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अटल बिहारी वाजपेयी
अटल बिहारी वाजपेयी

पहला शासन काल:मई १६, १९९६ - जून १, १९९६
पूर्वाधिकारी:पी वी नरसिंह राव
उत्तराधिकारी:एच डी देवे गौडा
दूसरा शासन काल:मार्च १९, १९९८ - मई २२, २००४
पूर्वाधिकारी:इन्द्र कुमार गुजराल
उत्तराधिकारी:मनमोहन सिंह
जन्म तारिख:दिसंबर २५, १९२४
जन्म स्थल:ग्वालियर, मध्य प्रदेश
राजनीतिक दल:भारतीय जनता पार्टी

अटल बिहारी वाजपेयी (जन्म दिसंबर २५, १९२४) १९९६ तथा १९९८ से मई २००४ तक भारत के प्रधान मंत्री थे । वह भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक है और १९६८ से १९७३ तक वह उसके अध्यक्ष भी रहे थे। वह जीवनभर भारतीय राजनीति में सक्रिय रहे। उन्होने लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन किया। इसके अतिरिक्त वे एक ओजस्वी एवं पटु वक्ता (ओरेटर) एवं प्रसिद्ध हिन्दी कवि भी हैं। वे अविवाहित हैं।


आरम्भिक जीवन

उत्तर प्रदेश के आगरा जनपद के प्राचीन स्थान बटेश्र्वार में २५ दिसम्बर, १९२६ को ब्रह्ममुहूर्त्त में उनका जन्म हुआ था। पिता पं. कृष्ण बिहारी मिश्र ग्वालियर में अध्यापन कार्य करते थे। अटल जी की बी.ए. की शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कालेज (वर्तमान में लक्ष्मीबाई कालेज) में हुई। छात्र जीवन से वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने और तभी से राष्टीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे। कानपुर के डी.ए.वी. कालेज से राजनीति शास्त्र में प्रथम श्रेणी में एम.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की। फिर एल.एल.बी. की पढ़ाई शुरू की लेकिन उसे बीच में ही विराम देकर संघ कार्य में जुट गए। डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पं. दीनदयाल उपाध्याय के निर्देशन में राजनीति का पाठ पढ़ा। सम्पादक के रूप में पाञ्चजन्य, राष्ट्रधर्म, दैनिक स्वदेश और वीर अर्जुन का कार्यभार संभाला।

राजनीतिक जीवन

वह भारतीय जन संघ की स्थापना करने वालों में से एक है और १९६८ से १९७३ तक वह उसके अध्यक्ष भी रह चुके हैं । १९५५ में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा, सफलता नहीं मिली लेकिन, १९५७ में बलरामपुर (जिला गोण्डा, उत्तर प्रदेश) से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा में पहुचे। १९५७ से १९७७ तक ( जनता पार्टी की स्थापना तक) जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे। १९६८ से ७३ तक वे भारतीय जनसंघ के राष्टीय अध्यक्ष पद पर आसीन रहे। मोरारजी देसाई की सरकार में वह १९७७ से १९७९ तक विदेश मंत्री रहे और विदेशों में भारत की छवि बनाई।

१९८० में जनता पार्टी से असंतुष्ट होकर इन्होंने जनता पार्टी छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में मदद की। ६ अप्रैल, १९८० में बनी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद का दायित्व श्री वाजपेयी को सौंपा गया।दो बार राज्यसभा के लिए भी निर्वाचित हुए। लोकतंत्र के सजग प्रहरी अटल बिहारी वाजपेयी ने १९९७ में प्रधानमंत्री के रूप में देश की बागडोर संभाली। १९ अप्रैल, १९९८ को पुनः प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और उनके नेतृत्व में १३ दलों की गठबंधन सरकार ने पांच वर्षों में देश ने प्रगति के अनेक आयाम छुए।

सन २००८ के लोकसभा चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबन्धन (एण्डीए) ने वाजपेयी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा और भारत उदय (इण्डिया शाइनिंग) का नारा दिया। इस चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। ऐसी स्थिति में वामपंथी दलों के समर्थन से कांग्रेस ने भारत की केन्द्रीय सरकार पर कायम होने में सफलता प्राप्त की और भाजपा विपक्ष में बैठने को मजबूर हुई। सम्प्रति वे राजनीति से सन्यास ले चुके हैं।

