"भारतीय मनोविज्ञान": अवतरणों में अंतर
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भारतीय मनोविज्ञान भारत में अति प्राचीन काल से आज तक हुए मनोवैज्ञानिक अध्ययनों और अनुसंधानों का समग्र रूप है।'भारतीय' कहने से यही तात्पर्य है कि भारतीय संस्कृति की पृष्टभूमि में जिस मनोविज्ञान का विकास हुआ वह इस क्षेत्र में भारत का विशेष योगदान माना जा सकता है।
भारतीय मनोविज्ञान की विशेषताएँ
- दर्शन की शाखा
- आत्मा का विज्ञान
- व्यावहारिक
- अतिसामन्य (सुपर नॉर्मल) तत्त्वों का विवेचन
- मनोशारीरिक (साइको-फिजिकल)
- चेतना के चार स्तर : जागृत, स्वप्न, सुसुप्त और तुरीय
- पंचकोष : अन्नमयकोष, प्राणमयकोष, मनोमयकोष, विज्ञानमयकोष, आनन्दमयकोष
- अणु में विभु
- भौतिक शरीर के अतिरिक्त सूक्ष्मशरीर तथा कारण शरीर
- धार्मिक मनोविज्ञान - भारतीय मनोविज्ञान आत्मविकास और चरित्र-निर्माण में सर्वाधिक उपयोगी हो सकता है।
- मानव व्यक्तित्व की संरचना : मनुष्य में ५ कर्मेन्द्रियाँ और ५ ज्ञानेन्द्रियाँ है, इनके ऊपर मन और मन के परे बुद्धि है।इनके अलावा मनुष्य मूल रूप से आत्मा, पुरुष अथवा जीव है जो व्यक्तित्व की समस्त संरचना को चलाता है। उपनिषदों और गीता में दी गयी व्यक्तित्व की यह संरचना ही षड्दर्शनों एवं विचार के अन्य क्षेत्रों में भी दिखायी देती है।
बाहरी कड़ियाँ
- भारतीय मनोविज्ञान (गूगल पुस्तक ; लेखक - रामनाथ शर्मा तथा अर्चना शर्मा)
- A SHORT HISTORY OF INDIAN PSYCHOLOGY (V. GEORGE MATHEW, Ph.D)
- Introducing Indian psychology: the basics (Matthijs Cornelissen, Sri Aurobindo Ashram, Pondicherry)
- The International Journal of Indian Psychology
- Pondicheny Psychology Association
- प्राचीन मनोविज्ञान को भूल रहे हैं भारतीय (दलाई लामा)