"भारतीय दण्ड संहिता": अवतरणों में अंतर

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| उद्देशिका
| उद्देशिका
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* धारा १ संहिता का नाम और उसके प्रर्वतन का विस्तार
* '''धारा १''' संहिता का नाम और उसके प्रर्वतन का विस्तार
* धारा २ भारत के भीतर किए गये अपराधों का दण्ड
* '''धारा २''' भारत के भीतर किए गये अपराधों का दण्ड
* धारा ३ भारत से परे किए गये किन्तु उसके भीतर विधि के अनुसार विचारणीय अपराधों का दण्ड
* '''धारा ३''' भारत से परे किए गये किन्तु उसके भीतर विधि के अनुसार विचारणीय अपराधों का दण्ड
* धारा ४ राज्य-क्षेत्रातीत अपराधों पर संहिता का विस्तार
* '''धारा ४''' राज्य-क्षेत्रातीत अपराधों पर संहिता का विस्तार
* धारा ५ कुछ विधियों पर इस अधिनियम द्वारा प्रभाव न डाला जाना
* '''धारा ५''' कुछ विधियों पर इस अधिनियम द्वारा प्रभाव न डाला जाना
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| अध्याय २
| अध्याय २
| साधारण स्पष्टीकरण
| साधारण स्पष्टीकरण
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* धारा ६ संहिता में की परिभाषाओं का अपवादों के अध्यधीन समझा जाना
* '''धारा ६''' संहिता में की परिभाषाओं का अपवादों के अध्यधीन समझा जाना
* धारा ७ एक बार स्पष्टीकृत पद का भाव
* '''धारा ७''' एक बार स्पष्टीकृत पद का भाव
* धारा ८ लिंग
* '''धारा ८''' लिंग
* धारा ९ वचन
* '''धारा ९''' वचन
* धारा १० पुरूष, स्त्री
* '''धारा १०''' पुरूष, स्त्री
* धारा ११ व्यक्ति
* '''धारा ११''' व्यक्ति
* धारा १२ लोक
* '''धारा १२''' लोक
* धारा १३ निरसित
* '''धारा १३''' निरसित
* धारा १४ सरकार का सेवक
* '''धारा १४''' सरकार का सेवक
* धारा १५ निरसित
* '''धारा १५''' निरसित
* धारा १६ निरसित
* '''धारा १६''' निरसित
* धारा १७ सरकार
* '''धारा १७''' सरकार
* धारा १८ भारत
* '''धारा १८''' भारत
* धारा १९ न्यायाधीश
* '''धारा १९''' न्यायाधीश
* धारा २० न्यायालय
* '''धारा २०''' न्यायालय
* धारा २१ लोक सेवक
* '''धारा २१''' लोक सेवक
* धारा २२ जंगम सम्पत्ति
* '''धारा २२''' जंगम सम्पत्ति
* धारा २३ सदोष अभिलाभ
* '''धारा २३''' सदोष अभिलाभ
* सदोष अभिलाभ
* सदोष अभिलाभ
* सदोष हानि
* सदोष हानि
* सदोष अभिलाभ प्राप्त करना/सदोष हानि उठाना
* सदोष अभिलाभ प्राप्त करना/सदोष हानि उठाना
* धारा २४ बेईमानी से
* '''धारा २४''' बेईमानी से
* धारा २५ कपटपूर्वक
* '''धारा २५''' कपटपूर्वक
* धारा २६ विश्वास करने का कारण
* '''धारा २६''' विश्वास करने का कारण
* धारा २७ पत्नी, लिपिक या सेवक के कब्जे में सम्पत्ति
* '''धारा २७''' पत्नी, लिपिक या सेवक के कब्जे में सम्पत्ति
* धारा २८ कूटकरण
* '''धारा २८''' कूटकरण
* धारा २९ दस्तावेज
* '''धारा २९''' दस्तावेज
* धारा २९ क इलेक्ट्रानिक अभिलेख
* '''धारा २९''' क इलेक्ट्रानिक अभिलेख
* धारा ३० मूल्यवान प्रतिभूति
* '''धारा ३०''' मूल्यवान प्रतिभूति
* धारा ३१ विल
* '''धारा ३१''' विल
* धारा ३२ कार्यों का निर्देश करने वाले शब्दों के अन्तर्गत अवैध लोप आता है
* '''धारा ३२''' कार्यों का निर्देश करने वाले शब्दों के अन्तर्गत अवैध लोप आता है
* धारा ३३ कार्य, लोप
* '''धारा ३३''' कार्य, लोप
* धारा ३४ सामान्य आशय को अग्रसर करने में कई व्यक्तियों द्वारा किये गये कार्य
* '''धारा ३४''' सामान्य आशय को अग्रसर करने में कई व्यक्तियों द्वारा किये गये कार्य
* धारा ३५ जब कि ऐसा कार्य इस कारण अपराधित है कि वह अपराध्कि ज्ञान या
* '''धारा ३५''' जब कि ऐसा कार्य इस कारण अपराधित है कि वह अपराध्कि ज्ञान या आशय से किया गया है
* '''धारा ३६''' अंशत: कार्य द्वारा और अंशत: लोप द्वारा कारित परिणाम
* आशय से किया गया है
* '''धारा ३७''' किसी अपराध को गठित करने वाले कई कार्यों में से किसी एक को करके सहयोग करना
* धारा ३६ अंशत: कार्य द्वारा और अंशत: लोप द्वारा कारित परिणाम
* '''धारा ३८''' अपराधिक कार्य में संपृक्त व्यक्ति विभिन्न अपराधों के दोषी हो सकेंगे
* धारा ३७ किसी अपराध को गठित करने वाले कई कार्यों में से किसी एक
* '''धारा ३९''' स्वेच्छया
* को करके सहयोग करना
* '''धारा ४०''' अपराध
* धारा ३८ अपराधिक कार्य में संपृक्त व्यक्ति विभिन्न अपराधों के दोषी हो सकेंगे
* धारा ३९ स्वेच्छया
* '''धारा ४१''' विशेष विधि
* धारा ४० अपराध
* '''धारा ४२''' स्थानीय विधि
