"छीतस्वामी": अवतरणों में अंतर

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[[वल्लभ संप्रदाय]] ([[पुष्टिमार्ग]]) के आठ कवियों ([[अष्टछाप]] कवि) में एक । जिन्होने भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न लीलाओं का अपने पदों में वर्णन किया
'''छीतस्वामी''' [[वल्लभ संप्रदाय]] ([[पुष्टिमार्ग]]) के आठ कवियों ([[अष्टछाप]] कवि) में एक । जिन्होने भगवान श्री [[कृष्ण]] की विभिन्न लीलाओं का अपने पदों में वर्णन किया


'''छीतस्वामी जी का एक पद'''
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छीतस्वामी गिरिधरन श्री विट्ठल, निरख नयन त्रय ताप नसावें ॥
छीतस्वामी गिरिधरन श्री विट्ठल, निरख नयन त्रय ताप नसावें ॥

[[श्रेणी:वल्लभ संप्रदाय]]

14:45, 4 अक्टूबर 2006 का अवतरण

छीतस्वामी वल्लभ संप्रदाय (पुष्टिमार्ग) के आठ कवियों (अष्टछाप कवि) में एक । जिन्होने भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न लीलाओं का अपने पदों में वर्णन किया

छीतस्वामी जी का एक पद

भोग श्रृंगार यशोदा मैया,श्री विट्ठलनाथ के हाथ को भावें ।

नीके न्हवाय श्रृंगार करत हैं, आछी रुचि सों मोही पाग बंधावें ॥

तातें सदा हों उहां ही रहत हो, तू दधि माखन दूध छिपावें ।

छीतस्वामी गिरिधरन श्री विट्ठल, निरख नयन त्रय ताप नसावें ॥