"टैंगो चार्ली (2005 फ़िल्म)": अवतरणों में अंतर

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तरुण के लिए यह पल बहुत विचलित और विवशता भरे हुए होते है, मुहम्मद उसे जज्बाती होकर किसी भी जल्दबाजी करने से मना करता है और उनके अगली हरकत तक वे भावहीन होकर इंतजार करते है । लेकिन बीजु को तड़पता देख उनका सिपाही (शाहबाज खान) उसे माॅर्फिन की सिरिंज देने की नाकाम कोशिश में बोडो लीडर उसे मार गिराता है, बीजु दर्द से तड़पता हुआ आखिर में मर जाता है जहाँ बोडो गुट के सामने आते ही माइक, भीखु (सुदैश बैरी) और तरुण उन पर गोलियों की बौछार करते है, गुट के लोग मारे जाते हैं लेकिन लीडर अपने कुछ लोगो साथ भाग निकलता है । भीखु पीछा करने दौरान घायल होता है ।
तरुण के लिए यह पल बहुत विचलित और विवशता भरे हुए होते है, मुहम्मद उसे जज्बाती होकर किसी भी जल्दबाजी करने से मना करता है और उनके अगली हरकत तक वे भावहीन होकर इंतजार करते है । लेकिन बीजु को तड़पता देख उनका सिपाही (शाहबाज खान) उसे माॅर्फिन की सिरिंज देने की नाकाम कोशिश में बोडो लीडर उसे मार गिराता है, बीजु दर्द से तड़पता हुआ आखिर में मर जाता है जहाँ बोडो गुट के सामने आते ही माइक, भीखु (सुदैश बैरी) और तरुण उन पर गोलियों की बौछार करते है, गुट के लोग मारे जाते हैं लेकिन लीडर अपने कुछ लोगो साथ भाग निकलता है । भीखु पीछा करने दौरान घायल होता है ।
और फिर रात घिरने पर माइक और तरुण अंधेरे में बोडो दस्ते को एक-एक कर खत्म करता है, लीडर अपने दो बंदूकधारियों साथ नाव में नदी पार करने के क्रम में माइक और तरुण के हाथों पकड़े जाते है, इस हाथापाई में माइक लीडर की गर्दन काट देता है, तरुण भी एक को खत्म कर तीसरे को ढुंढ निकालता है, लेकिन उसका दुश्मन एक सोलह साल का लड़का मिलता है ।
और फिर रात घिरने पर माइक और तरुण अंधेरे में बोडो दस्ते को एक-एक कर खत्म करता है, लीडर अपने दो बंदूकधारियों साथ नाव में नदी पार करने के क्रम में माइक और तरुण के हाथों पकड़े जाते है, इस हाथापाई में माइक लीडर की गर्दन काट देता है, तरुण भी एक को खत्म कर तीसरे को ढुंढ निकालता है, लेकिन उसका दुश्मन एक सोलह साल का लड़का मिलता है ।
मेडिकल लिव के बाद तरुण अपने पैतृक गाँव हरियाणा लौटता है, जहाँ उसके दोस्त और परिवार गर्मजोशी से उसका स्वागत करते है । इसी के लक्षी नारायण (तनीशा) से ब्याहने के लिए अपने पिता (आलोक नाथ) को रजामंद करता है । पर चुंकि लक्षी एक कंप्यूटर इंजीनियर होने के साथ काफी स्वतंत्र विचारों की है, तरुण उसे प्रभावित करने के लिए उसके अनुरूप बदलने की कोशिश करता है । जल्द ही दोनों की सगाई भी होती है, लेकिन फिर दक्कन की पोस्टिंग मिलने पर तरुण उससे दुबारा मिलने और शादी करने का प्रण देता है।

==आंध्रा में नक्सलियों की मुठभेड़==

दक्षिण भारतीय राज्य आंध्रप्रदेश में नक्सलियों के बढ़ते हिंसक वर्चस्व को रोकने की ऐसे ही मुहिम में तरुण और माईक/मुहम्मद को अपने सेनाधिकारी कर्नल के परिवार और बच्चों को हैदराबाद ले जाने के रास्ते में नक्सलियों का एक दस्ता उनकी सवारी ट्रक पर हमला करते है ।


