"धारा स्रोत": अवतरणों में अंतर

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* [[सक्रिय संक्षारण नियंत्रण]] (ऐक्टिव कोरोसन कन्ट्रोल) के लिये
* [[सक्रिय संक्षारण नियंत्रण]] (ऐक्टिव कोरोसन कन्ट्रोल) के लिये


* विद्युत निर्वात युक्तियाँ (जैसे [[कैथोड किरण नलिका]], [[इलेक्ट्रान गन]], [[निर्वात डायोड]], [[निर्वात तेट्रोड]] आदि) के फिलामेन्ट के लिये नियत धारा अधिक उपयोगी होती है। इससे उनका जीवनकाल बढ़ जाता है।
* विद्युत निर्वात युक्तियाँ (जैसे [[कैथोड किरण नलिका]], [[इलेक्ट्रान गन]], [[निर्वात डायोड]], [[निर्वात टेट्रोड]] आदि) के फिलामेन्ट के लिये नियत धारा अधिक उपयोगी होती है। इससे उनका जीवनकाल बढ़ जाता है।


* बैटरी को आवेशित करते समय कुछ वोल्टेज आने तक उसे नियत धारा देकर चार्ज किया जाता है। इसके बाद उसे नियत वोल्टेज रखते हुए चार्ज किया जाता है। इस विधि से चार्ज करने पर चार्ज करने का समय कम लगता है तथा बैटरी के जीवनकाल भी नहीं घटता।
* बैटरी को आवेशित करते समय कुछ वोल्टेज आने तक उसे नियत धारा देकर चार्ज किया जाता है। इसके बाद उसे नियत वोल्टेज रखते हुए चार्ज किया जाता है। इस विधि से चार्ज करने पर चार्ज करने का समय कम लगता है तथा बैटरी के जीवनकाल भी नहीं घटता।

07:03, 29 दिसम्बर 2016 का अवतरण

प्रतिरोध (दाएँ) से जुड़ा एक धारा स्रोत (बाएँ)
एक सरल धारा स्रोत जो बीजेटी का उपयोग करते हुए बना है।

धारा स्रोत (current source) वह युक्ति या एलेक्ट्रानिक परिपथ है जो एक नियत धारा देती है या लेती है, चाहे उसके सिरों के बीच विभवान्तर कुछ भी हो। उदाहरण के लिए 1.5 एम्पीयर धारा-स्रोत के सिरों के बीच 1 ओम का प्रतिरोध लागाएँ तो उसमें 1.5 अम्पीयर धारा बहेगी और स्रोत के सिरों के बीच विभवान्तर 1.5 वोल्ट होगा और यदि इस धारा स्रोत के सिरों के बीच 5 ओम का प्रतिरोध जोड़ें तो इस प्रतिरोध में भी 1.5 अम्पीयर धारा बहेगी जबकि इस स्थिति में स्रोत के सिरों के बीच विभवान्तर 7.5 (=1.5 x 5) वोल्ट हो जाएगा।

धारा स्रोत, वोल्टता-स्रोत का द्वैत (dual) है। सामाने के चित्र में धारा स्रोत का प्रतीक दिखाया गया है जो एक प्रतिरोध से जुड़ा है। धारा स्रोत दो प्रकार के होते हैं-

  • १) स्वतंत्र धारा स्रोत (independent current source)
  • २) नियंत्रित धारा स्रोत (dependent current source)
  • (क) वोल्टता-नियंत्रित धारा स्रोत
  • (ख) धारा-नियंत्रित धारा स्रोत

धारा स्रोत के उपयोग

नियत धारा स्रोतों के कुछ उपयोग ये हैं-

  • कण त्वरकों में प्रयुक्त विभिन्न प्रकार के विद्युतचुम्बकों (जैसे द्विध्रुव चुम्बक, चतुर्ध्रुव चुम्बक आदि) को सही तरह से कार्य करने के लिये ऐसी धारा आवश्यक होती है जो समय के साथ बहुत कम बदलती हो।
  • जल का शुद्धीकरण
  • बैटरी को आवेशित करते समय कुछ वोल्टेज आने तक उसे नियत धारा देकर चार्ज किया जाता है। इसके बाद उसे नियत वोल्टेज रखते हुए चार्ज किया जाता है। इस विधि से चार्ज करने पर चार्ज करने का समय कम लगता है तथा बैटरी के जीवनकाल भी नहीं घटता।

इन्हें भी देखें