* '''धारा ४३''' अवैध, करने के लिये वैध रूप से आबद्ध
* धारा ४१ विशेष विधि
* धारा ४२ स्थानीय विधि
* '''धारा ४४''' क्षति
* '''धारा ४५''' जीवन
* धारा ४३ अवैध, करने के लिये वैध रूप से आबद्ध
* धारा ४४ क्षति
* '''धारा ४६''' मृत्यु
* धारा ४५ जीवन
* '''धारा ४७''' जीव जन्तु
* धारा ४६ मृत्यु
* '''धारा ४८''' जलयान
* धारा ४७ जीव जन्तु
* '''धारा ४९''' वर्ष, मास
* धारा ४८ जलयान
* '''धारा ५०''' धारा
* धारा ४९ वर्ष, मास
* '''धारा ५१''' शपथ
* धारा ५० धारा
* '''धारा ५२''' सद्भावनापूर्वक
* धारा ५१ शपथ
* '''धारा ५२''' क संश्रय
* धारा ५२ सद्भावनापूर्वक
* धारा ५२ क संश्रय
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| अध्याय ३
| अध्याय ३
| दण्डों के विषय में
| दण्डों के विषय में
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* धारा ५३ दण्ड
* '''धारा ५३''' दण्ड
* धारा ५३ क निर्वसन के प्रति निर्देश का अर्थ लगाना
* '''धारा ५३''' क निर्वसन के प्रति निर्देश का अर्थ लगाना
* धारा ५४ लघु दण्डादेश का लघुकरण
* '''धारा ५४''' लघु दण्डादेश का लघुकरण
* धारा ५५ आजीवन कारावास के दण्डादेश का लघुकरण
* '''धारा ५५''' आजीवन कारावास के दण्डादेश का लघुकरण
* धारा ५५ क समुचित सरकार की परिभाषा
* '''धारा ५५''' क समुचित सरकार की परिभाषा
* धारा ५६ निरसित
* '''धारा ५६''' निरसित
* धारा ५७ दण्डावधियों की भिन्ने
* '''धारा ५७''' दण्डावधियों की भिन्ने
* धारा ५८ निरसित
* '''धारा ५८''' निरसित
* धारा ५९ निरसित
* '''धारा ५९''' निरसित
* धारा ६० दण्डादिष्ट कारावास के कतिपय मामलों में संपूर्ण कारावास या उसका कोई भाग कठिन या सादा हो सकेगा
* '''धारा ६०''' दण्डादिष्ट कारावास के कतिपय मामलों में संपूर्ण कारावास या उसका कोई भाग कठिन या सादा हो सकेगा
* धारा ६१ निरसित
* '''धारा ६१''' निरसित
* धारा ६२ निरसित
* '''धारा ६२''' निरसित
* धारा ६३ जुर्माने की रकम
* '''धारा ६३''' जुर्माने की रकम
* धारा ६४ जुर्माना न देने पर कारावास का दण्डादेश
* '''धारा ६४''' जुर्माना न देने पर कारावास का दण्डादेश
* धारा ६५ जबकि कारावास और जुर्माना दोनों आदिष्ट किये जा सकते हैं, तब जुर्माना न देने पर कारावास, जबकि अपराध केवल जुर्माने से दण्डनीय हो
* '''धारा ६५''' जबकि कारावास और जुर्माना दोनों आदिष्ट किये जा सकते हैं, तब जुर्माना न देने पर कारावास, जबकि अपराध केवल जुर्माने से दण्डनीय हो
* धारा ६६ जुर्माना न देने पर किस भंति का कारावास दिया जाय
* '''धारा ६६''' जुर्माना न देने पर किस भंति का कारावास दिया जाय
* धारा ६७ जुर्माना न देने पर कारावास, जबकि अपराध केवल जुर्माने से दण्डनीय हो
* '''धारा ६७''' जुर्माना न देने पर कारावास, जबकि अपराध केवल जुर्माने से दण्डनीय हो
* धारा ६८ जुर्माना देने पर कारावास का पर्यवसान हो जाना
* '''धारा ६८''' जुर्माना देने पर कारावास का पर्यवसान हो जाना
* धारा ६९ जुर्माने के आनुपातिक भाग के दे दिये जाने की दशा में कारावास का पर्यवसान
* '''धारा ६९''' जुर्माने के आनुपातिक भाग के दे दिये जाने की दशा में कारावास का पर्यवसान
* धारा ७० जुर्माने का छ: वर्ष के भीतर या कारावास के दौरान में उदग्रहणीय होना
* '''धारा ७०''' जुर्माने का छ: वर्ष के भीतर या कारावास के दौरान में उदग्रहणीय होना
* धारा ७१ कई अपराधों से मिलकर बने अपराध के लिये दण्ड की अवधि
* '''धारा ७१''' कई अपराधों से मिलकर बने अपराध के लिये दण्ड की अवधि
* धारा ७२ कई अपराधों में से एक के दोषी व्यक्ति के लिये दण्ड जबकि निर्णय में यह कथित है कि यह संदेह है कि वह किस अपराध का दोषी है
* '''धारा ७२''' कई अपराधों में से एक के दोषी व्यक्ति के लिये दण्ड जबकि निर्णय में यह कथित है कि यह संदेह है कि वह किस अपराध का दोषी है
* धारा ७३ एकांत परिरोध
* '''धारा ७३''' एकांत परिरोध
* धारा ७४ एकांत परिरोध की अवधि
* '''धारा ७४''' एकांत परिरोध की अवधि
* धारा ७५ पूर्व दोषसिदि्ध के पश्च्यात अध्याय १२ या अध्याय १७ के अधीन कतिपय अपराधें के लिये वर्धित दण्ड
* '''धारा ७५''' पूर्व दोषसिदि्ध के पश्च्यात अध्याय १२ या अध्याय १७ के अधीन कतिपय अपराधें के लिये वर्धित दण्ड
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| अध्याय ४
| अध्याय ४
| साधारण अपवाद
| साधारण अपवाद