== मुख्य कलाकार ==
== मुख्य कलाकार ==

03:30, 29 जनवरी 2015 का अवतरण

टैंगो चार्ली
चित्र:टैंगो चार्ली.jpg
टैंगो चार्ली का पोस्टर
निर्देशक मणि शंकर
लेखक मणि शंकर
निर्माता नितिन मनमोहन
अभिनेता संजय दत्त,
सुनील शेट्टी,
अजय देवगन,
बॉबी द्योल,
तनीशा,
सुदेश बैरी,
शहबाज़ ख़ान,
विवेक शक,
संजय मिश्रा,
आलोक नाथ,
अंजान श्रीवास्तव,
टीकू तलसानिया,
मुकेश तिवारी,
राजेन्द्रनाथ ज़ुत्शी,
संगीतकार आनंद राज आनंद , अनु मलिक
प्रदर्शन तिथि
2005
देश भारत
भाषा हिन्दी

टैंगो चार्ली वर्ष 2005 की रिलीज निर्देशक व लेखक मणि शंकर की एक्शन-ड्रामा और युद्ध विरोधी फिल्म है । फिल्म में बाॅबी देओल तथा अजय देवगन ने जांबाज बीएसएफ जवान की भुमिका अदा की है जो तथाकथित युद्ध की मुठभेड़ और प्रतिकूल स्थिति से अवगत कराती है । अन्य सह-भुमिकाओं में तनीषा मुखर्जी, आलोकनाथ, नंदना सेन, राज जुत्शी, मुकेश तिवारी, संजय दत्त, सुनील शेट्टी ने भूमिका निभायी है। फिल्म ने बाॅक्सऑफिस पर असफल रही लेकिन कई पत्रकारों और समीक्षकों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी ।

कहानी

फिल्म की शुरुआत कश्मीर की बर्फिली दुर्गम घाटियों से होती है, जहां आतंकी मुठभेड़ की जांच अभियान को आए भारतीय वायुसेना के खोजी हेलिकॉप्टर के पायलटों (स्कवाॅर्डन लीडर विक्रम राठौर और फ्लाइट लेफ्टिनेंट शेज़ाद खान ; संजय दत्त तथा सुनील शेट्टी अभिनीत) को वहां मौजूद एक घायल सैनिक (बाॅबी द्योल) मिलता है, जिसे मेडिकल कैंप ले जाने के दौरान उससे डायरी मिलती है जिससे सैनिक की पहचान तरुण चौहान बनाम टैंगो चार्ली, सिपाही 101वें बीएसएफ बटालियन के रुप में होती है, और इसी डायरी के साथ बीते मुठभेड़ों की घटनाक्रम शुरू होती हैं ।

उत्तर-पूर्वी राज्य

तरुण चौहान की पोस्टिंग मणिपुर में होती है. जहाँ उसकी मुलाकात हवलदार मुहम्मद अली (अजय देवगन) के लगाए जाल में फंसने के बाद होती है । इस लापरवाही के चलते मुहम्मद उसे बेवकूफ कहता है, मुहम्मद अली उससे सवाल करता है की उसने सेना की नौकरी क्यों चुनी ? तरुण जवाब देता है की वो सिर्फ़ देशभक्ति और देशसेवा के खातिर यहां आया है । इस पर मुहम्मद उसे यथार्थ से परिचित कर कहता है कि ऐसी बातें कहने वाले ज्यादातर गलतफहमी में रहते है वास्तव में इस नौकरी के बदौलत सिर्फ कर्ज चुका रहा है । यहां चुंकि ज्यादातर वक्त पहरेदारी के चलती है तो तरुण को खानसामे का काम दिया जाता है । और इसी के साथ जंग में लड़ने के लिए वो अपना कोडनेम रखते है, तरुण चौहान उर्फ टैंगो चार्ली और मुहम्मद अली उर्फ माइक अल्फा । फिर पेट्रोलिंग के एक रोज उनकी एक टुकड़ी बोडो गुट के द्वारा उनके भेजे घायल सिपाही के जाल में फंसती है, माइक अल्फा की टीम बिखर जाती है, तरुण भी बोडो दल के लीडर (केली दोरजी) के हाथो फंसता है पर माइक उसे बचा लेता है । बोडो लीडर उनका सबसे कम उम्र का जवान बीजु (विशाल ठक्कर) को ले जाते है, और पेड़ पर बांध उसकी पेट की आंते काटकर उसे तड़पता छोड़ अपने दल के साथ छुप बाकी सिपाहियों के आने तक धात लगाता है । तरुण के लिए यह पल बहुत विचलित और विवशता भरे हुए होते है, मुहम्मद उसे जज्बाती होकर किसी भी जल्दबाजी करने से मना करता है और उनके अगली हरकत तक वे भावहीन होकर इंतजार करते है । लेकिन बीजु को तड़पता देख उनका सिपाही (शाहबाज खान) उसे माॅर्फिन की सिरिंज देने की नाकाम कोशिश में बोडो लीडर उसे मार गिराता है, बीजु दर्द से तड़पता हुआ आखिर में मर जाता है जहाँ बोडो गुट के सामने आते ही माइक, भीखु (सुदैश बैरी) और तरुण उन पर गोलियों की बौछार करते है, गुट के लोग मारे जाते हैं लेकिन लीडर अपने कुछ लोगो साथ भाग निकलता है । भीखु पीछा करने दौरान घायल होता है । और फिर रात घिरने पर माइक और तरुण अंधेरे में बोडो दस्ते को एक-एक कर खत्म करता है, लीडर अपने दो बंदूकधारियों साथ नाव में नदी पार करने के क्रम में माइक और तरुण के हाथों पकड़े जाते है, इस हाथापाई में माइक लीडर की गर्दन काट देता है, तरुण भी एक को खत्म कर तीसरे को ढुंढ निकालता है, लेकिन उसका दुश्मन एक सोलह साल का लड़का मिलता है । मेडिकल लिव के बाद तरुण अपने पैतृक गाँव हरियाणा लौटता है, जहाँ उसके दोस्त और परिवार गर्मजोशी से उसका स्वागत करते है । इसी के लक्षी नारायण (तनीशा) से ब्याहने के लिए अपने पिता (आलोक नाथ) को रजामंद करता है । पर चुंकि लक्षी एक कंप्यूटर इंजीनियर होने के साथ काफी स्वतंत्र विचारों की है, तरुण उसे प्रभावित करने के लिए उसके अनुरूप बदलने की कोशिश करता है । जल्द ही दोनों की सगाई भी होती है, लेकिन फिर दक्कन की पोस्टिंग मिलने पर तरुण उससे दुबारा मिलने और शादी करने का प्रण देता है।

