"सिद्धान्त शिरोमणि": अवतरणों में अंतर
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स्वयं भास्कराचार्य ने सिद्धान्त शिरोमणि के पद्यात्मक गणित सिद्धान्तों को स्पष्ट करने के लिये |
स्वयं भास्कराचार्य ने सिद्धान्त शिरोमणि के पद्यात्मक गणित सिद्धान्तों को स्पष्ट करने के लिये '''वासनाभाष्य''' नामक टीका लिखी है। |
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== इन्हें भी देखें == |
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09:09, 16 जुलाई 2015 का अवतरण
सिद्धान्त शिरोमणि, संस्कृत में रचित गणित और खगोल शास्त्र का एक प्राचीन ग्रन्थ है। इसकी रचना भास्कर द्वितीय (या, भास्कराचार्य) ने सन ११५० के आसपास की थी।
इसके चार भाग हैं:
१) लीलावती - इसमें अंकगणित (मैथेमेटिक्स) का विवेचन किया गया है।
२) बीजगणित - इसमें बीजगणित (अल्जेब्रा) का विवेचन है।
४) गोलाध्याय
ग्रहगणिताध्याय और गोलाध्याय में खगोलशास्त्र का विवेचन है।
सिद्धान्त शिरोमणि की एक झलक
१) गुरुत्वाकर्षण—
- मरुच्चलो भूरचला स्वभावतो।
- यतो विचित्राः खलु वस्तुशक्तयः ॥
—(सिद्धान्त शिरोमणि गोलाध्याय-भुवनकोष-5)
वे पुनः कहते हैं-
- आकृष्टिशक्तिश्च महि तय यत्।
- खष्ठं गुरु स्वभिमुखं स्वशक्त्या ॥
- आकृष्यते तत्पततीव भाति।
- समेसमन्तात् क्व पतत्वियं खे ॥
—(सिद्धान्त शिरोमणि गोलाध्याय-भुवनकोष-६)
२) धरती गोल है—
- समो यत: स्यात्परिधेह शतान्श:।
- पृथी च पृथ्वी नितरां तनीयान् ॥
- नरश्च तत्पृष्ठगतस्य कृत्स्ना।
- समेव तस्य प्रतिभात्यत: सा ॥
—(सिद्धान्त शिरोमणि गोलाध्याय-भुवनकोष- १३)
भाष्य
स्वयं भास्कराचार्य ने सिद्धान्त शिरोमणि के पद्यात्मक गणित सिद्धान्तों को स्पष्ट करने के लिये वासनाभाष्य नामक टीका लिखी है।
इन्हें भी देखें
बाहरी कडियाँ
- गोलाध्याय (गूगल पुस्तक ; लेखक - केदारदत्त जोशी)
- गणिताध्याय (गूगल पुस्तक)
- Did Bhaskar discover Calculus?
- भास्कराचार्य (अंग्रेजी में)
- History of Ganit (Mathematics)
- Mathematics and Science in India लेखक : सुभाष काक
- सिद्धान्तशिरोमणि (गूगल पुस्तक)
- विकिस्रोत पर सिद्धान्तशिरोमणि का मूल पाठ: