"कुंडलिनी योग": अवतरणों में अंतर

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'''कुण्डलिनी योग''' या '''लय योग''' चित्र मिलन मे लीन हो जाना, प्राण संचार करना, [[ब्रह्म]] के ज्ञान में लीन होना। कुण्डलिनी योग पर तन्त्र सम्प्रदाय और शाक्त सम्रदाय का अधिक प्रभाव रहा है।
'''कुण्डलिनी योग''' या '''लय योग''' चित्र मिलन मे लीन हो जाना, प्राण संचार करना, [[ब्रह्म]] के ज्ञान में लीन होना। कुण्डलिनी योग पर तन्त्र सम्प्रदाय और शाक्त सम्रदाय का अधिक प्रभाव रहा है।

चित्त का अपने स्वरूप विलीन होना या चित्त की निरूद्ध अवस्था लययोग के अन्तर्गत आता है। साधक के चित्त में जब चलते, बैठते, सोते और भोजन करते समय हर समय ब्रहम का ध्यान रहे इसी को लययोग कहते हैं। [[योगत्वोपनिषद]] में इस प्रकार वर्णन है-

: ''गच्छस्तिष्ठन स्वपन भुंजन् ध्यायेन्त्रिष्कलमीश्वरम् स एव लययोगः स्यात'' (22-23)


==इन्हें भी देखें==
==इन्हें भी देखें==
* [[कुण्डलिनी]]
* [[कुण्डलिनी]]

==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://hindi.webdunia.com/yoga-articles/कुंडलिनी-योग-का-चमत्कार-111040800070_1.htm कुंडलिनी योग का चमत्कार] (वेबदुनिया)


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05:55, 13 मई 2015 का अवतरण

कुण्डलिनी योग या लय योग चित्र मिलन मे लीन हो जाना, प्राण संचार करना, ब्रह्म के ज्ञान में लीन होना। कुण्डलिनी योग पर तन्त्र सम्प्रदाय और शाक्त सम्रदाय का अधिक प्रभाव रहा है।

चित्त का अपने स्वरूप विलीन होना या चित्त की निरूद्ध अवस्था लययोग के अन्तर्गत आता है। साधक के चित्त में जब चलते, बैठते, सोते और भोजन करते समय हर समय ब्रहम का ध्यान रहे इसी को लययोग कहते हैं। योगत्वोपनिषद में इस प्रकार वर्णन है-

गच्छस्तिष्ठन स्वपन भुंजन् ध्यायेन्त्रिष्कलमीश्वरम् स एव लययोगः स्यात (22-23)

इन्हें भी देखें

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