कवि के रूप में अटल

श्री अटल बिहारी वाजपेयी राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक कवि भी हैं । मेरी इक्यावन कविताएं वाजपेयी का प्रसिद्ध काव्यसंग्रह है । अटल बिहारी वाजपेयी को काव्य रचनाशीलता एवं रसास्वाद विरासत में मिले हैं। उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर रियासत में अपने समय के जाने-माने कवि थे। वे ब्रजभाषा और खड़ी बोली में काव्य रचना करते थे। पारिवारिक वातावरण साहित्यिक एवं काव्यमय होने के कारण उनकी रगों में काव्य रक्त-रस घूम रहा है। उनकी सर्व प्रथम कविता ताजमहल थी। इसमें श्रृंगार, प्रेम प्रसून न चढ़ाकर 'एक शहनशाह ने बनवा के हंसी ताजमहल, मोहब्बत करने वालों का उड़ाया है मजाक' की तरह उनका भी ध्यान शोषण पर ही गया। कवि हृदय कभी कविता से वंचित नहीं रह सकता। राजनीति के साथ-साथ समष्टि एवं राष्ट्र के प्रति उनकी वैयक्तिक संवेदनशीलता प्रकट होती रही। उनके संघर्षमय जीवन, परिवर्तनशील परिस्थितियां, राष्ट्रव्यापी आन्दोलन, जेलवास सभी हालातों के प्रभाव एवं अनुभूति ने काव्य में अभिव्यक्ति पायी।


उनकी कुछ प्रकाशित रचनाएँ हैं :

  • मृत्यु या हत्या
  • अमर बलिदान (लोक सभा मे अटल जी वक्तव्यों का संग्रह)
  • कैदी कविराय की कुन्डलियाँ
  • संसद में तीन दशक
  • अमर आग है
  • कुछ लेख कुछ भाषण
  • सेक्युलर वाद
  • राजनीति की रपटीली राहें
  • बिन्दु बिन्दु विचार , इत्यादि।


जीवन के कुछ प्रमुख तथ्य

  • आजीवन अविवाहित रहे।
  • वे एक ओजस्वी एवं पटु वक्ता (ओरेटर) एवं प्रसिद्ध हिन्दी कवि भी हैं।
  • परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों की संभावित नाराजगी से विचलित हुए बिना उन्होंने अग्नि-दो और परमाणु परीक्षण कर देश की सुरक्षा के लिए दृढ़ कदम भी उठाए। सन १९८९ में पोखरण में भारत का द्वितीय परमाणु परीक्षण किया जिसे अमेरिका की सीआईए को भनक नहीं लगने दी।
  • अटल सबसे लंबे समय तक सांसद रहे हैं और जवाहरलाल नेहरू व इंदिरा गांधी के बाद सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री भी। अटल ही पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने गठबंधन सरकार को स्थायीत्व और सफलता से संचालित किया।
  • अटल ही पहले विदेश मंत्री थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण देकर भारत को गौरवान्वित किया था।


वाजपेयी सरकार के कार्य

सौ साल से भी ज्यादा पुराने कावेरी जल विवाद को सुलझाया[तथ्य वांछित]। संरचनात्मक ढाँचे के लिए कार्यदल; सॉफ्टेवेयर विकास के लिए सूचना एवं प्रौद्योगिकी कार्यदल; केन्द्रीय बिजली नियंत्रण आयोग आदि का गठन किया, साथ ही राष्ट्रीय राजमार्गों एवं हवाई अड्डों का विकास; नई टेलीकॉम नीति तथा कोंकण रेलवे की शुरुआत आदि के माध्यम से बुनियादी संरचनात्मक ढ़ाँचें को मजबूत करने वाले कदम उठाए। राष्ट्रीय सुरक्षा समिति, आर्थिक सलाह समिति, व्यापार एवं उद्योग समिति भी गठित कीं। इनके अलावा आवश्यक उपभोक्ता सामग्रियों की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन बुलाया, उड़ीसा के सर्वाधिक गरीब क्षेत्र के लिए सात सूत्री गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम शुरू किया, आवास निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए अर्बन सीलिंग एक्ट समाप्त किया तथा ग्रामीण रोजगार सृजन एवं विदेशों में बसे भारतीय मूल के लोगों के लिए बीमा योजना शुरू की[तथ्य वांछित]

यह भी देखें

वाह्य सूत्र