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* धारा ७६ विधि द्वारा आबद्ध या तथ्य की भूल के कारण अपने आप को विधि द्वारा आबद्ध होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य
* '''धारा ७६''' विधि द्वारा आबद्ध या तथ्य की भूल के कारण अपने आप को विधि द्वारा आबद्ध होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य
* धारा ७७ न्यायिकत: कार्य करने हेतु न्यायाधीश का कार्य
* '''धारा ७७''' न्यायिकत: कार्य करने हेतु न्यायाधीश का कार्य
* धारा ७८ न्यायालय के निर्णय या आदेश के अनुसरण में किया गया कार्य
* '''धारा ७८''' न्यायालय के निर्णय या आदेश के अनुसरण में किया गया कार्य
* धारा ७९ विधि द्वारा न्यायानुमत या तथ्य की भूल से अपने को विधि द्वारा न्यायानुमत होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य
* '''धारा ७९''' विधि द्वारा न्यायानुमत या तथ्य की भूल से अपने को विधि द्वारा न्यायानुमत होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य
* धारा ८० विधिपूर्ण कार्य करने में दुर्घटना
* '''धारा ८०''' विधिपूर्ण कार्य करने में दुर्घटना
* धारा ८१ कार्य जिससे अपहानि कारित होना संभाव्य है, किन्तु जो आपराधिक आशय के बिना और अन्य अपहानि के निवारण के लिये किया गया है
* '''धारा ८१''' कार्य जिससे अपहानि कारित होना संभाव्य है, किन्तु जो आपराधिक आशय के बिना और अन्य अपहानि के निवारण के लिये किया गया है
* धारा ८२ सात वर्ष से कम आयु के शिशु का कार्य
* '''धारा ८२''' सात वर्ष से कम आयु के शिशु का कार्य
* धारा ८३ सात वर्ष से उपर किन्तु बारह वर्ष से कम आयु अपरिपक्व समझ के शिशु का कार्य
* '''धारा ८३''' सात वर्ष से उपर किन्तु बारह वर्ष से कम आयु अपरिपक्व समझ के शिशु का कार्य
* धारा ८४ विकृतिचित्त व्यक्ति का कार्य
* '''धारा ८४''' विकृतिचित्त व्यक्ति का कार्य
* धारा ८५ ऐसे व्यक्ति का कार्य जो अपनी इच्छा के विरूद्ध मत्तता में होने के कारण निर्णय पर पहुंचने में असमर्थ है
* '''धारा ८५''' ऐसे व्यक्ति का कार्य जो अपनी इच्छा के विरूद्ध मत्तता में होने के कारण निर्णय पर पहुंचने में असमर्थ है
* धारा ८६ किसी व्यक्ति द्वारा, जो मत्तता में है, किया गया अपराध जिसमें विशेष आशय या ज्ञान का होना अपेक्षित है
* '''धारा ८६''' किसी व्यक्ति द्वारा, जो मत्तता में है, किया गया अपराध जिसमें विशेष आशय या ज्ञान का होना अपेक्षित है
* धारा ८७ सम्मति से किया गया कार्य जिसमें मृत्यु या घोर उपहति कारित करने का आशय हो और न उसकी सम्भव्यता का ज्ञान हो
* '''धारा ८७''' सम्मति से किया गया कार्य जिसमें मृत्यु या घोर उपहति कारित करने का आशय हो और न उसकी सम्भव्यता का ज्ञान हो
* धारा ८८ किसी व्यक्ति के फायदे के लिये सम्मति से सदभवनापूर्वक किया गया कार्य जिससे मृत्यु कारित करने का आशय नहीं है धारा ८९ संरक्षक द्वारा या उसकी सम्मति से शिशु या उन्मत्त व्यक्ति के फायदे के लिये सदभवनापूर्वक किया गया कार्य
* '''धारा ८८''' किसी व्यक्ति के फायदे के लिये सम्मति से सदभवनापूर्वक किया गया कार्य जिससे मृत्यु कारित करने का आशय नहीं है धारा ८९ संरक्षक द्वारा या उसकी सम्मति से शिशु या उन्मत्त व्यक्ति के फायदे के लिये सदभवनापूर्वक किया गया कार्य
* धारा ९० सम्मति
* '''धारा ९०''' सम्मति
** उन्मत्त व्यक्ति की सम्मति
** उन्मत्त व्यक्ति की सम्मति
** शिशु की सम्मति
** शिशु की सम्मति
* धारा ९१ एसे कार्यों का अपवर्णन जो कारित अपहानि के बिना भी स्वत: अपराध है
* '''धारा ९१''' एसे कार्यों का अपवर्णन जो कारित अपहानि के बिना भी स्वत: अपराध है
* धारा ९२ सम्मति के बिना किसी ब्यक्ति के फायदे के लिये सदभावना पूर्वक किया गया कार्य
* '''धारा ९२''' सम्मति के बिना किसी ब्यक्ति के फायदे के लिये सदभावना पूर्वक किया गया कार्य
* धारा ९३ सदभावनापूर्वक दी गयी संसूचना
* '''धारा ९३''' सदभावनापूर्वक दी गयी संसूचना
* धारा ९४ वह कार्य जिसको करने के लिये कोई ब्यक्ति धमकियों द्धारा विवश किया गया है
* '''धारा ९४''' वह कार्य जिसको करने के लिये कोई ब्यक्ति धमकियों द्धारा विवश किया गया है
* धारा ९५ तुच्छ अपहानि कारित करने वाला कार्य
* '''धारा ९५''' तुच्छ अपहानि कारित करने वाला कार्य
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| निजी प्रतिरक्षा के अधिकार के विषय में
| निजी प्रतिरक्षा के अधिकार के विषय में
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* धारा९६ निजी प्रतिरक्षा में दी गयी बातें