आंध्रा में नक्सलियों की मुठभेड़

दक्षिण भारतीय राज्य आंध्रप्रदेश में नक्सलियों के बढ़ते हिंसक वर्चस्व को रोकने की ऐसे ही मुहिम में तरुण और माईक/मुहम्मद को अपने सेनाधिकारी कर्नल के परिवार और बच्चों को हैदराबाद ले जाने के रास्ते में नक्सलियों का एक दस्ता उनकी सवारी ट्रक पर हमला करते है ।

मुख्य कलाकार

दल

संगीत

रोचक तथ्य

  • फिल्म में दिखाए सभी युद्धपरक तकनीकों को जानने के लिए निर्देशक मणि शंकर ने वास्तविक तौर पर उग्रवादी दलों के बीच उनकी गुरिल्ला युद्ध शैली का अध्यन किया ।
  • फिल्म 'टैंगो चार्ली' का आसाम सिनेमाघरों में प्रतिबंध - फिल्म में जिस मणिपुर और उग्रवादी बोडो गुट के तथाकथित हिंसा का चित्रण किया गया है, वास्तविकता में ऐसा नहीं है । सत्य यह है की बोडो संगठन का मूल गढ़ आसाम राज्य में है और उत्तर-पूर्वी राज्यों में कहीं उनकी दखलांदजी नहीं है और नाही किसी तरह वे इस प्रकार की बर्बर हिंसा का व्यवहार करते हैं ।
  • 'टैंगो चार्ली' के किरदार ने काफी हद तक प्रभावित किया अभिनेता बाॅबी द्योल को । फिल्म में दर्शाए टैंगो चार्ली उर्फ तरुण चौहान की डायरी और उसके व्याप्त हिंसा एंव प्रतिकूल परिस्थितियों से सामना करने जैसी घटनाओं ने बाॅबी को काफी विचलित और भावुक किया। जिनको वो प्रत्येक शुटिंग के पश्चात अपनी निजी डायरी में इसका उल्लेख करते थे ।

परिणाम

बौक्स ऑफिस

फिल्म टैंगो चार्ली संक्षिप्त रूप से अमेरिकी मार्केट में काफी सफल रही, हाँलाकि भारतीय बाॅक्सऑफिस में यह असफल रही और 6 करोड़ ₹ कमाई कर पाई । बावजूद फिल्म की डीविडी बिक्री ने उच्च रिकॉर्ड कायम की और बाॅलिवुड डीविडी मार्केट मे अपना चौथा स्थान हासिल करने में कामयाब रही ।

समीक्षाएँ

नामांकन और पुरस्कार

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