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[[चित्र:Prayer in Cairo 1865.jpg|thumb|250px|मिस्री मुस्लिमानों]]
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'''''मुसलमान''''' (अरबी: ''' مسلم'''،''' مسلمة''' फ़ारसी: مسلمان،, अंग्रेजी: Muslim) का मतलब वह व्यक्ति है जो [[इस्लाम]] में विश्वास रखता हो। हालांकि मुसलमानों के आस्था के अनुसार इस्लाम ईश्वर का धर्म है और धर्म हज़रत मुहम्मद स उपकरण और स्लम से पहले मौजूद था और जो लोग अल्लाह के धर्म का पालन करते रहे वह मुसलमान हैं। जैसे कुरान के अनुसार हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम भी मुसलमान थे। मगर आजकल मुसलमान का मतलब उसे लिया जाता है जो हज़रत मुहम्मद स उपकरण और स्लिम लाए हुए दीन का पालन करता हो और विश्वास रखता हो।
'''''मुसलमान''''' (अरबी: ''' مسلم'''،''' مسلمة''' फ़ारसी: مسلمان،, अंग्रेजी: Muslim) का मतलब वह व्यक्ति है जो [[इस्लाम]] में विश्वास रखता हो। हालांकि मुसलमानों के आस्था के अनुसार इस्लाम ईश्वर का धर्म है और धर्म [[हज़रत मुहम्मद]] से पहले मौजूद था और जो लोग [[अल्लाह]] के धर्म का पालन करते रहे वह मुसलमान हैं। जैसे [[कुरान]] के अनुसार [[हज़रत इब्राहीम]] अलैहिस्सलाम भी मुसलमान थे। मगर आजकल मुसलमान का मतलब उसे लिया जाता है जो हज़रत मुहम्मद लाए हुए दीन का पालन करता हो और विश्वास रखता हो।


== मुख्य इस्लामी धर्म ==
== मुख्य इस्लामी धर्म ==
मुसलमान यह स्वीकार करते हैं कि अल्लाह अकेला परवरदिगार है और हज़रत मुहम्मद (स) अल्लाह के रसूल हैं। इस तरीके से कोई भी व्यक्ति क्षेत्र इस्लाम में जाता है। जब हज़रत मोहम्मद (स) उपकरण और स्लम को अल्लाह का रसूल मान ले तो उस पर वाजिब हो जाता है कि उनकी हर बात पर विश्वास रखे और अमल करने की कोशिश करे। जैसे उन्होंने कहा कि मेरे बाद कोई नबी नहीं और वे परमेश्वर के अन्तिम रसूल हैं तो इस बात पर विश्वास रखना इस्लाम के एकाधिकार में है। इस्लाम के मुख्य धर्म जिन पर मुसलमानों के किसी समुदाय में कोई मतभेद नहीं, निम्नलिखित हैं
मुसलमान यह स्वीकार करते हैं कि अल्लाह अकेला परवरदिगार है और हज़रत मुहम्मद (स) अल्लाह के प्रेषित (रसूल) हैं। इस तरीके से कोई भी व्यक्ति क्षेत्र इस्लाम में जाता है। जब हज़रत मोहम्मद (स) को अल्लाह का रसूल मान ले तो उस पर वाजिब हो जाता है कि उनकी हर बात पर विश्वास रखे और अमल करने की कोशिश करे। जैसे उन्होंने कहा कि मेरे बाद कोई नबी नहीं और वे परमेश्वर के अन्तिम रसूल हैं तो इस बात पर विश्वास रखना इस्लाम के एकाधिकार में है। इस्लाम के मुख्य धर्म जिन पर मुसलमानों के किसी समुदाय में कोई मतभेद नहीं, निम्नलिखित हैं
* अल्लाह एकमात्र और लाशरिक है। इसके अलावा कोई पूजा के योग्य नहीं।
* अल्लाह एकमात्र और लाशरिक है। इसके अलावा कोई पूजा के योग्य नहीं।
* हज़रत मोहम्मद अल्लाह के अन्तिम रसूल हैं।
* हज़रत मोहम्मद अल्लाह के अन्तिम रसूल हैं।
* कुरान अल्लाह की किताब है और उसका हर शब्द और अक्षर अल्लाह से है।
* कुरान अल्लाह की किताब है और उसका हर शब्द और अक्षर अल्लाह से है।
* क़यामत और हिसाब और किताब यानी हयात बाद बाद अल मौत पर विश्वास।
* क़यामत और हिसाब और किताब यानी हयात बाद (बाद अल मौत) पर विश्वास।
* नमाज़, रोज़ा, ज़कात और उसके (जो नये बूते रखता हो) की फ़र्ज़ियत पर विश्वास।
* [[नमाज़]], [[रोज़ा]], [[ज़कात]] और उसके (जो नये बूते रखता हो) की फ़र्ज़ियत पर विश्वास।
* फ़रिशतों, पूर्व अम्बिया और पुस्तकों पर विश्वास।
* फ़रिशतों, पूर्व अम्बिया और पुस्तकों पर विश्वास।



18:04, 30 अक्टूबर 2014 का अवतरण

मिस्री मुस्लिमानों

मुसलमान (अरबी: مسلم، مسلمة फ़ारसी: مسلمان،, अंग्रेजी: Muslim) का मतलब वह व्यक्ति है जो इस्लाम में विश्वास रखता हो। हालांकि मुसलमानों के आस्था के अनुसार इस्लाम ईश्वर का धर्म है और धर्म हज़रत मुहम्मद से पहले मौजूद था और जो लोग अल्लाह के धर्म का पालन करते रहे वह मुसलमान हैं। जैसे कुरान के अनुसार हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम भी मुसलमान थे। मगर आजकल मुसलमान का मतलब उसे लिया जाता है जो हज़रत मुहम्मद लाए हुए दीन का पालन करता हो और विश्वास रखता हो।

मुख्य इस्लामी धर्म

मुसलमान यह स्वीकार करते हैं कि अल्लाह अकेला परवरदिगार है और हज़रत मुहम्मद (स) अल्लाह के प्रेषित (रसूल) हैं। इस तरीके से कोई भी व्यक्ति क्षेत्र इस्लाम में जाता है। जब हज़रत मोहम्मद (स) को अल्लाह का रसूल मान ले तो उस पर वाजिब हो जाता है कि उनकी हर बात पर विश्वास रखे और अमल करने की कोशिश करे। जैसे उन्होंने कहा कि मेरे बाद कोई नबी नहीं और वे परमेश्वर के अन्तिम रसूल हैं तो इस बात पर विश्वास रखना इस्लाम के एकाधिकार में है। इस्लाम के मुख्य धर्म जिन पर मुसलमानों के किसी समुदाय में कोई मतभेद नहीं, निम्नलिखित हैं

  • अल्लाह एकमात्र और लाशरिक है। इसके अलावा कोई पूजा के योग्य नहीं।
  • हज़रत मोहम्मद अल्लाह के अन्तिम रसूल हैं।
  • कुरान अल्लाह की किताब है और उसका हर शब्द और अक्षर अल्लाह से है।
  • क़यामत और हिसाब और किताब यानी हयात बाद (बाद अल मौत) पर विश्वास।
  • नमाज़, रोज़ा, ज़कात और उसके (जो नये बूते रखता हो) की फ़र्ज़ियत पर विश्वास।
  • फ़रिशतों, पूर्व अम्बिया और पुस्तकों पर विश्वास।

उपरोक्त बातों पर विश्वास करने को मुसलमान कहते हैं। उनके अलावा अन्य मतभेद फरोइई और राजनीतिक हैं।