* '''धारा ९६''' निजी प्रतिरक्षा में दी गयी बातें
* धारा९७ शरीर तथा सम्पत्ति पर निजी प्रतिरक्षा का अधिकार
* '''धारा ९७''' शरीर तथा सम्पत्ति पर निजी प्रतिरक्षा का अधिकार
* धारा९८ ऐसे ब्यक्ति का कार्य के विरूद्ध निजी प्रतिरक्षा का अधिकार जो विकृतख्त्ति आदि हो
* '''धारा ९८''' ऐसे ब्यक्ति का कार्य के विरूद्ध निजी प्रतिरक्षा का अधिकार जो विकृतख्त्ति आदि हो
* धारा९९ कार्य, जिनके विरूद्ध निजी प्रतिरक्षा का कोई अधिकार नहीं है इस अधिकार के प्रयोग का विस्तार
* '''धारा ९९''' कार्य, जिनके विरूद्ध निजी प्रतिरक्षा का कोई अधिकार नहीं है इस अधिकार के प्रयोग का विस्तार
* धारा१०० शरीर की निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार मृत्यु कारित करने पर कब होता है
* '''धारा १००''' शरीर की निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार मृत्यु कारित करने पर कब होता है
* धारा१०१ कब ऐसे अधिकार का विस्तार मृत्यु से भिन्न कोई अपहानि कारित करने तक का होता है
* '''धारा १०१''' कब ऐसे अधिकार का विस्तार मृत्यु से भिन्न कोई अपहानि कारित करने तक का होता है
* धारा१०२ शरीर की निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बने रहना
* '''धारा १०२''' शरीर की निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बने रहना
* धारा१०३ कब सम्पत्ति की निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार मृत्यु कारित करने तक का होता है
* '''धारा १०३''' कब सम्पत्ति की निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार मृत्यु कारित करने तक का होता है
* धारा१०४ ऐसे अधिकार का विस्तार मृत्यु से भिन्न कोई अपहानि कारित करने तक का कब होता है
* '''धारा १०४''' ऐसे अधिकार का विस्तार मृत्यु से भिन्न कोई अपहानि कारित करने तक का कब होता है
* धारा१०५ सम्पत्ति की निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बने रहना
* '''धारा १०५''' सम्पत्ति की निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बने रहना
* धारा१०६ घातक हमले के विरूद्ध निजी प्रतिरक्षा के अधिकार जबकि निर्दोश व्यक्ति को अपहानि होने की जोखिम है
* '''धारा १०६''' घातक हमले के विरूद्ध निजी प्रतिरक्षा के अधिकार जबकि निर्दोश व्यक्ति को अपहानि होने की जोखिम है
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| अध्याय ५
| अध्याय ५
| दुष्प्रेरण के विषय में
| दुष्प्रेरण के विषय में
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* धारा१०७ किसी बात का दुष्प्रेरण
* '''धारा १०७''' किसी बात का दुष्प्रेरण
* धारा१०८ दुष्प्रेरक
* '''धारा १०८''' दुष्प्रेरक
* धारा१०८ क भारत से बाहर के अपराधों का भारत में दुष्प्रेरण
* '''धारा १०८''' क भारत से बाहर के अपराधों का भारत में दुष्प्रेरण
* धारा१०९ दुष्प्रेरण का दण्ड, यदि दुष्प्रेरित कार्य उसके परिणामस्वरूप किया जाए और जहां तक कि उसके दण्ड के लिये कोई अभिव्यक्त उपबंध नही है
* '''धारा १०९''' दुष्प्रेरण का दण्ड, यदि दुष्प्रेरित कार्य उसके परिणामस्वरूप किया जाए और जहां तक कि उसके दण्ड के लिये कोई अभिव्यक्त उपबंध नही है
* धारा११० दुष्प्रेरण का दण्ड, यदि दुष्प्रेरित व्यक्ति दुष्प्रेरक के आशय से भिन्न आशय से कार्य करता है
* '''धारा ११०''' दुष्प्रेरण का दण्ड, यदि दुष्प्रेरित व्यक्ति दुष्प्रेरक के आशय से भिन्न आशय से कार्य करता है
* धारा१११ दुष्प्रेरक का दायित्व जब एक कार्य का दुष्प्रेरण किया गया है और उससे भिन्न कार्य किया गया है
* '''धारा १११''' दुष्प्रेरक का दायित्व जब एक कार्य का दुष्प्रेरण किया गया है और उससे भिन्न कार्य किया गया है
* धारा११२ दुष्प्रेरक कब दुष्प्रेरित कार्य के लिये और किये गये कार्य के लिए आकलित दण्ड से दण्डनीय है
* '''धारा ११२''' दुष्प्रेरक कब दुष्प्रेरित कार्य के लिये और किये गये कार्य के लिए आकलित दण्ड से दण्डनीय है
* धारा११३ दुष्प्रेरित कार्य से कारित उस प्रभाव के लिए दुष्प्रेरक का दायित्व जो दुष्प्रेरक दवारा आशयित से भिन्न हो
* '''धारा ११३''' दुष्प्रेरित कार्य से कारित उस प्रभाव के लिए दुष्प्रेरक का दायित्व जो दुष्प्रेरक दवारा आशयित से भिन्न हो
* धारा११४ अपराध किए जाते समय दुष्प्रेरक की उपस्थिति
* '''धारा ११४''' अपराध किए जाते समय दुष्प्रेरक की उपस्थिति
