"हिदेकी युकावा": अवतरणों में अंतर
संजीव कुमार (वार्ता | योगदान) छो HotCat द्वारा श्रेणी:नोबेल पुरस्कार विजेता भौतिक विज्ञानी जोड़ी |
Sanjeev bot (वार्ता | योगदान) छो बॉट: अनुभाग एकरूपता। |
||
पंक्ति 11: | पंक्ति 11: | ||
धन जाति के ये प्रोटॉन कण एक दूसरे के अति निकट होने के कारण इनमें परस्पर जबर्दस्त हटाव बल होता है, अत: इन्हें तो तुंरत बिखर जाना चाहिए। किंतु ऐसा होता नहीं है। इस प्रश्न का समाधान युकावा ने निरे सैद्धांतिक आधार पर सन् १९३५ में प्राप्त किया। [[गणित]] की सहायता से नाभिक के अंदर आपने एक ऐसे बल क्षेत्र की कल्पना की जो न [[गुरुत्वाकर्षण]] की है और न विद्युत-चुम्बकीय। यही बल नाभिक के प्रोटॉनों को परस्पर बाँधे रखता है। इस कल्पना के फलस्वरूप युकावा ने बतलाया कि नाभिक में ऐसे कण अवश्य विद्यमान होने चाहिए जिनकी संहति इलेक्ट्रॉन की लगभग २०० गुनी हो तथा विद्युत् आवेश ठीक इलेक्ट्रॉन के बराबर ही धन या ऋण जाति का हो। इन कणों को उसने '[[मेसॉन]]' नाम दिया। अगले पाँच वर्षों के अंदर ही प्रयोग द्वारा वैज्ञानिकों ने मेसॉन कण प्राप्त भी किए। इसप्रकार युकावा की भविष्यवाणी सही उतरी। 'मेसॉन' की खोज के उपलक्ष में ही युकावा को सन् १९४९ में भौतिकी का [[नोबेल पुरस्कार]] मिला। |
धन जाति के ये प्रोटॉन कण एक दूसरे के अति निकट होने के कारण इनमें परस्पर जबर्दस्त हटाव बल होता है, अत: इन्हें तो तुंरत बिखर जाना चाहिए। किंतु ऐसा होता नहीं है। इस प्रश्न का समाधान युकावा ने निरे सैद्धांतिक आधार पर सन् १९३५ में प्राप्त किया। [[गणित]] की सहायता से नाभिक के अंदर आपने एक ऐसे बल क्षेत्र की कल्पना की जो न [[गुरुत्वाकर्षण]] की है और न विद्युत-चुम्बकीय। यही बल नाभिक के प्रोटॉनों को परस्पर बाँधे रखता है। इस कल्पना के फलस्वरूप युकावा ने बतलाया कि नाभिक में ऐसे कण अवश्य विद्यमान होने चाहिए जिनकी संहति इलेक्ट्रॉन की लगभग २०० गुनी हो तथा विद्युत् आवेश ठीक इलेक्ट्रॉन के बराबर ही धन या ऋण जाति का हो। इन कणों को उसने '[[मेसॉन]]' नाम दिया। अगले पाँच वर्षों के अंदर ही प्रयोग द्वारा वैज्ञानिकों ने मेसॉन कण प्राप्त भी किए। इसप्रकार युकावा की भविष्यवाणी सही उतरी। 'मेसॉन' की खोज के उपलक्ष में ही युकावा को सन् १९४९ में भौतिकी का [[नोबेल पुरस्कार]] मिला। |
||
== |
== सन्दर्भ == |
||
{{टिप्पणीसूची}} |
{{टिप्पणीसूची}} |
||
{{भौतिकी में नोबेल पुरस्कार}} |
{{भौतिकी में नोबेल पुरस्कार}} |
15:17, 26 जनवरी 2017 का अवतरण
हिदेकी युकावा (जापानी: 湯川 秀樹; २३ जनवरी १९०७ - ८ सितंबर १९८१) एक सैद्धांतिक भौतिक वैज्ञानिक एवं नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले जापानी थे।
परिचय
हिडेकी यूकावा (Hideki Yukawa) जापान के श्रेष्ठ भौतिकीविद् थे। क्योतो विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त कर लेने के बाद सन् १९२९ से सन् १९३२ तक आपने मौलिक कणों के बारे में अनुसंधान किया। तदुपरांत कियोटो और ओसाका विश्वविद्यालय में आपने अध्यापन का कार्य किया तथा सन् १९३९ में डी. एस-सी. की डिग्री प्राप्त की। तब से आप कियोटो विश्वविद्यालय में सैद्धांतिक भौतिकी के प्रोफेसर के पद पर कार्य किया।
अनुसंधान कार्य
सन् १९३५ तक परमाणुनाभिक की यह रचना स्थापित हो चुकी थी कि नाभिक में प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन सँकरी सी जगह में ठँसे रहते हैं।
धन जाति के ये प्रोटॉन कण एक दूसरे के अति निकट होने के कारण इनमें परस्पर जबर्दस्त हटाव बल होता है, अत: इन्हें तो तुंरत बिखर जाना चाहिए। किंतु ऐसा होता नहीं है। इस प्रश्न का समाधान युकावा ने निरे सैद्धांतिक आधार पर सन् १९३५ में प्राप्त किया। गणित की सहायता से नाभिक के अंदर आपने एक ऐसे बल क्षेत्र की कल्पना की जो न गुरुत्वाकर्षण की है और न विद्युत-चुम्बकीय। यही बल नाभिक के प्रोटॉनों को परस्पर बाँधे रखता है। इस कल्पना के फलस्वरूप युकावा ने बतलाया कि नाभिक में ऐसे कण अवश्य विद्यमान होने चाहिए जिनकी संहति इलेक्ट्रॉन की लगभग २०० गुनी हो तथा विद्युत् आवेश ठीक इलेक्ट्रॉन के बराबर ही धन या ऋण जाति का हो। इन कणों को उसने 'मेसॉन' नाम दिया। अगले पाँच वर्षों के अंदर ही प्रयोग द्वारा वैज्ञानिकों ने मेसॉन कण प्राप्त भी किए। इसप्रकार युकावा की भविष्यवाणी सही उतरी। 'मेसॉन' की खोज के उपलक्ष में ही युकावा को सन् १९४९ में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला।