएबल (differentiable) होना चाहिए, क्योंकि श्रोडिंगर समीकरण दुसरी क्रम का अंतर समीकरण (differential equation) है |
  • इसे 'नार्मलाज़ेशन शर्त' (normalization condition) कहते हैं | मैक्स बार्ण, जो एक विश्वविख्यात भूगोल शास्तरी थे, उन्होंनें व्याख्या कर कहा की को प्रायिकता घनत्व फंक्शन (probability density function) के तरह माना जा सकता है, जिसे अंतरिक्ष के कुछ हिस्से पर एकीकरण (integration) करने पर हमें अंतरिक्ष के उस हिस्से में उस कण को सफल रूप से खोज निकालने की प्रायिकता पता चलती है | इस व्याख्या को 'बार्ण व्याख्या' (Born interpretation) कहते है | क्योंकि समपूर्ण अंतरिक्ष में वह कण कहीं पर भी हो सकता है, इसलिए समपूर्ण अंतरिक्ष में उस कण को सफल रूप से खोज निकालने की प्रायिकता १ होती है, इसी को नार्मलाज़ेशन शर्त कहते है |

सन्दर्भ

  1. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
  2. Shankar, R. (1994). Principles of Quantum Mechanics (2nd संस्करण). Kluwer Academic/Plenum Publishers. पृ॰ 143. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-306-44790-7.

बाहरी कड़ियाँ