* धारा११५ मृत्यु या आजीवन कारावास से दण्डनीय अपराध का दुष्प्रेरण यदि अपराध नही किया जाता यदि अपहानि करने वाला कार्य परिणामस्वरूप किया जाता है
* '''धारा ११५''' मृत्यु या आजीवन कारावास से दण्डनीय अपराध का दुष्प्रेरण यदि अपराध नही किया जाता यदि अपहानि करने वाला कार्य परिणामस्वरूप किया जाता है
* धारा११६ कारावास से दण्डनीय अपराध का दुष्प्रेरण अदि अपराध न किया जाए यदि दुष्प्रेरक या दुष्प्रेरित व्यक्ति ऐसा लोक सेवक है, जिसका कर्तव्य अपराध निवारित करना हो
* '''धारा ११६''' कारावास से दण्डनीय अपराध का दुष्प्रेरण अदि अपराध न किया जाए यदि दुष्प्रेरक या दुष्प्रेरित व्यक्ति ऐसा लोक सेवक है, जिसका कर्तव्य अपराध निवारित करना हो
* धारा११७ लोक साधारण दवारा या दस से अधिक व्यक्तियों दवारा अपराध किये जाने का दुष्प्रेरण
* '''धारा ११७''' लोक साधारण दवारा या दस से अधिक व्यक्तियों दवारा अपराध किये जाने का दुष्प्रेरण
* धारा११८ मृत्यु या आजीवन कारावास से दण्डनीय अपराध करने की परिकल्पना को छिपाना यदि अपराध कर दिया जाए - यदि अपराध नहीं किया जाए
* '''धारा ११८''' मृत्यु या आजीवन कारावास से दण्डनीय अपराध करने की परिकल्पना को छिपाना यदि अपराध कर दिया जाए - यदि अपराध नहीं किया जाए
* धारा११९ किसी ऐसे अपराध के किए जाने की परिकल्पना का लोक सेवक दवारा छिपाया जाना, जिसका निवारण करना उसका कर्तव्य है
* '''धारा ११९''' किसी ऐसे अपराध के किए जाने की परिकल्पना का लोक सेवक दवारा छिपाया जाना, जिसका निवारण करना उसका कर्तव्य है
** यदि अपराध कर दिया जाय
** यदि अपराध कर दिया जाय
** यदि अपराध मृत्यु, आदि से दण्डनीय है
** यदि अपराध मृत्यु, आदि से दण्डनीय है
** यदि अपराध नही किया जाय
** यदि अपराध नही किया जाय
* धारा१२० कारावास से दण्डनीय अपराध करने की परिकल्पना को छिपाना
* '''धारा १२०''' कारावास से दण्डनीय अपराध करने की परिकल्पना को छिपाना
** यदि अपराध कर दिया जाए - यदि अपराध नही किया जाए
** यदि अपराध कर दिया जाए - यदि अपराध नही किया जाए
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पंक्ति 174: पंक्ति 172:
| आपराधिक षडयंत्र
| आपराधिक षडयंत्र
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* धारा१२० क आपराधिक षडयंत्र की परिभाषा
* '''धारा १२०''' क आपराधिक षडयंत्र की परिभाषा
* धारा१२० ख आपराधिक षडयंत्र का दण्ड
* '''धारा १२०''' ख आपराधिक षडयंत्र का दण्ड
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| अध्याय ६
| अध्याय ६
| राज्य के विरूद्ध अपराधें के विषय में
| राज्य के विरूद्ध अपराधें के विषय में
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* धारा१२१ भारत सरकार के विरूद्ध युद्ध करना या युद्ध करने का प्रयत्न करना या युद्ध करने का दुष्प्रेरण करना
* '''धारा १२१''' भारत सरकार के विरूद्ध युद्ध करना या युद्ध करने का प्रयत्न करना या युद्ध करने का दुष्प्रेरण करना
* धारा१२१ क धारा १२१ दवारा दण्डनीय अपराधों को करने का षडयंत्र
* '''धारा १२१''' क धारा १२१ दवारा दण्डनीय अपराधों को करने का षडयंत्र
* धारा१२२ भारत सरकार के विरूद्ध युद्ध करने के आशय से आयुध आदि संग्रह करना
* '''धारा १२२''' भारत सरकार के विरूद्ध युद्ध करने के आशय से आयुध आदि संग्रह करना
* धारा१२३ युद्ध करने की परिकल्पना को सुनकर बनाने के आशय से छुपाना
* '''धारा १२३''' युद्ध करने की परिकल्पना को सुनकर बनाने के आशय से छुपाना
* धारा १२४ किसी विधिपूर्ण शक्ति का प्रयोग करने के लिए विवश करने या उसका प्रयोग अवरोपित करने के आशय से राट्रपति, राज्यपाल आदि पर हमला करना
* '''धारा १२४''' किसी विधिपूर्ण शक्ति का प्रयोग करने के लिए विवश करने या उसका प्रयोग अवरोपित करने के आशय से राट्रपति, राज्यपाल आदि पर हमला करना
* धारा१२४ क राजद्रोह
* '''धारा १२४''' क राजद्रोह
* धारा१२५ भारत सरकार से मैत्री सम्बंध रखने वाली किसी एशियाई शक्ति के विरूद्ध युद्ध करना
* '''धारा १२५''' भारत सरकार से मैत्री सम्बंध रखने वाली किसी एशियाई शक्ति के विरूद्ध युद्ध करना
* धारा१२६ भारत सरकार के साथ शान्ति का संबंध रखने वाली शक्ति के राज्य क्षेत्र में लूटपाट करना
* '''धारा १२६''' भारत सरकार के साथ शान्ति का संबंध रखने वाली शक्ति के राज्य क्षेत्र में लूटपाट करना
* धारा१२७ धारा १२५ व १२६ में वर्णित युद्ध या लूटपाट दवारा ली गयी सम्पत्ति प्राप्त करना
