"पंथी गीत": अवतरणों में अंतर

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यह छत्तीसगढ़ में निवास कर रहे सतनामी जाती के लोगो के द्वारा ईश्वर (सतनाम पिता) की स्तुति में और संत गुरूघासी बाबा के जीवन चरित्र का वर्णन किया जाता है ।यह निर्गुण भक्ति धारा से प्रेरित है जिसमे गुरु घासीदास के द्वारा दिए गए उपदेश को गीत और नृत्य के माध्यम से मंच में प्रस्तुत किया जाता है।
यह छत्तीसगढ़ में निवास कर रहे सतनामी जाती के लोगो के द्वारा ईश्वर (सतनाम पिता) की स्तुति में और संत गुरूघासी बाबा के जीवन चरित्र का वर्णन किया जाता है ।यह निर्गुण भक्ति धारा से प्रेरित है जिसमे गुरु घासीदास के द्वारा दिए गए उपदेश को गीत और नृत्य के माध्यम से मंच में प्रस्तुत किया जाता है।



07:37, 2 अक्टूबर 2015 का अवतरण

यह छत्तीसगढ़ में निवास कर रहे सतनामी जाती के लोगो के द्वारा ईश्वर (सतनाम पिता) की स्तुति में और संत गुरूघासी बाबा के जीवन चरित्र का वर्णन किया जाता है ।यह निर्गुण भक्ति धारा से प्रेरित है जिसमे गुरु घासीदास के द्वारा दिए गए उपदेश को गीत और नृत्य के माध्यम से मंच में प्रस्तुत किया जाता है।

इस नृत्य के नर्तक स्वर्गीय देवदास बंजारे जी ने इसे देश विदेश तक पहुचाया इसका प्रमुख वाद्य यंत्र के रूप में झांझ मंजीरा और ढोलक का उपयोग किया जाता है।