* '''धारा १२७''' धारा १२५ व १२६ में वर्णित युद्ध या लूटपाट दवारा ली गयी सम्पत्ति प्राप्त करना
* धारा१२८ लोक सेवक का स्व ईच्छा राजकैदी या युद्धकैदी को निकल भागने देना
* '''धारा १२८''' लोक सेवक का स्व ईच्छा राजकैदी या युद्धकैदी को निकल भागने देना
* धारा१२९ उपेक्षा से लोक सेवक का ऐसे कैदी का निकल भागना सहन करना
* '''धारा १२९''' उपेक्षा से लोक सेवक का ऐसे कैदी का निकल भागना सहन करना
* धारा१३० ऐसे कैदी के निकल भागने में सहायता देना, उसे छुडाना या संश्रय देना
* '''धारा १३०''' ऐसे कैदी के निकल भागने में सहायता देना, उसे छुडाना या संश्रय देना
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| अध्याय ७
| अध्याय ७
| सेना, नौसेना और वायुसेना से सम्बन्धित अपराधें के विषय में
| सेना, नौसेना और वायुसेना से सम्बन्धित अपराधें के विषय में
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* धारा१३१ विद्रोह का दुष्प्रेरण का किसी सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक को कर्तव्य से विचलित करने का प्रयत्न करना
* '''धारा १३१''' विद्रोह का दुष्प्रेरण का किसी सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक को कर्तव्य से विचलित करने का प्रयत्न करना
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07:33, 21 अक्टूबर 2016 का अवतरण

भारतीय दण्ड संहिता (Indian Penal Code, IPC) भारत के अन्दर (जम्मू एवं काश्मीर को छोडकर) भारत के किसी भी नागरिक द्वारा किये गये कुछ अपराधों की परिभाषा व दण्ड का प्रावधान करती है। किन्तु यह संहिता भारत की सेना पर लागू नहीं होती। जम्मू एवं कश्मीर में इसके स्थान पर रणबीर दण्ड संहिता (RPC) लागू होती है।

भारतीय दण्ड संहिता ब्रिटिश काल में सन् १८६२ में लागू हुई। इसके बाद इसमे समय-समय पर संशोधन होते रहे (विशेषकर भारत के स्वतन्त्र होने के बाद)। पाकिस्तान और बांग्लादेश ने भी भारतीय दण्ड संहिता को ही लागू किया। लगभग इसी रूप में यह विधान तत्कालीन अन्य ब्रिटिश उपनिवेशों (बर्मा, श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर, ब्रुनेई आदि) में भी लागू की गयी थी।

दण्ड संहिता

अध्याय नाम धाराएं


अध्याय १ उद्देशिका
  • धारा १ संहिता का नाम और उसके प्रर्वतन का विस्तार
  • धारा २ भारत के भीतर किए गये अपराधों का दण्ड
  • धारा ३ भारत से परे किए गये किन्तु उसके भीतर विधि के अनुसार विचारणीय अपराधों का दण्ड
  • धारा ४ राज्य-क्षेत्रातीत अपराधों पर संहिता का विस्तार
  • धारा ५ कुछ विधियों पर इस अधिनियम द्वारा प्रभाव न डाला जाना
अध्याय २ साधारण स्पष्टीकरण
  • धारा ६ संहिता में की परिभाषाओं का अपवादों के अध्यधीन समझा जाना
  • धारा ७ एक बार स्पष्टीकृत पद का भाव
  • धारा ८ लिंग
  • धारा ९ वचन
  • धारा १० पुरूष, स्त्री
  • धारा ११ व्यक्ति
  • धारा १२ लोक
  • धारा १३ निरसित
  • धारा १४ सरकार का सेवक
  • धारा १५ निरसित
  • धारा १६ निरसित
  • धारा १७ सरकार
  • धारा १८ भारत
  • धारा १९ न्यायाधीश
  • धारा २० न्यायालय
  • धारा २१ लोक सेवक
  • धारा २२ जंगम सम्पत्ति
  • धारा २३ सदोष अभिलाभ
  • सदोष अभिलाभ
  • सदोष हानि
  • सदोष अभिलाभ प्राप्त करना/सदोष हानि उठाना
  • धारा २४ बेईमानी से
  • धारा २५ कपटपूर्वक
  • धारा २६ विश्वास करने का कारण
  • धारा २७ पत्नी, लिपिक या सेवक के कब्जे में सम्पत्ति
  • धारा २८ कूटकरण
  • धारा २९ दस्तावेज
  • धारा २९ क इलेक्ट्रानिक अभिलेख
  • धारा ३० मूल्यवान प्रतिभूति
  • धारा ३१ विल
  • धारा ३२ कार्यों का निर्देश करने वाले शब्दों के अन्तर्गत अवैध लोप आता है
  • धारा ३३ कार्य, लोप
  • धारा ३४ सामान्य आशय को अग्रसर करने में कई व्यक्तियों द्वारा किये गये कार्य
  • धारा ३५ जब कि ऐसा कार्य इस कारण अपराधित है कि वह अपराध्कि ज्ञान या आशय से किया गया है
  • धारा ३६ अंशत: कार्य द्वारा और अंशत: लोप द्वारा कारित परिणाम
  • धारा ३७ किसी अपराध को गठित करने वाले कई कार्यों में से किसी एक को करके सहयोग करना
  • धारा ३८ अपराधिक कार्य में संपृक्त व्यक्ति विभिन्न अपराधों के दोषी हो सकेंगे
  • धारा ३९ स्वेच्छया
  • धारा ४० अपराध
  • धारा ४१ विशेष विधि
  • धारा ४२ स्थानीय विधि
  • धारा ४३ अवैध, करने के लिये वैध रूप से आबद्ध
  • धारा ४४ क्षति
  • धारा ४५ जीवन
  • धारा ४६ मृत्यु
  • धारा ४७ जीव जन्तु
  • धारा ४८ जलयान
  • धारा ४९ वर्ष, मास
  • धारा ५० धारा
  • धारा ५१ शपथ
  • धारा ५२ सद्भावनापूर्वक
  • धारा ५२ क संश्रय
अध्याय ३ दण्डों के विषय में
  • धारा ५३ दण्ड
  • धारा ५३ क निर्वसन के प्रति निर्देश का अर्थ लगाना
  • धारा ५४ लघु दण्डादेश का लघुकरण
  • धारा ५५ आजीवन कारावास के दण्डादेश का लघुकरण
  • धारा ५५ क समुचित सरकार की परिभाषा
  • धारा ५६ निरसित
  • धारा ५७ दण्डावधियों की भिन्ने
  • धारा ५८ निरसित
  • धारा ५९ निरसित
  • धारा ६० दण्डादिष्ट कारावास के कतिपय मामलों में संपूर्ण कारावास या उसका कोई भाग कठिन या सादा हो सकेगा
  • धारा ६१ निरसित
  • धारा ६२ निरसित
  • धारा ६३ जुर्माने की रकम
  • धारा ६४ जुर्माना न देने पर कारावास का दण्डादेश
  • धारा ६५ जबकि कारावास और जुर्माना दोनों आदिष्ट किये जा सकते हैं, तब जुर्माना न देने पर कारावास, जबकि अपराध केवल जुर्माने से दण्डनीय हो
  • धारा ६६ जुर्माना न देने पर किस भंति का कारावास दिया जाय
  • धारा ६७ जुर्माना न देने पर कारावास, जबकि अपराध केवल जुर्माने से दण्डनीय हो
  • धारा ६८ जुर्माना देने पर कारावास का पर्यवसान हो जाना
  • धारा ६९ जुर्माने के आनुपातिक भाग के दे दिये जाने की दशा में कारावास का पर्यवसान
  • धारा ७० जुर्माने का छ: वर्ष के भीतर या कारावास के दौरान में उदग्रहणीय होना
  • धारा ७१ कई अपराधों से मिलकर बने अपराध के लिये दण्ड की अवधि
  • धारा ७२ कई अपराधों में से एक के दोषी व्यक्ति के लिये दण्ड जबकि निर्णय में यह कथित है कि यह संदेह है कि वह किस अपराध का दोषी है
  • धारा ७३ एकांत परिरोध
  • धारा ७४ एकांत परिरोध की अवधि
  • धारा ७५ पूर्व दोषसिदि्ध के पश्च्यात अध्याय १२ या अध्याय १७ के अधीन कतिपय अपराधें के लिये वर्धित दण्ड
अध्याय ४ साधारण अपवाद
  • धारा ७६ विधि द्वारा आबद्ध या तथ्य की भूल के कारण अपने आप को विधि द्वारा आबद्ध होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य
  • धारा ७७ न्यायिकत: कार्य करने हेतु न्यायाधीश का कार्य
  • धारा ७८ न्यायालय के निर्णय या आदेश के अनुसरण में किया गया कार्य
  • धारा ७९ विधि द्वारा न्यायानुमत या तथ्य की भूल से अपने को विधि द्वारा न्यायानुमत होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य
  • धारा ८० विधिपूर्ण कार्य करने में दुर्घटना
  • धारा ८१ कार्य जिससे अपहानि कारित होना संभाव्य है, किन्तु जो आपराधिक आशय के बिना और अन्य अपहानि के निवारण के लिये किया गया है
  • धारा ८२ सात वर्ष से कम आयु के शिशु का कार्य
  • धारा ८३ सात वर्ष से उपर किन्तु बारह वर्ष से कम आयु अपरिपक्व समझ के शिशु का कार्य
  • धारा ८४ विकृतिचित्त व्यक्ति का कार्य
  • धारा ८५ ऐसे व्यक्ति का कार्य जो अपनी इच्छा के विरूद्ध मत्तता में होने के कारण निर्णय पर पहुंचने में असमर्थ है
  • धारा ८६ किसी व्यक्ति द्वारा, जो मत्तता में है, किया गया अपराध जिसमें विशेष आशय या ज्ञान का होना अपेक्षित है
  • धारा ८७ सम्मति से किया गया कार्य जिसमें मृत्यु या घोर उपहति कारित करने का आशय हो और न उसकी सम्भव्यता का ज्ञान हो
  • धारा ८८ किसी व्यक्ति के फायदे के लिये सम्मति से सदभवनापूर्वक किया गया कार्य जिससे मृत्यु कारित करने का आशय नहीं है धारा ८९ संरक्षक द्वारा या उसकी सम्मति से शिशु या उन्मत्त व्यक्ति के फायदे के लिये सदभवनापूर्वक किया गया कार्य
  • धारा ९० सम्मति
    • उन्मत्त व्यक्ति की सम्मति
    • शिशु की सम्मति
  • धारा ९१ एसे कार्यों का अपवर्णन जो कारित अपहानि के बिना भी स्वत: अपराध है
  • धारा ९२ सम्मति के बिना किसी ब्यक्ति के फायदे के लिये सदभावना पूर्वक किया गया कार्य
  • धारा ९३ सदभावनापूर्वक दी गयी संसूचना
  • धारा ९४ वह कार्य जिसको करने के लिये कोई ब्यक्ति धमकियों द्धारा विवश किया गया है
  • धारा ९५ तुच्छ अपहानि कारित करने वाला कार्य
निजी प्रतिरक्षा के अधिकार के विषय में
  • धारा ९६ निजी प्रतिरक्षा में दी गयी बातें
  • धारा ९७ शरीर तथा सम्पत्ति पर निजी प्रतिरक्षा का अधिकार
  • धारा ९८ ऐसे ब्यक्ति का कार्य के विरूद्ध निजी प्रतिरक्षा का अधिकार जो विकृतख्त्ति आदि हो
  • धारा ९९ कार्य, जिनके विरूद्ध निजी प्रतिरक्षा का कोई अधिकार नहीं है इस अधिकार के प्रयोग का विस्तार
  • धारा १०० शरीर की निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार मृत्यु कारित करने पर कब होता है
  • धारा १०१ कब ऐसे अधिकार का विस्तार मृत्यु से भिन्न कोई अपहानि कारित करने तक का होता है
  • धारा १०२ शरीर की निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बने रहना
  • धारा १०३ कब सम्पत्ति की निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार मृत्यु कारित करने तक का होता है
  • धारा १०४ ऐसे अधिकार का विस्तार मृत्यु से भिन्न कोई अपहानि कारित करने तक का कब होता है
  • धारा १०५ सम्पत्ति की निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बने रहना
  • धारा १०६ घातक हमले के विरूद्ध निजी प्रतिरक्षा के अधिकार जबकि निर्दोश व्यक्ति को अपहानि होने की जोखिम है
अध्याय ५ दुष्प्रेरण के विषय में
  • धारा १०७ किसी बात का दुष्प्रेरण
  • धारा १०८ दुष्प्रेरक
  • धारा १०८ क भारत से बाहर के अपराधों का भारत में दुष्प्रेरण
  • धारा १०९ दुष्प्रेरण का दण्ड, यदि दुष्प्रेरित कार्य उसके परिणामस्वरूप किया जाए और जहां तक कि उसके दण्ड के लिये कोई अभिव्यक्त उपबंध नही है
  • धारा ११० दुष्प्रेरण का दण्ड, यदि दुष्प्रेरित व्यक्ति दुष्प्रेरक के आशय से भिन्न आशय से कार्य करता है
  • धारा १११ दुष्प्रेरक का दायित्व जब एक कार्य का दुष्प्रेरण किया गया है और उससे भिन्न कार्य किया गया है
  • धारा ११२ दुष्प्रेरक कब दुष्प्रेरित कार्य के लिये और किये गये कार्य के लिए आकलित दण्ड से दण्डनीय है
  • धारा ११३ दुष्प्रेरित कार्य से कारित उस प्रभाव के लिए दुष्प्रेरक का दायित्व जो दुष्प्रेरक दवारा आशयित से भिन्न हो
  • धारा ११४ अपराध किए जाते समय दुष्प्रेरक की उपस्थिति
  • धारा ११५ मृत्यु या आजीवन कारावास से दण्डनीय अपराध का दुष्प्रेरण यदि अपराध नही किया जाता यदि अपहानि करने वाला कार्य परिणामस्वरूप किया जाता है
  • धारा ११६ कारावास से दण्डनीय अपराध का दुष्प्रेरण अदि अपराध न किया जाए यदि दुष्प्रेरक या दुष्प्रेरित व्यक्ति ऐसा लोक सेवक है, जिसका कर्तव्य अपराध निवारित करना हो
  • धारा ११७ लोक साधारण दवारा या दस से अधिक व्यक्तियों दवारा अपराध किये जाने का दुष्प्रेरण
  • धारा ११८ मृत्यु या आजीवन कारावास से दण्डनीय अपराध करने की परिकल्पना को छिपाना यदि अपराध कर दिया जाए - यदि अपराध नहीं किया जाए
  • धारा ११९ किसी ऐसे अपराध के किए जाने की परिकल्पना का लोक सेवक दवारा छिपाया जाना, जिसका निवारण करना उसका कर्तव्य है
    • यदि अपराध कर दिया जाय
    • यदि अपराध मृत्यु, आदि से दण्डनीय है
    • यदि अपराध नही किया जाय
  • धारा १२० कारावास से दण्डनीय अपराध करने की परिकल्पना को छिपाना
    • यदि अपराध कर दिया जाए - यदि अपराध नही किया जाए
अध्याय ५ क आपराधिक षडयंत्र
  • धारा १२० क आपराधिक षडयंत्र की परिभाषा
  • धारा १२० ख आपराधिक षडयंत्र का दण्ड
अध्याय ६ राज्य के विरूद्ध अपराधें के विषय में
  • धारा १२१ भारत सरकार के विरूद्ध युद्ध करना या युद्ध करने का प्रयत्न करना या युद्ध करने का दुष्प्रेरण करना
  • धारा १२१ क धारा १२१ दवारा दण्डनीय अपराधों को करने का षडयंत्र
  • धारा १२२ भारत सरकार के विरूद्ध युद्ध करने के आशय से आयुध आदि संग्रह करना
  • धारा १२३ युद्ध करने की परिकल्पना को सुनकर बनाने के आशय से छुपाना
  • धारा १२४ किसी विधिपूर्ण शक्ति का प्रयोग करने के लिए विवश करने या उसका प्रयोग अवरोपित करने के आशय से राट्रपति, राज्यपाल आदि पर हमला करना
  • धारा १२४ क राजद्रोह
  • धारा १२५ भारत सरकार से मैत्री सम्बंध रखने वाली किसी एशियाई शक्ति के विरूद्ध युद्ध करना
  • धारा १२६ भारत सरकार के साथ शान्ति का संबंध रखने वाली शक्ति के राज्य क्षेत्र में लूटपाट करना
  • धारा १२७ धारा १२५ व १२६ में वर्णित युद्ध या लूटपाट दवारा ली गयी सम्पत्ति प्राप्त करना
  • धारा १२८ लोक सेवक का स्व ईच्छा राजकैदी या युद्धकैदी को निकल भागने देना
  • धारा १२९ उपेक्षा से लोक सेवक का ऐसे कैदी का निकल भागना सहन करना
  • धारा १३० ऐसे कैदी के निकल भागने में सहायता देना, उसे छुडाना या संश्रय देना
अध्याय ७ सेना, नौसेना और वायुसेना से सम्बन्धित अपराधें के विषय में
  • धारा १३१ विद्रोह का दुष्प्रेरण का किसी सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक को कर्तव्य से विचलित करने का प्रयत्न करना

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